पहाड़ों की ठण्डक में चुदाई की गर्मी

आज मैं एक नई कहानी लेकर आया हूँ। यह तब की बात है जब मैं बाहर नौकरी करता था और उत्तराखण्ड के सुदूर शहर में रहता था.. यह एक पहाड़ी इलाका था और मौसम हमेशा ही ठंडा रहता था। यहाँ तो शाम को लगता था कि बिस्तर में एक मस्त लड़की साथ होनी जरूरी है.. जो मस्त मजा दे।

मेरा कमरा पहाड़ी के एक तरफ हट कर था.. जहाँ एकदम एकांत था और इस माहौल में मुझे एक चूत की सख्त जररूत महसूस हो रही थी।

एक रविवार को जब मैं दोपहर को बालकनी में खड़ा था तो देखा कि एक औरत पहाड़ी पर धूप सेंक रही है और मैं उसको देख कर अपनी आँखें सेंकने लगा। आह्ह.. क्या मम्मे थे.. क्या मस्त गोरा रंग है..

इसी दौरान उसने मुझे देखना शुरू किया और मैं भी उसे ही देखता रहा। उसने उठ कर एक मस्त अंगड़ाई ली और इसी के साथ उसके मम्मे ऊपर को उठे और मेरा लंड भी साथ में उठ गया।

मैं तो उसे देखता ही रह गया.. वह एक 5’5″ की औरत थी.. उसके मम्मे 36 इंच के.. कमर 34.. गाण्ड 38 इंच की रही होगी.. उसका रंग मस्त गोरा था.. मेरा मन कर रहा था कि आज यह मिल जाए.. तो बस इसे चोदता ही रहूँ।

मैं अभी उसे ही देख रहा था और यह देख कर वह हँसने लगी। मुझे एक बार तो लगा कि वह मेरा मजाक उड़ा रही है.. पर मेरे लंड और मन.. दोनों पर मेरा कण्ट्रोल नहीं हो पा रहा था।

वह थोड़ी देर बाद मेरे ही कमरे की तरफ आने लगी और मेरा मन धड़कने लगा।

वह आई और बोली- पीने का पानी मिलेगा?

मैं अन्दर गया और पानी ले कर आया। उसने पानी लिया और पीने लगी.. पर वह बार-बार मेरी पैन्ट की तरफ देख रही थी.. जहाँ लौड़े के पास हल्का सा उभार बना हुआ था और मैं कुछ झिझक सा रहा था।

उसने पानी पिया और बोली- आप कहाँ के रहने वाले हो?

उसकी आवाज मेरे कानों को बहुत ही मीठी और अच्छी लग रही थी।

मैं एक-एक करके सब जवाब देता रहा.. वह बोली- मेरा घर पहाड़ी के दूसरी तरफ है और मैं दिन में पहाड़ी के इस तरफ कुछ देर के लिए आती हूँ।

मैंने भी बोला- मेरा यहाँ कोई दोस्त नहीं है इसलिए कमरे में ही टाइम पास करता हूँ।

वह बोली- क्या हम दोस्त बन सकते हैं?

मेरा मन तो यही चाहता था.. सो मैंने बोला- यह तो आपका मुझ पर उपकार होगा.. जो मुझे एक नया दोस्त मिल गया। फिर वह दुबारा मिलने के लिए कह कर चली गई।

मैं उसके ही ख्यालों में रात भर बिस्तर पर करवटें लेता रहा.. अब मैं यह सोच रहा था कि यह चूत देगी या मेरा उल्लू बनाएगी। दूसरे दिन मैं काम पर चला गया और जब शाम को वापिस आया तो दरवाजे पर एक पत्र पड़ा मिला।

मैंने उसे खोल कर पड़ा तो मैं खुश हो गया क्योंकि यह पत्र उसी औरत यानि सीमा ने लिखा था। सीमा ने लिखा था कि वह मुझसे मिलना चाहती है और क्या मैं ‘इंटरेस्टेड’ हूँ?

मैं तो पूरा ‘इंटरेस्टेड’ था और मैं बाहर बालकनी में खड़ा.. उसी तरफ देखने लगा जहाँ वह कल गई थी। मेरी आँखें चमकने लगीं क्योंकि मुझे अँधेरे में एक परछाई सी दिखने लगी। मैंने हाथ हिला कर उसे अपनी तरफ बुलाया।

कुछ ही देर में मेरे पास सीमा खड़ी थी और आज उसने टाइट टॉप और लो-वेस्ट जीन्स पहनी हुई थी.. उसके मम्मे ऊपर उठे हुए थे और वह बहुत हॉट लग रही थी।

मैंने उससे बोला- चलो अन्दर बैठते हैं।

फिर हम दोनों ही अन्दर आ गए। मैंने उसके लिए कॉफ़ी बनाई और हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे।

सीमा बताने लगी- मैं अकेली ही रहती हूँ और मेरे पति बाहर नौकरी के लिए गए हैं।

मैं बोला- मुझे ही देख लो.. मैं भी तो यहाँ अकेला ही हूँ..

फिर हम बातें करते रहे.. जब मैंने घड़ी देखी तो 9.30 बज गए थे। मैंने सीमा को डिनर के लिए बोला और पूछा- क्या वह एक ड्रिंक लेना चाहेगी?

तो वह मुस्करा कर बोली- आपके साथ एक ड्रिंक तो बनता है।

फिर मैंने दो गिलास में स्कॉच के दो ड्रिंक बनाए और हमने जाम टकरा कर चियर्स कहा।

अब हम दोनों कुछ और खुल गए थे.. मैंने सीमा को बोला- आज आप यहाँ ही रुक जाओ.. क्योंकि रात हो गई है।

उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था.. क्योंकि वह अकेली ही रहती थी। वो मेरे बिस्तर पर बैठी थी और मैं उसके पास कुर्सी पर बैठा था। एक ड्रिंक खत्म होने पर मैंने उसे एक और ड्रिंक ऑफर किया तो वह मना नहीं कर पाई। अब हम दोनों में हल्की सी नशे की खुमारी छाने लगी थी।

मैं उसके मम्मों की तरफ ही देख रहा था और वह मुझे देख रही थी। मैंने जैसे ही ऊपर की तरफ देखा तो वह मुस्कराने लगी। मैंने हिम्मत करके बोल ही दिया- आप बहुत खूबसूरत हैं।

वह हँसने लगी.. उसने पूछा- और भी कुछ बोलिए।

मैंने बोला- आप खूबसूरत के साथ सेक्सी भी हैं..

तो वह खुल कर हँसने लगी।

मैं अब उठ कर उसके साथ बिस्तर पर ही बैठ गया और उसके हाथ को पकड़ कर बोला- आप परी की तरह हैं.. क्या मैं आप को चुम्बन कर सकता हूँ?

वह मुस्करा दी और मैं शुरू हो गया.. पहले मैंने गालों पर चुम्बन किया और फिर होंठों पर चुम्बन किया। उसने अपने होंठों खोल दिए और मैं उसके होंठों को चूसने लगा.. अब मेरे हाथों ने उसके मम्मों को टटोलना शुरू कर दिया था। मैं जोश में आ रहा था.. सीमा ने भी मेरे पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया। मैं उसे कभी होंठों.. कभी गालों और गर्दन पर लगातार चुम्बन कर रहा था।

उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और मैंने शर्ट के साथ बनियान भी उतार दी। वह मेरे सीने पर हाथ फिराने लगी.. मैं उसे लेकर बिस्तर पर लेट गया.. वह मेरे ऊपर आ गई थी और मेरे सीने पर चुम्बन कर रही थी।

मैंने उसके टॉप में नीचे से हाथ डाल कर उसकी पीठ सहलाने लगा और धीरे-धीरे उसके टॉप को ऊपर तक उठा दिया। फिर उसने दोनों हाथ उठा कर मुझे उसे उतारने के लिए बोला.. तो मैंने झट से उसे उतार दिया।

अब वह ब्रा में थी और उसके सफ़ेद जिस्म पर लाल ब्रा गजब की लग रही थी। मैंने उसके दोनों कबूतरों को पकड़ लिया।

मैंने सीमा से बोला- इनके दर्शन तो करवाओ..

वह इठला कर बोली- अब सब कुछ मैं ही करुँगी क्या?

मैंने उसे अपने सीने से लगाया और उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए.. उसके दोनों कबूतर अब आजाद हो चुके थे और मुझे अपनी और बुला रहे थे। मैं उसके गुलाबी चूचुकों को देख रहा था और फिर मैंने उसके बाएं मम्मे के चूचुक को चूसना शुरू कर दिया और दूसरे मम्मे को सहलाने लगा।

वह प्यार से मेरे बालों को सहला रही थी और मुझे बीच-बीच में चुम्बन कर रही थी। अब मैंने अपने दूसरे हाथ को उसकी जीन्स की ज़िप पर ले गया और खोल दिया। वहाँ से एक मस्त सुगंध ने मुझे और मस्त कर दिया।

अब मैं उसकी पैन्टी पर ऊँगली फिराने लगा और फिर मैंने उसकी जीन्स के हुक्स भी खोल दिए और मम्मों को चुम्बन करता हुआ उसके पेट पर आया। वहाँ से उसकी नाभि और फिर धीरे से उसकी जीन्स नीचे करता हुआ उसकी जाँघों पर चुम्बन करने लगा।

सीमा ने थोड़ा ऊपर उठ कर जीन्स नीचे को सरका दी ताकि मैं उसको और प्यार कर सकूँ। मैं उसकी टाँगों को चूमता हुआ और उसकी जीन्स को नीचे करता हुआ उसके पैरों तक पहुँच गया।

अब सीमा सिर्फ पैन्टी में थी.. उसकी लाल पैन्टी पर थोड़ा सा गीले पानी का निशान बन गया था। यह पानी उसकी चूत से निकल रहा था।

सीमा ने बोला- अब यह पैन्टी तब उतरेगी जब मुझे ‘कुछ’ दिखेगा..

मैंने बोला- नेक काम में देरी कैसी..

मैंने झट से अपनी पैन्ट और बॉक्सर उतार दिया। अब मैं पूरा नंगा खड़ा था और मेरा लंड 90 के कोण पर सीधा खड़ा था।

सीमा सीधी बैठ गई और मेरे लंड को सहलाने लगी और धीरे से उसने उसकी चमड़ी को पीछे खींचा और सुपारे पर चुम्बन कर दिया। मैं तो आसामान में उड़ने लगा था.. उसने मुँह खोला और पूरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

मैं आसामान में उड़ रहा था और उसके बालों को पकड़ कर उसे जोर-जोर से लंड चुसा रहा था। मेरे मुँह से ‘उह.. आह..’ की आवाजें आ रही थीं- आह्ह.. सीमा.. मजा आ गया और जोर से चूसो..आह्ह..

फिर मैंने उसे 69 में आने के लिए कहा और उसकी पैन्टी भी उतार दी। उसकी चूत पर छोटे-छोटे से बाल थे और चूत में से गुलाबी रंग दिख रहा था। मैंने उसकी चूत को दोनों ऊँगली से खोला और जीभ उसमें घुसा दी। आह्ह.. क्या मस्त जूस था..

सीमा शराब की मस्ती और चूत में होती सुरसुरी से बोली- ओह..माँ… मजा आ गया और अन्दर करो न…

मैं भी जीभ को और अन्दर करके चूत को चाटने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और मैं उसे चाट कर खूब मजे ले रहा था।

वह जोश में कभी मेरे लंड पर काट लेती थी.. पर इसमें भी मजा आ रहा था और अब उसने गाण्ड उठा-उठा कर चूत को मेरे मुँह पर धकेलना शुरू कर दिया था।

मैंने भी जीभ और अन्दर तक फिरानी चालू रखी.. कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा मुँह उसकी चूत के रस से नहा गया। मैं भी कण्ट्रोल नहीं रख सका और मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया।

उसने मेरे लंड को एक कपड़े से साफ किया और मैं आँखें बंद करके लेट गया। फिर कुछ देर यूँ ही पड़े रहने के बाद सीमा ने मेरे पूरे शरीर पर चुम्बन करना शुरू किया। वह मेरे पैरों से शुरू हुई और धीरे-धीरे मेरी जाँघों पर चुम्बन करती हुई मेरे पेट से मेरी गर्दन तक आई।

अब उसने मेरे लंड को फिर से हिलाना शुरू किया और मैं भी वापिस जोश में आना शुरू हो गया। कुछ ही देर में लंड फिर से खड़ा था और मैंने उसको बोला- अब तो इस बेचारे को भी शरण में आने दो..

सीमा बोली- इसको तो मैं बाहर ही नहीं करने दूंगी। उसने अपनी दोनों टाँगें खोल दीं और बोली- आओ देखें.. तुम में कितना दम है?

मैंने भी अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और एक जोर से धक्का मारा और लंड अन्दर तक पेल दिया..

‘आह्ह.. जरा धीरे..’

अब मैं धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा और दोनों हाथों से उसके बड़े-बड़े मम्मों को पकड़ कर मसल रहा था।

वह नशे में बोली- बहनचोद.. जोर से चोद.. क्या धीरे-धीरे हिला रहा है..

यह सुनकर मैंने सोचा कि तो यह ऐसे चैलेन्ज कर रही है.. मैंने भी बोला- ले साली.. अब देख.. और फिर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ाई और उसे जोर-जोर से चोदने लगा।

अब वह ‘उह.. आह..’ करने लगी थी और धीरे-धीरे से गाण्ड भी उछालना शुरू कर दिया था।

सीमा बोली- आह्ह.. जोर से करो.. बड़ा मजा आ रहा है..

वह मुझे और तेज चुदाई करने के लिए उकसा रही थी.. मैंने भी उसे अब उल्टा करके घोड़ी बनने के लिए कहा और पीछे से उसकी गाण्ड देख कर मेरा मन किया कि इसकी गाण्ड भी मार लूँ.. पर पहले चूत चोदनी थी..

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वह घोड़ी की तरह झुक गई और उसकी चूत दिखने लगी.. मैंने उसकी कमर पकड़ कर लंड को चूत पर लगा कर धक्का मारा और लंड उसकी चूत में घुस गया।

अब मैंने उसके दोनों मम्मों को पीछे से जोर से पकड़ लिए और उसे चोदने लगा।

कुछ देर बाद सीमा बोली- मैं तुम्हारे ऊपर आती हूँ।

अब मैं नीचे लेट गया और वह मेरे ऊपर आ गई। उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और ‘धच्च’ से बैठ गई.. ‘आह्ह..’

उसने एक सिसकारी के साथ लवड़े पर कूदना शुरू कर दिया.. मैंने भी उसके दोनों मम्मों को पकड़ लिया और मसलने लगा। वह मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी.. कुछ देर तक ऐसे ही चला और फिर हम ने एक बार अवस्था फिर से बदल ली.. वह नीचे आ गई और बोली- अब तो पानी निकाल दो..

मैंने उसकी दोनों टाँगों को ऊपर उठाया और टाँगों को उसके मम्मों से चिपका दिया इससे उसकी चूत ऊपर को आ गई थी। अब मैं उसकी चूत पर लंड लगा कर जोर-जोर से चोदने लगा और सीमा सीत्कार कर रही थी..

‘आह आह.. चोद्द्द्दद्द.. दो.. ऊऊ.. मजा आ रहा है..।’

मैंने उसको चोदना चालू रखा और फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ा और मेरा लंड नहा गया। मैंने और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और अब सीमा अपनी चूत को भींच रही थी और मेरे लंड को दबा रही थी।

फिर वह ढीली पड़ गई.. मैं उसे अब भी चोद रहा था.. पर वह ऐसे ही पड़ी थी। मैंने लंड को बाहर निकाला और उससे बोला- चल पलट.. अब तेरी गाण्ड की बारी है..

मैं उठा कर वैसलीन लाया और अपने लंड और उसकी गाण्ड में चिकनाई को लगाया। अब मैंने उसकी टाँगें फिर से ऊपर उठाईं और उसके मम्मों से चिपका दीं, गाण्ड का छेद ऊपर को दिख रहा था।

मैंने लंड को छेद पर लगाया और धीरे से पेला.. थोड़ा सा लंड अन्दर गया और अगले धक्के में आधा लंड अन्दर चला गया।

सीमा चिल्लाने लगी.. पर अब मैं उसे छोड़ने के मूड में नहीं था और मैंने एक और जोर का धक्का लगाया और पूरा लंड अन्दर ठोक दिया।

अब मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और एक मिनट बाद ही सीमा को भी मजा आने लगा। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए.. उसकी गाण्ड काफी कसी हुई थी और लंड फंसता सा अन्दर जा रहा था।

मेरे लंड में भी तनाव आता चला गया और मैंने जोर से चोदना शुरू किया.. सीमा ने फिर से चिल्लाना शुरू कर दिया।

‘मादरचोद.. फाड़ दी मेरी.. गाण्ड का बैंड बजा दिया.. ओह..आह.. आह.. ऊह..’

मैं बोला- साली कुतिया.. बहुत बोल रही थी.. जोर से करो.. अब लो..

वो बिलबिला रही थी।

मैंने उससे बोला- थोड़ा और खा ले मेरी रानी.. बस अब मैं झड़ने वाला हूँ..

फिर एक-दो और धक्कों में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी.. मैंने सीमा की गाण्ड में ही अपना वीर्य छोड़ दिया और मेरे लंड महाराज जी छोटे से हो कर बाहर निकल आए। मैं भी थक कर उसके बगल में लेट गया, वह मुझ से चिपक गई।

यह एक यादगार सेक्स था.. जो कई दिनों तक बार-बार चला।