हंसती खेलती जवान लड़कियाँ -1

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दोस्तो आज पेश है एक बिलकुल ही नई कहानी… मगर कहानी सुनाने से पहले मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ, कहानी पढ़ने के बाद जो लोग मुझे मेल्स भेजते हैं, उनकी मेल्स पढ़ने से एक बात सामने आई है कि ज़्यादातर लड़के कहानी को शुरू से नहीं पढ़ते, वे सिर्फ वहाँ से कहानी पढ़ना शुरू करते हैं जहाँ से असली चुदाई कार्यक्रम शुरू होता है। जबकि लड़कियाँ बिलकुल शुरू से कहानी पढ़ती हैं और जहाँ से ऐक्शन शुरू होता है वहाँ तक पहुँचते उनका पूरा मूड बन जाता है, सिर्फ इसी लिए उनकी ई मेल्स जो मुझे मिलती हैं, उनमें पूरी डीटेल से बातें कही और पूछी जाती हैं।

जबकि लड़के क्योंकि शुरू से कहानी पढ़ते ही नहीं हैं, इस लिए वे कहानी के करैक्टर को ही सच समझ कर उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देते हैं, उसे चोदने के लिए रिक्वेस्ट भेज देते हैं, जबकि सच्चाई यह होती है कि कहानी में सिर्फ करैक्टर होता है, सच्चाई तो होती ही नहीं है। इसी लिए लड़कों ने सिर्फ आधी कहानी पढ़ी, मुट्ठ मारी पानी निकाला और बाद में ईमेल भेजेंगे ‘प्लीज मुझसे सेक्स कर लो, मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूँगा।’ अरे भाई पहले देखो तो सही कि कहानी सचमुच आपबीती है या काल्पनिक है। इस लिए मेरी रिक्वेस्ट है, प्लीज कहानी को शुरू से अंत तक पढ़ें, ताकि आपको कहानी समझ भी आए और कहानी का मज़ा भी आए।

अब ऐसे ही एक दिन मेरी कोई कहानी पढ़ कर मुझे एक लड़की ने ईमेल भेजा। अब बहुत से लड़के कहेंगे कि हमारी भी किसी से दोस्ती करवा दो, अरे भाई अपना तजुरबा कहानी के रूप में लिखो, अन्तर्वासना पे डालो और हो सकता है कोई लड़की आपकी कहानी पढ़ कर खुद आपसे दोस्ती करने की रिक्वेस्ट भेज दे।

खैर मुद्दे पर आते हैं, लड़की ने मेल भेजा और दोस्ती करने की रिक्वेस्ट भी भेजी। मैंने भी जवाब में मेल भेजा, उससे पूछा कि वो कौन है, कहाँ रहती है और मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहती है। उसने जवाब दिया कि मैं आपके ही शहर में रहती हूँ, आपकी कहानी अन्तर्वासना पर पढ़ी और मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ और कुछ बातें भी शेयर करना चाहती हूँ। लड़की ने अपना नाम सुदीप्ति बताया, उम्र 20 साल और बी टेक की स्टूडेंट बताया। मैंने भी उसे अपने बारे में सब सच बताया और यह भी बता दिया कि मेरी उम्र 45 साल है और मैं शादीशुदा हूँ।

खैर दोनों में ई मेल्स का आदान प्रदान होता रहा। करीब करीब 20-25 दिन हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत सारी ई मेल्स की और दोनों ने एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जान लिया। सिर्फ वही नहीं, उसकी कुछ और फ्रेंड्स भी थी, जो अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती थी और नेचुरली कहानियाँ पढ़ते पढ़ते हस्तमैथुन भी करती थी, और सेक्सी कहानी पढ़ते पढ़ते हस्तमैथुन करना बड़ी आम सी बात है।

एक दिन मैंने उससे पूछा कि क्या वो मुझसे मिलना चाहेगी। उसने जवाब दिया कि वो मिलना तो चाहती है पर उसे डर सा लगता है।मैंने उसे कहा- ऐसा करते हैं, किसी पब्लिक प्लेस में मिलते हैं। उसने पूछा- क्या मेरे साथ मेरे कुछ फ्रेंड्स भी आ सकते हैं? मैंने कहा- मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है, बस इतना बता दो कि वो बॉय फ्रेंड्स हैं या गर्ल फ्रेंड्स। उसने बताया कि उनका चार लड़कियों का ग्रुप है, चारों फास्ट फ्रेंड्स हैं, तो वो चारों आएंगी।

मैंने प्रोग्राम तय करने को कहा। प्रोग्राम यह तय हुआ कि शहर के क्लासिक होटल में सब मिल कर लंच करते हैं। मैंने मंजूर कर लिया, उसको भी मंजूर था।

तय दिन मैं करीब एक बजे तैयार हो कर क्लासिक होटल पहुँच गया। बरसों बाद मैं किसी लड़की के साथ डेट पे जा रहा था तो मैं अपनी पूरी तैयारी के साथ गया। होटल में जा कर मैं एक 6 सीटर टेबल पर बैठ गया।

करीब आधे घंटे बाद सामने से चार लड़कियाँ होटल में दाखिल हुई। जब वो डाइनिंग हाल में आई, मैं सामने से उठ कर खड़ा हुआ। सुदीप्ति उनमे सबसे आगे थी, वो मेरे पास आई तो मैंने उसे हैलो कहा, मैंने सबसे हाथ मिलाया।

चारों लड़कियाँ 19-20 साल की थी, बहुत ही प्यारी प्यारी, गोरी चिट्टी, सबकी सब सुंदर और सबके नर्म नर्म बदन, जो मुझे उनके हाथ मिला कर छूने से पता चला।

हम सब बैठ गए, सुदीप्ति के साथ मैं मेल पे बात करता रहता था सो, वो मुझसे थोड़ा खुल कर बात कर रही थी, बाकी लड़कियाँ शरमाई सी चुपचाप बैठी थी।

पहले कोल्ड ड्रिंक्स आ गई, पीते पीते बातचीत शुरू हो गई। सुदीप्ति ने पूछा- सबसे पहले यह बताइये कि आप कहानी कैसे लिखते हैं? मैंने कहा- कहानी लिखना कोई मुश्किल काम नहीं, जैसे अगर मैं तुम्हें कहूँ कि माइ फ्रेंड का एस्से लिखो, ठीक वैसे ही। सुदीप्ति- मगर एस्से लिखने और कहानी लिखने में तो बहुत फर्क होता है।

मैंने कहा- नहीं, ज़्यादा फर्क नहीं होता, एक आइडिया होता है, जैसे माइ फ्रेंड का एस्से लिखते वक़्त तुम अपने दिमाग में अपने दोस्त की पिक्चर बनाते हो, ठीक वैसे ही कहानी लिखते वक़्त मैं अपने दिमाग में एक फिल्म बनाता हूँ, कि कौन सा करैक्टर क्या कहेगा, क्या करेगा। सुदीप्ति- कितने टाइम में एक कहानी लिख लेते हो?

मैंने कहा- डिपेंड करता है, अगर कोई धांसु आइडिया दिमाग में क्लिक कर गया तो मैं यहाँ बैठे बैठे भी कहानी बना सकता हूँ, अगर कोई आइडिया न क्लिक किया तो हो सकता 6 महीने में मैं एक भी कहानी न लिख पाऊँ। सुदीप्ति- अगर मैं कहूँ कि अभी के अभी एक कहानी लिखो तो, लिख सकते हो? मैंने कहा- हाँ, बताओ किस पर कहानी लिखूँ? तुम पर या तुम्हारी किसी फ्रेंड पर जो बोलती नहीं हैं, चुपचाप बैठी हैं।

मेरी बात सुन कर सब की सब हंस पड़ी।

सुदीप्ति- अरे पहले तो सबकी सब बोल रही थी, मैं ये पूछूंगी, मैं ये पूछूंगी, अरे अब सामने बैठे हैं, सब पूछ लो न क्यों नाटक कर रही हो? सुदीप्ति ने कहा तो सब की सब फिर हंस पड़ी।

मैंने कहा- दरअसल बात यह है सुदीप्ति कि हम दोनों तो एक दूसरे को पहले से जानते हैं, मगर ये सब तो आज मुझे पहली बार मिली हैं, इसलिए शर्मा रही हैं, इसके लिए इन्हें खोलना पड़ेगा। सुदीप्ति- हाँ हाँ, खोलो इनको, अरे यार वी आर जस्ट फ़्रेन्ड्ज़, दोस्त हैं, शर्माओ मत, अगर तुम ऐसे शरमाओगी तो बात कैसे बनेगी।

मैंने कहा- ऐसा करते हैं, एक एक करके सब बताओ, कि तुम में से किस किस को मेरी कौन कौन सी कहानी पसंद आई, और क्यों पसन्द आई?

सबसे पहले शिप्रा थोड़ा सा सकुचती हुई बोली- मुझे आपकी कहानी जंगल में मंगल बहुत पसंद आई!

फिर अदा बोली- मुझे जीजू से किचन में चुदवाया वाली पसंद आई। एक एक करके सबने अपनी अपनी पसंद की कहानी बता दी।

मैंने पूछा- ओ के ठीक है, थैंक्स फॉर लाइकिंग माइ स्टोरीज़, अब एक बात यह बताओ, अगर तुमको मेरी कहानी की हीरोइन बनने का मौका मिलता तो, क्या तुम अपने आप को उस सिचुऐशन में फिट कर पाती? मैंने कहा तो सब की सब फिर से शर्मा कर नीचे मुँह करके मुस्कुराने लगी।

मैंने फिर पूछा- चलो ये बताओ, जब तुम मेरी लिखी कहानी पढ़ती हो तो क्या करती हो” पता तो मुझे था, मगर मैंने जान बूझ कर पूछा था। सुदीप्ति बोली- मैं बताऊँ, सब की सब उंगली से करती हैं। उसने तो कह दिया मगर बाकी सब की सब शर्मसार हो गई।

मैंने कहा- देखो, यह एक नैचुरल प्रोसैस है, अगर तुम में सेक्सुयल फीलिंग्स आ रही हैं, तो तुम्हारी उम्र के लिहाज से ठीक है, सब की सब अब जवान हो, अगर तुम सब हाथ से हस्तमैथुन करती हो तो कोई प्रोब्लम नहीं, इस उम्र में करीब करीब सभी लोग ऐसा करते हैं, मैंने भी किया है, मगर जैसे जैसे उम्र बढ़ती चली जाती हैं, इन चीजों की ज़रूरत नहीं रहती।

तभी शिप्रा ने धीरे से पूछा- क्या आप अब भी मास्टरबेट करते हैं? मैंने कहा- नहीं, अब ज़रूरत नहीं महसूस होती, और जब बीवी है तो फिर मास्टरबेट करने की ज़रूरत क्या है।

अदा बोली- आपने अब तक कितनी बार सेक्स किया है? उसकी बात सुन कर सब लड़कियाँ हंस पड़ी। सुदीप्ति- पागल ये भी कोई पूछने वाली बात है?

मैंने कहा- खैर कभी गिना तो नहीं पर फिर भी 17 साल हो गए शादी को सैकड़ों बार किया होगा, या हो सकता है हजारों बार… तुम में से कभी किसी ने किया है? मैंने पूछा। सबने ना में सिर हिलाया।

मैंने फिर पूछा- कभी किसी ने कोई छेड़छाड़ की हो, किसी का कोई बॉय फ्रेंड, किसी भी किस्म कोई ऐसा एक्सपीरियंस जिसमें सेक्स शामिल हो? अदा बोली- शिप्रा का था! मैंने पूछा- तो शिप्रा क्या हमें बताओगी, तुम्हारा बॉय फ्रेंड का तजुरबा कैसा रहा?

शिप्रा बोली- मैं उसे दिल से सच्चा प्यार करती थी, मगर वो हमेशा मुझे गलत काम के लिए उकसाता था। अक्सर मेरे साथ बदतमीजी करता, तो मैंने उससे ब्रेक अप कर लिया। मैंने कहा- मतलब यह कि तुम में से किसी को भी सेक्स का कोई एक्सपीरियंस नहीं है, मगर जब कहानियाँ पढ़ती हो तो दिल तो करता होगा कि कोई तुम्हारा बॉय फ्रेंड हो, और जो कहानी का हीरो कर रहा है या हीरोइन कर रही है, वो सब तुम भी करके देखो?

अदा बोली- दिल तो बहुत करता है, मगर डर लगता है, कोई हमारा गलत फायदा न उठा ले, हमसे सब कुछ करके हमें छोड़ के चला जाए। मैंने कहा- एक बात बताऊँ, जो पहले सब कुछ कर लेता है, वो इसी लिए करता है कि बाद में उसने छोड़ के भागना होता है, जिसने शादी करनी होती है, वो कभी पहले नहीं करता।

हमारी बातों के बीच ही हमने खाने का ऑर्डर दिया। खाना आया, सब खाना खा रहे थे और बातें भी कर रहे थे।

खाना खाते खाते सुदीप्ति ने कहा- एक बात और है, जो मैं आप से पूछना चाहती हूँ, आप हमारे दोस्त बने हो तो आप पर विश्वास करके पूछना चाहती हूँ। मैंने कहा- हम सब दोस्त हैं, और मैं अपने दोस्तों की बहुत इज्ज़त करता हूँ, उन्हें प्यार करता हूँ। तुम कोई भी बात बेधड़क पूछो, हम पांचों में ही रहेगी। सुदीप्ति बोली- दरअसल बात यह है कि हम सब पहले यह सोच रही थी कि जब आप से मिलेंगी और अगर आप से बातचीत ठीक ठाक चली तो हम आप से एक फरमाइश करेंगी, अगर आप हमारी बात मानो तो? मैंने कहा- कहिए, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?

सुदीप्ति ने पहले अपनी फ्रेंड्स को देखा, सबने आखों आखों में एक दूसरे को कुछ इशारा किया, फिर सुदीप्ति बोली- हमने फिल्मों वगैरा में तो कई बार देखा है, मगर सचमुच में कभी नहीं देखा।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं उनकी बात समझ गया- मगर ऐसे कैसे मैं आप को यहाँ पे दिखा सकता हूँ, इसके लिए तो प्राइवेसी चाहिए। सुदीप्ति ने पूछा- तो? मैंने कहा- तो ऐसा हो सकता है कि हम इसी होटल में एक रूम ले लेते हैं, और हम सब एक साथ उस रूम में चलेंगे, अगर तुम सब को मंजूर हो तो? अंदर जा कर जो मर्ज़ी देखो। मैंने उन्हें ऑफर दी।

सुदीप्ति बोली- कोई खतरा तो नहीं? मैंने कहा- नहीं, मेरा एक दोस्त इस होटल वाले को जानता है, अगर तुम कहो तो मैं रूम का इंतजाम कर सकता हूँ। चारों लड़कियों ने आपस में सलाह करके हाँ कर दी।

अब तो मुझे खाना बेस्वाद लगने लगा, जिसके सामने चार चार कुँवारी लड़कियाँ, लण्ड लेने को बैठी हों, उसे दाल मखनी, शाही पनीर और चिकन कहाँ स्वाद लगेगा। मैंने झट से अपने दोस्त को फोन लगाया, और उससे कहा- यार ऐसा कर क्लासिक होटल में आ, एक कमरा बुक करवा के दे ईमीजीएटली। वो बेचारा भागा भागा आया और खाना खत्म होते होते मेरे पास रूम की चाबी थी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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