सामने वाले फ्लैट में लौन्डिया की चुदाई

दोस्तो.. मैं अमित हूँ.. जयपुर से.. मैंने पिछले काफी दिनों से कोई कहानी नहीं लिखी थी.. क्योंकि मुझे वक्त ही नहीं मिल पा रहा था। आज मैं आपके साथ एक कहानी साझा करने जा रहा हूँ।

कहानी उस वक्त की है.. जब मैंने मेरी पास के फ्लैट की पड़ोसन को जमकर चोदा था.. मुझे उम्मीद है की आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आएगी।

पहले मैं अपने बारे में बता देता हूँ। मैं जयपुर में जॉब करता हूँ और एक इंजीनियर हूँ.. और जॉब के साथ-साथ मस्ती भी जरूरी होती है.. तो वो भी चलती रहती है। मैं दिखने में भी ठीक-ठाक हूँ.. तो कोई भी लड़की आराम से मेरी गर्ल-फ्रेंड बन जाती है।

हुआ यूँ कि मैं जयपुर में फ्लैट लेकर रहता हूँ.. वहाँ मेरे सामने एक खाली फ्लैट था। काफी दिनों से वो खाली ही पड़ा था.. लेकिन 5 महीने पहले ही वहाँ पर एक फैमिली रहने के लिए आ गई। उस फैमिली में 4 लोग थे.. उनमे. दो जन पति-पत्नी और उनकी एक जवान लड़की थी और एक कम उम्र का लड़का था।

ऐसे ही कुछ दिन निकले.. मुझे वो लड़की बहुत ही पसंद आई.. उसकी उम्र कुछ 20 वर्ष थी। मुझे वो देखते ही पसंद आ गई थी और मैंने सोचा कि चाहे कुछ भी हो इसे जरूर पटाना है।

फिर कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। तो धीरे-धीरे मेरी उन अंकल-आंटी से बात होने लगी और उनके घर भी आना-जाना हो गया। एक साधारण पड़ोसी की तरह ही मेरी उनसे बातचीत शुरू हुई थी।

कुछ दिन तक हम ऐसे ही नार्मल बात करते रहे.. जब मैं उस लड़की से बात करता था तो मेरा मन करता था कि इसे अपने सीने से लगा कर जी भर कर प्यार करूं और जम कर चोदूँ। लेकिन मैंने अपने आप पर संयम किया और कुछ वक्त और निकाला।

धीरे धीरे हमारे सम्बन्ध और प्रगाढ़ हुए.. अब हम घर से बाहर भी साथ में चले जाते थे.. अब तो अंकल-आंटी भी कुछ नहीं बोलते थे।

मैं शाम को ऑफिस से आने के बाद उसके साथ पार्क में घूमने चला जाता था। लगभग एक महीने बाद मुझे लगा कि अब वो भी मुझमें इंटरेस्ट लेने लगी है.. क्योंकि वो हमेशा मुझसे बात करने की कोशिश करती थी। इससे मुझे लगने लगा कि अब उससे मन की बात करने का सही समय आ गया है।

एक दिन हम शाम को साथ-साथ में पार्क में घूमने गए.. तो मैंने उससे उसके ब्वॉयफ्रेंड के बारे में पूछा.. तो उसने कहा कि नहीं.. वो अभी सिंगल है। तो मेरे मन में बहुत ख़ुशी हुई.. फिर एक दिन शाम को साथ में घूमते हुए मैंने उसे बोला- मैं तुम्हें पसंद करता हूँ.. तो उसने भी बोला- मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ। मैं बहुत खुश हो गया..

अब धीरे-धीरे हमारी बातें बहुत ही ज्यादा होने लगीं.. हम पूरी-पूरी रात फ़ोन पर बात करने लगे थे और कुछ ही दिनों में हमने एक-दूसरे से लिपटा-चिपटी के सम्बन्ध भी बना लिए थे.. साथ ही हम दोनों फ़ोन पर चुदाई की बातें करना भी शुरू कर चुके थे।

ऐसे ही हम एक रात फ़ोन पर सेक्स चैट कर रहे थे.. तो उसने अपने आप बोला- यार हम कब तक ऐसे ही फ़ोन पर बात करते रहेंगे.. अब तो सच में ‘करने’ का मन करता है। तो मैंने भी उसे बोल दिया- हाँ.. जान मेरा भी मन तुम्हें पाने का करता है। उस दिन के बाद हम बस समय का इन्तजार कर रहे थे कि कब हमें मौका मिले और चुदाई हो।

फिर वो दिन आ ही गया.. मैं उसके घर गया हुआ था.. तो अंकल-आंटी ने बताया- उनकी एक समस्या आ गई है.. वो लोग शादी में जा रहे हैं.. और उसके इम्तिहान हैं इसलिए वो नहीं जा रही है.. इसकी देखरेख किसके जिम्मे छोड़ें। मैंने अपनी ख़ुशी और लौड़े को दबाते हुए उनसे कहा- अरे अंकल आप बेफिक्र जाइए मैं हूँ न.. हालांकि वो लोग सुबह जाकर शाम को वापिस आने वाले थे.. हमने एक-दूसरे की तरफ देख कर स्माइल की।

तो 3 दिन बाद वो लोग शादी में चले गए। मैं उस दिन सुबह जल्दी जग गया था और ऑफिस से भी छुट्टी ले ली थी। उस दिन उनके जाते ही मैं उनके फ्लैट में चला गया। उसने दरवाजा खोला और अन्दर जाते ही मैंने उसे पकड़ लिया और चुम्बन करना चालू कर दिया। हम दोनों ही नहाए नहीं थे.. तो मैं सीधा उसे लेकर बाथरूम में चला गया और वहाँ जाकर फव्वारा चालू कर दिया जिससे हमारे कपड़े भीग गए और हमारे जिस्मों से कपड़े चिपक गए थे। मैंने देखा कि उसने अन्दर ब्रा नहीं पहन रखी थी.. तो उसके मम्मों के किशमिशी निप्पल साफ़-साफ़ दिख रहे थे।

मैंने देर न करते हुए उसे पकड़ा और चूमना चालू कर दिया। चूमते-चूमते उसकी सफ़ेद रंग की टी-शर्ट को मैंने उतार दिया और उसका लोअर भी नीचे खींच दिया, अब वो मेरे सामने सिर्फ एक पैन्टी में खड़ी थी, मैंने उसे चूमते हुए उसकी पैन्टी को भी उतार दिया। अब उसकी मस्त अनछुई चूत मेरे सामने खुली थी.. मैंने उसके मम्मों को दबाया और उसकी चूत में अपनी छोटी ऊँगली डाल दी। जिससे उसे कुछ दर्द सा हुआ और वो पीछे हो गई.. इसके साथ ही मुझे ये पता लग गया कि ये कभी नहीं चुदी है।

बस फिर हमने जल्दी से अपना नहाना खत्म किया और बेडरूम की ओर चल दिए। मेरा लंड पूरी तरह तैयार होकर सख्त हो चुका था। अब मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसे बेडरूम में ले जाकर चूमना चालू कर दिया।

अब वो बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और जोर-जोर से ‘अह्ह ह्ह्हह्ह… ओह्ह्ह्ह..’ कर रही थी। इधर मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था.. मैंने उसे पकड़ा और बिस्तर पर पटक दिया और बेसब्री से उसे चूसना चालू कर दिया।

वो तो जैसे किसी और दुनिया में चली गई थी। मैंने कुछ देर उसके मम्मों को जमकर चूसा और उसे एकदम उत्तेजित करके चुदासा कर दिया। अब मैं उसकी चूत की तरफ मुँह करके उसकी चूत चाटने लगा.. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी और उसका ये नमकीन पानी मुझे और भी मदहोश कर रहा था।

मैंने उसे 15 मिनट तक चाटने के बाद देखा कि वो तो जैसे पूरी तरह से कहीं खो गई थी.. अब मुझे लगा कि ये पूरी तरह से तैयार हो गई है तो चुदाई के लिए अपनी स्थिति बनाई और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया। फिर अपने लंड को उसकी चूत पर सैट किया। लवड़ा सैट करके मैंने एक धक्का लगाया तो मेरा लंड फिसल गया.. क्योंकि उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी हुई थी.. तो मैंने वहाँ से तेल लेकर अपने लंड और उसकी चूत पर अच्छे से लगा लिया।

अब फिर से अपना 6.5″ का लंड उसकी चूत पर लगाया और टोपा चूत की फांकों में फंसा कर एक ज़ोरदार धक्का लगाया.. तो मेरा आधा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया। वो बहुत ही जोर से चिल्लाई- उई अम्मा.. मर गई.. रे.. छोड़ दो.. मुझे.. उई.. मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसके मम्मों को दबाने लगा।

कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मैंने धीरे से आधा लंड ही उसकी चूत के अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया.. जिससे उसे थोड़ा मज़ा आने लगा।

अब मुझे लगा कि वो सामान्य हो गई है.. तो मैंने एक और ज़ोरदार शॉट के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। वो फिर से चिल्लाई.. तो उसे चुप करने के लिए फिर से होंठ चूसने लगा और मम्मों दबाने लगा और साथ-साथ अपने लंड को घस्से मारता रहा।

तो उसे मजा आने लगा.. कुछ देर ऐसा करने के बाद उसका दर्द एकदम कहीं जैसे गायब ही हो गया और वो अपनी गांड उठा उठा कर पूरे जोश में मेरा साथ देने लगी और जोर-जोर से सिसयाने लगी- अमित प्लीज.. मेरी इस निगोड़ी चूत को फाड़ दो.. ये मुझे बहुत परेशान करती है..। उसकी मादक सीत्कार सुनकर मैं भी पूरे जोश में आ गया तो मैं और अच्छे से उसकी चुदाई करने लगा। इस दौरान वो 2 बार झड़ चुकी थी

लगभग 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद में झड़ गया और उसकी चूत के बाहर लंड निकाला और सारा माल उसके पेट के ऊपर डाल दिया। फिर हम दोनों उठे वो चल ही नहीं पा रही थी तो मैं उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गया। अब वो बोली- यार.. शुरू में तो लग रहा था.. कि चूत फट ही गई हो.. लेकिन बाद में दर्द तो बिलकुल गायब ही हो गया था। तो मैंने कहा- डार्लिंग चुदाई का यही तो मज़ा है.. पहले सिर्फ थोड़ा सा दर्द.. और बाद में मज़ा ही मज़ा। मैं उससे क्या कहता कि चूत की सील तो फट ही चुकी है।

फिर हम बाथरूम में साथ-साथ नहाए और फिर से एक बार चुदाई की। मैंने उस दिन उसके साथ दो बार चुदाई की और बाद में तो न जाने कितने बार चोदा होगा.. कभी गिनती ही नहीं की।

तो दोस्तो, आप लोगों को मेरी यह कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल कीजिएगा ताकि मैं अपनी और कोई कहानी भी आपके साथ साझा कर सकूँ। अब आप लोगों के कोई मेल या रिक्वेस्ट आएगी तभी में अपनी अगली कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूँगा.. मुझे मेरी ईमेल आईडी पर मेल करें साथ ही इसी आईडी से फेसबुक पर भी मुझे सर्च कर सकते हैं। [email protected]