तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-5

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Teen Buddon Ne Meri Seal Todi-5

वे मेरे लिए इतना गंदा से गंदा बोल रहे थे.. जो मैंने सिर्फ ब्लू-फिल्म में ही सुना था…

मुझे ये सब सुनते ही न जाने क्या हो जाता.. तभी जॉन्सन अंकल बोले- अब निकी के कपड़े उतार देते हैं इसको भी नंगा कर दो.. तब इसके साथ चोदने में मज़ा आएगा…

तो दूसरे वाले अंकल बोले- ऊपर के कपड़े मैं उतारूँगा…

दादाजी ने कहा- ठीक है.. नीचे के मैं उतारता हूँ…

तभी दादा जी ने मुझसे कहा- निकी, तुम अब आँखें खोल लो।

मैंने ‘ना’ में सिर हिलाया तो बोले- खोल लो आँखें.. तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा.. नहीं तो तुम कहोगी तो हम चले जाएँगे.. प्रोमिस.. चलो खोलो आँखें.. निकी खोलो ना…

मुझे बहुत शर्म आ रही थी.. जाने क्या लग रहा था.. आँखें खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, पर उनकी ज़िद में मैंने अपनी आँखें जैसे ही खोलीं.. मेरा दिमाग बिल्कुल ही चलना बंद हो गया…

मेरे ऊपर दूसरे वाले अंकल सीने के पास बिल्कुल नंगे थे.. उनका लण्ड करीब 8 इंच का लंबा और मोटा था। वो साँवले थे.. पर उनका लण्ड काला था बहुत मोटा भी था।

मेरे बगल में जॉन्सन अंकल बैठे थे.. वो भी पूरे नग्न थे.. उनका लण्ड तो बाप रे कोई सोच भी नहीं सकता.. करीब मेरे हाथ की कलाई के बराबर मोटा और बेलन से भी लंबा लण्ड था। मैं सोचने लगी कि किसी आदमी का लण्ड इतना बड़ा कैसे हो सकता है।

हालांकि वो थे भी हट्टे-कट्टे 6 फीट के.. और उधर दादा जी मेरे लोवर के ऊपर ही मेरी टाँगों के बीच में चूत पर मुँह रखे हुए थे। वो भी पूर्ण नग्न थे.. पर उनका लण्ड नहीं दिख रहा था।

तभी जॉन्सन अंकल बोले- यार निकी.. तुम्हारी आँखें तो बिल्कुल लाल सुर्ख हो गई हैं.. तुम तो बहुत प्यासी लगती हो.. लगता है तुम तो आउट ऑफ कंट्रोल हो गई हो यार.. तुम कितनी हॉट हो। तुम्हारा तो बहुत मन हो गया है न चुदवाने का…

मेरे पास उनकी बात का कोई जबाव नहीं था। मुझे समझ में तो सब आ रहा था.. और मुझे जाने क्यूँ वो सब गंदा तो लग रहा था। मेरा दिमाग़ भी सुन्न था, पर उनको मना करने को मन नहीं कर रहा था।

अन्दर से बनावटी कुछ भी हो.. पर तभी मेरे सीने पर ब्रा के ऊपर दूसरे वाले अंकल अपनी टाँगें इधर-उधर करके बैठ गए और अपना लण्ड मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मों पर रगड़ने लगे।

अब सब कुछ मेरी आँखों के सामने देख कर मेरा गला सूखने लगा.. मेरा सीना ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे होने लगा। मैं हाँफने सी लगी.. मेरी तेज-तेज साँसें चलने लगीं.. जिससे मेरे मम्मे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे।

तभी दादा जी ने लोवर के ऊपर से ही हाथ रख कर मेरी चूत को ज़ोर से दबा दिया। मुझे करेंट सा लगा और मैं ज़ोर से ‘उहह अह..’ कर उठी.. तो दादा जी ने कहा- क्या हुआ सेक्सी डार्लिंग.. तू तो बहुत मस्त है और लगता है आग तेरी चूत में अन्दर जल रही है.. आह.. बहुत गरम है चूत है तुम्हारी…

इतने में मैंने कहा- दादाजी मुझे ये सब बेकार लग रहा है.. मुझे ये पसंद नहीं है.. प्लीज़ मुझे छोड़ दो… पापा मार डालेंगे…

‘अच्छा झूठ बोलती हो.. तुम्हारी ‘आहें’.. लाल सुर्ख सेक्सी आँखें.. सब बता रही हैं कि तुम्हारा मन क्या है….’

मैंने कहा- प्लीज़ मत करिए.. मुझे बहुत गंदा लग रहा है…

तभी दादा जी ने कहा- एक बार करने दो.. बस उसके बाद हम चले जाएँगे… प्रोमिस वरना हम सच में तुम्हारे बाप को सब को बता देंगे…

मैंने कहा- क्या..????

‘तुमने हमें नंगा देखा.. हम भी तुम्हें नंगा देखेंगे.. और तुमने मेरा लण्ड चूमा था चाटा भी था.. हम भी तेरी चूत का चुम्बन करेंगे और पीछे भी चाटेंगे.. बस फिर चले जाएँगे…. सिर्फ़ 15 मिनट में सब हो जाएगा.. उसके बाद कुछ नहीं करेंगे.. इतना सब तो हो ही गया है.. अब इतना भी मान जाओ…’

मैंने बहुत सोचा.. पर मैं कुछ भी सोच नहीं पा रही थी। तभी मेरे मुँह से निकल गया- बस इतना ही.. फिर चले जाओगे?

तो जॉन्सन अंकल ने कहा- हाँ.. जेंटलमैन प्रोमिस.. हम चले जाएँगे.. पर इतने में तो तुम खुल कर हमारा साथ दोगी.. तो ही जाएँगे…

मैंने इस बार बिना सोचे ही ‘ओके’ कह दिया…

तभी दूसरे अंकल बोले- हाँ.. मैं तुम्हारे मम्मों को चूसूंगा बस…

मैंने फिर ‘हाँ’ में सर हिला दिया.. बस क्या था।

इतने में वो बोले- अपने को भी जल्दी से इसको देख लेना चाहिए.. इसको जल्दी से चूम लेना चाहिए.. फिर हमें चलना भी है.. जल्दी से कपड़े उतारो.. नीचे के मैं उतारता हूँ..

मैं चुप थी।

वे बोले- देखो निकी.. एक बात हमारी भी मान लो.. हम कुछ भी बोलें.. कुछ भी करें.. तुम 15 मिनट तक बुरा मत मानना और हमारा पूरा साथ देना.. हम तुम्हें चोदेंगे नहीं.. प्रोमिस.. ऊपर से मजा लेकर चले जाएँगे बस…

मुझे लगा.. ठीक है ये सब अधिक से अधिक क्या करेंगे.. और ज़्यादा से ज़्यादा क्या बोलेंगे.. मैंने फिर ‘ओके’ कह दिया और बस फिर जो हुआ वो क़यामत था।

मेरी सहमति के बाद उन दूसरे अंकल ने सीधे टी-शर्ट पकड़ी और मेरे जिस्म से खींच कर उतारने लगे.. फिर ज़ोर से मेरी ब्रा को निकालने लगे जब कि वो तो पहले से ही ऊपर को थी उसे पूरा खींच कर बाहर करने लगे.. तो मैंने हाथ ऊपर कर दिए और टी-शर्ट मेरे जिस्म से ऊपर की तरफ से होकर उतार दी गई।

अब मैं सिर्फ़ ब्रा में हो गई थी वो भी मेरे ऊपर लटकी सी थी.. देखते ही देखते जॉन्सन अंकल मेरे मम्मों को ज़ोर से दबाने लगे और उनको सूँघने लगे।

तभी दूसरे अंकल ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगे। करीब 5 मिनट तक उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मुझे चूसा। मैं कांप गई.. मेरी हालत खराब हो गई।

तभी मैंने महसूस किया कि किसी का हाथ मेरे लोवर के अन्दर से पैन्टी के ऊपर पहुँच गया। मैं समझ गई कि ये दादा जी ही होंगे.. वो मेरी चूत की लकीर को पैन्टी के ऊपर से ही महसूस करके वहाँ अपनी हथेली और कभी ऊँगली से सहलाने लगे।

मुझसे अब कुछ भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि तभी दादाजी ने एक ऊँगली से मेरी पैन्टी के किनारे के बगल से पैन्टी को हटा कर मेरी चूत में जैसे ही छुआ.. मुझे कुछ सिहरन सी हुई और मैं अभी कुछ सोच पाती.. उससे पहले ही उन्होंने अपनी ऊँगली को अन्दर घुसा दिया।

मैं उछल पड़ी और मैंने ज़ोर से ‘ओह.. अहह..’ किया.. उसी वक्त दूसरे अंकल ने मेरे मुँह मे जीभ डाल कर मेरे अन्दर चाटने लगे।

अब उनके होंठ मेरे होंठों में चिपके हुए थे और वे अपनी जीभ से मेरी जीभ को चाट रहे थे।

जॉन्सन अंकल ब्रा के ऊपर से ही मेरा एक मम्मा अपने मुँह में भरे हुए थे और दूसरे को एक को हाथ से जोर से दबा रहे थे.. उधर मेरी चूत में दादा जी की ऊँगली घुसी हुई थी।

जैसे ही दादा जी ने ऊँगली अन्दर की.. मैं ‘उहह.. सी.. सी..’ करके फिर उछली और फिर जाने क्या हुआ कि मैंने जॉन्सन अंकल को अपने बाँहों में कस लिया और उन्हें पूरी ताक़त से अपने आप से दबाने लगी.. ये सब अपने आप ही हो गया…

तभी दूसरे अंकल ने मेरा मुँह से जीभ निकाला और बोले- क्या करूँ बता अब?

मेरे मुँह से निकल गया- जो भी आपका मन करे…

यह सुनते ही वे बोले- छिनाल साली.. चुदने को पागल हो गई है…

मुझे जाने क्यूँ उनके मुँह से अपने लिए निकली इतनी गंदी बात बुरी की जगह अच्छी लगी।

तभी जॉन्सन अंकल बोले- ये तो मदमस्त हो रही है श्रीवास्तव.. अब इसका क्या करें?

दूसरे अंकल बोले- पहले तो इसकी ब्रा फाड़ कर इसके मम्मों को बाहर निकालो.. इसके मस्त आमों को अपन दोनों इसके निप्पल चूसते हैं…

तभी जॉन्सन अंकल बोले- क्यूँ डार्लिंग उतार दें.. तेरी ब्रा का परदा.. मम्मों को चुसवाने का मन है?

मेरे मुँह से सीधे अपने आप ‘हाँ’ निकल गया…

बोले- तू तो बहुत चुदासी हो रही है निकी…

उन्होंने सीधे मेरी ब्रा को पकड़ कर जोश में खींच दी.. तो एक पट्टी तो टूट ही गई और एक तरफ से ब्रा को उतार कर जैसे ही मेरे मम्मे ब्रा से बाहर हुए.. मेरी आँखों में आँखें डाल कर जॉन्सन अंकल एकटक देखते रहे और मैं उनकी आँखों में अपनी आँखों को समाए रही। मुझे उस पल.. वो मेरे आशिक़ लगे.. पहली बार कोई मर्द मेरे दोनों मम्मों को एक-एक हाथ में पकड़ कर सहला रहा था।

वे मेरी आँखों में एकटक देखते हुए बोले- ये क्या है निकी?

मैंने बहकी सी आवाज़ में कहा- मेरे मम्मे हैं यार…

उन्होंने कहा- किसके?

मेरे मुँह से अपने आप निकल गया- आप लोगों के… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! अब मेरी ज़ुबान से काबू हट गया था…

मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी कहानी Meri Hindi Sex Story के विषय में जो भी आपके सुविचार हों सिर्फ उन्हीं को लिखिएगा। मेरी सील टूटने की कहानी जारी है।

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