मेरी कुंवारी बुर की पहली चुदाई कैसे हुई- 1

कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी हिंदी में पढ़ें कि मैं नयी नयी जवान हुई थी और जवानी के असर से खिलती ही जा रही थी. क्लास के एक लड़के से दोस्ती हुई. उसके बाद क्या हुआ?

इसी कहानी को सेक्सी लड़की की आवाज में सुनें.

दोस्तो, आज मैं आपको मेरी एक नयी कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी हिंदी में लिख रही हूँ.

मेरी आप सब पाठकों से, खासकर नए पाठकों से या … ज़ो मेरी कहानी पहली बार पढ़ रहे हैं, उनसे एक प्रार्थना है कि वे मुझसे जो भी सवाल करना चाहें, कर सकते हैं. लेकिन कृपया बार बार वे सवाल न पूछें जो पहले पूछ चुके हैं.

इस सेक्स कहानी में मैं यह लिंक दे रही हूँ, आप इस लिंक को खोल लें और मेरी एक पिछली कहानी का आखिरी भाग भी जरूर पढ़ लें.

उसमें मैंने आप सब पाठकों द्वारा पूछे जाने वाले ज़्यादातर प्रश्नों के उत्तर दिए हैं. मैं उम्मीद करती हूँ कि आप सब ये लिंक खोल कर जरूर पढ़ेंगे और दुबारा मुझसे वही सब बातें दुबारा नहीं पूछेंगे. अगर पूछेंगे भी तो शायद मैं जवाब नहीं दे पाऊंगी, क्योंकि मैं पहले ही सारे जवाब वहां पर दे चुकी हूँ.

हैलो मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे हैं आप सब! आशा करती हूँ सब मजे ले रहे होंगे.

मुझे मेरी पिछली सेक्स कहानी के लिए बहुत सारे मेल्स आए और मैं बहुत खुश हूँ कि आप सबको मेरी कहानियां इतनी पसंद आती हैं. कभी कभी समय की कमी के चलते मैं सभी पाठकों को जबाव नहीं दे पाती, इसके लिए क्षमा चाहती हूँ.

खैर … आप लोग तो बस कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी का लुत्फ लीजिये और ऐसे ही मुझे सहयोग करते रहिए.

दरअसल ये सेक्स कहानी मेरी एक बहुत पुरानी सहेली की है, जिसे मैं उसकी इच्छा से अपने शब्दों में लिख रही हूँ. उस सहेली की गोपनियता बनाए रखने के लिए मैं इस कहानी को भी अपने नाम से ही लिखूंगी.

दोस्तो … मैं सुहानी चौधरी आप सबका अपनी पहली चुदाई की कहानी में स्वागत करती हूँ.

ये कहानी तब की है, जब मैं सिर्फ साढ़े अठारह साल की थी और कॉलेज में थी. मैं नयी नयी जवान हुई थी और जवानी के असर से खिलती ही जा रही थी.

मैं अपने माता पिता की अकेली लड़की हूँ … और मेरे दो छोटे भाई हैं. पापा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और मम्मी गृहिणी ही हैं … वो घर संभालती हैं. हमारा घर दिल्ली में ही है.

आप सबको मैं थोड़ा सा अपने बारे में बता देती हूँ ताकि कहानी पढ़ते वक़्त आप सब अपने विचारों या ख्यालों में मेरे हुस्न की कल्पना कर सकें.

वैसे तो सभी इंसान सुंदर होते हैं. अगर मेरी बात करें तो मैं भी काफी सुंदर हूँ, रंग गोरा है और चेहरा भी बिल्कुल साफ है. गोल गोल गुलाबी से गाल हैं और खूबसूरत आंखें, गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ और रेशम से बाल, जिन्हें मैंने आज कल के स्टाइल के हिसाब से कटवा रखा है और उन्हें मैं अक्सर खुला ही रखती हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है और शरीर भी बिल्कुल सही अनुपात में हैं. ना ज्यादा पतली हूँ, न ज्यादा मोटी.

मेरा स्वभाव भी बहुत हंसमुख है और मैं सभी से प्यार से बिना किसी एटीट्यूड या नखरे के बात करती हूँ.

आप ऐसा कह सकते हैं कि मैं बिल्कुल वैसी ही हूँ, जैसी लड़कियां सबको पसंद आती हैं. शायद ही कोई मुझसे नफरत करता हो.

रही बात मेरे फ़िगर की, तो फ़िगर 36-26-38 का है. कपड़े भी मैं आजकल के फैशन के हिसाब से पहनती हूँ. जिस वजह से मेरा जिस्म और भी मादक लगता है.

मेरे उरोज बहुत ही तने हुए हैं, जिससे किसी भी मर्द की सबसे पहली नजर मेरे उरोजों पर ही जा टिकती है. इसके बाद जब वो मर्द मुझे निहारना शुरू करता है, तो उसकी निगाह मेरे नितम्बों पर जा टिकती है, जो तोप की मानिंद उसके लंड को उत्तेजित करने में शत-प्रतिशत कारगर साबित होते हैं.

फ्रेंड्स … ये जो 18 साल से 20 साल तक की उम्र होती हैं ना … ये कमाल की होती है. इसमें हम जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जानना शुरू करते हैं.

हमारे शरीर में भी बहुत बदलाव होते हैं. हमें दूसरे लिंग के इंसान में दिलचस्पी आने लगती है.

ऊपर से हमारा बॉलीवुड … और अब तो वेब सीरिज भी … आजकल ऐसे गाने और फ़िल्में बनती हैं कि जवान होते बच्चों की उत्तेजना में घी डालने का काम करती हैं.

फिर रही सही कसर हमारे दोस्त पूरी कर देते हैं. आखिर वही तो हमें बिगाड़ते हैं.

वैसे भी आजकल जमाना इतना आगे निकल गया है कि जो काम लोग 25-26 साल की उम्र तक जा कर करते थे, आजकल वही सब करने की कोशिश जवानी की शुरुआत में ही शुरू हो जाती है. जवानी का जोश सिर्फ लड़कों में ही नहीं लड़कियों में भी उतना ही होता है.

दोस्तों यारों में भी एक होड़ सी लगी रहती है एक दूसरे से बेहतर रहने की, दिखने की, फिर चाहे वो पढ़ाई लिखाई हो … या और कुछ.

तो ये कहानी इस प्रकार घटित हुई.

क्योंकि क्लास में कुछ लड़के लड़कियां आपस में ही प्यार में पड़ जाते हैं. आखिर ये उम्र होती ही ऐसी है, जब हमें कोई अच्छा लगता है, इसी उम्र में दिल दिमाग पर हावी हो जाता है और प्यार हो जाता है. अब क्योंकि मैं भी इसी दुनिया की हूँ … तो मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.

मुझे भी अपनी क्लास के दूसरे सेक्शन का एक लड़का धीरे धीरे अच्छा लगने लगा और फिर बहुत अच्छा लगने लगा. उसका नाम सूरज था.

मैं किसी ना किसी बहाने से उससे रोज़ मिलने लगी और हमारी दोस्ती गहरी होती चली गयी.

धीरे धीरे हम दोनों को एक दूसरे का साथ पसंद आने लगा … और आखिरकार हमारी दोस्ती प्यार में बदल ही गयी.

मैंने उससे अपने प्यार का इजहार भी कर दिया. इसके साथ ही सूरज ने भी अपने प्यार का इकरार कर लिया और हमारा प्यार शुरू हो गया.

हमारे दोस्तों ने हमें इस बात की बधाई दी.

कुछ दिनों तक तो मैं फूली नहीं समाई. हम लोग रोज़ कॉलेज के बाद मिलते, घूमते फिरते, कभी कभी बंक मार कर फिल्म देखने भी चले जाते और खूब मस्ती करते.

ये मानिए ऐसे ही 3-4 महीने में मेरा इश्क़ परवान चढ़ चुका था.

पर मुझे सूरज की एक बात पसंद नहीं थी, वो मुझसे कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा बैठा था यानि कि वो सेक्स तक की बातें सोचने लगा था. अब उसकी सोच भी गलत नहीं थी, शायद नयी नयी जवानी में ऐसे ही होता है.

मैंने ये सब कभी नहीं किया था, इसलिए इस सब को लेकर थोड़ा असहज थी. फिर भी मैं पूरी कोशिश करती थी कि जहां तक हो सके, मैं उसका साथ दूं.

पर धीरे धीरे सूरज की हरकतें बढ़ती जा रही थीं. वो मुझे अकेले में मिलने बुलाने लगा, जैसे कि कभी खाली क्लास रूम में, कभी लाइब्रेरी में अलमारी के पीछे.

मैं ये सब बातें अपनी सबसे अच्छी सहेली निशी को बताती रहती थी. निशी खुले विचारों वाली लड़की थी, पर थी बहुत समझदार … और मुझे हमेशा सही सलाह देती थी. इसलिए मैं उसकी हर बात बिना सवाल जवाब के मान लेती थी.

मैंने निशी को भी इस बारे में बताया, तो उसने कहा कि देख ये सब तो आजकल आम बात है … और सब करते भी हैं. लेकिन अगर तू अभी सेक्स के लिए तैयार नहीं है, तो सूरज को प्यार से समझा दे. अगर वो प्यार करता होगा, तो जरूर समझ जाएगा.

इसके उलट सूरज के दोस्त लोग उसे चढ़ा रहे थे कि तूने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ अभी तक कुछ किया कि नहीं, ऐसे ही रहेगा क्या … वगैरह वगैरह.

ऐसा नहीं था कि मेरे अन्दर सेक्स को लेकर उत्सुकता नहीं थी. थी तो बहुत … पर मैं अभी सही वक़्त का इंतज़ार करना चाहती थी. क्योंकि अगर एक बार ये सब शुरू हो जाए … तो फिर भावनाएं काबू करना बहुत मुश्किल हो जाता है. मुझे इतनी जल्दी ये सब सही नहीं लग रहा था.

खैर … एक दिन सूरज ने मुझसे बोला- चलो कहीं घूमने चलते हैं. मैं राजी हो गई.

हम दोनों ने कॉलेज से बंक मार लिया और मैं और सूरज बाइक से निकल गए.

पर उस दिन सूरज ने अपना प्लान बना रखा था और वो मेरी चुदाई के लिए अपने दोस्त के यहां एक कमरे का इंतजाम करके आया था.

हम दोनों वहां पहुंचे, तो मैंने पूछा- यहां कहां घुमाने लाए हो? उसने बोला- तुम चलो तो … आज कुछ वक़्त अकेले बिताते हैं.

मैं खुश भी थी और थोड़ा डर भी रही थी कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए.

हम दोनों अन्दर पहुंचे और सूरज ने दरवाजे की कुंडी लगा ली.

इसके बाद वही हुआ, जिसका मुझे डर था. सूरज मेरे साथ सेक्स करना चाहता था. उसने सीधा ही बोल दिया- सुहानी अब हमारी रिलेशनशिप को 4-5 महीने हो चुके हैं. अब हम आगे बढ़ सकते हैं.

ये कह कर वो मेरे करीब आकर बैठ गया.

मैं बहुत असहज महसूस करने लगी.

सूरज मेरी गर्दन चूमने लगा, तो मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा. पर मैं अपने होश में थी और अपने आपको काबू किए हुए थी.

फिर धीरे धीरे हम एक दूसरे के होंठों की ओर बढ़ चले और हम दोनों ने पहली बार होंठों पर चुंबन किया.

पहला चुंबन यानि किस कमाल का होता है. हम दोनों किस में खो गए और गहनता से किस करते चले गए. हम दोनों की आंखें बंद थीं और हम 1-2 मिनट तक किस करते रहे.

पर फिर सूरज ने अपने हाथ मेरे गालों से हटा कर मेरी छाती पर ले आया और मेरे स्तनों को बेरहमी से भींचने लगा.

मैं एकदम से अपने होश में आई और उसे रोक कर बोली- नहीं सूरज … अभी हमें इससे आगे नहीं जाना चाहिए.

मगर सूरज भी जिद पकड़ कर बैठा था कि आज वो सेक्स करके ही मानेगा.

इधर मैं भी अपना आत्मसम्मान बचाने में लगी थी.

धीरे धीरे हमारी बातें बहस में बदल गईं और हमारी लड़ाई शुरू हो गयी.

सूरज मुझ पर चिल्ला रहा था कि आखिर क्या प्रॉब्लम है. सब तो करते हैं सेक्स … पता नहीं तुझे क्या प्रॉब्लम है. मैं कोई अंजान तो नहीं हूँ, तेरा बॉयफ्रेंड हूँ. मेरा हक़ है तेरे पूरे जिस्म पे.

इधर मैं भी अब ऊंचे स्वर में बोल रही थी कि नहीं मैं अभी ये सब नहीं कर सकती. अभी मैं सेक्स के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हूँ. प्लीज समझने की कोशिश करो.

पर अब सूरज मेरे से चिपकने लगा और चुम्मा चाटी करने लगा. मैं भी उसका विरोध करती रही, पर जब चीजें बेकाबू हो गईं, तो मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने पूरे गुस्से में उसे ज़ोर का तमाचा मार दिया.

इसके बाद मैंने ना कुछ कहा … और ना कुछ सुना. बस अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकली और वहां से ऑटो पकड़ कर चली गयी.

उस दिन मैं घर आकर अपने कमरे में खूब रोयी.

पर इंसान रोएगा भी कब तक. धीरे धीरे मैं सामान्य हो गयी और अगले दिन कॉलेज चली गयी.

मैंने ये वाली बात निशी को बता दी. हालांकि एक हफ्ते तक मेरी सूरज से कोई बात नहीं हुई, क्योंकि मैं सोच रही थी कि वो माफी मांगेगा. उधर वो सोच रहा था कि मैं उससे माफी मांगूंगी.

खैर … जब एक हफ्ते बाद मेरा गुस्सा खत्म हो गया, तो मैंने निशी से इस बारे में विस्तार से बात की.

मैं बोली- यार मैं क्या करूं, सूरज से बात नहीं हो पा रही है. कुछ समझ नहीं आ रहा है.

निशी ने मुझे बड़ी शांति से समझाया कि यार सुहानी मुझे नहीं लगता कि सूरज तुझसे सच्चा प्यार करता है, क्योंकि अगर करता होता … तो वो कभी सेक्स के लिए दबाव नहीं बनाता. और यहां तो उसने जोर आजमाइश से सेक्स करने की कोशिश की है.

पर मेरे दिल दिमाग पर तो सूरज ही छाया हुआ था. तो मैंने भी कहा- यार, तू बता, मेरी जगह तू होती तो क्या करती?

निशी ने बोला- देख सुहानी मेरे हिसाब से तो दो रास्ते हो सकते थे. पहला ये कि मैं सूरज से ब्रेकअप कर लेती, क्योंकि वो मुझसे प्यार नहीं करता और उसका मतलब सिर्फ सेक्स से है.

मैंने पूछा- और दूसरा?

निशी बोली- और दूसरा ये होता कि मैं उसके साथ खुशी खुशी सेक्स कर लेती. आखिर मजा तो मुझे भी आता ना … और वैसे भी किसी को क्या पता चलना है. अब तू खुद ही बता तुझे क्या सेक्सी गाने सुनना अच्छे नहीं लगते! तूने भी ब्लू फिल्म तो देखी है, भले ही एक दो बार देखी है.

मैंने भी निशी की बात को ध्यान से सुना और सिक्के के दूसरे पहलू को देखना शुरू किया. मैंने सोचा कि इसकी बात तो सही ही लग रही है, आखिर सेक्स में बुराई क्या है.

मैंने थोड़ा शर्माते हुए पूछा- तो मुझे क्या करना चाहिए? निशी बोली- देख ले, तेरी मर्ज़ी है, चाहे तो ब्रेकअप कर ले या सेक्स ही कर ले. क्योंकि कॉलेज में तुझे प्यार करने वाले भी बहुत हैं. तुझे यदि सेक्स ही करना हो, तो वो बता दे. कॉलेज में सेक्स करने वाले भी बहुत हैं. तू बस बता दियो जब करना हो … औजार का इंतजाम बड़ी आसानी से हो जाएगा.

उसकी बात सुनकर मैं शर्मा गई और घर आ गई.

मैंने बहुत सोचा और आखिरकार सेक्स करने का ही फैसला कर लिया. मैंने सूरज को उस दिन के लिए सॉरी बोला और उसे अपनी रजामंदी भी दे दी कि मैं सेक्स के लिए तैयार हूँ.

सूरज ने कहा- ठीक है मैं कमरे का इंतजाम करता हूँ, तुम सेक्स की तैयारी करो.

मैंने पूछा कि तैयारी कैसी? वो हंस कर बोला- नीचे की सफाई कर लेना.

मैं समझ गई कि ये बुर साफ़ करने के लिए कह रहा है. मैंने हंस कर हां कहा और हम दोनों अपनी अपनी क्लास में चले गए.

आखिर वो दिन भी आ ही गया और हम वापस उसी दोस्त के कमरे पर पहुंच गए.

धीरे धीरे हम एक दूसरे के जिस्म का आनन्द लेने लगे और हमारी किस शुरू हो गयी.

इसके बाद सूरज धीरे धीरे मेरी छाती पर आ गया और मेरे बूब्स यानि मम्मों को हल्के हल्के से कपड़ों के ऊपर से ही भींचने लगा. मुझे बहुत मजा आने लगा. मैं भी उसके होंठों को बड़ी गहनता से चूम रही थी.

फिर मैंने भी धीरे धीरे अपना हाथ उसके लिंग यानि लंड पर रखा तो वो पूरा सख्त हो चुका था.

मैंने रुक कर कहा- तुम्हारा वो तो बहुत टाइट है. सूरज बोला- हां जानू मुझसे रुका नहीं जा रहा है … ये देखो.

ये कहते हुए उसने अपनी पैंट कच्छे सहित उतार दी और उसका लंड उछल कर बाहर आ गया.

मैं उसके लंड को देख कर पहले तो भौचक्की हो गई थी. सूरज बोला- जानू इसे अपने हाथ से पकड़ो ना … प्लीज. मैंने कहा- ठीक है.

मैंने सूरज के लंड को अपने कोमल हाथों से पकड़ा और हल्के से ऊपर नीचे करने लगी.

इधर सूरज बड़े प्यार से मेरे मम्मों को दबा रहा था. मेरी चूत गीली हो चुकी थी और लंड लेने को उतावली हो रही थी.

सूरज को भी बहुत मजा आ रहा था. पर तभी उसकी सांसें तेज़ तेज़ बढ़ गईं और वो बहुत उत्तेजित हो गया.

इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड ने वीर्य छोड़ दिया और इसके बाद ढीला पड़ कर छोटा हो गया.

लंड झड़ते ही सूरज ज़ोर ज़ोर से सांसें लेता हुआ बेड पर लेट गया और मैं अधूरी रह गयी. मुझे उस वक़्त बहुत बेइज्जती सी महसूस हुई.

मैंने कहा- क्या हुआ, अब सेक्स कैसे करोगे? सूरज बोला- थोड़ी देर में करते है, अभी ये दुबारा खड़ा हो जाएगा.

पर आधे घंटे बाद भी सूरज का लंड खड़ा नहीं हुआ और मेरी बेचैनी बढ़ती चली गयी.

सूरज ने हाथ से लंड हिला कर उसे खड़ा करने की बहुत कोशिश की, पर फिर उसका लंड खड़ा ही नहीं हुआ.

मैं इस स्थिति से बहुत ही मायूस हो चुकी थी. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.

अब अगली बार मैं लिखूंगी कि मेरे यार का लंड खड़ा नहीं हुआ तो मैंने क्या किया. मेरी इस सेक्स कहानी पर आपके विचार जानने की मुझे बड़ी उत्सुकता है. मेल करना मत भूलिएगा.

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