मेरे साथ सेक्स कर

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Mere Sath Sex Kar

नमस्कार मित्रो, मेरा नाम सन्दीप है, मेरी आयु 20 वर्ष है।

यहाँ मैं आपको मेरी जिंदगी की वो कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसने मेरी जिंदगी को बदल कर रख दी। इस घटना को समझने के लिए मैं आपको इस घटना से दो वर्ष पूर्व ले जाता हूँ।

बात उन दिनों की हैं जब पड़ोस में रहने वाले डॉक्टर अंकल की बेटी नेहा अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी कर हॉस्टल से वापस आ गई थी। उस समय मैं 11वीं में पढ़ता था। मैं उन्हें पहले से जानता था लेकिन अच्छे दोस्त बनने का मौका उनके घर आने के बाद ही मिला। डॉक्टर अंकल की पत्नी की मौत एक कार हादसे में 10 साल पहले हो चुकी थी और अंकल की ड्यूटी ज्यादातर बाहर ही रहती थी।

नेहा घर में अकेली ही रहती थी, हांलाकि वो मुझसे 2 साल बड़ी थी पर मैं उन्हें नाम से ही पुकारता था।

नेहा ज्यादातर घर पर ही रहती थी, कॉलेज भी कभी कभार ही जाया करती थी। घर के कोई भी काम के लिए वो मुझे बोलती थी या सुरेश को। सुरेश उनके कॉलेज का दोस्त था और काफी करीब भी था उनके। जब भी उन्हें कुछ मंगाना होता था या कुछ काम होता था वो मुझे बोल देती थी। लेकिन मैं भी अपना कमीशन ले ही लेता था, कभी 5 रुपए कभी 10, कभी चॉकलेट और वो भी कभी मना नहीं करती थी, आखिर उनका काम करता था मैं!

धीरे-धीरे हम दोनों बहुत घुलमिल गए और दो साल बीतते-बीतते अच्छे दोस्त भी बन गए।

18वें जन्मदिन पर मैंने अपने बचाए हुए पैसों (वही जो नेहा से कमीशन में लेता था) से मोबाइल ख़रीदा और दिन भर उसी में व्यस्त रहता था। नेहा से भी ज्यादा बातें नहीं होती थी लेकिन सुरेश बहुत आया जाया करता था।

तीन महीने बाद मेरे 12वीं के इम्तिहान थे और मैं दिन भर मोबाइल में लगा रहता था।

नेहा के wi-fi से नेट एकदम फर्स्टक्लास first class चलता था और मैं दिन भर पोर्न porn देखता रहता था।

इम्तिहान भी ख़त्म हुए और परिणाम जो आना था वो तो सबको पता ही होगा कैसा आया होगा, केवल 77%

आप भी सोच रहे होंगे कि मैं कहाँ की बातें लेकर बैठ गया। चलिए मुद्दे पर आता हूँ।

परीक्षा और परिणाम के बाद हमारी दोस्ती फिर पटरी पर थी। मेरी मम्मी, नानी के यहाँ चली गई और हम दोनों दिन भर अकेले रहते थे, इसलिए दोनों का ज्यादातर वक़्त साथ में ही गुजरता था, लेकिन मुझे नेहा की आँखों और शरीर की भाषा से वो कुछ बदली बदली सी लगती थी और आजकल सुरेश भी नहीं आता था।

मैंने हज़ार बार पूछा पर वो हमेशा टाल जाती थी। एक दिन ज्यादा जोर डालने पर बोली- मेरा एक काम करेगा?

मैंने भी मज़ाक में लेते हुए कहा- हाँ करूँगा, पर.. मेरा कमीशन??

उन्होंने तपाक से अपना पर्स उठाया और मुझे 500 का नोट दे दिया- ये ले तेरा कमीशन!

मैंने इतना बड़ा कमीशन उनसे कभी नहीं लिया था- इतना ज्यादा, काम इतना बड़ा है क्या?

‘हाँ!’ वो झट से बोली।

‘क्या करना है नेहा?’

‘मैं जो कहूँ वो !’ वो बोली- तैयार हो या मेरा कमीशन वापस करो!

मैं इतने रुपये जाने नहीं देना चाहता था तो कहा- हाँ तैयार हूँ, बोलो तो सही?

‘मेरे साथ सेक्स करना है।’

मैं एकदम से चौंक गया- नेहा, यह क्या कह रही हो? मैं ऐसा नहीं करना चाहता, तुम अच्छी दोस्त हो मेरी, ऐसा करना अच्छा नहीं है।

‘तुमने कहा था कि तुम करोगे और वैसे भी मैं तो बस एक बार करना चाहती हूँ, वो दर्द सहना चाहती हूँ बस और कुछ नहीं, एक बार और यह तो मेरा पहली ही बार है। और तुमसे अच्छा दोस्त और मिलेगा भी कहाँ, किसी को पता भी नहीं चलेगा। प्लीज एक बार, तुम्हें अपनी दोस्ती की कसम!’

वो मुझे अब मनाने की कोशिश कर रही थी और मुझे भी उसमें कुछ गलत नहीं लगा, पोर्न देख देख कर हवस का भूखा तो मैं हो ही चुका था और 18 की उम्र में कच्ची कली तोड़ने को मिल रही थी वो भी पैसे लेकर… कैसे मना करता… थोड़ी मान मुन्नव्वल के बाद मैं मान गया, लेकिन मैं अभी भी शर्मा रहा था।

थोड़ी ही देर में देखते ही देखते नेहा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसकी जवानी देख कर तो मैं पागल हो गया।

इतना कोमल और नाजुक बदन तो मैंने आज तक videos में भी नहीं देखा था।

मैं तो मन ही मन अपने आप को गाली दे रहा था कि इतना अच्छा माल तेरे गोदाम में था और तू चीनी माल (पोर्न) से काम चला रहा था। और मैं गधा हूँ क्या, नेहा के बारे में सोचा क्यों नहीं, इतनी कमसिन माल थी और अकेली थी।

फिर भी मैं चुपचाप खड़ा रहा और वो बिस्तर पर अंगड़ाइयाँ ले रही थी।

उसे शायद में अभी भी सीधा सादा लड़का लगता था इसलिए मुझे बोली- अच्छा, अब अपना लंड निकालकर इसके अन्दर घुसा दे और बस अन्दर बाहर करता जा प्लीज कर न जल्दी।

उन्हें शायद पता नहीं था कि यह नया खिलाड़ी उन कामों को कई बार देख चुका है, इसीलिए मैंने बीच में ही टोका- लेकिन नेहा…!

मेरी पूरी बात सुने बिना ही आदेश दिया- अब मैंने जो कहा है, वो ही करना पड़ेगा।

मैं पूरी बात यह कहना चाहता था कि ‘लेकिन नेहा सीधे लंड चूत में कैसे? पहले मूड तो बनाने दो’ लेकिन उसने मेरी सुनी ही नहीं।

मैंने भी वही किया जो वो चाहती थी। मैंने अन्तर्वासना में पढ़ा था कि पहली बार चूत बहुत सिकुड़ी हुई होती है और लंड एक बार में नहीं झेल सकती, लड़की की चूत से खून भी निकलता है और उसे बहुत दर्द होता है।

मैं अभी भी सोच में डूबा हुआ खड़ा था कि वो मेरे सामने आई और घुटनों पर आ गई, मेरी जींस खोलने लगी।

जैसे ही उसने जींस नीचे खिसकाई, मेरा 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड मेरी चड्डी से बाहर निकलने की जिद पर अड़ा था।

उसे देखते ही वो खुश हो गई और बोली- बड़ी लकी होगी जिसे पूरी जिंदगी यह शेर मुफ्त में मिलेगा…

और देखते ही देखते उसने मेरी चड्डी पूरी नीचे खिसका दी और मेरी झांटों के बीच लंड एकदम तन कर खड़ा हो गया।

झांटें देखते ही बोली- इन्हें काट भी लिया कर…

तो मैंने भी जवाब दिया- खुद क्यों काटूँ? किसी काटने वाली का इंतजार कर रहा था, अब तुम हो तो तुम ही करना।

वो निर्लज्ज होकर बोली- जालिम, इन्हें बाद में देंखेंगे, आज तेरे पप्पू का जलवा देखूँगी, जल्दी से यह क्रीम लगा इस पर और घुसा दे इसे मेरी चूत की जेल में !

मैं दंग था यह बात सुनकर… लेकिन मैं मेरा काम करने लग गया, लंड पर क्रीम लगाई और उसके बिस्तर की तरफ जाने लगा जहाँ वो नंगी लेटी हुई थी।

मैं यह समझकर कि यह पहली बार है, नेहा की टाँगे चौड़ी की और लंड घुसाने की कोशिश की लेकिन ‘यह क्या?’

एक ही बार में लंड आसानी से घुस गया।

मुझे शक हुआ कि नेहा कुंवारी चूत लेकर नहीं बैठी है इसीलिए इसमें इतनी आग भरी है।

मैंने फिर धीरे धीरे 3-4 बार लंड अन्दर बाहर किया लेकिन देखा तो खून कहीं नहीं था।

मैंने झट से लंड बाहर निकाला और नेहा से पूछा- तुम तो कह रही थी कि यह तुम्हारी पहली बार है लेकिन इस चौड़ी चूत को देखकर तो ऐसा नहीं लग रहा है, और खून भी नहीं आया तुम्हारे तो?

वो सफाई देने लगी- नहीं नहीं… ऐसा नहीं है वो तो बस ऐसे ही हर लड़की के खून नहीं आता है।

मैंने धमकी देते हुए कहा- सच बोलो, वरना मैं जा रहा हूँ।

तो उसने राज खोल दिया- तुम्हें क्या लगता हैं सन्दीप, सुरेश सिर्फ मेरे काम करने आता था या सिर्फ वो मेरा दोस्त था। नहीं वो मेरी चूत का पानी पीने आता था और अपनी हवस की प्यास बुझाने आता… लेकिन एक बात बताओ, तुम्हें ये सब बातें कैसे पता कि कुंवारी लड़की की चूत से खून निकलता है?

मुझे एकदम से धक्का लगा, मैं डर डर कर बोलने लगा- वो क्या है न कि नेहा… नेहा… वो यह बात थी कि…

वो चिल्लाई- क्या बात है, बताओ भी?

ये बातें हम दोनों एकदम नंगे होकर कर रहे थे, जैसे ही वो चिल्लाई उसकी छाती में जो उभार आया और जो उसकी चूचियाँ आगे आई तो मेरा तो दिमाग खराब हो गया देखकर… कैसे बताऊँ कि क्या हालत थी मेरी…

मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी कमर को अपनी बांहों की आगोश में लेकर जोर से दबाया।

उसकी चूचियाँ बहुत सख्त हो चुकी थी और उनकी चुभन मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था।

मैंने उसे और कस के पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं उसक मुँह के अन्दर अपनी जीभ को घुमाए जा रहा था और वो उस जीभ को अपनी जीभ से पकड़ने का प्रयास किये जा रही थी।

हम दोनों ने एक दूसरे को इतना कस कर पकड़ा हुआ था कि दोनों के बुरी तरह से पसीने पसीने हो गए और पूरा भीगने के बाद वो मुझसे अलग हुई और बोली- यह मेरे सवाल का जवाब नहीं था।

मैंने अब सच बोलना ही उचित समझा, मैंने कहा- मैं मोबाइल में तुम्हारे wi-fi से porn पोर्न डाउनलोड करके देखता हूँ।

मेरा जवाब सुनकर वो मेरे पास आई और मेरे लंड से अपनी गांड टिकाकर, अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपने कंधे पर लाकर बोली- तो पोर्न वाले मज़े ही दे न सन्दीप, सीधा लंड घुसा दिया आकर… अब तो पूरा मज़ा ही देना पड़ेगा तुझे, वरना wi-fi बंद।

मैं तो इसी हरी झंडी का इंतज़ार कर रहा था, मैंने उसे कान के पास से चाटना शुरू किया और उसके गर्दन के पीछे किस करने लगा और धीरे धीरे कमर पर किस करने लगा।

वो जोर जोर से आहें भरने लगी, मैंने उसे बांहों में उठाया और बिस्तर पर जोर से फ़ेंका और सीधा उसके ऊपर कूद गया और उसकी अंगुलियों में अंगुलियाँ डालकर उसके हाथ ऊपर कस दिए।

अब मैं उसकी बगलों में अपनी नाक घुमाने लगा… क्या पसीने की खुशबू थी… एकदम नशा सा छाया जा रहा था।

अब मैं उसके underarms पर किस भी करने लगा और वो जोर जोर से आहें भरने लगी और उसकी शरीर की तपन तो मैं महसूस कर सकता था। वो एकदम भट्टी की तरह जल रही थी और बार बार शरीर को तोड़ मरोड़ रही थी, बार बार अपने मम्मे मेरी छाती पर मसल रही थी।

अब धीरे धीरे में उसके वक्ष पर आया और एक मम्मे की चुचूक को अपनी पैनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और अपने बायें हाथ से उसकी चूत और दायें हाथ से दूसरा बूब दबाने लगा।

उसके मम्मे अब बहुत सख्त हो गए थे और वो हाथों से मेरे बालों को कसकर पकड़कर बस चिल्लाई जा रही थी- आह !! आह !! जोर से चूस मेरे मम्मे…

कमरे में दो ही आवाजें थी, एक तो उसके तड़पने की और दूसरी मेरे बूब्स को चाटने वाली।

थोड़ी ही देर में उसका पूरा बदन एकदम अकड़ गया और दो पल में एक जोर से चीख निकली- आआअह्हह्हह !!

और नेहा का बदन एकदम ढीला पड़ गया और मेरे हाथ में एक चिपचिपा सफेद तरल लगा।

मुझे पता चल गया कि वो झड़ चुकी है।

अब उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और कहने लगी- हैट्स ऑफ तो यू सन्दीप, क्या जलवा है तेरा…

मैं अब उस सफ़ेद पदार्थ को चाटने लगा और वो और मुस्कुराने लगी। उसकी sex की इच्छा फिर से जाग उठी, मैं सीधा नीचे गया और उसकी टाँगें चौड़ी कर उनमें अपना मुँह घुसा दिया।

मैं उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा और हाथों से उसके चूचे फिर से नोचने लगा।

उसकी चूत की 2 फांकों के बीच में मैं अपनी जीभ को घुमाने लगा।

अब वो जोर-शोर से मेरा साथ दे रही थी, उसने मेरे सर को पकड़कर इतना जोर दबाया कि एक बार तो मुझे लगा कि चूत के अन्दर ही घूस जाऊँगा।

नेहा अब बस चिल्लाए ही जा रही थी- फ़क मी सन्दीप ! इस चूत को फाड़ डाल आज, मै तेरे लंड की प्यासी हूँ मेरी प्यास बुझा दे… इस चूत को तृप्त कर दे मेरे यार… वरना मैं मर जाऊँगी।

अब वो चूतड़ उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी।

मैंने उसकी चूत को चाटना बंद किया और सीधा खड़ा होकर एक ही बार में अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और वो दर्द से चिल्ला उठी- माँ के लौड़े, एक ही बार में घुसा दिया? बहुत दर्द हो रहा है, ऊपर से उठ, हब्शी कहीं का… चूतिया।

उसके मुँह से गाली सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया और मुझे गुस्सा भी आया कि उसने मुझे माँ की गाली दी।

मैं उसके ऊपर से नहीं उठा और वो जोर जबरदस्ती करने लगी लेकिन मैंने उसे कस के पकड़ लिया और दो मिनट रुककर धीरे धीरे धक्के मारने लगा।

लेकिन वो अभी भी छूटना चाहती थी तो मैंने उसके हाथ उसके कमीज से कमर के पीछे बाँध दिए और पलंग से उठाकर उसे स्टडी टेबल पर ले जा कर उल्टा लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच जा खड़ा हुआ, उसकी टांगों को हाथ में उठाया और अपने लंड को उसकी गुफा में घुसा दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।

थोड़ी देर की छिना झपटी के बाद वो मेरा साथ देने लगी।

धीरे धीरे धक्को से उसकी जलन बढ़ने लगी और वो कहने लगी- सॉरी सन्दीप ! तू सही था, प्लीज अब मेरी बॉडी को मत जला और जोर जोर से मेरी चूत मार।

‘क्या कहा? मैंने सुना नहीं…’

‘जोर से मार मेरी चूत, ऐसी मार की फट कर अलग हो जाए…’

‘और उसके बदले मुझे क्या मिलेगा?’

‘हरामी साला !!! चल 500 रुपए और ले लेना!’

‘ये हुई ना बात मेरी जान, ले तो संभाल मेरे लंड को !’ मैं भी अब मवाली स्टाइल से बोलने लगा।

जोर जोर से मैं उसे धक्के मारने लगा और वो कुतिया की तरह चिल्लाये जा रही थी- आह आह !! मार और जोर से, माय लव सन्दीप फ़क में बेबी !! फ़क मी… म्मम्म… ओह्ह्ह या फ़क मी !!!

उसकी आवाज मुझे और उकसा रही थी, मैं भी उसे गाली देने लगा- साली कुतिया, मुझे माँ की गाली देती है? ले ये वार संभाल मेरा!

और मैंने एक जोर से धक्का दिया, मेरा लंड सीधा उसके गर्भाशय को छुआ और वो जोर से चिल्लाई- मार ही डाला तूने तो!

उसकी आँख से आंसू भी आने लगे।

अब मैं जोर जोर से धक्के देने लगा और मैं झड़ने वाला हो गया था, मैंने उससे पूछा- नेहा मैं झड़ने वाला हूँ, बाहर निकाल दूँ?

‘पागल है क्या? अभी तो मजे आ रहे हैं, अन्दर ही छोड़ देना में आई-पिल ले लूँगी और मैं भी आने ही वाली हूँ, रुक मत… जोर लगा और सुन्न कर दे मुझे।’

मैं जोर जोर से नेहा की चूत मारने लगा और वो ‘आह आह !!’ किये जा रही थी।

‘आह सन्दीप… मैं आने वाली हूँ… आःह्ह्ह आःह्ह!!!!’

जल्दी ही मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और मैं छूट गया और 2 ही सेकंड बाद उसने अपना माल छोड़ दिया।

मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसके हाथ खोल दिए।

वो अपनी चूत को दोनों टांगों से दबाये खड़ी हो गई, एकदम तृप्त हसीना लग रही थी।

मैं अपने लंड को कपड़े से पोंछने लगा तो वो सीधा मेरे पास आई और कपड़ा हाथ से छीनकर फेंक दिया और मेरे लंड को जीभ से चाटकर साफ़ किया।

अब कमरे में अजीब सी शांति थी।

लंड साफ़ करके वो उठी और मेरे बदन से लिपट गई।

मैं भी उसे प्यार से निहारने लगा, मैंने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में उठाया और किस करने लगा।

हम दोनों किस करते करते बिस्तर पर लेट गए और करीब दस मिनट बाद हमारे होंठ अलग हुए और हम दोनों एक दूसरे को देख हंसने लगे और शरमा गए।

वो मुझसे लिपट कर सो गई और मेरा ध्यान घड़ी पर गया, करीब 50 मिनट चला था हमारी चुदाई का सीन।

मैंने उससे लिपटकर कहा- I LOVE YOU नेहा !

‘आई लव यू तू सन्दीप, यू आर माय बेस्ट फ्रेंड…’

और हम दोनों लिपटकर, अपनी टांगों को एक दूसरे में फ़ंसा कर के सो गए।

करीब 2 घंटे बाद मेरी आँख खुली तो पाँच बज रहे थे, मैंने उसे उठाया- नेहा, 5 बज गए हैं, पापा आते ही होंगे, मैं चलता हूँ।

वो ‘ऊ…आ…’ करने लगी और मना करने लगी लेकिन मैं कपड़े पहनने लगा।

कपड़े पहन कर मैंने उसे लेटे लेटे ही हग किया और उसने तपाक से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका लिए।

करीब 5 मिनट बाद मैं अलग हुआ और जाने लगा तो उसने चूत की तरह इशारा किया और टाँगें उठा दी।

मैंने उसकी प्यारी और गुलाबी चूत को देखा और एक किस वहाँ भी किया और चला गया।

आगे मेरी लाइफ बहुत बदल गई थी, मैं रुपये लेकर उसे चोदता रहता था। मेरे गठीले बदन को देखकर वो हमेशा मुझे कहती थी- तू तो एस्कॉर्ट बन जा, बहुत कमाएगा।

उसकी बात को मानते हुए ही मैंने बहुत कुछ किया, उसकी सहेलियों को चोदा और 3-4 की तो सील भी मैंने ही तोड़ी थी। उसकी सहेली की शादी से पहले बेचलर पार्टी में भी जिगोलो बना और सबको खूब मज़े दिए।

इन सबकी कहानी मैं आपसे जरूर शेयर करूँगा।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताते रहिएगा।

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