मदमस्त मौसी की चूत की आग

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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरे खड़े लंड का प्रणाम.. प्रिय दोस्तों मैं सोमिल.. पिछले दो सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.. मैं एक अच्छे शरीर और सात इंच के लौड़े का मालिक हूँ।

बात आज से तीन साल पहले की है.. जब मैं गाँव से बाहरवीं पास करने के बाद जयपुर कॉलेज पढ़ने के लिए अपनी मौसी के यहाँ रहने को आया.. उस वक़्त मेरी उम्र लगभग उन्नीस साल थी। मेरी मौसी के घर में मौसा.. मौसी.. और उनकी बेटी थे। उनकी बेटी दिव्या गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती थी.. उसकी उम्र लगभग अठारह वर्ष थी और मेरी मौसी जो कि थी तो सैंतीस वर्ष की.. लेकिन लगती तीस वर्ष की सी थीं।

मौसी के हुस्न को देखकर अच्छे-अच्छों की पैंटों में तम्बू बन जाता होगा। मौसी को देखकर मेरी भी हालत पतली हो जाती थी।

एक दिन मेरे गाँव से लैंडलाइन के फ़ोन पर फ़ोन आया और मुझे मौसी ने फोन पर बात करने के लिए बुलाया.. उस वक्त ड्राइंगरूम की लाइट ख़राब थी.. तो मैं जैसे ही फ़ोन के पास पहुँचा.. तो मौसी से टकरा गया।

अब जब मैं बात कर रहा था तो मौसी भी मेरे पास साथ ही सोफे पर बैठी हुई थीं। बातों ही बातों में मेरा हाथ मौसी की जांघ को छू गया.. जिस पर मौसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। इसे देख कर मैंने दोबारा मेरा हाथ मौसी की जांघ पर रख दिया। फ़ोन ख़त्म कर मैंने टॉयलेट में जाकर मौसी के नाम की जबरदस्त मुठ मारी.. तब कहीं मुझे चैन आया।

अब धीरे-धीरे मौसी भी मुझे कामुक नजरों से देखने लगीं।

एक दिन मौसा और उनकी बेटी दोनों रविवार को अपने गाँव गए थे.. तो मौसी और मैं ही घर में अकेले थे। हम दोनों डायनिंग टेबल पर आमने-सामने बैठे हुए थे.. तो मेरी नजरें मौसी के मम्मों पर थीं।

मुझे पता ही नहीं चला कि मैं जब मौसी के मम्मों की दरार में खोया हुआ था.. तब मौसी मुझे देख रही थीं। मेरा ध्यान तो तब टूटा.. जब उन्होंने मुझे कहा- सोमिल.. क्या देख रहे हो? तब मैं हड़बड़ा गया और बोला- क..कुछ नहीं.. मौसी.. मौसी कातिल नजरों से मुस्कुरा दी।

अब रात हुई तो मौसी ने मुझे अपने कमरे में ही सोने को बुला लिया और हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए। रात को जब मैं पेशाब करने को उठा.. तो देखा मेरा एक पैर मौसी के पैरों पर रखा था.. मुझे नींद में इस बात का पता नहीं चल पाया था।

मैं जब पेशाब करके वापस आया तो देखा लाइट में मौसी का शरीर चांदी के जैसे चमक रहा था और उनकी नाइटी उनके घुटनों तक चढ़ी हुई थी। उनको इस दशा में देख कर मेरे लंड में पॉवर आ गया।

मैं लाइट बुझा कर वापस बिस्तर पर आया.. तो मौसी की तरफ मुँह कर उनसे सट कर सो गया और अपना लंड उनके चूतड़ों की दरार पर लगा दिया और अपनी एक ऊँगली से मौसी की नाइटी को उनकी पैंटी तक ऊपर कर दी।

अब मैंने ऊँगली मौसी के पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर रख दी.. मौसी की कोई हलचल न देख कर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने उनके चूतड़ों को सहलाते हुए जैसे ही हाथ को पैंटी में डाला.. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.. अब मैं बड़ा ही डर गया और नींद में होने का नाटक करने लगा।

कुछ देर बाद मौसी का हाथ मैंने अपनी पैंट पर महसूस किया.. तो मैंने भी अपना हाथ उनके मम्मों पर रख उन्हें सहलाने लगा। अब मौसी के मुँह से ‘आह्ह.. आह्ह..’ की आवाजें निकलने लगीं। मैंने एकदम से उनसे सटते हुए अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए। पहले तो मौसी ने कुछ नहीं किया.. पर बाद में वो भी मेरे होठों को चूसने लगीं.. जैसे उन पर कोई चाशनी लगी हो।

अब मैं धीरे-धीरे होठों से नीचे आने लगा.. मैंने मौसी की नाइटी उतार दी और अपना एक हाथ उनके मम्मे पर और होंठ मम्मे पर तने हुए निप्पल पर लगा दिए। फिर ऐसा करते हुए मैंने मौसी के दोनों मम्मों पर होंठों को रख दिए।

मौसी के निप्पल को मुँह में लेकर काटने पर मौसी बड़ी मदमस्त हुए जा रही थी और मुँह से ‘अहह.. अहह..’ की आवाजें निकालती हुई मेरे लंड को मेरी पैंट के ऊपर से ही सहला रही थीं।

मेरा एक हाथ मौसी की पैन्टी में उनके दाने को सहला रहा था। मौसी ने मुझे धीरे से कान में कहा- मेरी चूत चाटो.. तो हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैंने मौसी की चूत पर जीभ रखी तो मैंने पाया कि उनकी गुलाबी चूत भट्टी की तरह सुलग रही थी।

पांच मिनट की चूत-चटाई में मौसी दो बार झड़ गईं और मैंने भी उनकी चुसाई से अपने लौड़े का पानी एक बार छोड़ दिया। अब मौसी बोलीं- साले.. और मत तड़पा.. तेरे मौसा मादरचोद का तो खड़ा ही नहीं होता.. उनके मुँह से गाली सुनकर तो मैं जोश में आ गया और मैंने सात इंच का लौड़ा उनकी चूत के मुँह पर टिका दिया।

मौसी की चूत बड़ी कसी हुई थी.. जैसे उसने काफी दिनों से लौड़ा नहीं खाया हो। तो मैंने थोड़ा तेल डाल कर शॉट लगाकर आधा लंड चूत में पेल दिया.. दूसरे शॉट में पूरा लंड चूत में गया.. तो मौसी की हल्की चीख निकल गई।

अब मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा तो मौसी भी नीचे से गांड हिलाकर मेरा स्वागत करने लगीं। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी.. मौसी के मुँह से तरह-तरह की मादक आवाजें निकलने लगीं। ‘अआह्ह.. अआह्ह.. अहह.. अहह.. ऊई माँ..’ उनकी चीखें मेरा मनोबल बढ़ा रही थीं और मैं लगातार शॉट पर शॉट लगाता जा रहा था।

तभी लगभग दस मिनट बाद मौसी का शरीर अकड़ने लगा और वो ‘आईई.. आह्ह्ह..’ करती हुई झड़ गईं.. पर मैं लगातार लंड पेलता रहा और अब कमरे में ‘फच-फच’ की आवाजें आ रही थीं।

लगभग दस मिनट बाद मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने मौसी को कहा- मौसी आने वाला हूँ। तो मौसी बोली- मेरी जान.. आज तो मेरी इस चूत की प्यास बुझा दे.. मैंने अपना पूरा माल मौसी की चूत में डाल दिया और इसी के साथ मौसी भी झड़ गईं। अब मैं उनके ऊपर ही लेट गया और चुम्बन करने लगा.. मौसी के चेहरे से संतोष साफ झलक रहा था।

मैंने मौसी से कहा कि मुझे आपकी गांड मारनी है तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि आज तक उन्होंने गांड नहीं मरवाई है। मैंने उन्हें समझाया- गांड मरवाने में चूत से भी ज्यादा मजा आता है.. वे कुछ राजी सी दिखने लगीं।

मैं रसोई में जाकर फ्रीज में से शहद की बोतल ले आया और उसे अपने लंड पर व मौसी के मम्मों पर लगा दिया। अब मैं उनके मम्मों को चटखारे लेकर चूसने लगा और उनको भी मेरे शहद लगे लौड़े का स्वाद दिया। मौसी फिर से गर्म हो गईं और गांड मरवाने को भी राजी हो गईं.. तब मैंने उनकी गांड में एक ऊँगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगा.. उनके चूतड़ों व चूत को चाटने लगा।

अब मौसी बोलीं- आजा मेरे राजा.. आज मेरी इस गांड को फाड़ डाल.. बहनचोद.. मेरी गांड का भुर्ता बना डाल.. मौसी के इन शब्दों ने मेरा जोश डबल कर दिया था।

अब मैंने अपना लौड़ा मौसी की गांड के छेद पर टिकाया और झटका लगाया.. पर मौसी की गांड का छेद बड़ा तंग था.. तो बार-बार मेरा सुपारा उनके छेद से फिसल रहा था। तब मौसी उठ कर तेल लेकर आईं और मैंने अपने लौड़े और मौसी की गांड पर तेल लगाया।

अब मैंने जब एक-दो झटके लगाए तो मेरा आधा लौड़ा मौसी की गांड में फंस गया था.. एक और जबरदस्त शॉट में मैंने पूरा लौड़ा मौसी की गांड में पेल दिया। मौसी की जोरदार चीख निकल गई और मौसी की आँखों के किनारों से आंसू निकल आए।

थोड़ी देर बाद मौसी अपनी गांड मटकाने लगीं.. तब मैं समझ गया कि अब पेलने का टाइम आ गया है। अब मैं भी पीछे से मौसी की गांड में धक्के लगाने लगा.. साथ ही मैं एक हाथ से मौसी की चूत के दाने को सहला रहा था.. जिससे मौसी पागल सी हो रही थीं और ‘आह्ह्ह.. आह्ह.. उफ.. अहह..’ की आवाजें निकाल रही थीं.. जो मुझे मदहोश कर रही थीं।

बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना पूरा माल मौसी की गांड में ही निकाल दिया.. अब हम दोनों थक चुके थे। मैंने उस रात मैंने मौसी की एक और बार चुदाई की.. अब तो मौसी मेरे लवड़े की कायल हो गई थीं।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी.. अपने रिप्लाई जरूर करना.. अपनी अगली कहानी में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने मौसी और उनकी बेटी दिव्या को एक साथ चोदा.. तब तक के लिए कन्याओं की चूतों को मेरा प्यार भरा सलाम।

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