सोनी मौसी की चूत चुदाई-3

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अब तक आपने पढ़ा..

मैं बार-बार ‘सॉरी’ बोलता रहा.. तो दस मिनट के बाद उन्होंने मुझसे कहा- जो हुआ सो हुआ.. लेकिन अब इस बात का पता किसी को नहीं चलना चाहिए.. तो मैंने वादा किया.. तब उन्होंने कहा- ओके बाबा.. चलो माफ़ किया..

इतना सुनते ही मैं झट से उनके गले से लग गया और उनके गाल पर चुम्बन करते हुए कहा- थैंक्स मौसी.. तो वो मेरी इस हरकत पर मुझे देखती ही रह गईं और कुछ नहीं बोलीं। फिर वो रोटी बनाने लगीं और मैं वहीं खड़ा रहा।

फिर हमारे बीच बातचीत होने लगी.. तो कुछ देर बाद मैंने कहा- मौसी कल रात के बाद मुझे बड़ा आराम मिला और सुकून भी.. मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया होऊँ.. मौसी एक बात बोलूँ? तो वो बोलीं- क्या? मैंने कहा- क्या एक बार हम रात वाला काम फिर से कर सकते हैं? तो मौसी मेरी ओर घूम कर गुस्से में बोलीं- तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया है..

तभी मैंने बेशर्मी दिखाते हुए.. सोनी मौसी की चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। तो उन्होंने मुझे ज़ोर से 2-3 झापड़ मार दिए।

अब आगे..

अगले ही पल मैंने उनकी चूचियों से हाथ हटा लिए.. लेकिन मेरे इस दूध दबाऊ हमले से वो सहम भी गईं.. और शायद उन्हें मज़ा भी आया था। मैं फिर भी वहीं खड़ा रहा और वो गुस्सा करने लगीं।

मैंने फिर कहा- मैं क्या करूँ.. मेरा लंड रात से सो ही नहीं रहा है.. और मुझे लग रहा है.. कि इसमें से आग निकलने वाली है। तो उन्होंने कहा- जाओ यहाँ से.. मुझे काम करने दो.. मैंने कहा- प्लीज़ मौसी.. सिर्फ एक बार..

उन्होंने मुझे फिर से एक झापड़ मारा.. तो मैं फिर से उनकी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा और झट से अपना पैन्ट खोल कर नीचे कर दिया.. तो मेरा लंड फुनफनाते हुए बाहर आ गया। अब मैंने कहा- मैं क्या करूँ.. यह बैठ ही नहीं रहा है..

मौसी की नज़र मेरे लंड पर पड़ी.. तो उन्होंने आँख बंद करके मुझसे कहा- जाओ यहाँ से.. जाओ अपने कमरे में..

तो मैंने कहा- इसे सुलाने का रास्ता बता दो.. मैं चला जाता हूँ..

तब उन्होंने कहा- बाथरूम जाकर इस पर ठंडा पानी डालो.. तो ये बैठ जाएगा..

तब मैंने अपने पूरे कपड़े रसोई में उनके सामने ही खोल दिए और अपना खड़ा लौड़ा हिलाता हुआ बाथरूम में चला गया और लंड पर पानी डालने लगा। कुछ देर बाद लंड बैठ गया.. तब मैं नंगा ही रसोई में फिर से आ गया।

मौसी ने भी मुझे और मेरे मुरझाए लंड को देख कर कहा- हो गया ना.. तभी मेरा लंड मौसी को देख कर फिर फनफना कर खड़ा हो गया और उन्हें सलामी देने लगा।

मैं तो लौड़े की हरकत से अन्दर से बहुत खुश था और अब मौसी ने भी मेरे लंड को खड़ा होते देखा तो उनकी चूत खुजलाने लगी.. लेकिन वो बोलीं- वापिस जाओ फिर वही काम करो..

मैंने भी वही काम 3 बार किया.. लेकिन मौसी को देखते ही लंड फिर से खड़ा हो जाता था।

मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.. तब मौसी ने कहा- देखो आशीष.. तुम अभी छोटे हो और समझ भी नहीं रहे हो.. चलो मैं इसे सुला देती हूँ.. लेकिन वादा करो कि ये बातें किसी से भी नहीं कहोगे.. तो मैंने वादा किया.. तब मौसी हाथ धोकर मुझे अपने साथ बाथरूम ले गईं और मेरे लंड पर पानी डालने लगीं.. लेकिन मेरा लंड मान ही नहीं रहा था।

तब उन्होंने उपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया.. मुझे तो लगा कि मेरे अन्दर का ज्वालामुखी फटने वाला है और मेरा लंड लोहे जैसा मजबूत हो गया। तो उन्होंने कहा- यह तो बहुत हार्ड है.. पानी डालते हुए लंड को हाथ से पकड़ कर आगे-पीछे करने लगीं।

मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था.. मेरे मुँह से ‘आआ.. आआहह.. मौसी.. ऊऊऊओ.. मौसी तुम कितनी अच्छी हो.. आआआ.. आअहह.. और तेज़ करो.. आआ.. आअहह.. ओहह.. निकलता रहा और वो मेरी मुठ्ठ मारती रहीं.. लेकिन मेरा पानी निकल ही नहीं रहा था।

करीब पन्द्रह मिनट बाद मुझे लगा कि मेरा पानी गिरने वाला है तो मेरे मुँह से ज़ोर-ज़ोर से ‘आआहह.. आआहह.. ऊऊओहह.. मौसी.. तुम कितनी अच्छी हो..’ ये बातें निकल रही थीं।

तभी मौसी ने सोचा कि बहुत देर हो गई है.. तो वो मेरे लंड को बहुत ध्यान से देखने लगीं.. तभी मेरे लंड ने पिचकारी मारी और सारा पानी मौसी के मुँह पर जा गिरा.. वो एक पल के लिए चौंकी.. फिर भी वो तेज़ी से हाथ चलाती रहीं और उन्होंने मेरा पूरा पानी निकाल दिया।

फिर उन्होंने खड़ी होकर फव्वारा चला दिया.. मैं तो नंगा था ही.. और वो नाईटी पहने ही भीगने लगीं। हम दोनों एक साथ नहाने लगे.. तभी मैंने कहा- बहुत मज़ा आया मौसी… आप भी अपनी नाईटी खोल दीजिए।

मगर उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया.. मेरे 2-3 बार बोलने पर उन्होंने अपनी नाईटी खोल दी। अन्दर उन्होंने ब्रा और पैन्टी भी नहीं पहनी थी..

अब हम दोनों नहाने लगे और नहाते नहाते मैं लगातार उनकी चूची और चूत देख रहा था.. इस कारण मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और ये उनको भी पता चल गया.. क्योंकि कभी-कभी लंड उनके शरीर से सट जाता था..

फिर हम कमरे में आ गए.. वो अपने कपड़े पहनने लगीं.. तो मैंने फिर कहा- सोनी मौसी.. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है.. अब क्या करूँ..? उन्होंने कहा- चल बिस्तर पर लेट जा फिर से मुठ्ठ मार देती हूँ।

तो मैं लेट गया और वो नाईटी पहन कर आईं और मेरी मुठ्ठ मारने लगीं। अब मैंने कहा- मौसी एक बात कहूँ.. तो उन्होंने कहा- क्या? मैंने कहा- प्लीज़ कल रात जैसा फिर से चुदाई करने दो ना.. तो उन्होंने कहा- नहीं..

मैं बार-बार बोल रहा था कि जब एक बार हो ही गया तो एक बार और करने से क्या हो जाएगा.. और मैं किसी से कहूँगा भी नहीं..

इतनी देर से वो मेरी मुठ्ठ मार रही थीं.. इसलिए वो भी गर्म हो गई थीं, इस बार वो मना नहीं कर सकीं।

उन्होंने कहा- ठीक है.. लेकिन सिर्फ़ एक बार.. और यह बात किसी से मत कहना आशीष.. तो मैंने कहा- भला मैं किसी से क्यों कहूँगा मौसी..

फिर मैंने झट से उठ कर उनकी नाईटी को खोल दिया.. अब उन्होंने ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी। मैंने जल्दबाजी में ब्रा को भी खोल दिया और उन्हें बिस्तर पर लिटा कर उनकी चूची दबाने और चूसने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं उनके दूध कुछ ज्यादा ही ज़ोर से चूस और दबा रहा था.. कि तभी मौसी ने कहा- थोड़ा धीरे करो आशीष.. मैं कहीं भाग नहीं रही हूँ। मुझे अपनी चुदास के चलते उनके ये शब्द सुनाई नहीं पड़े और मैं ज़ोर-ज़ोर से उनकी चूचियां चूसता और दबाता रहा।

वो लगातार ‘आआहह.. आआअहह.. ओह आशीष..’ करती रहीं। मुझे उनके मुँह से अपना नाम सुनकर बड़ा मज़ा आ रहा था। अब मैं नीचे आकर उनकी नाभि चाटने लगा। उनका चुदास भरा जोश बढ़ता ही जा रहा था।

फिर मैंने अपना हाथ ले जाकर उनकी चूत पर रख दिया.. तो उन्होंने कहा- प्लीज़ आशीष.. छोड़ दो.. ये ग़लत है..

तो मैंने उनके होंठों पर अपने हाथ रख कर उन्हें चुप करा दिया और फिर अचानक एक उंगली उनकी चूत में पेल दी। इससे वो चीख पड़ीं और बोलीं- धीरे-धीरे डालो.. दर्द होता है..

फिर मैं उनकी चूचियाँ चाटता रहा और उंगली तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।

वो गीली होने लगीं और मेरा हाथ भी गीला हो गया.. तभी मैंने अचानक अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया.. तो वो चौंक पड़ीं.. और बैठ गईं.. अब वो मुझे हटाते हुए बोलीं- यह क्या कर रहे हो आशीष? तो मैंने कहा- आपकी चूत चाट रहा हूँ.. और इसका पानी पीना चाहता हूँ.. क्यों मौसा जी ने.. कभी आपकी चूत नहीं चाटी है क्या?

तो उन्होंने कहा- नहीं.. मैंने कहा- तब तो अपने 20 साल शादी के बाद भी सेक्स का असली मज़ा लिया ही नहीं.. खैर अब आराम से मज़ा लीजिए.. वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अब वो पूरी तरह से तैयार होती जा रही थीं, उनके मुँह से आवाज निकल रही थी ‘आआ.. आआ.. आहह.. आशीष.. ओह आशीष.. पूरा पानी पी जाओ बेटा..’ वो ये बहुत ही कामुकता से बोल रही थीं।

मेरे इस काम से वो इतनी उत्तेजित हो गई थीं कि दस मिनट बाद वो झड़ गईं और मैंने उनका पूरा पानी पी लिया। जब उनके रस की अंतिम बूँद निकल रही थीं.. तो मैंने उनका पानी अपने मुँह में लेकर उन्हें मुँह खोलने को कहा और उनके मुँह में उनकी ही चूत का माल उगल दिया.. और कहा- मौसी अपना पानी तुम भी तो टेस्ट करो.. जिसे वो बड़े मजे से पी गईं.. उन्होंने कहा- बड़ा मज़ा आया..

तो मैंने कहा- लेकिन मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है..

मेरी इस कामरस से भरपूर कहानी को लेकर आपके मन में जो भी विचार आ रहे हों.. प्लीज़ ईमेल करके जरूर बताइएगा। कहानी जारी है। [email protected]

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