चाची जी इंगलैण्ड वाली

दोस्तो, आज आपके मनोरंजन के लिए नई कहानी पेश है। सिर्फ पढ़ो और मज़ा लो दिमाग पे ज़ोर मत डालो, अगर डालना है तो चड्डी में हाथ डालो।

प्यारे दोस्तो, मेरा नाम अमरीक सिंह है और मैं नकोदर, पंजाब के पास एक गाँव में रहता हूँ, उम्र है 22 साल और बी ए पास हूँ, गोरा चिट्टा तंदरुस्त बांका जवान हूँ, अपनी घर की खेती बाड़ी है। पढ़ाई में ठीक ठाक था तो सोचा कोई नौकरी करने की बजाए अपनी ज़मीन पे खेती ही करूँ। तो मैं तन मन से खेती में जुट गया और अपना काम बड़े अच्छे से संभाल लिया।

अब घर में मेरी शादी की बातें चलने लगी। वैसे तो मेरा कोई चक्कर नहीं था, हाँ पड़ोस के गाँव की एक लड़की से यारी थी मगर बस इतनी के जब भी मिलते बस चोदा चोदी के लिए ही मिलते थे।

ऐसे में एक दिन पिताजी ने बताया के हमारे चाचाजी जो इंग्लैंड में बस गए थे वो आ रहे हैं और साथ में उनकी नई बीवी भी आ रही है। वो बहुत सालों बाद आ रहे थे तो घर में तो जैसे शादी जैसा माहौल हो गया था, सबके सब तैयारियों में जुटे थे।

फिर निश्चित दिन पे हमारे चाचा और चाची भी आ गए। अमृतसर हवाई अड्डे से गाड़ी करके वो गाँव आए। गाँव के गेट पे ही उनका स्वागत किया गया।

चाचाजी करीब 50 साल के रहे होंगे, मगर चाची तो बस 34-35 की लगती थी। मगर फिर भी क्या गजब की चीज़ थी। टाईट टी शर्ट और जीन्स में वो कयामत लग रही थी, बला की खूबसूरत, गोरा गुलाबी रंग, ये गोल गोल चूचे, बड़े बड़े चूतड़। मैं तो चाची का हुस्न देख कर ही दंग रह गया।

खैर, खूब आव-भगत हुई, चाचा चाची की… हर कोई उनके लिए दौड़ दौड़ कर काम कर रहा था, मैं भी!

चाची मुझसे बहुत खुश हुई और उन्होंने मुझे अपना फ्रेंड बना लिया। ज़्यादातर तो वो जीन्स टी शर्ट में ही होती थी और दुपट्टा तो लेती ही नहीं थी, बचपन से ही इंग्लैंड में पली बढ़ी थी तो बहुत ही बिंदास थी। अक्सर उनके झुकने या आढ़े तिरछे होने पर मैं उनके बड़े बड़े और गोल मटोल बूब्स के दर्शन कर लेता, वो भी जानती थी कि मैं क्या देख रहा हूँ, मगर हमेशा हंस देती या मज़ाक में मुझे छेड़ देती, कभी आँख मार देती।

सच कहूँ तो मुझे चाची से प्यार होने लगा था, मैं चाहता था कि वो कभी नहीं जाएँ, और चाचा को छोड़ कर मुझसे शादी कर लें।

एक दिन उन्होने कहा कि वो हमारे खेत और ज़मीन देखना चाहती हैं, मैं खुशी खुशी उन्हें अपने साथ ले गया और उन्हें अपने ट्रैक्टर पे बैठा कर अपनी सारी ज़मीन, ट्यूबवेल वगैरह सब दिखाया।

उस वक़्त धान को पानी लग रहा था और हमारे ट्यूबवेल के पानी की धार को देख कर तो वो उछल पड़ी- वाह, यहाँ नहाने का तो मज़ा आ जाये! उसके मुख से निकला।

‘आप यहाँ नहायेंगी?’ मैंने हैरानी से पूछा। ‘हाँ, क्यों कोई प्रोब्लम है?’ उसने थोड़ा हैरानी से पूछा।

‘फ्रेंड, यह इंडिया है, इंग्लैंड नहीं, अगर आप यहाँ नहाओगी तो सारा गाँव यहाँ पे इकट्ठा हो जाएगा, खामख्वाह तमाशा बन जाएगा।’ मैंने उसे समझाया।

‘तो अगर मैं यहाँ नहाना चाहूँ तो क्या मेरा फ्रेंड मेरी हेल्प नहीं करेगा?’ उसने मेरी आखों में गहरा झाँकते हुये पूछा।

‘अगर आपको ट्यूबवेल पे नहाना है तो इस पर नहीं, एक और मोटर है हमारी, वहाँ पर आप खुल कर जितना चाहे नहा सकती हैं।’ मैंने उसे बताया, मगर मन ही मन में मैं यह सोच रहा था कि अगर मैं इसे मोटर में नहलाने लेकर जाऊंगा, तो क्या मुझे इसे नंगी देखने का भी मौका मिलेगा।

मैं यह सोच ही रहा था कि तभी वो बोली- तो चलो, मुझे वहाँ पे ले चलो, मैं वो ट्यूबवेल देखना चाहती हूँ।

मैं उसे अपने उस दूसरे ट्यूबवेल पे भी ले गया, वो अभी बंद था। उसने देखा तो पूछा- यह तो बंद है, कब चलेगा?

मैंने कहा- हम कल सुबह यहाँ आएंगे, मैं आकर ये पम्प चला दूँगा, और आप नहा लेना।

‘यह हुई न बात…’ कह कर उसने मुझे मेरी बगल से बाहों में भर लिया, और उसके दोनों नर्म नर्म बूब्स मेरी छाती से चिपक गए, वाह क्या आनन्द आया।

आस पास कोई नहीं था, सच कहूँ तो मेरा दिल किया कि ‘यहीं इसे पकड़ के चोद…’ बाद में चाहे साली जेल क्यों न हो जाए। मगर मैंने फिर भी अपनी भावनाओं पर काबू रखा। सारी रात मेरी इन्हीं सोचों में बीती कि ‘कल क्या होगा… क्या वो मेरे सामने नहाएगी, बिल्कुल नंगी नहाएगी या बिकनी पहन कर? कहीं मुझे यह तो नहीं कह देगी कि मैं नहा रही हूँ, तुम दूर चले जाओ, या कसम दे दे कि मत देखना, पर अगर उसने मुझे भी नहाने के लिए बुला लिया तो, और अगर मुझे चोदने के लिए कह दिया तो?

‘बाई गॉड…’ इस विचार के बाद तो मारे खुशी के मुझे नींद ही नहीं आई, कितनी देर मैं उसे तरह तरह से चोदने के सपने देखता रहा।

अगले दिन मैं तो खैर काफी जल्दी उठ कर चला गया क्योंकि खेतों को पानी लगाना था। करीब 10 बजे मैं वापिस घर आया। जब चाची मिली तो मैंने पूछा- हैलो फ्रेंड, नहाने चलना है?

वो तो खुशी से उछल पड़ी- येस, राइट नाओ, मैं अभी आई।

वो अपने कमरे में गई और एक छोटा सा बैग उठा लाई। मैं उसे ट्रैक्टर पे बैठा कर अपने साथ ले गया। ट्यूबवेल पर पहुँच कर मैंने पम्प ऑन किया। पानी की मोटी धार निकली और हौद को भरने लगी। देखते ही देखते हौद भर गया।

मैंने कहा- लीजिये, आपके नहाने का इंतजाम हो गया।

उसने बहुत चहक कर पानी में हाथ मारा और मेरी तरफ देखा, मैं तो पहले से ही उसकी तरफ देख रहा था कि वो क्या कहती है, मुझे जाने के लिए, रुकने के लिए या साथ नहाने के लिए!

‘क्या सोच रहा है मेरा फ्रेंड?’ उसने पूछा। मैंने कहा- सोच रहा हूँ, कि मैं रुकूँ या जाऊँ?

‘क्यों?’ उसने पूछा।

‘मैं समझ नहीं पा रहा हूँ, क्या मुझे आपकी सुरक्षा के लिए यहाँ रुकना चाहिए या आपको आपकी प्राइवेसी के साथ छोड़ कर चले जाना चाहिए?’ मैंने उसे अपनी दुविधा बताई।

‘अगर तुम रुकोगे तो मुझे ज़्यादा सेक्योर फील होगा…’ उसने अपनी बात कही।

‘मगर क्या आप मेरे सामने नहा सकती हैं?’ मैंने पूछा।

‘कमाल है, जब हम बीच पे जाते हैं तो वहाँ तो न जाने कितने लोगों के सामने बिकनी पहन के घूमते हैं, जिनको हम जानते भी नहीं, पर यहाँ तो तुम हो मेरे दोस्त, तुम से क्या शरमाना?’

मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया। उसने अपना बैग खोला और उसमें से बिकनी निकाली। गहरे लाल रंग की छोटी सी ब्रा और पेंटी। वो ट्यूबवेल वाले कमरे में गई और जब बिकनी पहन कर बाहर आई तो क़यामत ही ढा दी। दूध जैसे गोरे, संगमरमर जैसे चिकने बदन पे लाल रंग की बिकनी क्या खिल रही थी। ब्रा में कैद दो गोल गोल बूब्स, जो ब्रा को फाड़ कर बाहर आने को बेताब थे, एक बड़ा सा क्लीवेज और नीचे गोरे पेट के नीचे लाल रंग के पेंटी जिसने उसके बदन के सबसे प्यारे हिस्से को ढक कर रखा था, मरमरी चिकनी टांगें जो बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी।

मेरी आँखों में अपने हुस्न की तारीफ पढ़ के वो बोली- क्या देख रहे हो?

‘सच कहूँ तो मैंने आज तक हुस्न का यह रूप नहीं देखा है, आप बहुत ही खूबसूरत तो हैं, मगर बला की सेक्सी हैं, किसी भी मर्द को आप अपना दीवाना बना सकती हैं।’ मैंने अपना दिल खोल कर तारीफ की।

‘तो क्या तुम्हें भी दीवाना बना दिया मेरे हुस्न ने?’ उसने पानी के हौद में उतरते हुये मुझसे पूछा।

‘मैं, मैं तो मरा पड़ा हूँ, मुझे अपनी कोई होश ही नहीं है।’ कहता हुआ मैं भी हौद की दीवार पे अपने हाथ टिका कर खड़ा हो गया।

वो सीने तक पानी में डूबी थी, मैं उसके गोल गोल बूब्स को देख रहा था जो आधे के करीब पानी में डूबे थे, पानी उसके क्लीवेज में अंदर बाहर आ जा रहा था और ऐसे लग रहा था जैसे पानी में उसके बूब्स और फूल गए हों।

‘क्या तुम नहीं नहाओगे?’ उसने पूछा। ‘ज़रूर, अगर आप को ऐतराज न हो…’ मैंने कहा।

‘तो आ जाओ!’ उसने कहा और मैंने झट से अपने कपड़े उतारे और चड्डी पहन के हौद में उतर गया।

हम दोनों में बस हाथ भर का ही फासला था, मैं बार बार उसके बूब्स को घूर रहा था, चाह कर भी मैं अपनी निगाहें उसके बूब्स से नहीं हटा पा रहा था।

‘क्या देख रहे हो, क्या कभी औरत नहीं देखी पहले?’ उसने पूछा। ‘देखी हैं… बहुत देखी हैं, मगर इतना हुस्न और वो भी इस रूप में और मेरे इतनी पास के जिसे अपना हाथ बढ़ा कर छू सकूँ, इससे पहले कभी नहीं देखा!’ मैंने कहा।

‘ऐसा क्या खास है मुझमें?’ वो बोली।

‘सिर से लेकर पाँव तक आप हुस्न ही हुस्न हो, एक चलती फिरती क़यामत हो!’ मैंने फिर से उसके बूब्स को घूरते हुए कहा।

वो मेरे थोड़ा सा पास आई और बोली- अगर यह क़यामत तुम्हारे सामने बेपर्दा हो जाए तो क्या होगा? ‘शायद मैं यह जलवा देख के मर ही न जाऊँ!’ मैंने कहा।

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उसने मेरे दोनों हाथ पकड़े और नीचे पानी में बैठ गई, मैं भी अपनी सांस रोक कर पानी में बैठ गया, पानी हम दोनों के सर से ऊपर था। पानी के अंदर ही उसने अपने दोनों हाथ अपनी पीठ पे पीछे लेजा कर अपने ब्रा की हुक खोली और अपना ब्रा उतार दी। मेरे लिए तो जैसे पानी में आग ही लग गई। उसने मेरे दोनों हाथ पकड़े और अपने दोनों बूब्स पे रख दिये। मेरे हाथों में आज वो चीज़ थी जिसे पाने के लिए मैं पिछले 20 दिनों से तड़प रहा था। मैंने उसके दोनों बूब्स को बड़े धीरे से दबाया।

उसने मेरा सर अपने पास खींचा, और मैंने उसके बाएँ बूब का निपल अपने मुँह में भर लिया। बूब को चूसते चूसते मैंने उसके कमर के गिर्द बाहें कस दी। मेरी चड्डी में मेरा लंड तन कर लोहा हुआ पड़ा था। उसने मुझे उठाया और हम दोनों पानी से बाहर आए। दोनों ने लंबे लंबे सांस लिए, मगर मैंने उसके बूब्स को चूसना नहीं छोड़ा, एक को छोड़ता तो दूसरे को चूसने लगता।

उसने मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे अकड़े हुये लंड को पकड़ा और पूछा- इसे क्या हुआ?

मैंने कहा- यह कहता है मुझे इस जेल में डाल दो। कहते हुए मैंने भी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को छू दिया।

उसने मुस्कुरा कर मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और खुद अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये, न सिर्फ होंठ बल्कि उसने तो अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दी। मैं भी कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसकी जीभ… होंठों और जीभ की लड़ाई में ही उसने मेरी और मैंने उसकी चड्डी उतार दी। बेशक मेरे लंड के आस पास पूरा जंगल खड़ा था, मगर उसके तो एक भी बाल नहीं था। बिल्कुल चिकनी, गोरी गुलाबी चूत… मैंने उसे उठा कर हौद की मुंडेर पे बैठा दिया और उसकी दोनों टाँगों को खोल कर अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया।

वाह क्या टेस्टी चूत थी उसकी।

मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक घुमा दी, जहाँ तक भी मेरी जीभ जा सकती थी। उसने मेरे सिर को अपनी गोरी गुदाज़ जाघों में जकड़ लिया, कितनी देर मैं उसकी चूत चाटता रहा, फिर वो उठी और बोली- ऊपर बैठो। फिर मैं हौद की मुंडेर पे बैठ गया और उसने मेरा तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ा और घप्प से मुँह में ले लिया। मेरी हुस्न की मल्लिका, मेरे सपनों की रानी मेरा लंड चूस रही थी, मैं उसके बालों में उँगलियाँ घूमा रहा था, अपने पाँव से उसके कूल्हे, जांघें, चूतड़, पेट, पीठ और जहाँ तक भी मेरे पाँव जा रहे थे, मैं सहला सहला के मज़े ले रहा था।

2-3 मिनट लंड चुसवाने के बाद मैं नीचे उतरा और फिर से उसको अपनी बाहों में कस के भर लिए, उसकी नर्म नर्म छातियाँ मेरे बालों से भरे सीने से चिपक गई, उसका पेट मेरे पेट से और मेरा लंड उसकी नाभि में घुसा जा रहा था।

वो मुस्कुराई और बोली- यह सही जगह नहीं है।

‘तो इसे सही जगह पे फिट करो फिर!’ मैंने कहा। तो उसने अपनी एक टांग ऊपर उठाई और मेरा लंड पकड़ अपनी चूत के छेद पे रखा। बेशक हम पेट से ऊपर पानी से बाहर थे मगर नीचे से ठंडे पानी में डूबे हुये मैंने अपना लंड उसकी चूत में धकेल दिया। पानी की वजह से थोड़ी सी दिक्कत तो हुई मगर मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। उसके मुँह से ‘आह’ निकली। ‘यह आह क्यों, पहले कभी लिया नहीं क्या?’ मैंने पूछा। वो बोली- बहुत लिया है, मगर इतना कड़क पहली बार लिया है।

‘तो और ले…’ कह कर मैंने एक और धक्का मारा और थोड़ी बेदर्दी से अपनी लंड उसकी चूत में डाला एक और ‘आह’ उसके मुँह से निकली, उसके चेहरे के दर्द और आनन्द के मिश्रित भाव थे। मैं बेतहाशा उसके चेहरे और होंठों को चाट रहा था और नीचे से धक्के पे धक्के मार मार कर उसको चोद रहा था।

मेरे जोश के आगे वो हार गई- धीरे करो, मुझे दर्द होता है।

‘औरत को जितना दर्द होता है, मर्द को उतना ही ज़्यादा मज़ा आता है।’ मैंने उस पे अपनी मर्दांगी झाड़ी।

‘मगर जो मर्द औरत को जितना प्यार करता है, उसका सम्मान करता है, उसका ख्याल रखता है, वो उतना ही कामयाब होता है।’ उसने मुझे ज्ञान दिया।

‘अच्छा तो लो फिर!’ मैंने उसे वैसे ही चोदते चोदते अपनी गोद में उठा लिया और बिना लंड उसकी चूत से बाहर निकले मैं उसको हौद से बाहर ले आया और पास में ही घास पर लेटा दिया।

अब मैं ऊपर और वो नीचे, मैंने उसे खूब जम कर चोदा। उस जैसी खूबसूरत औरत को चोद कर मैं निहाल हुआ पड़ा था और मुझ जैसे गबरू जवान से चुद कर वो निहाल हुई जा रही थी। हम दोनों के मुँह से, ‘उफ़्फ़, आह उह’ और न जाने क्या क्या निकल रहा था। मैंने जितना हो सकता था उसके बदन को काटा, चाटा और खूब मसला। जब मैंने अपने वीर्य की पिचकारियाँ उसकी चूत में छुड़वाईं तो वो मुस्कुरा दी।

‘अमरीक… जो मज़ा आज तुमने दिया है उसे मैं बरसों से तलाश रही थी, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम दोनों हमेशा ऐसे ही मज़े करते रहें?’ ‘हो सकता है जानेमन, अगर तुम मुझे भी अपने साथ इंग्लैंड ले जाओ तो!’ मैंने उसके सामने एक प्रोपोज़ल रखी जिसमें मेरा अपना स्वार्थ भी था। ‘ठीक है, इंग्लैंड जाकर मैं तुम्हें भी वहीं बुला लूँगी, क्या एक बार और करोगे, पता नहीं फिर यह आनन्द कब नसीब होगा!’ वो बोली। ‘क्यों नहीं जानेमन, तुम जितनी बार कहो, जितनी देर कहो मैं तुम्हें चोद सकता हूँ।’ कह कर मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत पे रख दिया।

उस दिन मैंने उसे चार बार चोदा मगर उसके बाद हमें मौका नहीं मिला। फिर वो वापिस इंग्लैंड चली गई अपने पति के साथ। और मैं आज तक उसके बुलाने का इंतज़ार कर रहा हूँ। [email protected]