मेरा गुप्त जीवन -7

मेरा कम्मो से मिलना जारी रहा। लेकिन अब मैं महसूस कर रहा था कि मेरा लंड भी अब बहुत अकड़ता रहता था, ज़रा सा भी चूत का ख्याल आते ही वह एकदम तन जाता था और तब उसका बैठना बहुत मुश्किल होता था जब तक वो चोद न ले या फिर मुठी न मार ले… कई बार तो कम्मो ने बताया था कि लंड पर ठंडा पानी डाल देने से वो बैठ जाता था। और अब मैं रोज़ उसका नाप फीते से लेता था। अब मेरा लण्ड करीब 6 इंच का हो गया था और मोटा भी हो गया था। कम्मो अब रोज़ लंड की मालिश नहीं कर पाती थी लेकिन मैंने मालिश जारी रखी। कम्मो मेरे लंड से अब बेहद खुश थी और भरी दोपहरी में चुदवाने ज़रूर आती थी। अब उसने मुझ को तरह तरह चोदने के तरीके बता दिए थे।

उसको घोड़ी बन कर चुदवाना बहुत अच्छा लगता था और मैं भी उसके बताये हुए चुदाई के तरीकों में माहिर हो रहा था।हर बार चुदाई के दौरान वह 2-3 बार झड़ जाती थी जिसके कारण उसके चेहरे का निखार और भी बढ़ रहा था। मेरी मम्मी ने 1-2 बार उसको जताया भी कि वह अब बहुत सुन्दर लग रही है और उसको दोबारा शादी कर लेनी चाहये लेकिन कम्मो को मेरे लंड की आदत पड़ गई थी, उसने मम्मी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। दोपहर को जब कम्मो आई तो मैं उस पर रोज़ की तरह चढ़ गया लेकिन 10-12 धक्के के बाद ही मेरे लंड से जैसे एक बहुत ही तेज़ फव्वारा छूटा और कम्मो की चूत को एकदम पानी से भर दिया। लेकिन मेरे लंड की सख्ती में कोई कमी नहीं आई और मैं उसी जोश के साथ धक्के मारता रहा और रोज़ाना की तरह जब कम्मो 3-4 बार छूट गई तो मुझको उतरने के लिए कहने लगी और जब मैं उतरा तो चूत में ऊँगली डाल कर कुछ देखने की कोशिश करने लगी तब मैंने देखा कि उसके हाथ में कुछ सफ़ेद चिपचिपा पानी लगा हुआ है। वह एकदम चौंक कर बोली- छोटे मालिक, आज आपके लंड से कुछ पानी छूटा था? और मैं बोला- हाँ, मुझको ऐसा लगा कि मेरे लंड से कोई गरम लावा सा पदार्थ निकला था और मुझ को बहुत आनन्द आया था।

कम्मो बोली- बधाई हो छोटे मालिक… आप तो पूरे जवान बन गए हो। और यह कह कर जल्दी से गुसलखाने की तरफ भागी। मैं भी उसके पीछे गया तो वह बैठ कर चूत को पानी से धो रही थी और मुझ को इशारे से बहार जाने के लिए कहने लगी। थोड़ी देर के बाद वो निकली तो बोली- अब मैं आपसे चुदाई नहीं करवाऊँगी। अब आप पूरे मर्द हो गए हैं इसी लिए अब चोदना नहीं होगा।

मैं हैरान था कि ऐसा क्या हुआ है आज चुदाई के दौरान कि कम्मो चुदाई से भाग रही है। तब मैंने उसको ज़ोर देकर पूछा कि चुदाई न करवाने की क्या वजह है? पहले तो वह चुप रही और फिर बोली- छोटे मालिक, आपके अंदर से छूटने वाले पानी से मैं गर्भवती हो जाऊँगी। मैं एकदम हैरान हो गया और बोला- क्या यह सच कह रही हो या फिर तुम्हारा मुझ से दिल भर गया है?

वो उदास हो कर बोली- नहीं छोटे मालिक, अब चुदाई रोकनी होगी, नहीं तो किसी दिन भी मैं फंस जाऊँगी। मैंने पूछा कि कुछ उपाय तो होगा जिससे तुम ठीक रहो? कम्मो बोली एक ही तरीका है और वो है कि तुम जब छूटने लगो तो तुम अपना लंड बाहर निकाल लिया करो और चूत के बाहर ही अपना पानी छूटा दिया करो? ऐसा कर सकोगे क्या?

मैंने कहा- कोशिश करने दो अगर अभ्यास करूंगा तो शायद यह कर सकूं। और फिर मैंने लंड कम्मो की चूत में डाल दिया और तेज़ धक्के मारने लगा। कम्मो ने मुझ को रोक दिया और बोली- छोटे मालिक, धक्के धीरे मारो ताकि जब तुम छूटने लगो तो तुमको पता चल जायेगा कि तुम्हारा पानी छूटने वाला है और उसके बाद तुम बाहर छूटा देना।

मैंने ऐसा ही किया लेकिन अबकी बार मैं धक्के काफी देर तक मारता रहा और मैंने महसूस किया कम्मो का पानी 3-4 बार छूट गया और वह थक कर अपनी टांगें सीधी करने लगी और बोली- छोटे मालिक, अब बस करो, मैं थक चुकी हूँ।

यह कह कर उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई और जब मैंने देखा तो वह चूत को पानी से धो रही थी। उस दिन के बाद वो दोपहर को आती तो थी लेकिन उसकी गरम जोशी अब कम हो रही थी, मेरे से चुदवाती तो थी लेकिन अब उसमें वो जोश नहीं था। क्यूंकि वो रात अपने घर चली जाती थी तो मैं नहीं जानता वो वहाँ क्या करती थी।

फिर एक दिन मैंने उससे पूछा कि उसके घर में कौन कौन लोग हैं? तो बोली- बूढ़ी माँ है और छोटी बहन है। उसने बताया कि उसकी झोंपड़ी में दो कमरे हैं, एक में उसकी माँ और बहन सोती हैं और दूसरे में वो सोती है।

मैं बोला- अगर मैं रात में तुम्हारी झोंपड़ी में आऊं तो तुमको कोई मुश्किल तो नहीं होगी? वो एकदम चौंक कर बोली- कभी ऐसा मत करना, सारा गाँव जान जायेगा हमारी कहानी। तुम वहाँ क्यों आना चाहते हो? मैंने कहा- तुम आजकल मुझसे पहले की तरह गर्मागर्म चुदवा नहीं रहो हो, कहीं कोई और आदमी तो नहीं आ गया तुम्हारे जीवन में?

वो हंस दी और बोली- छोटे मालिक, तुम मुझको बुरी तरह से थका देते हो और घर जाकर मैं बस सो जाती हूँ। यही कारण है कि तुम को लगता है कि मेरे जीवन में कोई और आ गया है। अच्छा तुम कहो तो मैं बड़ी मालकिन से कह कर तुम्हारी दूसरी नौकरानी रखवा देती हूँ। मैं बोला- कभी नहीं। वो बोली- मालकिन कह रही थी कि कोई और कामवाली लड़की चाहये उनको, और मैं सोचती हूँ कि क्यों न चम्पा को रखवा दें तुम्हारे साथ? मैं भी रहूंगी और वो भी। बोलो मंज़ूर है? मैं बोला- कभी नहीं, जब तक तुम हो, और कोई नहीं आएगी।

कम्मो बोली- अरे चम्पा भी रहेगी और मैं भी… दोनों ही तुम्हारा काम करेंगी। मान जाओ छोटे मालिक? मैंने कहा- ठीक है लेकिन दोपहर में सिर्फ तुम ही आया करोगी… ठीक है? वो बोली- मंज़ूर है।

कुछ दिन वैसे ही चलता रहा जैसा पहले था, अब कम्मो की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। चुदाई के समय मैं अब पूरा ध्यान रखता था कि किसी तरह भी मेरा वीर्य समय से पहले न छूटे और अगर छूटे भी तो वह चूत के बाहर छूटे।

धीरे धीरे कम्मो को मुझ पर विश्वास बढ़ता गया और हमारा चुदाई जीवन फिर पहले की तरह हो गया, दोपहर में चुदाई जारी रहने लगी। उस दिन के बाद कम्मो ने चम्पा की कोई बात की, न वो हमारी हवेली में आई। कम्मो और मेरी कहानी तकरीबन एक साल चली जिस के दौरान मैं पूरा जवान हो गया, मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी।

मैं शारीरिक तौर भी अब बहुत बड़ा बड़ा लगने लगा था और तब एक दिन मम्मी और पापा बोले कि सोमू तो जल्दी से बड़ा हो रहा है, यह बहुत ही अच्छी बात है।

लेकिन वो दोनों अपनी जमींदारी के काम में इतने उलझे और व्यस्त रहते थे कि उनके पास मेरे लिए समय निकालना मुश्किल था। एक तरह से यह मेरे लिए अच्छा था क्यूंकि मेरी कामातुर वासना को कम्मो रोज़ बढ़ा देती और फिर शांत भी कर देती थी। उन्ही दिनों मैं रोज़ शाम को नदी किनारे भी जाता था लेकिन नहाती हुई औरतों को देखने की कोशिश नहीं करता था। कहानी जारी रहेगी। [email protected]