मेरा गुप्त जीवन -47

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जैसा हमने तय किया था, मैं 12 बजे रात को निम्मी और मैरी के कमरे को 3 बार हल्के से खटखटाऊंगा और तभी मैरी या निम्मी कमरे का दरवाज़ा खोल देंगी।

मैंने निर्धारित समय पर उनके कमरे पर पहुँच कर 3 बार हल्के से खटखटाया और तभी मैरी ने दरवाज़ा खोल दिया। मैंने इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा और जल्दी से अंदर कमरे में चला गया।

कमरे में हल्की लाइट में देखा कि निम्मी तो गहरी नींद में सोई है और मैरी एक रेशमी चोगे में लिपटी मेरे सामने खड़ी है। उसने दरवाज़ा बंद करके झट से मुझको अपनी बाँहों में ले लिया और ज़ोरदार किस मेरे होटों पर दे दी। मैंने भी एक हॉट किस उसके होटों पर दी और उसको कस कर अपने आगोश में ले लिया। इस तरह हम काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे।

जब चुम्बन से फारिग हुए तो मैरी जल्दी से मेरे कपड़ों को उतारने के लिए उकसाने लगी। मैंने भी जल्दी से अपना कुरता और पजामा उतार दिया और तब तक मैरी भी सिल्की चोगा उतार चुकी थी।

हम दोनों ने एकटक एक दूसरे को देखा। मैरी वाकयी में एक सुंदर लड़की थी, उसके नयन नक्श के अलावा उसका शरीर भी बहुत ही सेक्सी था। खूब मोटे और उन्नत उरोज और गोल और काफी उभरे हुए चूतड़… कुल मिला कर बहुत ही सेक्सी बना रहा था यह सारा दृश्य।

मैंने भी आगे बढ़ कर उसके उन्नत उरोजों को दोनों हाथो में ले लिया और उनके कड़ेपन को परखने लगा। एक हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिया और उनकी गोलाई और मोटेपन को जांचने लगा।

फिर मैंने उसका दायाँ मुम्मा अपने मुँह में ले लिया और उसके मोटे काले निप्पल जो एकदम खड़े थे, अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा। मैरी ने जल्दी दूसरे मम्मे को भी मेरे मुंह में डाल दिया। मैरी भी मेरे लोहे के समान खड़े लंड को ध्यान से देख रही थी, शायद उसने पहले इतना बड़ा और मोटा लंड कभी नहीं देखा था।

उसने मुझको मम्मे चूसने से रोकते हुए नीचे बैठ कर मेरे लंड को अपने मुंह में रख लिया और उसको लॉली पॉप की तरह चूसने लगी और साथ ही मेरे अंडकोष के साथ हाथ से खेलने लगी। मेरे अंडकोष एकदम टाइट हुए थे।

अब मैंने उसको खड़ा किया और उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो बहुत ही पनिया रही थी, उसके भग को हल्के से रगड़ा तो वो और भी उन्मुक्त हो गई। अब मैं उसको किस करते हुए एक सिंगल बेड की तरफ ले जा रहा था जिसमें वो पहले लेटी थी, दूसरे में तो निम्मी सोई हुई थी।

मैरी को बेड पर लिटा कर मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और उसकी सफाचट चूत को चाटने लगा। जैसे ही जीभ उसकी भग पर लगी, वो एकदम चौंक गई। फिर जब मैं हल्के से जीभ उसकी भग के ऊपर रख कर गोल गोल घुमाने लगा तो उसने अपनी कमर ऊपर उठा कर मेरे मुंह के साथ जोड़ दी।

मैं भी अपने हाथ उसकी कमर के नीचे रख कर उसकी चूत की सेवा करने लगा, चुसाई और चटाई दोनों काम साथ साथ चल रहे थे। उसके हाथ मेरे सर को और भी अपनी चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगे और उसके चूतड़ थोड़ी देर बाद हल्के हल्के कांपने लगे और मैं समझ गया कि लोहा पूरी तरह से गर्म है।

मैंने उसकी जाँघों के बीच बैठ कर अपना लौड़ा उसकी चूत पर रखा और एक हल्का झटका मारा कि वो हल्के से चिल्ला पड़ी- मर गई उफ्फ्फ! मेरा लंड बिना किसी रुकावट के पूरा अंदर चला गया। मैंने धीरे से उसको निकाला और फिर धीरे से अंदर धकेल दिया। 3-4 बार ऐसा करने के बाद मैरी ने अपनी टांगें पूरी खोल दी और उसको मेरी कमर की चारों ओर लपेट दिया। अब मैं एक लय से उसको मज़े मज़े से चोदने लगा, कभी तेज़ और कभी आहिस्ता!

थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि किसी का हाथ मेरे चूतड़ों पर थपकी दे रहा है। मुड़ कर देखा तो निम्मी अपनी सिल्क के पयज़ामे कुर्ते में मेरे चूतड़ों को थपकी दे रही थी। मैं बोला- आ जाओ मैदान में निम्मी, खेल अभी शुरू हुआ है।

निम्मी ने झट से अपने कपड़े उतार दिए और चारपाई की साइड से वो मैरी के मम्मों के साथ खेलने लगी और फिर मेरे लौड़े को हाथ से अंदर बाहर जाते फील करने लगी।

मैंने बिना निम्मी को देखे ही अपना काम जारी रखा और फुल स्पीड से मैरी को चोदता रहा। निम्मी हाथों से मैरी को उकसा रही थी और मैरी भी समझ कर नीचे से चूतड़ उठा उठा कर मेरे लंड का जवाब दे रही थी।

थोड़ी देर में ही मैरी एक बार फिर झड़ गई और मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया और अपना तना हुआ लौड़ा उसकी चूत में पीछे से पेल दिया। अब लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में जड़ तक जा रहा था।

निम्मी कभी मेरे लौड़े को छूती थी और कभी मैरी की झाग वाली चूत पर हाथ रख रही थी। निम्मी ने वहीं खड़े हुए अपना मुंह मेरे मुंह के साथ जोड़ दिया और मुझको किस करने लगी।

मैं भी मैरी को धक्के मार रहा था लेकिन किस निम्मी को कर रहा था। इस तरह चोदते हुए मुझ को 7-8 मिन्ट हुए होंगे कि मैरी अबकी बारी बुरी तरह से झड़ गई, उसके झड़ते हुए चूतड़ों की कंपकम्पाहट को निम्मी भी फील कर रही थी।

मैंने आखिरी बार थोड़े से धक्के और मारे और अपना मैरी की चूत से लंड निकाल लिया। मैरी आँखें बंद किये लेटी हुई थी और निम्मी होटल के तौलिये से मैरी की चूत और मेरे लंड को साफ़ कर रही थी। मैरी की सांसें अभी भी धौंकनी की तरह चल रही थी।

निम्मी मुझको उठा कर अपने बेड पर ले गई, मुझको लिटा कर उसने कोका कोला की 3 बोतलें खोली, एक मुझको दी और बाकी दो उसने मैरी और अपने लिए रख ली।

मैरी ने कोका कोला पीते हुए मुझको ‘थैंक यू सोमू डार्लिंग…’ कहा और मैंने भी जवाब में कहा- वेलकम मैरी डार्लिंग। आई लव यू एंड निम्मी।

मैं बैठ कर कोकाकोला पी रहा था, मेरा एक हाथ निम्मी के गोल मोल छोटे मम्मों के साथ खेल रहा था और निम्मी का एक हाथ मेरे लौड़े पर था। मैंने यह नोट किया है अब तक अपनी सेक्स लाइफ में कि औरतों और लड़कियों की नज़र सीधे आदमी के लौड़े पर जाती है जबकि आदमी की नज़र पहले औरतों के मम्मों पर फिर उसके चूतड़ों पर और आखिर में उसकी चूत पर जाती है।

मैंने भी जब निम्मी की चूत देखी तो उसको बालों से ढका हुआ पाया जबकि मैरी की चूत बालों रहित थी यानि सफाचट थी। वो नियमित शेव करती थी चूत के बालों का और निम्मी बालों को नहीं शेव या नहीं काटती थी।

कोक पीते हुए निम्मी मुझको चूमने लगी, पहले मेरे लिप्स पर फिर वो मेरे सारे मुंह पर, मैं भी उसके मम्मों के साथ खेल रहा था और उंगली कभी उसकी चूत में भी डाल रहा था और कभी उसकी झांटों के साथ खेल रहा था। निम्मी की चूत भी एकदम गीली हो चुकी थी, मैंने उसको कहा- निम्मी, अब तुम्हारी बारी है मुझको चोदने की, बोलो कैसे चोदना चाहती हो?

निम्मी बोली- मैं आदमी बन कर तुमको चोदना चाहती हूँ डार्लिंग सोमू। क्या चुदवाओगे मुझसे? मैं बोला- जैसा हुक्म मालकिन या फिर मल्लिका-ए-आली। मैं क्या करूँ अभी आपके लिए? निम्मी भी उसी लहजे में बोली- ऐ गुलाम, अब तुम लेट जाओ और अपने लंड को खड़ा रखो जब तक मलिका-ऐ- आलिया हुक्म न दें!

मैरी जो यह सब देख रही थी, वो भी इस ड्रामे का हिस्सा बनने को तैयार थी, वो बोली- ऐ मलिका-ए-आलिया यह कनीज़ भी आपकी खिदमत में हाज़िर है, हुक्म कीजिए। निम्मी बोली- सबसे पहले इस ग़ुलाम के लंड को साफ़ करो और फिर इस पर सेंट लगा कर इसको खशबूदार करो! मैरी बोली- जो हुक्म मलिका-ए-आली।

तौलिये से उसने मेरे लौड़े को साफ़ किया और फिर उस पर लेडीज परफ्यूम लगाया और फिर वो बोली- आपका वफ़ादार लंड तैयार है मलिका-ए-आली! निम्मी बोली- हमको सहारा दो और इस ग़ुलाम के लौड़े पर बिठा दो, आज हम इस लंड की सवारी करना चाहती हैं। मैरी ने उसको उठाया और मेरे लंड के ऊपर बिठा दिया और उसका निशाना भी निम्मी की चूत की तरफ कर दिया।

मैरी बोली- मलिका-ए-आली, आपके ग़ुलाम की तोप का निशाना ठीक आपके खज़ाने पर लगा दिया है, आप हुक्म दें तो आपके ख़ज़ाने पर तोप चढ़ा दें। निम्मी बोली- ऐ कनीज़, हमारे को उठा कर तोप पर चढ़ा दो. मैरी ने निम्मी को हल्का सा उठाया और घुप से लंड के ऊपर बिठा दिया और ऊपर से उसको ज़ोर से धक्का दिया तो मेरा पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत में चला गया।

अब मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और मलिका भी ऊपर से धक्के पर धक्के मार रही थी। मैरी उसके मम्मों को चूस रही थी और मैं उसके चूतड़ों को मसल रहा था, उसकी झांटें उसकी चूत में से निकल रहे गाढ़े रस से सरोबार हो रहीं थी, कुछ रस टपक कर मेरे पेट पर भी गिर रहा था।

निम्मी के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से नीचे से पकड़ रखा था और उनको मैं ही ऊपर नीचे कर रहा था। फिर मैं बैठ गया और निम्मी को गोद में लेकर चोदने लगा, उसके दोनों गोल मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे। मैंने अपने मुंह को निम्मी के मुंह के साथ जोड़ कर उसके अंदर जीभ घुमा रहा था और उसका रस पी रहा था।

निम्मी के चूतड़ों को मैंने अपने हाथों में लिया हुआ था, उनको अपनी स्पीड से आगे पीछे करने लगा। तभी वो एक गहरी हाय के बाद झड़ गई और मुझको कस कर अपने से चिपका लिया।

थोड़ी देर बाद वो संयत हुई और उठ कर बिस्तर पर लेट गई। मैं भी उठा और जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगा और एक हॉट किस करके दोनों को थैंक्स बोला और चुपके से लड़कियों के कमरे से निकला और अपने कमरे की तरफ जाने लगा।

तभी एक कमरे का दरवाज़ा खुला और एक हाथ निकला और मुझ को खींच कर उस कमरे में घसीट लिया। इससे पहले मैं समझ पाता कि क्या हो रहा है, मुझको अंदर लेकर दरवाज़ा बंद हो गया। अंदर एकदम अँधेरा था। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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