मेरा गुप्त जीवन -48

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इससे पहले मैं समझ पाता कि क्या हो रहा है मुझको अंदर लेकर दरवाज़ा बंद हो गया। अंदर एकदम अँधेरा था।

थोड़ी देर में कमरे में एक हल्की लाइट जल उठी, उस लाइट में देखा कि दो लड़कियाँ मेरी दोनों तरफ खड़ी थी, रोशनी होते ही बोली- हेलो सोमू बाबा, कैसे हो तुम? मैं हक्का बक्का हुआ आँखें फाड़ कर देख रहा था कि ये दोनों कौन हैं? इनको पहले कभी देखा तो नहीं?

फिर मैंने हिम्मत जुटा कर उनसे पूछा- आप कौन हैं और इस तरह मुझको क्यों इस कमरे में ले आई हैं? उन दोनों लड़कियों में जो लम्बी थी, वो बोली- सॉरी सोमू बेबी, हमको यह करना पड़ा। क्यूंकि तुमने सारे रास्ते हमारी तरफ देखा तक नहीं। हम तुम्हारे पीछे वाली सीट पर बैठी थी और तुम्हारी सारी हरकतें देख रहीं थी।

मैं घबरा कर बोला- ओह तो तुम दोनों हमारी बातें भी सुन रही थी? तुम को कैसे पता चला कि हम यहाँ आज रात को मिलने वाले हैं? लम्बी वाली फिर बोली- बताया तो, हमने तुम्हारी कई बातें अच्छी तरह से सुनी थी और हमारा अंदाजा था कि तुम आज रात मैरी और निम्मी को मिलने ज़रूर आओगे। जब तुम उन दोनों के कमरे की तरफ गए तो हमने थोड़े खुले दरवाज़े से देखा था।

मैं थोड़ा गुस्से में आया लेकिन फिर सोचा कि गुस्से से मेरा ही नुक्सान ज़यादा होगा, मैंने सुलह सफाई के लहजे में पूछा- अच्छा ठीक है, अब तुम बताओ कि तुम दोनों मुझसे क्या चाहती हो? लम्बी फिर बोली- वही जो तुमने मैरी और निम्मी को दिया, वही मज़ा हम भी चाहती हैं। मैं बोला- मैं तो सारा माल दे आया हूँ उन दोनों को, तो बोलो अब मैं क्या दूं तुम दोनों को? लम्बी बोली- जो कुछ भी बचा है वो हमको दे दो।

मैं बोला- अभी तो कल की रात भी है, कल तुम अपनी बारी लगा लेना। लम्बी बोली- नहीं नहीं, हमको भी थोड़ा मज़ा दे जाओ यार! सारी उम्र तुम्हारी अहसान मंद रहेगी हम दोनों। मैं बोला- अच्छा ठीक है लेकिन पहले अपनी शक्ल तो दिखाओ दोनों।

तब दोनों ने कमरे में बड़ी लाइट ओन कर दी और मैंने देखा की लम्बी पतली और इकहरे बदन वाली है और छोटी थोड़ी मोटी और गोल बदन वाली है। दोनों ही अपने रात वाले कॉटन के चोगे पहने हुए थी।

मैंने कहा- सच बोलूँ तो दिन भर के सफर ने थका मारा है और मेरी मानो कल का प्रोग्राम रख लो तो सबके लिए अच्छा रहेगा। लम्बी बोली- चलो ठीक है लेकिन आज कुछ नमूना तो दिखा जाओ जिसके सहारे हम कल की इंतज़ार कर लेंगी दोनों, क्यों छोटी? छोटी बोली- कुछ तो अपना जलवा दिखा जाओ न मेरे यार?

मैं बोला- रात बहुत हो चुकी है, तुम जल्दी करो जो कुछ भी करना है। अच्छा तुम दोनों अपने नाम तो बताओ या फिर मैं तुम को लम्बी और छोटी के नाम से ही बुलाऊँ? लम्बी बोली- मेरा नाम शानू है, और इसुका नाम बानो है और हम दोनों इंटर फाइनल में हैं, और तुम सोमू, फर्स्ट ईयर में हो! है न? मैं बोला- हाँ, तो शुरू हो जाओ, कपड़े उतारो अपने जल्दी से और मैं भी उतारता हूँ।

यह सुन कर दोनों खिल उठी और फिर जल्दी से दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भी अपन पजामा कुरता उतार कर साइड में रख दिया। अब दोनों की नज़र मेरे खड़े लौड़े पर पड़ी और दोनों की नज़रें एकदम फट गई क्यूंकि उनको उम्मीद थी कि मेरा लंड थका हुआ होगा, उनको मेहनत करनी पड़ेगी उसको खड़ा करने के लिए।

लेकिन जब लहलाते लंड को देखा तो उनके मुंह से लार टपकने लगी और दोनों भाग कर लंड को अपने मुंह में लेने के लिए बड़ी बेकरारी से मेरे पास आई। मैं बोला- इतनी जल्दी नहीं, पहले अपनी इंस्पेक्शन करवाओ?

दोनों के मुंह पर सवालिया निशान बना हुआ था। मैंने उनको इशारे से अपने पास बुलाया और उनकी चूतों को ध्यान से देखने लगा। शानू की चूत सफाचट थी और बानो की चूत पर घने बाल थे। मैं उन दोनों की चूत का निरीक्षण परीक्षण करने के लिए ऊँगली डालकर और फिर उसको सूंघ कर पूरा किया। दोनों ही खुली चूतें थी तो पहले से चुदी हुई थी।

यह काम ख़त्म करने के बाद मैंने कहा- देखो, मैं बहुत ही थका हुआ हूँ, मैं लेट जाता हूँ तुम दोनों बारी बारी से मुझको जितना चाहो चोद लो। जब तसल्ली हो जाए तो कह देना मैं अपने कमरे में चल जाऊँगा। मंज़ूर है? दोनों ने कहा- जो हुक्म मेरे आका, हम बांदियां तो आपकी है, जैसा चाहो जब चाहो, कर लो!

फिर दोनों मेरी अगल बगल में लेट गई। मैं उन दोनों की चूतों को गर्म करने की कोशश करने लगा, भग को खूब मसला और जब उन दोनों की चूत गीली हो गई तो पहले पतली पर लम्बी शानू को चोदने के लिए बुलाया।

वो मेरे ऊपर पैरों के बल बैठ गई और मेरे लंड को अपनी सफाचट चूत में डाल लिया, बानो मेरी गोलियों के साथ खेलने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसके छोटे और गोल मम्मों के साथ खेलने के लिए छोड़ दिया और दूसरा हाथ बानो की चूत के बालों में डाल दिया।

शानू ऊपर से ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रही थी। मैंने अब बानो को अपने मुंह के ऊपर खींच लिया और उसके मुंह और होटों पर ताबड़तोड़ चूमियों की बारिश कर दी और कभी उसका दायाँ मम्मा या फिर बायें मम्मे को चूसने लगा।

उधर मैं देख रहा था कि शानो को चुदाई में इतना आनन्द नहीं आ रहा था इसलिए मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और दोनों को एक साथ घोड़ी बना लिया और फिर मैंने पहले शानो को पीछे से चोदना शुरू कर दिया और 10 धक्के मारने के बाद मैंने चूत बदल दी यानी शानू की बजाये बानो की चूत में अपना लौड़ा डाला।

अब बारी बारी मैं दोनों लड़कियों को चोद रहा था, एक की चूत से निकाल कर दूसरी में डाल कर दोनों को मज़ा दे रहा था। थोड़ी देर की मेहनत में पहले शानू छूटी और कुछ देर बाद ही बानो भी छूट गई।

अब दोनों लड़कियों के बीच में मैं लेटा था और दोनों ही मेरे खड़े लौड़े को देख कर अचरज कर रहीं थी और बार बार उसको चूम रही थी। अब मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा, वो दोनों मुझ को अभी भी हैरानी से देख रही थी, दोनों नंगी ही लेटी रहीं।

मैं उन दोनों को बाय करके बाहर आया और अपने कमरे में घुस गया और जाते ही थक कर गहरी नींद सो गया।

सुबह जब मेरी नींद खुली तो सूरज काफी सर पर आ गया था, कालेज के छात्र ब्रेकफास्ट करने होटल के रेस्टोरेंट में गए हुए थे।

जब मैं वहां पहुंचा तो तकरीबन सभी नाश्ता कर के जा चुके थे. सिर्फ निम्मी और मैरी बैठी थी एक टेबल पर और दुसरे टेबल पर शानो और बानो विराजमान थी. दोनों आपस में बड़ी तन्मयता से बातें कर रही थी. मुझ को देख कर दोनों ग्रुप चुप हो गए. निम्मी और मैरी मुझ को अपने टेबल पर बुला रही थी और शानो और बानो अपने टेबल पर बुला रहीं थी. मैं समझ गया की दोनों ग्रुप आपस में मिले हुए थे.

मैं सीधे ही निम्मी और मैरी के टेबल पर बैठ गया और उन को आहिस्ता से कहा- मुझ को यह उम्मीद नहीं थी की तुम और शानो मिले हुए हो एक दुसरे से. रात को मुझ को उन दोनों ने भी पकड़ लिया और मुझ को चोदा। मैं बहुत रुआंसा मुंह बना कर बैठा था. मैरी बोली- सो सॉरी सोमू, हम से गलती हो गयी थी. हम को तुम को बता देना चाहीऐ था लेकिन इस शानो ने हम को मना किया था। इस लिए हम कुछ नहीं बोली। रियली वेरी सॉरी। शानो और बानो भी माफ़ी मांगने लगी. वैसे मै दिल ही दिल मैं बहुत खुश था कि कल रात दो की जगह चार लड़कियों की चुदाई कर दी थी मैंने। लेकिन मैंने अपना रुख कठोर बनाये रखा. मैं बोला- मेरा चोदन कर के आप सॉरी बोल रहीं हैं … उफ्फ्फ्फ़ यह क्या देख रहा हूँ मैं. खैर जाने दो।

और मैं चुपचाप 4 अण्डों का ऑमलेट और माखन मार के टोस्ट खा रहा था. रात बड़ी एनर्जी खर्च हो गयी थी इस लिए। निम्मी बोली- और क्या लाऊँ सोमू, बोलो तो सही. मैं बोला- लाना ही चाहती हो तो एक गिलास ऑरेंज जूस ले आओ. बानो बोली मैं- क्या लाऊँ? मैं बोला- तुम मेरे लिए एक कप काफी ले आओ. चारों लड़कियाँ मेरी खातिर में लग गयी थी.

मैं नाश्ता खत्म कर के बोला- सच बताना यह मेरी बात और किस लड़की को मालूम है? चारों ने एक साथ कहा- और किसी से कोई बात नहीं हुई है. कसम से. मैं बोला- क्यों निम्मी और मैरी तुम को पहले से पता था मेरे बारे में? निम्मी बोली- हाँ पता था. मैं बोला-कैसे पता था तुम को? किस ने बताया? निम्मी बोली- वो तुम्हारे घर में विनी और उस की बहन रहती हैं न वो हमारी भी सहेली। उसी ने हिंट दिया था कि तुम्हारे हथियार में कमाल की शक्ति है. मैं बोला- लेकिन मैं ने कभी उस के साथ कुछ नहीं किया था. खैर छोड़ो। अब क्या इरादा है? शानो जो उनमें सबसे बड़ी थी बोली- जो तुम कहो वही हमको मंज़ूर है.

मैं बहुत धीमे स्वर में बोला- देखो जो हुआ वो बहुत डेंजरस था. हम सब पकडे जा सकते थे और हमारे घरवाले हमें कहीं का नहीं छोड़ते। अब के बाद हम एक दुसरे के नज़दीक नहीं आएंगे इस सारे ट्रिप में. शानो बोली- नहीं सोमू, प्लीज ऐसा ना कहो हमारा क्या होगा? हमतो कल पूरी तरह से आनंद नहीं ले सकी थी. मैं बोला- अच्छा ऐसा करो, सारा दिन हम चारों एक दूसरे के निकट नहीं आएंगे। ताकि किसी को शक न हो और रात के डिनर के बाद फैसला करेंगे कि रात कैसे और किस के साथ गुज़ारनी है. ओके? सब बोली- ओके … ठीक है. मैं बोला- अब आप निकलो हाल से मैं बाद में आता हूँ। मैं भी थोड़ी देर बाद नाश्ता ख़त्म कर के निकला और होटल के गार्डन में टहलने लगा।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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