किस-किस की चुदाई करूँ -1

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मेरा नाम ए पी है, मैं उत्तर प्रदेश से हूँ, मैं अन्तर्वासना पिछले कई साल से रोज़ाना पढ़ता आया हूँ। मुझे कई कहानी झूठी और कई असली लगीं.. पर तब भी इस साईट पर सभी कहानियाँ मुझे बहुत ही रोचक और सनसनाहट देने वाली लगती हैं। और अब मैं अपनी पहली सच्ची कहानी लिख रहा हूँ। मेरा कद 5 फीट 11 इंच है और मैं एक अच्छे कसरती जिस्म का मालिक हूँ। जिस फर्म में मैं काम करता हूँ.. उसकी मालकिन मिसेज कुकरेजा, 40 साल की महिला हैं.. जिनका पति मर चुका है और उसका एक बेटा और एक बेटी है।

उसका बेटा अनिल, मेरा दोस्त है और वो बिल्कुल लड़कियों जैसा दिखता है। अनिल की उम्र यही कोई 23 साल की है और उसकी बहन अनीला 20 साल की है। दोनों भाई-बहन बहुत शानदार दिखते हैं। मिसेज कुकरेजा भी काफ़ी प्रभावशाली औरत हैं।

बेशक अनिल की उम्र 23 साल की हो चुकी है.. पर उसकी शादी अभी तक नहीं हुई। क्योंकि मैं कुकरेजा फैमिली का शुभचिंतक हूँ इसलिए मिसेज कुकरेजा मुझे अपना बेटा ही मानती हैं।

अनिल एक दुबला-पतला सा लड़का है.. बहुत गोरा.. गुलाबी होंठ.. कद कोई 5 फीट 7 इंच.. कोमल सा लड़का है। उसके भूरे बाल और सबसे आकर्षित करने वाली चीज़ उसकी गाण्ड है.. जो काफ़ी उभरी हुई है।

मेरे दोस्त लोग आम तौर पर बातें करते हैं कि अनिल को लड़की होना चाहिए था.. क्योंकि उसकी गाण्ड मारने लायक है। क्योंकि मैं और अनिल एक साथ पढ़ते थे.. और पढ़ाई के बाद मुझे उसकी माँ ने नौकरी पर रख लिया था.. इसलिए मैं कुकरेजा परिवार का बहुत एहसानमंद हूँ।

मेरी माँ यशोदा एक स्कूल में टीचर है और पिता जी का देहांत हो चुका है। मेरी सौतेली दीदी पद्मा कॉलेज में पढ़ती है और वो बहुत सेक्सी है। हम दोनों के पिता अलग-अलग हैं तब भी हम दोनों में सगे भाई-बहन जैसा ही प्यार है।

मेरी सौतेली बहन पद्मा जब 22 साल की हुई तो उस वक्त मैं 20 साल का था। जैसा कि मैंने बताया है कि मेरा नाम आशु है और मैं एक प्राइवेट फर्म में काम करता हूँ। पद्मा 5 फीट 5 इंच की एक बहुत ही सेक्सी लड़की है और मिस कॉलेज का खिताब जीत चुकी है। कई बार लड़के मेरी बहन के कारण एक-दूसरे से लड़ाई कर चुके हैं.. लेकिन मेरी बहन किसी को घास नहीं डालती। पद्मा का जिस्म 36-24-36 है.. गेहुआँ रंग.. कटीले नैन-नक्श.. वो अधिकतर टाइट जीन्स और टॉप पहनती है जिसमें से उसकी सेक्सी गाण्ड और चूचियों का उभार देखते ही बनता है।

बेशक पद्मा मेरी बहन है.. फिर भी मेरा ध्यान उसके मादक हुस्न की तरफ चला ही जाता है। एक बार वो अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी.. वो डोर लॉक करना भूल गई थी और मैं ग़लती से कमरे में घुस गया।

पद्मा बिल्कुल नंगी थी। सच कहूँ यारो, उसका साँचे में ढला हुआ नंगा जिस्म देख कर मेरी साँस रुक गईं। मेरी बहन की लंबी टाँगें.. कसरती जाँघें और सपाट पेट देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने झट से अपने हाथों से अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को ढक लिया.. लेकिन मैं उससे पहले पद्मा दीदी के जिस्म को देख चुका था। मैं माफी मांगता हुआ वापिस लौट गया.. लेकिन दीदी के नंगे जिस्म की तस्वीर ना भुला सका।

पच्चीस जून को मेरी बहन का जन्मदिन है और मैं कुकरेजा फैमिली को इन्वाइट करने चला गया।

सबसे पहले मुझे अनीला मिली.. अनीला एक स्लिम सी सेक्सी लड़की है.. जिसकी चूचियां कोई 34 सी नाप की होगीं और उसकी गाण्ड भी बिल्कुल कसी हुई है.. उसके जिस्म पर चर्बी नाम की कोई भी चीज नहीं दिखती। भूरी आँखें और भूरे बालों वाली अनीला किसी का भी दिल जीत सकती है और मैं भी उसके हुस्न का आशिक था।

वो मुझे प्यार की नज़र से कभी-कभी देख लेती थी.. लेकिन मैं उन लोगों के बराबर नहीं था.. इसलिए मैंने कभी अनीला को उस तरह से नही देखा था.. बस इज़्ज़त की नज़र से देखता था।

मिसेज कुकरेजा ने मेरे निमंत्रण के बारे कहा- बेटा मैं तो ना आ सकूँगी.. पर पद्मा के बर्थडे पर अनिल और अनीला ज़रूर आएँगे।

मेरी बहन के जन्मदिन पर अनिल पद्मा पर फिदा हो गया और या यूँ कहो कि अनीला मेरी बहन को अपनी भाभी बनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गई।

उसने अपने भाई से ना जाने क्या कहा कि अनिल बोला- आशु.. मुझे तेरी बहन बहुत पसंद है और मैं तुझे साला बनाना चाहता हूँ। क्या हुस्न है तेरी पद्मा दीदी का.. सच यार मुझे अपना जीजा बना ले.. मैं सारी उम्र उसको हर खुशी दूँगा.. अपनी रानी बना कर रखूँगा..

चूंकि मुझे भी यह रिश्ता पसंद था.. अनिल एक ईमानदार लड़का था.. शानदार था.. अमीर था.. सो मैंने माँ से बात की तो वो भी फ़ौरन मान गईं। बात अब मिसेज कुकरेजा पर निर्भर करती थी कि ये रिश्ता होगा या नहीं.. अनिल और अनीला ने अपनी माँ से बात चलाई तो मिसेज कुकरेजा ने मुझे ऑफिस में बुलाया। मिसेज कुकरेजा उस वक्त सफेद साड़ी में अपनी कुर्सी पर बैठी हुई थीं।

‘आशु बेटा.. मुझे इस रिश्ते से कोई एतराज़ नहीं है.. अगर तुम अनिल को अच्छी तरह जानते हो.. समझते हो और उसको अपनी बहन का सुहाग बनाना चाहते हो.. तो मुझे ये शादी मंज़ूर है.. लेकिन मुझे किसी बात पर दोषी मत ठहराना..’ मैं बोल उठा- आपको दोषी.. नहीं आंटी.. कभी नहीं.. आप तो हम लोगों को इतना प्यार करती हैं.. तो ठीक है हम शादी की तैयारी शुरू करते हैं।

पद्मा भी बहुत खुश थी.. होती भी क्यूँ ना.. उसको इतना पैसे वाला पति मिल रहा था।

शादी की शॉपिंग में मैं और अनीला भी बहुत काम कर रहे थे और अनीला भी मेरे नज़दीक आ रही थी। वो मेरी बात-बात पर हंस देती.. मुझे पीठ पर हाथ मारती और कई बारी तो मेरे गले से लिपट जाती। मुझे लगा कि वो मेरे साथ अपना चक्कर चलाने के मूड में है। ऐसी सेक्सी लड़की के साथ संबंध बनाने में मुझे क्या एतराज़ हो सकता था।

अनिल और पद्मा की शादी हो गई और कुछ दिन के बाद पद्मा हमारे घर वापिस आई। लेकिन उसके चेहरे पर कोई खास खुशी नहीं झलक रही थी। मेरा एक दोस्त पद्मा की शकल देख कर मुझसे अकेले में बोला- आशु.. क्या बात है.. पद्मा दीदी कोई खुश नज़र नहीं आ रही हैं? मैं तो सोचता था कि शादी के बाद पद्मा दीदी खिल उठेगी.. लेकिन यह तो मामला ही कुछ और लग रहा है।

सच कहूँ.. शादी के बाद जब औरत को खूब अच्छा लंड मिले और खूब ज़ोर से चुदाई हो तो लड़की का पूरा इमामबाड़ा खिल उठता है। लंड एक ऐसा कैप्सूल होता है.. जो औरत की चूचियों और गाण्ड दोनों को भर देता है।

मैं अभी सोच ही रहा था कि मेरे दोस्त ने आगे फिर कहा- आशु.. कहीं अनिल जीजा जी के लंड में तो कोई कमी नहीं है.. साले अगर मुझे मौका मिलता तो चाहे मैं पद्मा को दीदी पुकारता हूँ.. उसको चोद-चोद कर कली से फूल बना देता..

मुझे मेरे दोस्त की बात पर बहुत गुस्सा आया और मैंने उसको बाहर जाने को कह दिया। लेकिन मेरे दोस्त के शब्द मेरे ज़हन में टिक गए..

अगले दिन दोपहर को मैं अनिल से बात करने को गया.. तो पता चला कि वो गोदाम में गया हुआ है। गोदाम के बाहर चौकीदार ने मुझे देखा तो बोला- साहिब.. अन्दर जाने की किसी को परमीशन नहीं है.. लेकिन आप तो साहिब के साले हो.. सो आप चले जाओ।

मैं अन्दर गया तो सारा गोदाम खाली पड़ा था। मैं मुड़ने ही वाला था कि एक कमरे से आवाज़ें आ रही थीं- आह..ज़ोर से.. अरविन्द भाई ज़ोर से चोदो.. अपनी रानी को… बहुत दिनों के बाद मौका मिला है.. आअहह चोद मुझे.. अरविन्द.. क्या मस्त लंड पाया है आपने.. वा अरविन्द भाई.. आवाज़ तो अनिल की थी और अरविन्द हमारी कम्पनी में एक ड्राइवर था। दरवाजा कुछ खुला सा था और मुझे अनिल नग्न रूप में घुटनों और हाथों के बल झुका हुआ नज़र आया।

अनिल की गोरी गाण्ड उठी हुई थी और अरविन्द का कम से कम 7 इंच लंबा और बहुत मोटा लंड अनिल की गाण्ड में घुसा हुआ था। अरविन्द मेरे जीजा को बेरहमी से चोद रहा था और अनिल मज़े से लंड अपनी गाण्ड में ले रहा था। अरविन्द किसी कुत्ते की तरह हाँफ रहा था।

‘वा मालिक वाह.. जब से आप शादी में व्यस्त थे.. मुझे भी ऐसी गाण्ड नहीं मिली.. अब तो मेरी बीवी भी गाण्ड मरवाने से मना करती है और मुझे गाण्ड के बिना कुछ और अच्छा नहीं लगता.. हाँ मलिक.. आप मेरी रानी ही बने रहो.. मुझे कोई बीवी नहीं चाहिए..’

अनिल भी नीचे से बोला- अरविन्द भाई… मैंने भी पद्मा से शादी करके यूँ ही मुसीबत मोल ले ली है.. अगर मेरी बहन मुझे ना कहती तो मैं कभी ये शादी ना करता.. लेकिन बहन को क्या कहता कि मुझ से ठीक तरह से चुदाई नहीं होगी? या ये कहता कि मैं पद्मा को क्या चोदूँगा.. मुझे तो खुद अपनी गाण्ड के लिए अरविन्द भाई का लंड चाहिए होता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं उनकी और बातें सुन ना सका और गुस्से से भरा हुआ मिसेज कुकरेजा के कमरे में गया- आंटी.. मेरी बहन शादी से खुश नहीं है.. अनिल तो खुद ही कहता है कि वो ठीक से.. चोद नहीं सकता.. वो तो खुद गान्डू है.. और इस वक्त गोदाम में अरविन्द से गाण्ड मरवा रहा हैं। आंटी मेरी बहन की तो ज़िंदगी बर्बाद हो गई ना..

मिसेज कुकरेजा अपनी सीट से उठीं और मुझे अपनी बाँहों में भर कर अपने सीने से लगाते हुए बोलीं- आशु बेटा.. मैंने तुझे कहा था ना.. कि कल मुझ दोष मत देना.. असल में अनिल के पिता भी लंड के मामले में कमज़ोर थे.. लेकिन मुझे ये पता ना था कि उसको ये गाण्ड मरवाने की भी बीमारी है.. बेटा निराश मत होना.. जो करना होगा मैं करूँगी.. मैं कभी पद्मा के जज़्बातों का नुकसान ना होने दूँगी। आख़िर पद्मा अब हमारे घर की बहू है.. मैं अनिल से बात करूँगी और समस्या का हल ढूंढ ही लूँगी और फिर अनीला भी तो तुझसे शादी करना चाहती है.. अब मेरी एक नहीं दो बेटियाँ हैं.. अनीला और पद्मा.. जल्द ही अनिल तुझसे बात करेगा..

मुझे आंटी के मुँह से लण्ड और गाण्ड शब्द सुनकर और उनका मुझे अपने मम्मों से चिपटा लेना थोड़ा अजीब सा लगा.. पर मुझे इस उम्र में भी कसे हुए मम्मों की महक से सनसनी सी दौड़ गई।

मैं सोचने लगा कि अनिल साला मुझसे क्या बात करेगा.. जो करना था.. वो तो ठीक से कर नहीं पाया.. मैं यही सोचते हुए कमरे से बाहर निकल आया।

प्रारब्ध हमको किस तरफ ले गया था.. इस कहानी को मैं दूसरे भाग में पूरा बताऊँगा.. अभी मैं आप सभी के ईमेल के इंतजार में हूँ.. अपनी राय ज़रूर दीजिएगा.. [email protected]

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