मेरा गुप्त जीवन -39

अगले दिन कम्मो ने बताया कि कल रात मैं कैसे पागल हो गया था उनकी चूतों के पीछे और दोनों को कम से कम 7-8 बार चोदा था मैंने। सुबह वो दोनों बहुत ही थक गई थी और मैं भी काफी थका हुआ था, हम बिस्तर पर ही लेटे रहे क्योंकि वो दिन इतवार का दिन था, कहीं जाना आना नहीं था।

पारो गई और रसोई से तीनों के लिए चाय बना लाई। गरम गरम चाय पी कर बड़ा ही आनन्द आ रहा था।

वे दोनों अपने घर के कामों में लग गई लेकिन मैं तो परी की याद में इस कदर डूबा हुआ था कि मुझको कोई होश ही नहीं था। मैं बैठक में आकर बैठ गया जहाँ वो दोनों बहनें भी आ गई और गपशप मारने लगी। मैंने कहा- तुम्हारी सहेली परी और जस्सी मुझे अच्छी लगी। गीति बोली- तुम कहो तो बुलवा लेते हैं परी को, वो तो पास ही रहती है।

मैं बोला- नहीं नहीं, ऐसे बुलाना ठीक नहीं। तुम उसको दोपहर के लंच के लिए बुला लो। कुछ ख़ास बनवा लेंगे हम और मिल जुल कर खाना खाएंगे। बोलो ठीक है? दोनों ने सर हिला दिया और गीति ने कहा- यह ठीक रहेगा, उसको खाने पर बुलवा लेते है। मैं अभी उसको फ़ोन करती हूँ।

गीति ने परी को फ़ोन किया और परी ने आने के लिए हामी भर दी।

मैंने पारो और कम्मो को बुलाया और कहा- गीति और विनी की सहेली आज दोपहर का लंच यहीं करेगी, कुछ अच्छा बना लेना। पारो बोली- क्या वो मीट और चिकन खाती है? गीति बोली- हाँ हाँ, वो सब खाती है। मैं बोला- पारो, तुम चिकन बना लो और साथ में कुछ नान बाहर से मंगवा लो। आइसक्रीम अगर घर में नहीं तो वो भी मंगवा लो। राम लाल को भेज कर सब चीज़ें मंगवा लो, और हाँ, उसको कहना एक दर्जन कोका कोला की बोतलें भी ले आएगा। मेरे मुंह पर झलकती ख़ुशी को सिर्फ कम्मो ही भांप सकी और जाते जाते मुझको आँख मार गई।

जब मैं अपने कमरे में आया तो कम्मो भी पीछे पीछे आ गई। मैंने उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी जड़ दी। फिर मैंने उसको पास बिठा कर कहा- कम्मो रानी, आज परी की चूत दिलवा दो किसी तरह। वो पूरी तरह से तैयार है लेकिन सिर्फ जगह की कमी है। वो तुम सोचो कि कहाँ और कैसे होगा मेरा और परी का चुदाई का खेल?

कम्मो बोली- आप निश्चिंत रहें, मैं कुछ न कुछ इंतज़ाम करती हूँ। और मुस्कराती हुई वो चली गई।

ठीक 12 बजे दोपहर परी हमारी कोठी में आ गई। मैंने और लड़कियों ने उसका स्वागत किया और फिर हम सबने कोक पिया।

फिर कम्मो से मिलवाया परी को और कम्मो ने कहा- अभी खाना खाने में तो समय है, क्यों न आप कुछ खेल खेल लो, जैसे लूडो है ताश है। सबने कहा- ताश खेलते हैं। कम्मो ताश ले आई और हमने कहा- रमी गेम खेलते हैं। कम्मो ने कहा- ठीक है, आप दो दो की टीम बना लो। एक टीम में परी और छोटे मालिक होंगे और दूसरी में गीति और विनी होंगी। हालाँकि यह गीति को पसंद नहीं आया लेकिन वो कुछ बोल नहीं सकी।

ताश का गेम शुरू हुआ और शुरू से ही मैं और परी जीतने लगे। यह देख कर गीति बोली- यह गेम ठीक नहीं, कुछ और खेलते हैं। परी बोली- अगर आप सब मानो तो झूठ मूठ का तीन पत्ती खेल खेलते हैं जो एक किस्म का जुआ होता है। एक एक पत्ता ताश का बांटेंगे सबको, जिसका पत्ता सबसे बड़ा होगा वो जीतेगा और सबसे कम वाला हारा हुआ माना जाएगा। फिर उससे जो हम कहेंगे उसको वो करना पड़ेगा।

मैं बोला- उस हारे हुए से क्या करवाएंगे? परी बोली- वो सबको किस करेगा या फिर जो हम चाहेंगे, उसको वो करना पड़ेगा। सब बोले- ठीक है।

पत्ते बांटे गए और फिर उनको एक एक कर के सीधा किया तो सबसे छोटा पत्ता मेरा ही निकला। सब लड़कियाँ ताली बजाने लगी, मैंने कम्मो की तरफ देखा, उस ने मुझ को आँख मारी, कम्मो बोली- चलो छोटे मालिक, अब आप तैयार हो जाओ। बोलो लड़कियो, आपकी क्या मर्ज़ी है?

परी बोली- सोमू मुझको किस करे लिप्स पर और फिर गीति को किस करे और फिर वो विनी को किस करेगा। चलो शुरू हो जाओ। मैं बोला- ठीक है, लेकिन किस यहाँ नहीं करूंगा बल्कि अपने बेडरूम में करूंगा। मंज़ूर है तुम सबको? सब एक आवाज़ में बोली- ठीक है।

कम्मो बोली- मैं एक एक लड़की को ले जाऊँगी बैडरूम में और सिर्फ 5 मिन्ट दिए जाएंगे हर एक को! मैं अपने बैडरूम में चला गया और मेरे पीछे ही परी भी आ गई। आते ही उसने मुझको कस कर अपनी बाँहों में भींच लिया और ताबड़तोड़ मुझको चूमने लगी।

जब वो मुझको चूम रही थी तो मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर दौड़ रहे थे और कभी उसके मम्मों को टोह रहे थे। परी का एक हाथ मेरे लंड पर था जो अब तक पूरा खड़ा हो चुका था और दूसरा मेरी गर्दन में लिपटा था।

मैंने किसिंग के बीच उससे पूछा कि वो कब मेरे घर आ सकती है जब ये बहनें न हों? परी ने पूछा- क्यों? मैंने कहा- आगे कार्यक्रम नहीं करना क्या? वो बोली- तुम कर पाओगे क्या? मैं बोला- तुमको कोई शक है क्या? परी ने कहा- अच्छा देखेंगे।

मैं समझ गया कि वो झिझक रही है आगे के काम के लिए। तो मैं भी ज़रा पीछे हट गया और बोला- हमारा 5 मिन्ट का समय ख़त्म हो गया, चलो वापस! उसने बेदिली से मुझको छोड़ा लेकिन मैं जल्दी बैठक में गया और गीति को साथ ले आया। उसको किस करने के बाद विनी को भी किस करना पड़ा।

फिर हम हाल में इकट्ठे हुए और तब तक कम्मो ने कहा- खाना तैयार है, सब डाइनिंग रूम में चलो। खाने के बाद मैं लड़कियों से इजाज़त लेकर अपने कमरे में आ गया। मेरा मन उदास हो गया था कि परी कोई ज्यादा आगे नहीं बढ़ रही थी।

जब सब चली गई तो कम्मो ने कहा- अच्छा हुआ छोटे मालिक, परी तैयार नहीं हुई, वरना आप बदनाम हो जाते। मैंने कहा- तो सिनेमा हाल में इतना आगे बढ़ना गलत था उसका? कम्मो बोली- हाँ, वो तो ठीक नहीं किया उसने अगर आगे बढ़ने में हिचक थी। खैर छोड़ो आप आराम करो, उन लड़कियों को बातें करने दो आपस में।

मैं अपने कमरे में आकर लेट गया और जल्दी ही नींद लग गई। कुछ देर बाद महसूस किया कि कोई मेरे लंड के साथ खेल रहा है। आँख खोली तो देखा तो परी मेरे पलंग पर बैठी थी और लंड को पैंट से निकाल कर मुठी मार रही थी। मुझको यह अच्छा नहीं लगा, मैं बोला- यह क्या कर रही हो तुम?

वो बोली- चुप सोमू, कम्मो तुमको सब बताएगी। फिर कम्मो ने बताया कि खाने के बाद परी को मैं गेट के बाहर छोड़ने आई थी लेकिन तभी इसने मुझसे कहा- वो दोनों बहनें तो अंदर चली गई हैं, तुम मुझको सोमू के कमरे में ले चलो। इसलिए मैं इसको तुम्हारे पास लेकर आई हूँ। यह आगे कार्यक्रम के लिए तैयार है।

पहले तो मैं खुश हुआ लेकिन फिर मन में ख्याल आया कि यह कहीं कुंवारी तो नहीं है? मैंने कम्मो से यह सवाल पूछा तो वो बोली- यह पहले चुद चुकी है एक दो लड़कों से!

मैं उठा और परी को अपनी बाहों में भर लिया। कम्मो को देख कर परी थोड़ी शरमाई लेकिन कम्मो ने कहा- मैं यहाँ इसलिए हूँ कि आप दोनों का मिलन ठीक से हो जाए और कोई डिस्टर्ब न करे और फिर आपको हेल्प भी करूंगी ना। मैंने कहा- कम्मो ठीक कह रही है, उसके होते कोई शक नहीं करेगा कि अंदर क्या हो रहा है। परी बोली- ठीक है कम्मो आंटी।

झटसे मैंने अपने कपड़े उतार दिए और परी के कपड़े उतारने में कम्मो मदद करने लगी। जब हम दोनों नंगे हो गए तो परी ने मेरे खड़े लौड़े को देखा और हैरानगी से कहा- इतना बड़ा है यह तो, कल तो नहीं लगा था कि यह इतने बड़े साइज का है। मैं इसको झेल पाऊँगी क्या?

कम्मो और मैं एकदम हैरान हो गए, यह बात पक्की हो गई कि परी ने पहले कभी लंड देखा ही नहीं था। अगर ऐसा ही है तो परी तो कुंवारी चूत थी। मैंने अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए। यह देख कर परी बोली- यह क्या कर रहे हो सोमू तुम?

मैं बोला- परी, तुमने कम्मो से झूठ बोला कि तुम पहले चुदी हुई हो। तुम तो कुंवारी चूत हो। कम्मो ज़रा चेक करना तो इसको?

कम्मो ने परी को पलंग पर लिटा दिया और उसकी चूत में ऊँगली डाली और बोली- आप ठीक कह रहे हैं छोटे मालिक। यह तो कुंवारी है अभी तक! परी रोने लगी और रोते हुए उसने कहा- सोमू, तुम मुझको अच्छे लगे तो मैं चाहती थी कि तुम्ही मेरी कुंवारी चूत को पहली बार चोदो। कम्मो आंटी कहो न सोमू से कि ये ही है मेरे सपनों का राजा।

कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप कपड़े पहन कर बैठक में बैठो, मैं परी से कुछ बातें अकेले में करना चाहती हूँ। मैं कपड़े पहन कर बैठक में आ गया और पंखे को फुल स्पीड पर चला दिया।

थोड़ी देर बाद कम्मो बैठक में आई और मुझको लेकर फिर बैडरूम में गई। फिर उसने बताया- परी आप से चुदवाना चाहती है और वो यह लिख कर देने को तैयार है। मैंने कहा- उसकी ज़रूरत नहीं! उधर परी को देखा वो अपना पेटीकोट पहन कर बैठी थी, उसके गोल मम्मे सफ़ेद संगमरमर की तरह लग रहे थे और उसका पेट भी एकदम सफ़ेद रंग का तराशा हुआ संगमरमर लग रहा था।

मेरा लौड़ा जो तकरीबन बैठ चुका था, अब फिर से तन रहा था। मैंने झट से कपड़े उतार दिए और परी के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और जब वो पूरी तरह से नंगी हो गई तो उसको फिर ध्यान से देखा, उसकी काले बालों से ढकी चूत सफ़ेद पेट और जांघों के बीच चमक रही थी।

कम्मो ने परी को लाकर मेरे पास खड़ा कर दिया और मैं इस कुंवारी चूत को बड़ी हसरत भरी नज़र से देख रहा था। कहानी जारी रहेगी। [email protected]