मास्टर जी की बीवी और साली

Master Ji Ki Biwi Aur Sali

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरी पिछली कहानी शिक्षक की बीवी ने चुदवा लिया सबने पसंद की और मुझे बहुत से मेल भी मिले।

अब सभी लड़कियाँ अपनी चूत में उँगली डाल कर और सभी दोस्त अपने हथियार पकड़ कर आगे की कहानी पढ़ें।

मास्टर जी की पत्नी के साथ खूब मस्ती चल रही थी, हमें जब भी मौका मिलता जम के चुदाई करते, मेरी चुदाई की वो दिवानी हो गई, जब भी चुदवाती खूब मस्ती से चुदवाती।

कभी कभी तो आंटी मास्टर जी के सामने ही मेरा लंड निकाल कर चूसने लग जाती क्योंकि मास्टर जी अँधे हैं। और मैं बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज दबाता, कहीं मास्टर जी को पता ना चल जाए।

ख़ैर ऐसे ही 4-5 साल निकल गए, हमारी मस्ती चलती रही।

एक दिन मास्टर जी की साली यानि आंटी की चचेरी बहन उनसे मिलने कुछ दिनों के लिए आई।

नाम था मीनू, उम्र 24 के क़रीब, क्या माल थी यार… 5-3″ कद, बड़ी बड़ी चूचियाँ, गोल गोल गांड उफ्फ क्या कयामत थी। देखते ही लंड खड़ा हो गया, ख़ैर मेरा तो कोई चान्स ही नहीं था।

रोज की तरह उस दिन भी संगीत सीखने गया तो देखा कि तीन चार लोग उनके घर आए हुए हैं, पूछने पर पता चला कि वो लोग राजस्थान में हो रहे किसी संगीत सम्मेलन में जाने के लिए मास्टर जी को लेने आए हैं।

कार्यक्रम तीन दिन का था, तो मास्टर जी ने अपनी सुविधा के लिए दोनों बच्चों को भी साथ ले लिया और चले गए।

अब घर में आंटी और उनकी बहन रह गई, मैं भी वापिस घर जाने लगा, आंटी ने मुझे रोका और बोली- तुम रात को यहाँ आकर सो जाना।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं सोचता रहा कि आज काम बनेगा या नहीं क्योंकि उनकी बहन साथ थी।

मैं रात को नौ बजे मास्टर जी के घर पहुँच गया, आंटी ने दरवाजा खोला, हम अंदर चले गए।

अंदर जाते ही मैंने आंटी को बाहों में भर लिया, उन्होंने छुड़ाया और बोली- मेरी बहन अंदर है, थोड़ी देर सब्र करो। मैंने प्लान बना लिया है, आज मैं तुम्हें जो मजा दिलाऊँगी तुम याद करोगे, जैसे मैं कहूँ वैसे करो।

मैं बोला- ठीक है, बताओ क्या प्लान है?

आंटी- तुम थोड़ी देर के लिए यहाँ ड्राईंग रूम में बैठो, एक घन्टे बाद तुम हमारे कमरे में बिना खटखटाये पानी मांगने के बहाने आ जाना।

मैं- ठीक है, फिर?

आंटी- तुम अंदर आते ही सब अपने आप समझ जाओगे कि आगे क्या करना है। कहकर आंटी अपने कमरे में चली गई।

मैं अपना घंटा पकड़े एक घंटा पूरा होने का इंतज़ार करने लगा, एक एक पल घंटे जैसा लग रहा था।

जैसे तैसे एक घंटा पूरा हुआ, मैं आंटी के कमरे में गया, अंदर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

आंटी और उनकी बहन दोनों नंगी थीं, आंटी का मुँह मीनू की चूत पर था और मीनू अपने हाथों से अपनी चूचियाँ दबा रही थी।

मुझे देखते ही मीनू चौंक गई और उठ कर बैठ गई और अपने हाथों से अपनी चूचियाँ छुपाने लगी।

आंटी बोली- अरे इससे क्या शरमाना, यह तो अपना ही है।

उन्होंने मुझे अपने पास बुला लिया और कपड़े उतारने को कहा।

मैं तो पहले से ही तैयार था, मैं अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया और उनके पास चला गया।

आंटी उठ कर मीनू के सर की ओर बैठ गई और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और दोनों हाथ मीनू की चूचियों पर फेरने लगी, मुझे आंटी ने मीनू की चूत चाटने को कहा।

मैं भी शुरू हो गया, मैंने अपनी जीभ मीनू की गुलाबी चूत पर रख दी, और अपनी उँगलियों से उसकी चूत की फांकें खोल कर जीभ चूत के दाने पर फेरने लगा।

मीनू की सिसकारियाँ निकलने लगी ‘इइउह… इइइस्स… ऊऊहह… ऊऊईई… ससआआ…’

आंटी उसकी चूचियाँ मसल रही थी, कभी निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगती और मैं जीभ से उसकी चूत चोद रहा था, वो सर को इधर उधर पटक रही थी- ऊह… आह… मर गई… हाययय ओह… ओओ… स्सस तेजज.. और तेज…आहह… हहऊह… हहह…

मीनू मेरा सिर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी, मैं भी पूरी तेजी से सारी जीभ अंदर घुसा कर चोद रहा था।

15-20 मिनट बाद मीनू की चूत से पानी का झरना बह निकला, वो झड़ चुकी थी और उसने निढाल होकर अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया, साँसों के साथ उसकी चूचियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थीं।

मीनू ने मेरा सिर अपनी चूत से हटा दिया।

आंटी- क्यों मीनू, कैसा लगा मेरा शेर?

मीनू- मार डाला दीदी, इतनी जोरदार चूत चुसाई तो मैंने आज तक नहीं देखी, मजा आ गया।

आंटी- अभी तो तूने सिर्फ चुसाई ही देखी है, अब इसकी चुदाई देखना।

आंटी मीनू की बगल में आकर लेट गई, मैं मीनू के ऊपर आ गया, उसे बाहों में भर कर उसके होंठ चूसने लगा, वो भी मेरा खूब साथ दे रही थी। होंठ चूसते हुए कभी मैं उसके मम्मों को मसल देता कभी साथ लेटी हुई आंटी के।

मेरा लंड मीनू की चूत में चुभ रहा था, उसने नीचे हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी, मैं उसके होठों को छोड़ कर सीधा लेट गया।

वो मेरी टांगों के बीच आ गई और अपना मुँह मेरे लंड के पास ले आई, उसने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, कभी लंड के टोपे को चूसती तो कभी पूरा लंड मुँह में ले, लेती, जैसे कि अपने मुँह से मेरे लंड को चोद रही हो।

मेरा पूरा लंड उसके थूक में नहा गया था और लोहे की रॉड जैसे सख्त हो गया।

उधर आंटी भी लगातार मीनू की चूत चाटने में लगी हुई थी, मीनू पूरी तरह से गर्म हो गई थी, आख़िर उसने लंड मुँह से निकाला और अंदर डालने को बोली।

मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी टांगे अपने कँधों पे रख ली, लंड को उसकी चूत पर सैट किया और धक्का मारा, लंड और चूत दोनों गीले होने की वजह से लंड पूरा चूत में उतर गया।

मीनू की चीख निकली- आ… आ… आ… आ… आ…ईईईई मर गईईई साले निकाल ले !

मैं लंड अंदर डाले पड़ा रहा और उसकी चूचियाँ पीने लगा। आंटी ने भी अपनी चूची मीनू के मुँह में दे दी, कुछ ही देर में मीनू शांत हुई और नीचे से कमर हिलाने लगी।

मैंने भी धक्के लगाने शुरू किये, 10 मिनट तक धीरे धीरे फिर थोड़ी रफ्तार बढ़ी ‘आह… आह… चोदो राजा जी… आह… आह… आह… क्या लंड पाया है आह… मजा आ रहा है… आह… हाय मेरी चूत में तूफान मचा दिया हाय… चोदो राजा… जम के चोदो आह… ऊह… ऊह… ऊह… आहहह…

इधर मैं धक्के पे धक्का लगा रहा था, उधर आंटी ने अपनी चूत मीनू के मुँह पर रख दी, मीनू आंटी की चूत को मुँह में भर कर चूसने लगी।

नीचे से वो गांड उछाल उछाल के चुदवा रही थी, पच्च पच्च की और आहह ऊह आह की आवाजें माहौल को आन्दमयी बना रही थी।

अचानक मीनू का शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई, अब तक वो तीन बार झड़ चुकी थी।

मेरे धक्कों की रफ्तार पूरी तेज हो चुकी थी आह… आह… आह… ओह… ओह… ओह… आहह आह मेरी रानी… आह तेरी चूत रोज़ चोदूं आआहहह!

‘हाय चोद मेरे राजा जोर से चोद आह…आह…आह… मैं तो गयी राजा आआ… आहहह…’ वो फिर से झड़ गई और उसने पीछे हटकर मेरा लंड भी निकाल दिया और हाथ से जोर जोर से हिलाने लगी।

मीनू जोर जोर से मेरी मुट्ठ मार रही थी और बीच बीच में अपने मुँह में भी ले रही थी। आंटी भी पास आ गई, वो भी मेरा लंड चूसने लगी।

दोनों मिलकर मेरा पानी निकाल रही थी, 15मिनट की जोरदार मेहनत के बाद मेरा माल निकल गया और दोनों बारी बारी से उसे चाटने लगी, चाट चाट के पूरा लंड साफ कर दिया और हम तीनों थक कर लेट गए।

एक घंटे बाद मैंने आंटी को चोदा, पूरी रात चुदाई का खेल चला, कभी आंटी की और कभी मीनू की। सच में मजा आ गया।

कहानी कैसी लगी, जरूर लिखें।