डॉली को शर्त लगा कर चोदा

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

हैलो दोस्तों मैं अरुण..

चूत-चुदाई में लंबी रेस का घोड़ा कहानी के बाद.. आज अपनी दूसरी कहानी आपके सामने लाया हूँ।

तो जिस तरह मेरी पहली कहानी को आप सभी का प्यार मिला है.. आशा करता हूँ कि आप इस कहानी को भी उतना ही प्यार अपने ज्यादा से ज्यादा ईमेल भेज कर देंगे। मैं अपने बारे में आपको फिर से बता दूँ। मेरा नाम अरुण है.. मैं दिल्ली से हूँ। मेरा लंड 6″ लंबा है.. जो किसी को भी पूरी संतुष्ट कर सकता है।

अब सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ। यह बात 5 साल पहले की है.. जब मैं अपनी ग्रेजुऐशन के दूसरे साल में था.. तो दोस्तों के साथ एक विषय का ट्यूशन लगाया हुआ था। दोस्तों के कहने पर दूसरी जगह ट्यूशन लगावाना पड़ा.. क्योंकि वहाँ पर कुछ लड़कियां साथ में पढ़ती थीं।

हम तीन दोस्तों में से एक को कोई लड़की पसंद आ गई.. तो एक दोस्त को बहुत उकसाने के बाद उससे लड़की को ‘आई लव यू’ बुलवाया। फिर हम सभी का धीरे-धीरे लड़की के घर आना-जाना होने लगा।

मैं लड़की का नाम तो बताना भूल ही गया.. उस लड़की का नाम अंजना था.. वो मेरे घर से कुछ 5 मिनट की दूरी पर रहती थी.. वो एक पेइंग-गेस्ट के रूप में वहाँ रहती थी.. जबकि उसका परिवार हमारे शहर का ही था।

मेरे दोस्त की अब अंजना से बात होने के बाद वो उसके घर रोज ही आने-जाने लगा। एक दिन हम तीनों दोस्तों को अंजना ने घर पर पार्टी में बुलाया.. तो मैं और मेरे दोनों दोस्त उसके घर पहुँचे।

तो मैंने एक ओर अंजना की छोटी बहन जिसका नाम डॉली था.. उसे बाथरूम से नहाकर निकलते देखा। क्या माल थी यार.. एकदम पटाखा.. ऊपर से उसके गीले बाल और भी ज्यादा क़यामत ढा रहे थे। उसे देखकर तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया..

इतने में ही मेरे दोस्त ने मेरी नजरों को भांपते हुए मुझसे कहा- ये लड़की बहुत तेज है.. तेरा इससे कुछ नहीं हो सकता।

मुझे ये बात सुनकर बहुत गुस्सा आया और मैंने अपने दोस्त से कहा- मुझसे शर्त लगाओ.. कि मैं इस लड़की 2 महीने में अपना बनाकर दिखाऊँगा।

शर्त लग गई।

तो कुछ दिन ऐसे ही निकलते हुए एक महीना बीत गया.. इतने वक्त में उसने अब मेरे घर के ठीक सामने एक कमरा किराए पर ले लिया।

अब धीरे-धीरे मैं भी उनके घर पर रोज़ ही जाने लगा.. जिससे मेरी और डॉली की धीरे-धीरे अन्तरंग बातें होने लगीं।

हम तीनों दोस्त और अंजना मिलाकर चारों कम्पटीशन की भी तैयारी करते थे.. जिस कारण हम चारों मिलकर दिल्ली पुलिस की तैयारी करने लगे। जिसमें दौड़ने की तैयारी के लिए हम रोज़ सुबह 4 बजे दौड़ने जाने लगे।

मैंने अपने दोस्त से कहकर अंजना से बात की कि वो अपनी बहन डॉली को भी सुबह आने के लिए कहे.. जिसे अंजना भी मान गई.. क्योंकि अंजना और मेरे दोस्त के बीच में मैं और दूसरा दोस्त कवाब में हड्डी बने थे। इसलिए अंजना भी इस बात के लिए आराम से मान गई। अब सुबह हमारे साथ डॉली भी दौड़ने जाने लगी।

दोनों दोस्त और अंजना तीनों दौड़ते थे.. और मैं और डॉली पैदल ही जाया करते थे। जिससे हम दोनों के बीच की बातें और भी गहरी होने लगीं।

एक बार दिसम्बर की सर्दियों में हम सिर्फ़ 4 ही दौड़ने के लिए निकले.. जिसमें मेरा दोस्त.. उसकी गर्ल-फ्रेण्ड अंजना और मैं और डॉली.. हम चारों एक साथ ही चल पड़े।

अपनी मंज़िल तक पहुँचने पर वो दोनों.. और मैं और डॉली.. दोनों अलग-अलग ग्रुप बना कर बैठ गए।

सर्दी ज्यादा होने से डॉली को मैंने अपनी गोद में खींच लिया.. जिस पर डॉली ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दिखाई.. इससे मेरा और भी मनोबल बढ़ गया। अब मैंने धीरे से डॉली के गालों को चूम लिया।

उस दिन बस मैंने 3-4 चुम्बन ही उसके गालों पर किए थी कि उसकी बहन अंजना की आवाज़ आई- डॉली.. चल घर चलना के टाइम हो गया है।

उस दिन गालों पर चुम्बन करने के बाद से दो दिन डॉली हमारे साथ सुबह वॉक पर नहीं गई। मुझे ऐसा लगा कि शायद वो मुझसे नाराज़ हो गई है.. तो मैं खुद उसके घर पर जाकर उससे बात करके.. माफी माँगना चाहता था। मगर जब मैं उसके घर पहुँचा.. तो मुझे पता लगा कि ठंड के कारण उसकी तबीयत खराब हो गई है।

तो मैं भी डॉली को देखने के बहाने से उसके पास बैठ गया और उससे माफी माँगने लगा। लेकिन वहाँ तो उसका जबाव कुछ और ही था।

उसने मुझसे कहा- इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है.. क्योंकि सर्दी इतनी अधिक थी कि मेरा भी मन तुम्हें गले लगने का कर रहा था.. तो बस दोस्तो, मैंने इतना सुनते ही उसका एक हाथ पकड़ कर चूमा.. और अपने घर चला गया।

अब मैं बहुत खुश था.. क्योंकि मुझे पता लग गया था कि अब डॉली के मन में भी मेरे लिए प्यार है। यह बात मैंने जाकर अपने दोस्तों को बताई.. तो उनको मेरी बात पर यकीन नहीं आया। तो मैंने भी उनसे कह दिया- जिस दिन हम दोनों को साथ में कहीं अकेला देख लोगे.. उस दिन अपने आप ही यकीन आ जाएगा..

अब मैं ओर डॉली रोज ही मिलने लगे और चुपचाप अकेले ही घूमने लगे। हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा। मैं डॉली को किसी भी तरह के धोखे में नहीं रखना चाहता था.. वो तो सिर्फ शर्त के कारण मैंने उसे पटाया था।

ये सब सोच कर मैंने डॉली से ये भी कहा- डॉली देख.. अभी भी हमारे बीच ज्यादा कुछ नहीं है.. अभी शुरूआत है.. मैं तुझसे ये कहना चाहता हूँ कि साथ रहना या साथ देने में पीछे नहीं हटूंगा.. मगर शादी.. मैं अपने घरवालों के कहने से ही करूँगा.. तू मुझे सोच कर आराम से जबाव दे सकती है।

यह बात जाकर उसने अपनी बहन अंजना से पूछी.. तो उसने भी उससे यही कहा- यह लड़का जो कहता है.. वो करता जरूर है.. अगर तुझे चाहता है.. तो तू भी पीछे मत हटियो..

फिर अगले दिन मैंने डॉली से उसका जबाव पूछा.. तो उसका जबाव था- मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती हूँ और आगे जो होगा.. वो देखेंगे.. अब हम दोनों रोज़ सुबह मॉर्निंग वॉक पर.. और रोज़ रात को दो घंटे गलियों को नापने लगे।

मगर पता नहीं ये बात किस तरह.. मेरे घर तक पहुँच गई.. किसी ने मेरे घर पर आकर कहा कि लड़का हाथ से निकल रहा है.. इसे संभालो।

तभी से मेरे घर वालों ने शादी के लिए लड़की देखनी शुरू कर दी.. इसी बीच दोनों दोस्तों ने और अंजना ने कोई बैंक का फॉर्म डाला था.. उसका कॉल लेटर आया.. जिसका पेपर आगरा में था.. तो मैंने भी अपने दोस्तों के साथ आगरा जाने का प्रोग्राम बना लिया। मैंने डॉली को भी साथ चलने को मना लिया.. मगर हुआ कुछ ऐसा कि दोनों लड़कियों के पापा हमारे साथ में जाने लगे।

मैंने और अंजना ने जाकर 5 दिन पहले ही रिजर्वेशन करा लिए थे। अब हम सभी तीनों दोस्त.. वे दोनों बहनें और उनके पापा.. एक साथ जाने वाले थे।

पेपर से एक दिन पहले की ट्रेन थी.. फरवरी का महीना था.. मगर सर्दी होने के कारण ट्रेन 4 घंटा लेट थी.. ट्रेन आने पर जिस बोगी में हम थे.. वो पूरी खाली थी.. तो हम तीनों दोस्त एक सीट पर बैठ गए थे और वो तीनों एक तरफ बैठे थे।

नियत समय से कुछ देर से हम आगरा पहुँच चुके थे.. तो हमने दो कमरे किराए पर ले लिए। उस दिन हम सभी अपने-अपने सेंटर देखने के लिए निकल पड़े.. जहाँ पेपर होना था।

वापस आते हुए मैंने डॉली को पहली बार ‘आई लव यू’ बोला.. जिसका डॉली ने कोई जबाव नहीं दिया.. बस हंस कर टाल दिया। उसने एक तरह से मुझे पूरी तरह से हरी झंडी दिखा दी थी.. क्योंकि लड़की हंसी तो फंसी।

अब मेरी और डॉली की बात पूरी तरह जम चुकी थी। हम पेपर देकर वापस बस से घर वापस आने लगे.. रात का वक्त था.. अब बस में हम सभी जोड़ों ने एक-एक सीट जा पकड़ी।

दोस्त और अंजना एक सीट पर.. दूसरी सीट पर मैं और डॉली थे। अंकल और तीसरा दोस्त एक अलग सीट पर बैठे थे। सर्दी होने के कारण डॉली ने बैग से एक चादर निकाली और हम दोनों ने ही ओढ़ ली। कुछ देर ऐसे ही रहने पर मैंने डॉली से कहा- मुझे एक चुम्मी करनी है।

तो उसने कुछ नहीं कहा.. मैंने अब देर ना करते हुए उसके सीने पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे से उसके मम्मों को दबाने लगा। डॉली ने भी मुझे ऐसा करने से नहीं रोका.. शायद उसको भी मजा आ रहा था। अब मैं उसके 36 साइज़ के मम्मों को अच्छे से मसल रहा था.. और डॉली आँखें बंद करके बस मजे ले रही थी।

उस दिन भी हमारे बीच इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ.. बस चुम्मी और चूची मसकने से आगे कुछ नहीं हुआ। उस दिन बस से घर वापस आते हुए मैंने डॉली के मम्मों को अच्छे से रगड़ा था.. उसके बाद जब हम लोग घर वापस पहुँच गए।

तो अब तक हमारी प्रेम कहानी पूरे रंग में आ चुकी थी.. वो भी इस कदर कि अगर हम दोनों सुबह का ब्रश भी करते थे तो अपने-अपने घर के गेट पर आकर ही करते थे।

यह अब हमारी रोज़ की दिनचर्या में आ चुका था.. उसके बाद जब तक सुबह-सुबह हम दोनों एक-दूसरे को ना देख लें.. हमारा कभी दिन नहीं होता था।

मेरे घर वालों ने पढ़ाई के साथ मुझे कुछ काम धंधे में लग जाने को कहा सो मैंने मार्केटिंग के काम को शुरू कर दिया और एक ऑफिस बना लिया।

इस बीच हम दोनों रात को 6 बजे के लिए करीब मैं अपने ऑफिस और वो अपनी ट्यूशन से छूटते ही हम दोनों मिलते थे और एक घंटे तक पैदल ही घूमते थे।

एक दिन हम दोनों को घूमते हुए मेरे तीसरे दोस्त ने घूमते हुए देख लिया और बात मेरे घर तक पहुँच गई।

जिसके कारण मेरे घर वालों ने मेरी शादी के लिए 6 से 7 महीने के अन्दर-अन्दर मेरा रिश्ता पक्का हो गया।

फिर उस दिन से हम दोनों का मिलना और भी ज्यादा होने लगा। डॉली ने अपनी बहन अन्नू की किसी फ्रेंड के साथ.. जिसका नाम मंजू था.. उसके साथ एक एनजीओ ज्वाइन कर लिया.. जिसे ये दोनों ही संभालती थीं.. एनजीओ की मैडम एनजीओ में एक या दो घंटे के लिए ही आती थीं और लंच टाइम तो खास कर दोनों लड़कियों का ही होता था.. जिसमें वो एक से डेढ़ घंटे कुछ भी कर सकती थीं।

तो मंजू अपने और डॉली अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड मतलब मुझसे फोन पर बात करती रहती थीं। मेरा काम भी मार्केटिंग का है.. तो मैं भी एक बजे उनके लंच टाइम तक खाली हो जाता था। धीरे-धीरे बात करते-करते अब मैं भी लंच टाइम पर एनजीओ में आ जाता था और उधर से मंजू का ब्वॉय-फ्रेण्ड भी आ जाता था। कुछ महीने ऐसे मिलते रहने में ही बीत गए।

मेरी शादी की तारीख 7 नवम्बर 2010 निकल चुकी थी और एक नवम्बर की मेरी सगाई थी.. जिसमें डॉली तो नहीं आई.. मगर उसकी बहन अन्नू जरूर आई थी।

सभी दोस्त अन्नू वगैरह सभी खुश थे और सगाई का प्रोग्राम भी ठीक से निकल गया। तभी किसी से फोन पर बात करते और घबराते हुए.. अन्नू मेरे पास आई और उसने मुझसे कहा- अरुण.. डॉली ने खुद को मारने के लिए नींद की 10 गोलियाँ खा ली हैं।

यह सुन कर उस समय मेरे बहुत बुरी तरह से पसीने छूट गए थे, मैंने अन्नू से कहा भी कि मैं तेरे साथ तेरे घर चलता हूँ.. तो उसने मना कर दिया और कहा- तुझे अपने फंक्शन में रुकना जरूरी है।

मैंने उससे पूछा भी कि घर पर तेरे मॉम-डैड नहीं हैं क्या? तो उसने मुझे बताया कि वो कल ही बालाजी के मंदिर घूमने गए हुए हैं.. 6-7 दिन में लौटेंगे।

फिर वो जल्दी से चली गई.. अन्नू ने घर जाकर उसे जैसे-तैसे उल्टियां कराईं.. जिससे गलियों का ज्यादा असर ना हो.. मगर फिर भी वो एक दिन तक बेहोश ही रही।

अब मुझे डॉली से मिलने की ज्यादा जल्दी थी। अगले दिन मैं डॉली के घर पहुँच गया.. उस दिन उसके घर में डॉली और उसके चाचा की लड़की ही थी.. जिसे उसने किसी काम से बाहर भेज दिया।

वो लड़की भी बहुत तेज़ थी.. उसने भी मौका देखकर अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड को फोन कर दिया और वो भी घूमने चली गई। अब घर पर केवल मैं और डॉली ही थे और यहीं से हमारी चुदाई शुरू हुई।

वो भी कुछ इस तरह कि जब मैं डॉली के घर पहुँचा.. तो उसकी हालत देख कर डर सा गया.. कुछ तो वो ठीक से होश में नहीं थी और ऊपर से उसके बाल भी खुले हुए थे।

बस उसके पास पहुँचते ही उसे एक कमरे में ले गया और कमरा अन्दर से बंद कर दिया। डॉली मुझसे बुरी तरह लिपट गई और रोने लगी.. फिर मेरे काफ़ी देर तक समझाने पर समझी और मेरे साथ गले से लग कर लेट गई। इस बीच मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और लगभग 15 मिनट तक चुम्बन करता रहा। फिर धीरे-धीरे उसकी चूचियाँ दबाता रहा।

बस दोस्तो, उसके बाद तो वही हुआ जो सब कहानियों में होता है। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000