पिंकी की चूत, मेरा नौसिखिया लण्ड -1

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मेरा नाम आदित्य चौहान है, मैं लखनऊ में रहता हूँ, मेरी उम्र 24 वर्ष है और अब मैं एक कालब्वॉय हूँ। मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ.. तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी कहानी आप लोगों को बताऊँ।

यह कहानी है मेरे कालब्वॉय बनने की और किस तरह मैं इस काम में आया इसकी पूरी दास्तान… आप सभी की नजर है। दोस्तो, इस कहानी में कोई भी असत्य बात नहीं लिखूँगा.. बस जगह और पात्रों के नाम बदल दूँगा।

इस समय मेरी लम्बाई 5 फीट 10 इंच है तथा मेरा रंग एकदम गोरा.. चेहरा एकदम सुंदर है.. काले घने बाल.. चौड़ी छाती.. लंड का साइज़ कभी नापा नहीं लेकिन फिर भी आज तक सभी लड़कियों तथा औरतों को पूरी तरह संतुष्ट किया है तथा मुझसे चुदी हुई हर औरत कहती है कि उन्हें मेरा लंड सबसे अच्छा लगा है। कुल मिला कर एक मॉडल जैसा लगता हूँ.. शायद इसीलिए मैं इस काम में आ पाया।

हाँ तो दोस्तो, कहानी इस प्रकार है..

बात उस समय की है जब मैं कक्षा 12 में पढ़ता था.. तो हुआ यूँ कि मैं अपने स्कूल में सबसे स्मार्ट लड़का था उस समय इसीलिए मेरे क्लास की तथा मेरी सीनियर लड़कियाँ सब मुझ पर मरती थीं। सच में वो अहसास ही अलग होता था। मुझे बचपन से ही बच्चों से बहुत प्यार रहा है.. इसीलिए मैं लंच टाइम में केजी क्लास में.. अपने एक दोस्त को साथ लेकर जाकर बैठ जाता था उसका नाम सौरभ था, मेरे इस दोस्त ने हमेशा लड़कियाँ पटाने में मेरा साथ दिया है।

कुछ दिन तो हम लोग अकेले ही बैठते थे.. मैं बच्चों के साथ खेलता रहता था और मेरा दोस्त बोर होता रहता था और मुझे बार-बार चलने को बोलता था।

ऐसे ही कुछ दिन बीते होंगे कि तभी हमारी एक सीनियर भी उसी क्लास में बच्चों के साथ आकर खेलने लगी। उसका नाम था पिंकी। पिंकी का फ़िगर उस समय 32-26-32 होगा और मुझे ज्यादा याद भी नहीं है.. क्योंकि उस वक्त मैं इस सबके बारे में ज्यादा जानता भी नहीं था.. लेकिन इतना जरूर याद है कि उसके चूचे और गाण्ड उम्र के हिसाब से थोडा बड़े थे और ज्यादा उभरे हुए थे या फिर वो जानबूझ कर ऐसे चलती थी कि उसके मम्मे लोगों की निगाह में आयें।

लेकिन जो भी हो बड़ी करारी माल लगती थी.. उसे देखते ही लड़कों के लंड खड़े हो जाते थे और उसे कोई देख ले तो उसके नाम की एक बार तो जरूर मुठ मारने लगे। पिंकी एकदम मस्त माल थी.. लेकिन थोड़ी चालू टाइप की थी.. इसीलिए सारे सीनियर उसे चोदना चाहते थे।

कुछ दिन तो वो बच्चों के साथ खेलती रही.. लेकिन एक दिन मैं थोड़ा लेट पहुँचा तो वो मुझसे बोली- अभी तक कहाँ रह गया था? तो मैंने कह दिया- मैं लंच कर रहा था।

उसके बाद वो जाते-जाते इठला कर बोली- हमारे क्लास से अच्छे लड़के तो हमारी जूनियर क्लास में हैं। वो ऐसा कह कर चली गई, मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने क्लास से बाहर आकर अपने दोस्त से पूछा- इसने क्या कहा है?

तो मेरा दोस्त जो ऐसे मामले में मुझसे ज्यादा तेज़ था.. वो बोला- भाई लाइन दे रही थी और क्या.. अब तो तू बस चौका मार दे। लेकिन उस समय तक मैं ये सब नहीं जानता था.. बस इतना जानता था कि चुदाई कुछ होती है.. जिसमें लंड को चूत में डालते हैं और उसे ही चुदाई करना कहते हैं।

तो मैंने और मेरे दोस्त ने मेहनत करना शुरू किया और कुछ दिन बाद मैंने उसे बच्चों की क्लास में ही प्रपोज कर दिया। तो उसने भी ‘हाँ’ बोल दिया.. लेकिन मैं तो कुछ जानता ही नहीं था.. इसलिए हमारे बीच उस दिन और उसके बाद भी तीन-चार दिन तक कुछ नहीं हुआ।

बस बात होती रही.. लेकिन मैं अब बोर होने लगा था.. क्योंकि करने के लिए बात कोई होती ही नहीं थी। जब बाहर आता तो मेरा दोस्त मुझसे पूछता.. तो मैं कहता- कुछ नहीं हुआ.. तो मेरा दोस्त मुझसे बोलता कि अबकी बार उसे किस कर लेना.. लेकिन मेरी तो हिम्मत ही नहीं होती थी।

एक दिन अचानक पिन्की ने ही मुझे अपने पास बुलाया और मुझे बच्चों के सामने ही किस किया.. लेकिन मेरी तो गाण्ड फट गई.. मैंने तो ऐसा बस फिल्मों में ही देखा था और ऊपर से बच्चों का भी डर लग रहा था.. तो मैं अलग हट गया।

लेकिन फिर कुछ देर बाद उसने मुझे टॉयलेट के पास बुलाया.. जहाँ पर एक कमरा खाली पड़ा था.. वो मुझे उसमें ले कर गई और बहुत देर तक हमने किस किया।

फिर बाहर आकर मैंने सारी बात सौरभ को बताई.. तो बोला- साले आगे पता है क्या करते हैं? तो मैंने कहा- नहीं.. तो बोला- भोसड़ी के.. अब इसके बाद सीधे चुदाई होती है।

दोस्तो, मैं तो आज तक इसके बारे में बस सोचता ही था.. मुझे उस समय सुन कर ही ऐसा लगा कि जैसे मैं सच में चुदाई कर रहा होऊँ.. मेरी ख़ुशी के सपने तब टूटे जब क्लास में मैडम की आवाज मेरे कानों में पड़ी.. जो मुझसे कुछ पूछ रही थीं। लेकिन मैं तो चुदाई के सपने देख रहा था और मेरा दोस्त मुझे ये सपने दिखा रहा था.. तो मैडम को गुस्सा आया और उन्होंने हम दोनों लोगों को क्लास से बाहर निकाल दिया।

मैंने सोचा साला चुदाई के सपने देखने में ही क्लास से बाहर निकल गया.. चुदाई कर ली.. तो स्कूल से ही बाहर निकाल दिए जाएँगे। लेकिन सौरभ ने मुझे समझाया- भाई.. चूत चोदने में बहुत मज़ा आता है.. मुझे तो यह पता ही नहीं था कि चुदाई होती कैसे है.. इसलिए मैंने सोचा पहले कहीं से ब्लू-फ़िल्म देखेंगे.. फिर सीखेंगे..

तो मैंने एक मैमोरी कार्ड ख़रीदा.. जिसमें एक दुकान से कुछेक ब्लू-फ़िल्म डलवाईं। सच कह रहा हूँ दोस्तो, उस समय एक तो दुकान खोजने में ही हालत ख़राब हो गई थी और उस दुकानदार से कहने में तो गाण्ड ही फट गई थी.. लेकिन किसी तरह से हमने ब्लू-फ़िल्म डलवाई।

फिर अपने पिता जी का मोबाइल लेकर रात में उसमें अपना मैमोरी कार्ड डालकर ब्लू-फ़िल्म देखने लगे.. तो देखते-देखते लंड खड़ा हो गया।

मेरी तो हालत ख़राब हो गई.. एक तो खड़े-खड़े लंड में दर्द होने लगा था.. ऊपर से मुझे तब तक मुठ्ठ मारने के बारे में भी ज्यादा पता नहीं था.. न ही ब्लू-फ़िल्म में कुछ सिखाया गया था।

किसी तरह मैंने रात काटी और ये सारी बात स्कूल में जाकर अपने दोस्त को बताई.. तो उसने मुझे बताया कि मुठ्ठ कैसे मारते हैं। दोस्तो, वो पहला दिन था.. जब मैंने मुठ्ठ मारी थी.. लेकिन जो भी हो इसमें मज़ा बहुत आया।

इस सच्ची कहानी में आप सभी को पूरा रस देने के साथ-साथ मैं आप सभी को अपने साथ हुई घटना को पूरे मुकाम तक पहुँचाऊँगा। इसके साथ ही आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरी ये कहानी.. मात्र एक कहानी नहीं है सत्य घटना है। दोस्तो, मेरे नौसिखिया लण्ड की काम-कथा अभी जारी है। [email protected]

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