जब साली चुद कर पूरी घरवाली बनी

मैं अन्तर्वासना की लगभग हर कहानी पढ़ चुका हूँ और मेरी कहानी भी अन्तर्वासना पर आप सभी सुधि पाठकों के द्वारा पसन्द की जाएगी.. ऐसी मुझे आशा है। मैं मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का हूँ और रेलवे में अच्छे पद पर कार्यरत हूँ.. मेरी शादी के समय मेरी साली जो पका हुआ आम जैसी थी.. सबसे ज्यादा मजाक कर रही थी। उस समय तो उसकी दीदी को चोदने के चक्कर में मैंने कुछ ज्यादा नहीं किया लेकिन उसको कैसे चोदूँ.. ये सोचता रहता था।

एक बार वो भोपाल अपने मामा के घर गई थी.. तो उसका मेरे पास फोन आया.. एवं मेरी बीवी ने भी मुझसे कहा कि मुझको उधर जाना चाहिए.. मुझे तो पहले ही उसकी चूत का रस पीने की जल्दी मची थी और अब तो बीवी ने हरी झंडी दे दी थी।

मैं अपनी जवान साली के पास भोपाल पहुँच गया और उसको पटाने के लिए.. अपने मोबाइल में अपनी ही आवाज में आशिकी भरी बातें रिकार्ड करके उसको कह दिया- मैं तुमसे ही शादी करना चाहता था और तुमसे ही प्यार करता हूँ। मेरी चाहत की गवाह शादी के पहले की ये रिकार्डिंग है। उसने रिकॉर्डिंग सुनी तो वो शर्मा कर अन्दर भाग गई.. पर उसके दिल में कहीं न कहीं मैंने मुहब्बत का बीज बो दिया था।

उस दिन पूरे दिन भर मैं यूँ ही घूमता रहा.. फिर रात को घर वापस आकर खाना आदि खा कर सो गया। आधी रात के करीब जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा सब लोग सो रहे हैं और मेरी साली मेरे पैरों के पास सो रही है।

मैंने अपने पैरों से उसको सहलाया.. जब उसकी तरफ से कोई भी प्रतिरोध नहीं हुआ.. तो फिर मैंने अपने पैर से उसके मम्मों को दबाया.. वो अब कुछ नहीं बोली। अब मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी.. साथ ही उसको चोदने की लालसा में मेरा लौड़ा भी खड़ा होकर बड़ा होने लगा था।

मैंने अपने पैर से उसकी कमर से नीचे को सहलाया और अपने अँगूठे से उसकी चूत को दबा दिया.. तो वो जरा सी हिली और उसने अपने पैरों को फैलाया और मेरा अंगूठा पकड़ कर अपनी चुदासी चूत पर रगड़ दिया।

जब उसने मेरा अंगूठा पकड़ा तो पहले तो मेरी फट गई थी पर जब उसने अँगूठे को बुर पर लगा दिया तो मैं समझ गया कि लौंडिया चुदासी है और चूत देने को राजी है। वो बहुत गर्म हो गई थी और मेरे लंड का तो उससे भी बुरा हाल हो चुका था।

मैंने उसको खींचकर अपने पास ले लिया और उसे चुम्बन करने लगा। मैंने एक हाथ से उसकी चूचियों को मींजा और दूसरे हाथ से उसकी चूत को टटोला.. उसकी चूत तो पूरी गीली हो गई थी। मैंने उसकी सलवार को नीचे कर दिया.. मेरे होंठों से उसके होंठों की कुश्ती जारी थी।

मैंने इसी तरह लेटे हुए उसकी बुर को नंगा कर दिया और चूत के छेद में खड़ा और अकड़ा हुआ लंड डालने की कोशिश करने लगा.. पर लौड़ा चूत में घुसने का नाम नहीं ले रहा था। मैं समझ गया कि उसकी चूत एकदम कोरी है.. वो एकदम नई अनचुदी चूत थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब मैं भी हार नहीं मानने वाला था। मैंने उसके पैर ऊँचे कर के अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी छोटी सी चूत के छेद पर सुपारा रखकर धीरे से धक्का लगा दिया.. तो लंड की टोपी चूत में फंस गई।

कुछ और मेहनत करने पर थोड़ा लण्ड और अन्दर गया.. पर इतने से ही वो तड़प गई.. और बुरी तरह छटपटाने लगी.. वो तो गनीमत कहो कि उसके होंठों को मैंने कस रखा था.. वर्ना उसकी आवाज से सब लोग जाग जाते।

मैंने जल्दी से दूसरे झटके में लण्ड को उसकी चूत में फिट कर दिया.. मेरे इन दो तगड़े धक्कों से.. वो तो बेहोश जैसी हो गई थी.. पर मैं उसकी चूत में लौड़े को डाले रहा.. हटाया नहीं। कुछ देर तक मैंने अपने आपको बिना हिले-डुले रहते हुए उसकी रसीली चूचियों को मसला और उसकी नोकों को मींजा.. जिससे वो मस्ती में आ गई और अपना दर्द भूल कर थोड़ा हिलने लगी।

मैंने समझ लिया कि अब ये लण्ड खाने को मचलने लगी है.. तो मैंने धक्के देना शुरू कर दिए। कुछ ही पलों में वो भी मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले रही थी।

फिर मैंने उसको अपने लौड़े के ऊपर खींच लिया और वो मेरे ऊपर चूत को उछाल-उछाल कर मेरे लौड़े का मजा लेने व देने लगी।

केवल 5-7 मिनट में ही वो अकड़ गई और झड़ गई.. तो मैंने उसको बिना लौड़ा निकाले अपने नीचे ले लिया और धकापेल चूत का बाजा बजाना आरम्भ कर दिया।

करीब दस मिनट के चोदन में वो तीन बार झड़ी होगी.. फिर मैं भी उसकी बुर को भोसड़ा बनाता हुआ.. उसकी चूत में ही झड़ गया। हम दोनों बेहद खुश थे और थक चुके थे.. तो वैसे ही नंगे एक-दूसरे की बाँहों में बाँहें डाल कर सो गए।

अब क्या था साली तो पट चुकी थी और चुद भी चुकी थी.. तो मैं उसको कई बार चोदा.. और इस तरह उसकी नई चूत का खूब मजा लिया। अगले दिन तो उसको घुमाने ले जाने के नाम पर बाहर ले गया और एक होटल में ले जाकर उसके बदन को चाट-चाट कर उसको खूब गर्म किया और उस दिन उसके साथ खुल कर तीन बार चुदाई का मजा लिया।

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