ज़ारा की मोहब्बत- 5

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

जैसे ही मैंने उसकी चूत से लंड निकाला वो एक झटके से घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड पकड़ कर मुंह में भर लिया! लगी चूसने! इस तरह से चूसा कि जैसे वो लंड चूसने की ट्रेनिंग लेकर आयी हो!

कुछ ही देर में लंड ने पानी छोड़ दिया और वो सारा पी गयी; जीभ से चाट-चाट कर लंड को साफ कर दिया. मेरी जांघों पर लगा अपना रस भी साफ किया और उठ खड़ी हुयी.

उसका ये रूप देखकर मेरा मन दो फाड़ हो गया और पहली बार मैंने ज़ारा पर शक किया!

मैं- ज़ारा! ज़ारा- हूं? मैं- मुझे तुमसे कुछ पूछना है! ज़ारा- पहले नाश्ता कर लें? मैं- हां ये भी सही है! ज़ारा- लेकिन ये तो ठंडा हो गया है!

मैं- अरे ऑमलेट तो ठंडा भी खा लेंगे लेकिन चाय दोबारा बना लो! ज़ारा- ठीक है आप अंदर चलो मैं बनाकर लाती हूं!

मैं- यहीं रुक जाऊं तो? ज़ारा- नहीं जान मेरा मूड हो जायेगा! मैं- ना ना ना ना ना! मूड मत बनाओ! मैं जाता हूं!

मैं अंदर गया और वो कुछ ही देर में नाश्ता लेकर आ गयी! हम नाश्ता करने लगे!

ज़ारा- आप कुछ पूछ रहे थे? मैं- नाश्ते के बाद बात करें? ज़ारा- ठीक है!

उसकी बेपरवाही और मासूमियत देखकर एकबारगी तो मेरा दिल ही इस बेवफाई की बात को मानने से इंकार कर गया! लेकिन आदमी हूं! मन का चोर!

नाश्ता हुआ तो वो बर्तन रखकर आयी! मेरे पास बैठ मेरे कंधे पर सिर रखकर बोली- क्या बात करनी थी? मैं- कब से चल रहा है ये सब? ज़ारा- क्या चल रहा है? मैं- मुझसे बेवफाई!

ज़ारा- आपकी बीवी तो आपसे बेवफाई करेगी नहीं और आपकी गर्लफ्रेंड केवल एक मैं हूं तो कौन कर रहा है आपसे बेवफाई? मैं- तुम! ज़ारा- क्या? मैं? मैं- हां ज़ारा तुम! तुम मेरे साथ बेवफाई कर रही हो!

ज़ारा ने खींच कर दिया मेरे गाल पर और गुस्से में फुनकती हुयी खड़ी हो गयी- आपने सोच भी कैसे लिया ये? अरे मैं! मैं आपकी ज़ारा! सिर्फ आपकी ज़ारा! आपके साथ बेवफाई करूंगी? ऐसा ख्याल भी आपके दिमाग में कैसे आया?

मैं- ज़ारा मेरी बात तो सुनो … ज़ारा- अरे, अब सुनने-सुनाने को रह क्या गया है? आपने मुझ पर शक किया है मेरे प्यार पर शक किया है! एक बात कान खोल कर सुन लीजिये; ज़ारा केवल आपकी थी जब तक आप उसके थे! और कुछ ढूंढने लगी!

मैं- क्या ढूंढ रही हो? ज़ारा- ब्लेड! मैं- क्या करोगी? ज़ारा- अपनी नसें काटकर जान दूंगी! जब आपको मेरे ऊपर यकीन ही नहीं रहा; तो क्या फायदा है जीने का?

मैं- क्यों? अगर मैं गलत हूं तो मुझे सजा नहीं दोगी? ज़ारा- कैसी सजा? सजा तो आपने दी है मुझे मेरे प्यार की! और ज़ारा रोने लगी. बुक्का फाड़ के रोये! मुझे पास ना लगने दे!

बहुत देर रोयी फिर अपने आंसू पौंछे और खड़ी हो गयी.

ज़ारा- सजा तो आपको मिलेगी! और भयंकर मिलेगी! आपको भी तो एहसास हो कि दर्द क्या होता है?

यह कहकर मेरे कमरे से धड़धड़ाती हुयी निकली. मैं किसी अनहोनी के डर से कांप गया!

वो अपने कमरे में घुसी और उसके दरवाजा बंद करने से पहले ही मैं कमरे में घुस गया! ज़ारा- क्यों आये हो मेरे पास? मैं- सोने! ज़ारा- कितने बेशर्म हो? मैं- हां हूं!

ज़ारा- क्या आपको लगता है कि मैं आपको मेरे साथ सोने दूंगी! मैं- मैं तुम्हारे साथ नहीं तुम्हारे पास सोने आया हूं! ज़ारा- मेरे पास सोने नहीं, मेरी जासूसी करने आये हो! जनाब वो रहा सोफा! चाहे सोओ, चाहे बैठो, चाहे मेरी निगरानी करो! और जब मेरे पास फोन आये ना किसी ‘और’ का! तो बेहिचक मेरा गला दबा देना!

मैं- ज़ारा … ज़ारा- आप तो अपनी कह चुके हैं! अब आपको केवल दर्द महसूस कराना है! मैं- कैसे? ज़ारा- जब कोई गैर मर्द मेरे साथ मेरे बिस्तर पर जायेगा ना; तब आपको पता चलेगा कि दर्द क्या होता है!

मैं- और ये तुम करोगी? ज़ारा- हां मैं करूंगी और सौ फीसद करूंगी! मैं- और मैं? ज़ारा- आपने ही तो मजबूर किया है! मैं- ठीक है जो मन में आये वो करो!

ज़ारा उठी, कपड़े पहने और घर से बाहर चली गयी! मैंने भी कपड़े पहने और उसका इन्तजार करने लगा! वो लगभग चार घंटे बाद वापस आयी! मैं- कहां गयी थीं तुम? ज़ारा- आपसे मतलब?

मैं- मैं यहां परेशान रहा और तुम्हें मतलब की पड़ी है? ज़ारा- किसी से मिलने गयी थी! मैं- किससे? ज़ारा- अपने यार से! मैं- ज़ारा … ज़ारा- मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी!

कहकर रसोई में जा घुसी और खाना बनाने लगी. खाना बनाकर अपने लिये डाला और अपने कमरे में चली गयी!

मैं भी पीछे-पीछे गया- मुझे खाना नहीं खिलाओगी? ज़ारा- किचन में रखा है जाकर खा लो! मैं- तुम्हारे हाथ से?

ज़ारा- आपका क्या ख्याल है मैं खिलाऊंगी? मैं- पता नहीं लेकिन मेरा दिल कहता है कि तुम खिलाओगी! ज़ारा- तो आपका ख्याल गलत है!

मैं हैरान रह गया. क्या ये वही ज़ारा है जो मेरे से पहले कभी खाना नहीं खाती थी. और आज इसे मेरी कोई परवाह नहीं है! हो भी क्यों? इस चांद पर दाग लगाने की गुस्ताखी भी तो मैंने ही की है!

मन नहीं हुआ खाने का तो मैं वहीं बैठ गया!

ज़ारा- जाओ! खा लो! मैं- मन नहीं है! ज़ारा- जैसी आपकी मर्जी! वैसे खाना मजेदार बना है! मैं- हां वो तो दिख रहा है!

उसने चुपचाप खाना खाया, बर्तन उठाकर रसोई में रखे, वापस आयी और अपने बिस्तर पर लेटकर अपनी किसी सहेली से फोन पर बातें करने लगी!

आज कुछ ज्यादा ही हंस-हंस कर बात कर रही थी! वो हंसे और मैं अंदर ही अंदर कुढ़ता जाऊं!

काफी देर बात करके उसने फोन रखा और सो गयी मैं भी सोफे पर ही लेट गया. कुछ ही देर में मेरी आंख लग गई.

हुई शाम! उसने खाना बनाया! वही दोपहर वाली बातें हुईं तो मैंने रात को भी खाना नहीं खाया! रात करीब नौ बजे मैं उसके कमरे में ही बैठा था कि दरवाजे की घंटी बजी! इससे पहले कि मैं उठता ज़ारा भागकर गयी और एक लड़के के साथ अंदर आयी!

मैं उठ खड़ा हो गया! मैं- ये कौन है? ज़ारा- आपसे मतलब? मैं- जो पूछ रहा हूं वो बताओ! ज़ारा- ये मेरा यार है!

अब मुझे आया गुस्सा और जैसे ही उसे थप्पड़ मारना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर झटक दिया और मेरी तरफ उंगली उठा कर बोली- ये हक आप खो चुके हैं जनाब! और हां! अब आप अपने कमरे में जाइये! मैं- क्यों? ज़ारा- क्योंकि अभी हम यहां सेक्स करने वाले हैं! और आपके सामने मैं किसी और के साथ हमबिस्तर होऊं ये आपको अच्छा नहीं लगेगा!

मैं- ज़ारा तुम इतनी गिर गयी हो? ज़ारा- क्यों! आप से भी ज्यादा? मैं- मेरी छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा मुकर्रर की है तुमने? ज़ारा- मैं किसी को कोई सजा नहीं दे रही! बस अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की कोशिश कर रही हूं! और ये कोई गुनाह नहीं है!

मैं- ये सरासर पागलपन है! ज़ारा- ऐसा सिर्फ आपको लगता है क्योंकि अब मैं आपकी रखैल जो नहीं रही! मैं- ज़ारा! क्या बक रही हो? ज़ारा- सही तो कह रही हूं! मैं- मैं तुम्हारी जबान खींच लूंगा! ज़ारा- आप होते कौन हो मुझे रोकने वाले? क्या हक है आपका मुझ पर?

मैं- ज़ारा रोओगी! ज़ारा- रो लूंगी! मैं- पछताओगी! ज़ारा- मंजूर है! लेकिन आपके पास दया की भीख मांगने नहीं आऊंगी! मैं- भाड़ में जाओ!

ये कहकर गुस्से में मैं उसके कमरे से बाहर आ गया लेकिन तभी मुझे कुछ शक हुआ तो मैं खिड़की से झांक कर देखने लगा कि अंदर क्या चल रहा है? अंदर का नजारा देखकर मेरे तो होश ही उड़ गये! ज़ारा ने उस लड़के को कुछ पैसे दिये! ज़ारा- ये लो तुम्हारे पैसे! तुम्हारा काम खत्म अब जाओ यहां से!

लड़का- लेकिन आपने तो कुछ किया ही नहीं? ज़ारा- क्या करना था? लड़का- वही जो आप कह रहीं थीं! ज़ारा- क्या? लड़का- सेक्स! ज़ारा- सेक्स! और वो भी तेरे साथ? तेरा दिमाग ठीक है? चल भाग यहां से!

लड़का- वैसे एक बात बताओ ये पागल कौन था? इतना सुनते ही ज़ारा ने दिया एक झन्नाटेदार उसके गाल पर! ज़ारा- खबरदार जो उनके बारे में बेअदबी से बात की तो! चल भाग यहां से!

ये सब देखकर मेरी आंखों में पानी आ गया! कितना प्यार करती है ये लड़की मुझसे और मैंने ही इसके प्यार कर शक किया! तभी उस लड़के ने ज़ारा का हाथ पकड़ लिया! ये सब देखकर हालांकि मुझे अंदर जाकर उसे बचाना चाहिये था! लेकिन मैं नहीं गया! क्योंकि मुझे पता था कि इस लड़के ने ज़ारा से पंगा लेकर गलत फॉर्म भर दिया है!

लड़का- मुझे थप्पड़ मारती है साली! अब मैं बताऊंगा तुझे कि असली मर्द क्या होता है! ज़ारा- हाथ छोड़ मेरा! क्यों अपनी शामत को दावत दे रहा है? लड़का- अच्छा क्या कर लेगी तू? ज़ारा- अगर उनको पता चला ना कि तूने मेरे साथ जबर्दस्ती की है तो तेरी ऐसी पिटायी करेंगे कि कभी बैठ नहीं पायेगा तू! लड़का- अच्छा! देख लेते हैं उस पागल को भी!

इतना सुनते ही ज़ारा को आया गुस्सा! भयंकर गुस्सा! उसने एक मारी लात उसकी जांघों के बीच वो दर्द से जैसे ही झुका खींचकर मारी कोहनी उसकी कमर में वो लड़का मुंह के बल गिरा!

अब तो ज़ारा ने उस पर लात-घूसों की बारिश सी करके उसे एकदम असहाय कर दिया और बाल पकड़ उसका चेहरा उठाकर बोली- साले तुझ से पहले कहा था ना कि उनके बारे में बेअदबी नहीं करनी! और खींच कर दिया एक थप्पड़ उसके गाल पर!

तभी मैं अंदर चला गया- क्या हो रहा है ये सब? ज़ारा भाग कर मुझसे लिपट गयी मैंने उसे अपने से अलग किया.

मैं- हटो! पहले ये बताओ कि इसे मारा क्यों? ज़ारा- जान ये मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था! मैं- लेकिन इसे तो तुम ही लायी थीं ना? ‘सेक्स’ करने के लिए? ज़ारा- जान मैं सिर्फ नाटक कर रही थी आप को जलाने के लिए!

मैं- अब भुगत लिया नाटक? ज़ारा- सॉरी जान! गलती हो गयी! मैं- इस लड़के की हालत देखो! इतनी बेरहमी से कौन मारता है ज़ारा? ज़ारा- आपने ही तो सिखाया था सेल्फ डिफेंस!

मैं- मैंने सेल्फ डिफेंस सिखाया था! किसी का कत्ल करना नहीं? दो-चार मारकर भगा देतीं! ज़ारा- इसने आपके लिए बेअदबी की इसलिए इतना पिटा! मैं- खैर, छोड़ो अब इसका क्या करना है? ज़ारा- वही जो मुझे कुछ याद नहीं होने पर मेरे साथ करते थे!

मैं- ये और मार बर्दाश्त कर लेगा? ज़ारा- प्लीज जान! प्लीज प्लीज! मैं- ज़ारा … ये दम तोड़ देगा! इतना सुनते ही उस लड़के ने ज़ारा के पैर पकड़ लिये और कराहते हुये बोला- सॉरी दीदी! प्लीज मुझे जाने दो!

ज़ारा- मैं बात कर रही हूं ना इनसे! बीच में क्यों बोल रहा है? या दूं दो-चार और? मैं- अरे तुम क्यों इसकी जान लेने पर तुली हो? ज़ारा- कहीं नहीं मरेगा ये! मैं- किसी और के हाथों शायद बच जाये लेकिन तुम्हारे हाथों से नहीं बचेगा!

ज़ारा- जान प्लीज! इसे मुर्गा बनाओ ना! मुझे देखना है! मैं- ये पहले ही बहुत पिट चुका है! ज़ारा- जान दो डंडे सिर्फ! प्लीज! मैं- अच्छा ठीक है! ओये शिकारी? लड़का- हां जी! मैं- अपने कपड़े निकाल कर मुर्गा बन जा! ज़ारा तुम डंडा ले आओ! वो डंडा ले आयी और वो लड़का मुर्गा बन गया! अब मैंने उसके पिछवाड़े पर हल्के से डंडा मारा!

ज़ारा- ये क्या है? मैं- तुम्हें ऐसे ही तो मारता था! ज़ारा- जान ये मैं नहीं हूं! जोर से मारो! मैं- लो तुम ही मार लो!

लड़का- नहीं भाई साहब, मुझे इनके हवाले मत करो. आप ही चाहे दो के बजाय चार मार लो! उसकी बात सुनकर मेरी हंसी छूट गई और ज़ारा भी खिलखिला पड़ी!

मैं- देखा कितना डरा हुआ है तुमसे! ज़ारा- क्यों बे ज्यादा डर लग रहा है मुझसे? लड़का- हां दीदी! ज़ारा- जान! आप मारो!

जिस तरह से उसने ये कहा मेरी फिर हंसी छूट गयी और मैंने हंसते-हंसते ही खींच के दो डंडे मारे उस लड़के के पिछवाड़े पर! लड़का बिलबिला गया. फिर उसे खड़ा कर उसके कपड़े दिये और भगा दिया.

दोस्तो, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें! मेरी मेल आई डी है- [email protected] आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000