तुझ को भुला ना पाऊँगा -4

शाम को मैं घर से 8 बजे के करीब निकला और 10 मिनट में भाई साहब के घर पहुँच गया। मेरे पहुँचने तक खाना तैयार था, मैंने खाना खाया और कुछ देर टी वी देखने के बाद मैंने कहा- भरजाई जी, मुझे कहाँ सोना है? तो भाभी जी ने कहा- तुम इस कमरे में सो जाओ और मैं बच्चों के साथ दूसरे कमरे में सोऊँगी! मैंने कहा- ठीक है।

करीब आधे घंटे में बच्चे सो गये और भाभी जी उनको दूसरे कमरे में लिटा आई और मुझसे बोली- सोने से पहले टी वी बंद कर देना! मैंने कहा- जी अच्छा! और उनके दूसरे कमरे मे जाने के बाद 10-12 मिनट के बाद ही टी वी बंद कर दी और लेट गया।

अभी मुझे लेटे हुए शायद आधा घंटा ही हुआ होगा, आँख हल्की सी लगने ही लगी थी कि मुझे लगा कि कोई मेरे पास आकर लेट गया है, और यह मेरा वहम नहीं था, वास्तव में ही एक जनाना शरीर मेरे साथ लेटा हुआ था। मुझे अचानक एक झटका सा लगा, ‘दीपो?’ पर मैंने अपने ऊपर नियंत्रण रखते हुए यही जताया कि मैं सो रहा हूँ और यह नियंत्रण रखने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी पर उसने भी मेरे साथ लेट कर कोई भी जल्दबाज़ी या उत्तेजना नहीं दिखाई बस मेरे साथ लेट कर मेरा माथा सहला रही थी जैसे कोई किसी बच्चे को प्यार करता है। मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी थी

कुछ देर ऐसे ही मेरा माथा सहलाने के बाद उसने मेरे माथे पर एक प्यार भरा चुम्बन अंकित कर दिया और उसके इस चुम्बन से मैं एकदम से सिहर गया, पर इसके बाद उसने और कुछ भी नहीं करा बस मुझसे लिपट कर लेट गई और मुझे इस तरह से अपनी बाहों में समेट लिया कि जैसे कभी नहीं छोड़ेगी।

3-4 मिनट के बाद उसने अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया और बहुत प्यार से बोली- मेरी जान, मेरे अमर, मैं जानती हूँ कि तुम जाग रहे हो। यह सुन कर मैंने धीरे से आँख खोली और उसकी तरफ देखा नाइट बल्ब की नीली रोशनी में वो मुझे किसी परी जैसी लग रही थी।

कुछ देर मेरी आँखों से आँखें मिला कर वो बोली- मेरी जान, आज मैं तुम्हारी अधूरी इच्छा पूरी करूँगी। मैं बोला- जान, अब तुम पराई अमानत हो और…! तो वो मेरी बात काटते हुए बोली- यह कोई पाप नहीं है, यह मेरा वादा था अपने आप से, आज मैं तुम्हें बताती हूँ कि उस दिन मैंने तुम्हें क्यों कुछ नहीं करने दिया था। जिस रात तुम मेरे पास रुके थे उस रात अगर मैं तुम्हें कुछ करने देती भी तो मैं तुम्हारे बच्चे को जन्म नहीं दे सकती थी क्योंकि उस स्थिति में अगर मेरी माँ को कुछ पता लग जाता तो वो मेरी सफाई करवा देती, यह बात उसी दिन मेरे दिमाग़ में आ गई थी कि मैं तुम्हारी नहीं हो सकती तो तुम्हारी कोई निशानी तो अपने पास रख सकती हूँ।

एक पल के लिए रुक कर वो बोली- और वो निशानी तुम्हारे बच्चे से ज़्यादा अच्छी और क्या हो सकती है? यह बोल कर वो मेरी आँखों में देखने लगी और इतने आत्मविश्वास के साथ देख रही थी कि मुझे कोई जवाब नहीं सूझा और मैंने आँखें बंद कर लीं और सोच में पड़ गया कि क्या यह ठीक है या नहीं।

अभी मैं सोच ही रहा था कि उसने अपने गर्म गर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

अब एक जवान लड़के से एक जवान लड़की इस तरह का व्यवहार करे तो कौन है जो खुद पर काबू पा सकेगा, तो मैं भी पिघलने लगा और तनाव मेरे शरीर में भरने लगा और मैं भी उत्तेजित होने लगा और मैंने अपनी बाहें उसकी कमर से लपेट दीं और कस कर अपने और नज़दीक लाने लगा। अब धीरे धीरे हमारी साँसें गर्म होने लगीं और पता नहीं कितनी देर तक हम एक दूसरे को चूमते और सहलाते रहे पर मैं अभी भी पहल करने में झिझक रहा था। इसके पीछे भी एक खास वजह यह है कि जिसे आप दिल से चाहते हों उसके साथ सेक्स के बारे में सोचते हुए भी बड़ी हिम्मत करनी पड़ती है।

मैं तो लेटा ही बनियान और पाजामे में था, मुझे तब पता चला जब उसका हाथ मेरे पजामे में घुस गया और जाकर सीधा मेरे लिंग को सहलाने लगा। अब उत्तेजित तो मैं पहले ही हो गया था पर जैसे ही उसने मेरे लिंग को पकड़ा तो मुझे झट से पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। मेरा लिंग इतना सख़्त हो चुका था जैसे कि रबर की छड़ और मेरी साँसें ऐसे चल रही थी जैसे कि बहुत तेज चल कर आया होऊँ।

जैसे जैसे मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी, मैं उसे और कस कर अपने साथ लिपटा रहा था, मानो आज उसे अपने भीतर ही समा लेना चाहता था।

उसकी पहल को देखते हुए अब मैंने भी आगे बढ़ना शुरू कर दिया था, मेरा दाहिना हाथ तो उसके शरीर के नीचे था तो मैंने अपना बाँया हाथ धीरे से उसके कमीज़ के गले में डाल दिया और उसका दाँया स्तन अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया जिससे वो भी और ज़्यादा गर्म हो गई और सिसकारियाँ लेने लगी।

उसकी पहल को देखते हुए अब मैंने भी आगे बढ़ना शुरू कर दिया था, मेरा दाहिना हाथ तो उसके शरीर के नीचे था, तो मैंने अपना बायां हाथ धीरे से उसके कमीज़ के गले में डाल दिया और उसका दायाँ स्तन अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया जिससे वो भी और ज़्यादा गर्म हो गई और सिसकारियाँ लेने लगी।

अब मैंने थोड़ा नीचे सरक कर उसके तपते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए और कुछ देर तक ऐसे ही चूमता रहा और फिर उसके दोनों होंठों को एक साथ अपने होंठों में भर लिया और बड़े प्यार से चूसने लगा। और यह प्यार से चूसना कब ज़ोर से चूसना हो गया मुझे पता ही नहीं लगा, वो भी पुरज़ोर तरीके से और प्यार से मेरा पूरा सहयोग कर रही थी।

अब दीपो ने मेरी बनियान उतारने की कोशिश शुरू कर दी थी और मैंने भी उसका सहयोग करते हुए अपनी बनियान उतार दी और साथ ही उसका कमीज़ भी उतार दिया। उसने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी और उसके मध्यम आकार के स्तन मेरे सामने थे, उन पर किशमिश के आकार के निप्पल और करीब एक इंच व्यास का एरोला जो भूरापन लिए हुए था और उसके निप्पल एकदम सख़्त थे और उसके स्तन भी बहुत कसे हुए थे जैसे रबर की गेंद।

मैंने अपना हाथ उसके नीचे से निकल लिया और उसको खींच कर अपने ऊपर ले लिया और उसके एक स्तन को मुँह में भर लिया और कभी प्यार से और कभी ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और उसी जोश से वो भी मुझे अपनी बाहों में भींच रही थी। क्योंकि उसका स्तन मेरे मुँह में होने के कारण वो मुझसे कुछ ऊपर की ओर थी तो वो अपनी जीभ से मेरे माथे को चूम और चाट रही थी और उसकी इस हरकत से मेरा जोश और ज़्यादा बढ़ रहा था।

अचानक वो मेरे ऊपर से उठी और मेरे पैरों की तरफ पलट गई और मेरे पाजामे का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और पाजामा खींच कर पर पैरों में से निकाल दिया। अब मैं खाली अंडरवियर में था और वो सलवार में ! मैंने भी तुरंत प्रतिउत्तर देते हुए उसकी सलवार उतार दी, काम वासना का मुझ पर इतना असर हो चुका था कि मैं यह भूल गया था कि यह मेरा पहला प्यार है।

उसने सलवार के नीचे पेंटी भी नहीं पहन रखी थी, मैं समझ गया कि आज पहले ही से प्लानिंग बनाकर उसने यह कदम उठाया है। अभी तक मन दुविधा में था पर अब जब काम वासना सिर पर सवार हो चुकी थी तो अब मैंने भी पूरा बेशर्म हो जाना ही उचित समझा, और मैंने अपने हाथ से अपना अंडरवियर उतार दिया और अपना पूर्ण उत्तेजित लिंग उसके हाथ में पकड़ा दिया। उसने भी मेरे लिंग को इस तरह से पकड़ा जैसे कि उसेक हाथ में उसका कोई मनपसंद खिलौना आ गया हो और उसे डर हो कि अगर इसे ढीला छोड़ा तो कोई और ले लेगा।

मेरे मुँह से से बरबस ही एक आह निकल गई और मैं बोला- जान, उस दिन मैं ये सब करने को कह रहा था तो तुमने कुछ करने नहीं दिया तो फिर आज ये सब क्यों? वो बोली- अभी बता तो दिया, अभी जो कर रहे हो वो करो। और यह बोल कर उसने अपने हाथ से पकड़ कर अपना एक स्तन मेरे मुँह में ठूंस दिया।

मैं करवट लेकर उसके ऊपर आ गया और बारी बारी से उसके स्तनों को चूसने लगा, एक स्तन मुँह में तो दूसरे को पूरी हथेली में ले कर ज़ोर से दबा रहा था तो कभी अपने हाथ की पहली दोनों उंगलियों से से उसकी योनि को रगड़ने लगता था और जैसे ही मेरा हाथ उसकी योनि पर नीचे से ऊपर की ओर आता, उसके मुँह से ‘आआहह’ की आवाज़ निकल जाती जिससे मेरा जोश और उत्तेजना और ज़्यादा बढ़ जाती।

उसने नीचे से मुझे धक्का दिया और पलटने का संकेत किया तो मैं करवट लेकर लेट गया, जैसे ही मैं करवट लेकर लेटा, वो मुझे सीधा करते हुए मेरे ऊपर आ गई, उसने अपनी जीभ मेरे निप्पल पर फेरी और धीरे से उसे मुँह मे भर लिया तो मेरा सारा शरीर सनसनाहट से भर गया। उस अनुभव को शायद ही कोई लेखक शब्द दे पाए! मेरे मुँह से बहुत ज़ोर की सिसकारी निकली ‘सस्सीईईई…’ और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर कस गये और वो भी इतने ज़ोर से कि मानो सारा रस उनमें से ही निकलेगा। पर ये सारी क्रियाएँ अंजाने में ही हो रही थीं।

उस समय मेरी उम्र यही कोई 22 साल के करीब थी और सेक्स का कोई ज़्यादा अनुभव नहीं था, इससे पहले नीता भाभी की और माला की ही ली थी पर उस सब में और अब में बहुत फ़र्क था, तब मैं मुश्किल से 18 साल का था और अब एक भरपूर जवान लड़का था और सेक्स के लिहाज से फिट था, पर अनुभव हीनता के कारण मुझे मालूम नहीं था कि क्या क्या करना है पर दीपो की क्योंकि शादी हो चुकी थी और उसके पास 5 महीने का तज़ुर्बा था।

उसने मेरे पहले निप्पल को छोड़ कर दूसरे को अपने मुँह में भर लिया और मुँह में भर कर जब वो मेरे छोटे छोटे निप्पलों पर जीभ फेरती तो लगता कि बस दुनिया यहीं पर ख़त्म है और शायद इससे आगे जहाँ और नहीं है।

अब मेरा लिंग फटने को तैयार हो रहा था, अब दीपो ने मेरे निप्पल छोड़ कर मेरी पूरी छाती को चाटना शुरू कर दिया था, मेरी छाती पर ज़्यादा बाल नहीं थे, और वो धीरे धीरे छाती से चाटते हुए पेट की तरफ बढ़ी और मेरे पेट की साइड को चाटने लगी।

मेरी जान निकली जा रही थी पर मज़ा भी बहुत आ रहा था और यह एक ऐसा अनुभव था जो मैंने पहले कभी नहीं पाया था और मेरे लिए बिल्कुल नया था।

पेट के बाद वो और नीचे गई और मेरी जांघों के जोड़ों के चाटने लगी कभी चाटती और कभी हल्के हल्के दाँतों से काटती, मुझे तो स्वर्ग का नज़ारा दिख रहा था और और रह रह कर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे। अब मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैं उठ कर बैठ गया और दीपो को जबरन लिटा दिया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]