मेरा गुप्त जीवन -4

मैंने मोटी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों। मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था। फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक? मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है। और उसने धोती ऊपर उठाने दी।

पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है। मोटी की चूत बड़ी उभरी हुई थी और काफी बड़ी लग रही थी जबकि सुन्दरी की चूत काफ़ी डेलिकेट लगती थी। मैंने मोटी की चूत में ऊँगली डाली तो बहुत तंग थी जबकि सुन्दरी की थोड़ी खुली थी।

मैंने मोटी से पूछा कि उसने कितने आदमियों से करवाया है, तो पहले तो वह बहुत शरमाई लेकिन फिर जब मैंने पैसे का लालच दिया तो बोल पड़ी, उसने बताया कि हवेली में काम करने वाला एक माली उसका दोस्त है और वह अक्सर दिन में उसके पास जाती है और वह उसको चोदता है लेकिन बड़ी जल्दी झड़ जाता है, तसल्ली नहीं होती उससे तो आकर कुछ करना पड़ता है।

मैंने पूछा- क्या करती हो वहाँ से आकर? तो उसने मुंह फेर लिया।

मैं बोला- मैं जानता हूँ, क्या करती हो तुम! वह बोली- छोटे मालिक आप कैसे जानते हो?

तब मैंने उसको बताया कि जब उसने ऊँगली डाली थी चूत में तो मैं जाग रहा था और उसकी ऊँगली का कमाल देखा था। मोटी उदास होकर बोली- क्या करूँ छोटे मालिक… और कोई मिलता ही नहीं? मैंने कहा- एक रूपया दूंगा अगर तू मेरे सामने ऊँगली डाल कर अपना छुटायेगी।

और वह तैयार हो गई। उस दिन उसकी ऊँगली का कमाल छुप कर देखा था लेकिन आज तो सब सामने होने वाला था, मैं बड़ा प्रसन्न हुआ और ध्यान से देखने लगा कि मोटी क्या करती है और उसने सब वही किया जो उसने उस रात में किया। लेकिन आज उसका जब छूटा तो वह काफी ज़ोर से चूतड़ हिलाने लगी, जब उसका छूट गया तो मैंने उसकी चूत से में ऊँगली डाल कर उसके छूटते पानी को सूंघा तो वह काफी महक भरा था।

दोस्तो, यह सब जो मैं आज लिख रहा हूँ वह मेरे साथ वाकिया हुआ और मैंने भी जम कर उन औरतों का मज़ा लूटा। यह सब मेरे परिवार से छुपा रहा क्यूंकि मैं सब औरतों या लड़कियों को काफी धन से मदद करता था और मैं समझता हूँ यही कारण रहा होगा कि किसी ने मेरी शिकायत मेरे परिवार वालों से नहीं की। मैं स्कूल में भी लड़कों को काफी कुछ सेक्स के बारे में बताया करता था लेकिन मेरा ज्ञान यौन के विषय में अभी काफी अधूरा था जैसे जैसे मैं यौन में आगे बढ़ता गया, मेरा ज्ञान और गहरा होता गया। मैं धीरे धीरे यह महसूस करने लगा कि मेरा सारा जीवन शायद यौन ज्ञान हासिल करने में लग जायेगा। यही कारण था कि मेरा सारा वक्त औरतों के बारे में सोचने में ही गुज़र जाता।

थोड़ा समय बीतने के बाद मेरे यौन जीवन में फिर बदलाव आया जिसका मुख्य कारण था सुन्दरी का विवाह और मोटी का माली के बेटे के साथ भाग जाना। दोनों ने मेरे यौन जीवन में काफी बड़ा रोल अदा किया था, उन दोनों के कारण ही मैं औरतों के बारे में काफी कुछ जान सका।

उनके जाने के बाद मम्मी को लगा कि मेरे कमरे में किसी और को सोने की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि मेरी लम्बाई अब बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगी और साथ ही मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी अब तेज़ी से बड़ा होने लगा। क्यूंकि मैंने किसी पुरुष का लंड नहीं देखा था लेकिन लड़के अक्सर बताते कि पुरुष का लंड 4-5 इंच का होता है लेकिन मेरा लंड खड़ा होता तो मैं उसको नापता था और वह भी 4-5 इंच का होता था। मुझ को विश्वास नहीं होता था कि मेरा लंड भी पुरुष की तरह बड़ा हो गया है।

खैर यह दुविधा तो चलती रही लेकिन तभी मेरा सम्पर्क एक लम्बी औरत से हो गया। वह हमारी नई नौकरानी बन कर आई थी और मेरा भी सारा काम देखना उसकी ड्यूटी थी।

उसका नाम कम्मो था और वह 5 फ़ीट 6 इंच लम्बी थी, उसका रंग सांवला था लेकिन स्तन काफी बड़े थे और उसके चूतड़ भी काफी मोटे थे, वह कोई 22-23 की थी लेकिन विधवा थी इसीलिए शायद वह बहुत सादे कपड़े पहनती थी लेकिन जब वह काम करते हुए झुकती तो मोटे स्तन एकदम सामने आ जाते थे जैसे उसके तंग ब्लाउज से अभी उछलने वाले हों।

मैं ने भी आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया। जब वह मेरे कमरे में आती थी न तो मैं उसको छूने की पूरी कोशिश करता, कभी जान बूझ कर जाते हुए उसके चूतड़ पर हाथ फेर देता। वह भी बुरा मनाने की बजाये हल्के से मुस्कुरा देती और धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती गई और उसके आने के ठीक तीन दिन बाद मैंने उसको चूम लिया। और वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले। मैंने भी उसके हाथ में दो रूपए रख दिए और वह खुश हो गई। मैंने उसको दोपहर में मेरे कमरे में आने के लिया राज़ी कर लिया। और इस तरह से मेरा खेल कम्मो के साथ शुरू हो गया। वह सांवली ज़रूर थी पर उसके नयन नक्श काफी तीखे थे।

सबसे पहले मैंने अपना लंड खड़ा करके उससे पूछा- यह कैसा है? वह बोली- अभी थोड़ा छोटा है और पतला भी है। तब मैंने पूछा कि उसके पति का लंड कैसा था? तो उसका सर शर्म से झुक गया। मैंने जोर देकर कहा- बता ना कैसा था? तो वह रोते हुए बोली- उसका काफी बड़ा और मोटा था और काफी देर तक चोदता था। वह 2-3 बार छूट जाती थी।

जब वह यह बता रही तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूचियों के साथ खेल रही थीं जो मेरा हाथ लगते ही एकदम सख्त हो गई थी। मैं उनको मुंह में लेकर चूसने लगा और कम्मो के मुंह से अपने आप ही ‘आह आह ओह्ह हो…’ निकलने लगा। यह सुन कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया और मैंने अपना हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया।

सबसे पहले मेरा हाथ उसकी बालों से भरी हुईं चूत पर जा लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बेहद गीली हो गई थी। मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और अपना पायजामा उतार कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा। मेरा 5 इंच का लंड शायद उसकी चूत पर उगे घने बालों के जंगल में खो जाता लेकिन उसने अपने हाथ से उसको चूत के अंदर डाल दिया और मैंने गरम और गीली चूत को पूरी तरह से महसूस किया। इससे पहले सुन्दरी की चूत ज्यादा गीली नहीं होती थी।

कम्मो इतनी गरम हो चुकी थी कि मुश्किल से 7-8 धक्के लगने पर ही उसने अपनी टांगों से मुझको ज़ोर से दबा दिया और उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा लेकिन मेरा लंड अभी भी धक्के मार रहा था। यह देख कर कम्मो भी नीचे से थाप देने लगी और फिर 5 मिनट में उसकी चूत फिर से पानी पानी हो गई लेकिन मैं अभी काफी तेज़ धक्के मार रहा था क्यूंकि कम्मो की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी इस कारण उसमें से फिच फिच की आवाज़ आ रही थी।

कम्मो 5-6 बार छूट चुकी थी और उसका जिस्म भी ढीला पढ़ गया था और वह कहने लगी- बस करो छोटे मालिक, अब मैं थक गई हूँ। मैं उसके ऊपर से हट कर नीचे बिस्तर पर लेट गया। लेकिन मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उसमें से अभी तक कुछ भी नहीं निकला था। यह देख कर कम्मो हैरान थी। फिर वह मेरे लंड के साथ खेलने लगी। दस मिन्ट ऐसे लेट रहने के बाद भी मेरा लंड वैसा ही सख्त खड़ा था। अब कम्मो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत में मेरा लंड डाल लिया और ऊपर से धक्के मारने लगी। चूत की गर्मी और उस में भरे रस से मेरा लंड खूब मस्ती में आया हुआ था और मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और करीब दस मिनट बाद कम्मो फिर झड़ गई और अपना लम्बा शरीर मेरे ऊपर डाल कर थक कर लेट गई।

फिर वह उठी और बड़ी हैरानी से मेरे लंड को देखने लगी जो अभी भी वैसे ही खड़ा था और हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आपका लंड तो कमाल का है, अभी भी नहीं थका और क्या मस्त खड़ा है। जिससे आप की शादी होगी वह लड़की तो खूब ऐश करेगी। यह कह कर कम्मो बाहर जाने लगी तो मैंने उसको कहा- रात को फिर आ जाना। तो वह बोली- मालकिन को पता चल गया न, तो मुझ को नौकरी से निकाल देगी। और यह कह कर वह चली गई और फिर मैं भी सो गया। शाम को घूमने के लिए निकला तो गाँव की तरफ चला गया और वहाँ तालाब के किनारे बैठ गया। मैंने देखा कि गाँव की औरतें जिनमें जवान और अधेड़ शामिल थी, तालाब से पानी भरने के लिए आई और पानी भरने के बाद वह अपनी धोती ऊंची करके टांगों और पैरों को धोने लगी। यह देख कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था… कुछ जवान औरतों के स्तन ब्लाउज में से झाँक रहे थे जब वे पानी भरती थी। तभी मैंने फैसला किया कि तालाब सुबह या शाम को आया करूंगा और ये गरम नज़ारे देखा करूंगा। कहानी जारी रहेगी। [email protected]