मौसी की मस्त फ़ुद्दी की चुदास

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मेरा नाम किशोर है.. मैंने अभी-अभी बी. ए. की परीक्षा पास की है। मैं अपने बारे में बता दूँ या यूं कहा जाए कि लोग कहते हैं कि मेरा रंग गोरा है और मैं दिखने में काफी स्मार्ट हूँ।

मैं आप लोगों को एक सत्य घटना सुनाने जा रहा हूँ जो बहुत दिनों से मेरे मन में चल रही थी। मैं स्नातक के पहले साल में था, दीपावली के दिनों में मैं मौसी के घर गया था.. उस दिन मौसी अपने घर का सारा सामान बाहर निकाल कर साफ कर रही थीं.. तो मैंने उनकी सहायता के लिए कुछ सामान साफ किया और फिर धूप में सूखने के लिए रख दिया। मौसी का एक लड़का दो साल का था और मौसा जी बाहर जॉब करते थे। मौसा जी साल भर में ही घर आ पाते थे। इस तरह सारा दिन साफ सफाई में ही निकल गया। फिर मौसी ने शाम को खाना बनाया और खाना खाकर हम लोग टीवी देखने लगे। कुछ देर के बाद मौसी बोलीं- मैं सोने जा रही हूँ.. मुझे बहुत नींद आ रही है। तुम भी सो जाओ.. थक गए होगे।

मैंने भी ‘हाँ’ में सर हिलाया और हम लोग सोने चले गए। एक कमरे में एक ही पलंग था.. जिस पर हम लोग सोने वाले थे। एक किनारे पर मैं सोने के लेट गया और बीच में मौसी का बेटा.. जो दो साल का था.. मौसी ने उसे बीच में सुलाया और वो खुद एक किनारे पर सोने के लिए लेट गईं।

वे अपने साथ एक तेल की मलिया (मिट्टी की कटोरी) भी साथ लाई थीं। वे अपने बेटे को तेल लगाने लगीं.. बच्चा सोया हुआ था और उसे लगाने के बाद मुझसे तेल लगाने के लिए बोलीं- तुझे भी लगा देती हूँ.. कितने सालों के बाद आए हो..

मेरे बहुत मना करने के बाद भी वे नहीं मानी और तेल लगाने लगीं। मैंने लोवर पहन रखा था और उनके अन्दर जांघिया पहन रखा था। मेरे लोवर को मौसी ने ऊपर तक चढ़ाया और तेल लगाने लगीं।

उन्हें तेल लगाने में कुछ दिक्क्त हो रही थी.. तो वो बोलीं- इसे उतार दे न.. इतना कह कर वे खुद ही मेरा लोअर उतारने लगीं।

कमरे में लाइट जल रही थी.. उन्होंने मेरी कमर में हाथ लगाया और मेरे लोअर की इलास्टिक को खींचा.. तो लोअर के साथ जांघिया भी घुटने तक आ गया। इससे मेरा लौड़ा खुल कर सामने आ गया। उन्होंने मेरे झाँटों से भरे लंड देख लिया और वो मुस्करा दीं। मुझे शर्म सी आने लगी.. तो मैंने अपना लंड हाथों से ढक लिया।

वो हँसने लगीं.. फिर मैंने अपने हाथ से अपने जांघिए को ऊपर खींच लिया। अब उन्होंने मेरे लोअर को उतार दिया और तेल लगाने लगीं।

अब उन्हें कोई दिक्क्त नहीं हो रही थी। फिर वे मुझसे बनियान भी उतारने को बोलने लगीं.. तो मैंने उसे भी उतार दिया। अब वो अच्छे से मेरे शरीर को मालिश कर रही थीं.. वो भी थकी हुई थीं.. ऐसा मुझे लग रहा था।

जब वो मुझे तेल लगा चुकीं.. फिर वो अपने हाथ में लगे तेल को अपनी साड़ी घुटने तक उठा कर अपने पैरों में तेल लगाने लगीं.. तो अचानक मेरी नजर उनके दोनों पैरो के बीच में गई।

मैंने देखा तो मैं सन्न रह गया.. मुझे एक नजर भर के लिए काले-काले घुंघराले बाल दिखे.. शायद वो नीचे पैन्टी नहीं पहने हुई थीं। मेरा लंड खडा होने लगा था.. मौसी उठकर बाथरूम गईं और आकर लाइट बुझाने लगीं.. तो मैंने उन्हें मना किया- अभी मत करो.. मुझे बाथरूम जाना है..

वो पलंग पर आ गईं.. मैं बाथरूम गया और अपने लंड को हिलाने लगा।

मेरा लंड पनियाया हुआ था और ‘पच-पच’ की आवाज आ रही थीं। फिर मैं झड़ गया और अपने वीर्य को अपने जाँघिए से पोंछ कर हाथ धोकर.. वापस पलंग पर आ गया। मैंने देखा कि मौसी लेटी हुई हैं, मैं लाइट बुझाने जा ही रहा था कि मौसी बोलीं- मेरा शरीर दु:ख रहा है.. तू जरा दबा दे.. तो मैंने बोला- ठीक है.. और वो पेट के बल लेट गईं और मैं उनके शरीर को दबाने लगा।

जब मैं उनकी कमर को दबा रहा था तो उन्हें अच्छा लग रहा था.. मैं मालिश करता हुआ धीरे-धीरे उनकी कमर के नीचे आया.. तो बहुत ही मुलायम लगा। अब तो बार-बार मैं वहीं पर दबा रहा था।

मेरे मन में आया कि क्यों ना मैं भी मौसी को तेल लगा दूँ.. तो मैंने बोला- मौसी तुम्हें तेल लगा दूँ? मौसी बोलीं- नहीं रहने दे.. मैंने कहा- क्यों.. शरमा रही हो? बोलीं- अच्छा ठीक है.. तू ऐसा बोल रहा है.. तो लगा दे।

फिर मैंने उसे तेल लगाना शुरू किया उनकी साड़ी को घुटने तक किया और लगाने लगा। तेल लगते वक्त मैंने उससे पूछा- आज बहुत थक गई हो मौसी? तो बोलीं- हाँ आज कुछ काम ज्यादा था न.. इसीलिए.. मैं बोला- हाँ इतना काम अकेले करना हो तो थकान हो ही जाती है…

इस तरह बात करते-करते मैं तेल लगाए जा रहा था। अब मैं दोनों घुटनों तक तेल लगा चुका था। इसलिए साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठा दिया और तेल लगा रहा था। अब मेरा हाथ उनकी जांघों तक जा रहे थे और मुझे कुछ अलग सी फीलिंग आ रही थी, मेरे हाथ उनकी बुर के बाल को छू रहे थे, मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने कहा- साड़ी और ऊपर उठा दूँ मौसी? तो वो कुछ नहीं बोली.. शायद उन्हें नींद आ गई थी। तो मैंने उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया। अब उनकी बुर अच्छे से दिखने लगी थी। उस पर बड़े-बड़े बाल थे.. जो मुझे मदहोश कर रहे थे।

मैंने उनके बालों को अपने हाथों से छुआ तो मुझे ऐसा लगा कि मानो कोई रेशम का गुच्छा रखा हो। मैं मौसी की झाँटों में अपने हाथ फिराने लगा.. मुझे बड़ा मजा आ रहा था। तभी मौसी थोड़ी से सिहरीं.. मुझे लगा वे जाग रही हैं मैंने फिर से आवाज दी- मौसी क्या सो गई हो? उधर से कोई जवाब नहीं मिला तो मैं समझ गया कि या तो मौसी नाटक कर रही हैं या वास्तव में सो गई हैं। अब कैसे मालूम किया जाए कि ये सो रही हैं या जाग रही हैं..

मैंने एक तरकीब सोची और हाथों में तेल लेकर उनकी बुर के आजू-बाजू में तेल लगाने के लिए अपनी ऊँगलियां चलाने लगा.. मौसी की तरफ से कोई प्रतिरोध नहीं आया.. उलटे मौसी ने अपनी टांगें और खोल दीं।

अब मैंने तेल से सनी ऊँगली को उनकी बुर के ऊपर फेरी और बुर की फांक में अपनी ऊँगली चला दी। मेरी ऊँगली उनके दाने से लड़ गई.. और मौसी एकदम से चिहुंक उठीं। मैं जरा रुका.. पर अब भी उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया। मैंने अपनी ऊँगली को उनकी चूत में घुसेड़ना-निकालना चालू कर दिया तो उनकी टांगें और फ़ैल गईं.. और कुछ ही पलों में मेरी ऊँगली उनके रस से सराबोर हो गई।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! अब मैंने आव देखा न ताव और उनकी साड़ी को खींच कर उतार दिया और पेटीकोट के नाड़े को ढीला करके नीचे खींच दिया।

अब सब कुछ साफ़ था.. मौसी भी मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगीं। उनका एक हाथ उनकी बुर को सहला रहा था और चुदास उनकी आँखों में झलक रही थी। मुझे अपना लवड़ा निकालने में एक पल भी न लगा। मेरा तना हुआ लण्ड देख कर मौसी उठ कर बैठ गईं और मेरा लौड़ा अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं।

मैंने कहा- मौसी मुझे दूध पीना है.. उन्होंने अपना ब्लाउज खोल दिया और अपने दूध से भरे कलश मेरे सामने कर दिए- लो पी लो..

मैंने उनके दूध चूसना शुरू कर दिए.. उनमें अभी भी दूध निकलता था.. मैंने छक कर दूध पिया और फिर उनको अपना लौड़ा चुसवाया। वो बहुत अधिक चुदासी हो गई थीं, मैंने उनकी टांगें अपने कंधे पर रखीं और निशाने पर बुर का छेद लिया।

दोनों लिसलिसे हो चुके थे.. एक झटके में ही लौड़ा बुर में पेवस्त हो गया। एक ‘आह्ह..’ निकली और धकापेल चुदाई शुरू हो गई।

कुछ दस मिनट तक चुदाई का खेल चला और मौसी अकड़ गईं और झड़ गईं.. उनकी गर्मी से मैं भी पिघल गया। इस तरह मेरे मौसी से जिस्मानी रिश्ते बन गए। आज भी मौसी मेरे लौड़े की कायल हैं। [email protected]

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