मेरा गुप्त जीवन -61

रात को कम्मो से सोने से पहले मैंने बात की, मैंने उसको बताया कि यह हमारी कोठी में औरतों का बहुत आना जाना हमारे लिए शायद ठीक नहीं होगा आगे चल कर के… इसका कुछ उपाय सोचना चाहिये। कम्मो बोली- आप ठीक कह रहे हो छोटे मालिक, आप बताओ क्या करें?

मैं बोला- पहला काम तो यह करो कि जो औरत तुमसे मिलने आये उसको समझा दो कि तुम कोई पैसा लेकर यह दाई वाला काम नहीं कर रही हो, तुम यह ज़रूर कहो कि तुम कुछ औरतों की तकलीफ दूर करने और उनकी भलाई करने की कोशिश कर रही हो। तुम जिस भी औरत की हेल्प करना चाहती हो, पहले उसको अपनी एक खाली कोठरी में बुला लो! क्यों ठीक है न? कम्मो बोली- हाँ छोटे मालिक, ठीक कह रहे हैं आप!

मैं बोला- उस कोठरी को थोड़ा ठीक-ठाक कर लो जैसे चारपाई जिस पर अच्छी सी चादर, तकिए और कुर्सी टेबल स्टोर से ले कर वहाँ लगा लो, जिस भी औरत को बुलाओ, उसकी हैसियत देख लो, अगर वो सेठानी या ऊँचे घर की लगती है तो उसको अंदर बैठक में बुला लो बाकी को उस कोठरी में, क्यों ठीक है? कम्मो बोली- बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप!

मैं बोला- और फिर अपने चौकीदार राम लाल को भी अपने साथ मिला कर रखो, उसको यदा कदा खाना वगैरह भेज दिया और अगर घर में मीट या चिकन इत्यादि बनता है तो उसको भी थोड़ा सा भिजवा दिया ताकि उसका परिवार भी खुश रहे, पैसे की मदद तो मैं करता ही रहूंगा ही। कम्मो बोली- यह बिल्कुल ठीक है, इससे उसका मुंह भी बंद रहेगा।

मैं बोला- वो पड़ोसी आंटी का क्या नाम बताया था तुम ने? कम्मो बोली- सुमित्रा जी, क्यों? मैं बोला- तुम देख लो, अगर वो फ्री हों तो आज दोपहर में ही बुला लो। कम्मो बोली- ठीक है छोटे मालिक, मैं फ़ोन पर उससे पूछ लूंगी लेकिन एक दिक्कत है। मैं बोला- वो क्या?

कम्मो बोली- वो कह रही थी कि उनकी नौकरानी भी साथ आयेगी। परसों मैंने उसकी नौकरानी से भी बात की, दिखने में जवान और सुन्दर है, अच्छा जिस्म है, और वो नौकरानी लगती ही नहीं! मैं बोला- तुमने आंटी से पूछ लिया था क्या? उसको सारी बातें मालूम है क्या? और वो अगर कमरे में रहेगी तो क्या वो चुदाई के लिए तैयार होगी? कम्मो हंस दी और बोली- अरे छोटे मालिक, वो तो आपकी पक्की आशिक हुई पड़ी है! और किसी भी कीमत पर आपसे चुदवाना चाहती है, उसका नाम शान्ति है, उसकी उम्र 19 की है और ब्याहता है लेकिन पति मुंबई में काम करता है, साल में एक हफ्ते के लिए आता है और उसकी चुदाई करता है, बाकी सारा साल ऊँगली के सहारे रहती है।

मैं बोला- यह सब काम तुम्हारा है तुम अपनी पक्की तसल्ली कर लो, सब ठीक हो तभी बुलाना दोनों को, ठीक है? कम्मो बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, मैं पूरा ध्यान रखूंगी।

मैं कालेज के लिए निकल पड़ा और जाते जाते राम लाल को 10 रूपए देता गया।

दोपहर को कॉलेज से आया तो कम्मो झट से ठंडा शर्बत ले आई और बोली- सब ठीक है, आप फ़िक्र न करें, दोनों से बात हो गई है और पड़ोसन कह रही थी शांति की वो ज़िम्मेदारी लेती है और वो उसके हर राज़ में शामिल है। मैं बोला- तुमने आंटी को कह दिया है न कि कमरे में तुम भी रहोगी और तुम्हारे सामने ही सब कुछ होगा? कम्मो बोली- हाँ हाँ, यह बात साफ़ है, आप थोड़ा सा आराम कर लो, वे 3 बजे के आस पास आएँगी।

मैं खाना खाकर थोड़ा लेट गया, न जाने कब मेरी आँख लग गई और फिर कम्मो ने मुझको जगाया और बताया कि आंटी आ गई हैं,

मैं उठा और मुँह हाथ धोए और थोड़ी खुशबू भी लगाई और फिर मैं बैठक में आ गया। आंटी को नमस्ते की और उसके साथ आई शांति को भी देखा, देखने में अच्छी खासी लड़की थी लेकिन आँखों में चंचलता ज़रूर झलक रही थी।

फिर कम्मो ने दोनों को ठंडा कोकाकोला पिलाया और उसके बाद हम सब मेरे कमरे में आ गए थे।

कम्मो ने आज वहाँ रेशमी चादर बिछा रखी थी और थोड़ा हट कर एक तख्तपोश डलवा दिया था जिस पर मोटा गद्दा और सुन्दर चादर डाल रखी थी।

मैंने कहा- आंटी जी, आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं अगर कम्मो यहाँ रहे, वो काफी मदद कर देती है। आंटी बोली- सोमू, तुम मुझको आंटी मत बुलाओ, मेरा नाम सुमित्रा है लेकिन तुम मुझको सुमी बुला सकते हो। मैं बोला- ठीक सुमी जी, हम दोनों का घर का नाम एक दूसरे से बहुत मिल रहा है जैसे सोमु और सुमी… वाह क्या बात है!

सुमी बोली- वोही तो, कम्मो बताओ अब क्या करना है? कम्मो बोली- अब एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दो, सोमु आपके उतारेगा और आप सोमू के! मैं बोला- यह तो ठीक नहीं है, पहले तो यह होना चाहये।

यह कह कर मैंने सुमी को बाँहों में भर लिया और उसके लबों पर एक गरमागरम चुम्मी कर दी और अपने हाथ उसके चौड़े चूतड़ों पर रख दिए। उसने एक खूबसूरत सिल्क साड़ी पहन रखी थी जिस पर हाथ रखते ही फिसल जाता था। फिर मैं उसके मुंह से फिसल कर उसके गोल और मोटे उरोजों पर मुंह पर जमा दिए और उसके ब्लाउज के ऊपर से उसको चूमने लगा।

अब तक उसकी शर्म भी कम हो चुकी थी और उसने भी मेरे खड़े लौड़े को पकड़ लिया अपने हाथों में और धीरे धीरे मुट्ठी मारने लगी। अब मैंने उसकी साड़ी उतारनी शुरू की और फिर उसके ब्लाउज में हाथ डाला, और उसके बाद उसकी ब्रा को भी उतार दिया। तब तक वो भी मेरे कपड़ों के साथ लगी हुई थी और फिर हम दोनों एक साथ ही नंगे हुए।

मैं उसकी ख़ूबसूरती को देखने लगा और वो मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को नापने लगी। अब वो थोड़ा झुकी और मेरे लंड को मुँह में डाल लिया मैं भी उसके चुचूकों को चूसने लगा।

वो मेरे लंड को चूसते हुए मेरे अंडकोष को भी चूमने की कोशिश कर रही थी। मैं भी आहिस्ता से अपना मुंह नीचे लाया और उसकी बालों से भरी चूत को एक गर्म चु्म्मी दे डाली। फिर उसके भग को मुंह में लेकर गोल गोल चूसने लगा, उसके शरीर में हल्की सी कम्पन्न हुई और उसने थोड़ी देर के लिए मेरे मुंह को अपनी मखमली जांघों में कैद कर लिया।

मैं उठा और बाकी लोगो को देखने लगा, शांति भी पूरी नंगी हो चुकी थी और कम्मो उसके मम्मे चूस रही थी। वो दिखने में काफी सेक्सी लग रही थी, उसके मम्मे कॅाफ़ी मोटे और जानदार लग रहे थे और चूतड़ भी गोल और तगड़े थे, पेट एकदम स्पाट और चूत गहरे काले बालों से ढकी हुई थी, सब प्रकार से वो भी एक सेक्सी लड़की लग रही थी।

अब मैं सुमी को लेकर अपने पलंग पर आ गया और उसको लिटा दिया और खुद उल्टा लेट कर उसकी जांघों में उसकी चूत पर अपना मुँह टिका दिया और अपना लंड उसके मुंह की तरफ कर दिया। सुमी समझ गई और उसने मेरे लंड को मुंह में डाल लिया और लोलीपोप की तरह उसको चूसने लगी और मैं भी उसकी बालों से भरी सुगन्धित चूत को चूसने और चाटने लगा।

थोड़ी देर में ही वो काफी तेज़ी से टांगों को बंद और खोलने और बंद करने लगी, उसके शरीर से एक ज़ोरदार कंपकंपाहट उठी और उसकी चूत से भी सफ़ेद क्रीम जैसा पानी निकला जो मैं बिना किसी हिचक के चाट गया।

अब मैं उठा और अपना लंड उसकी चूत में पूरा डाल दिया, धीरे धीरे चोदने लगा और वो भी चूतड़ उठा उठा कर हर गहरे धक्के का जवाब देने लगी। उसकी आँखें बंद थी और वो मुझको होटों पर कभी चुम्बन करती थी, कभी वो मुझको खींच कर अपनी छाती से लगाती थी और जब मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी तो उसके मुंह से हल्के से ‘हाय… उफ्फ्फ्फो… मर गई रे…’ जैसे शब्द निकल रहे थे।

उधर कम्मो को शांति को बड़े प्यार से चोद रही थी, कभी मुंह से कभी ऊँगली से और उसके मम्मों को भी कस कर चूस रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! जब मैंने देखा कि सुमी छूटने की कगार पर है तो मैंने उसको बड़ी तेज़ी से चोदना चालू किया और 5-6 मिन्ट में ही वो छूट गई। मैं उसके ऊपर से उतरा और उसके साथ ही लेट गया, उसने अपना सर मेरे कंधे पर डाल दिया और आराम करने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने उसको कहा- तुम ऊपर से आ जाओ मुझको चोदो। वो एकदम खुश हो गई और झट ही ऊपर आकर बैठ गई और अपने हाथ से लंड चूत के अंदर डाला और पूरा अंदर ले कर फिर पूरा बाहर निकाला और इस तरह वो मुझको मज़े से चोदने लगी।

हल्की स्पीड के बाद वो एकदम तेज़ी में गई और मैं भी उसके मम्मों को चूसने लगा। इस पोजीशन में उसको बहुत मज़ा आ रहा था और वो शीघ्र ही झड़ गई और मेरे ऊपर पसर गई। वो उठी और बाथरूम में चली गई।

उधर कम्मो ने मुझको इशारा किया और मैं शांति के पास तख्तपोश पर चला गया, वहाँ जाते ही मैं उसके सारे जिस्म पर हाथ फेरने लगा और उसकी चूत में भी ऊँगली डाली तो वो एकदम से बहुत पनिया रही थी। उसने कमर में एक काला धागा भी बाँध रखा था।

मैंने उसको फ़ौरन घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया, उसकी चूत एकदम टाइट और मस्त थी।

मेरे लंड को अंदर जाने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी क्यूंकि लगता था कि उसकी चूत बहुत ही कम इस्तेमाल हुई थी। फिर मैंने धीरे धीरे चुदाई तेज़ कर दी और उसकी चूत के गीलेपन के कारण चुदाई का आनन्द बहुत ही ज़्यादा आ रहा था और मैं पूरा मज़ा लेते हुए शांति को चोदने लगा। वो भी हर धक्के का जवाब अपने चूतड़ों को आगे पीछे कर के दे रही थी।

फिर मैंने अपनी स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि वो अपने धक्कों पर टिक नहीं सकी और चुदाई का आनन्द लेने लगी और 10 मिन्ट की स्पीड चुदाई से उसका ज़बरदस्त छूट गया। फिर उसको आधा बिस्तर पर और आधा नीचे रख कर चोदने लगा और उसकी टांगें अपने आप ही मेरे चूतड़ों को घेर कर लिपट गई। अब मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे के ऊपर रखा और ज़ोर ज़ोर से उसको लंड के अंदर बाहर का खेल शुरू कर दिया।

उधर देखा तो सुमी और कम्मो हमारे पास ही खड़े थे और सुमी मुझको बड़े ध्यान से देख रही थी कि यह लौंडा कैसे इतनी चुदाई कर पा रहा है। वैसे उम्र के हिसाब से तो मैं एक लौंडा ही था हालांकि मेरे कद बुत से कोई कह नहीं सकता था कि मैं एक एक लौंडे के समान हूँ। थोड़े ही समय में शांति का बहुत ही जोरदार छूटा और कुछ समय वो मेरे से लिपट कर तिलमिलाती रही, फिर जब वो संयत हुई तो उस ने मुझको पकड़ कर मेरे मुंह पर चुम्मियों की बरखा लगा दी।

सुमी और कम्मो हैरान थी कि यह क्या कर रही है लेकिन मैं समझ गया था कि शांति लंड की भूखी है इस वजह से वो ज़्यादा ही भावुक हो गई थी। जब वो उठी तो मैंने उससे पूछा कि उसका पति आखिरी बार कब आया था। तो वो बोली- 3 साल हो गए हैं। मैंने पूछा- तुम मुझसे क्यों चुदवाने के लिए राज़ी हो गई?

वो बोली- आप कोई मर्द थोड़े ही हैं, आप तो दिखने में एक लड़के ही लगते हैं और मुझको लगता ही नहीं था कि मुझको किसी मर्द ने चोदा है लेकिन मेरी चूत तो यही चिल्ला चिल्ला कर कह रही है कि मुझको किसी महामर्द ने चोदा है जिसकी चुदाई की शक्ति अपार है। यही जवाब सुमी का भी था, उसने तो यहाँ तक कह दिया कि सोमु तुम बड़ी किस्मत वाले हो क्यूंकि तुम्हारा शरीर एक कम उम्र के लड़के की तरह है लेकिन तुम में एक पूरे जवान मर्द की ताकत है और शायद उस से भी ज़्यादा है।

फिर जल्दी से कपड़े पहन लिए हम सब ने और बाहर बैठक में आ गए। वहीं पर सुमी ने कहा- कम्मो जी, मुझको सोमू से ही करवाना है गर्भाधान… अगर उसको ऐतराज़ न हो तो? मैंने कहा- मुझको क्या ऐतराज़ हो सकता है, आप अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगा रही हो और मेरी तरफ से पूरी कोशिश होगी कि यह सारा मामला गुप्त रखा जाएगा।

कम्मो ने बताया- सुमी जी की माहवारी 11 दिन पहले शुरू हुई थी सो यह 2- 3 बाद गर्भादान के लिए फिट हो जाएंगी। आप समय फिक्स कर लेना और सोमु को मैं स्पेशल डाइट देकर तैयार कर दूंगी। और आपको जो स्पेशल डाइट मैंने लिख कर दी है वो आप ज़रूर खाएँ।

फिर वो सब चाय और नाश्ते में लग गए। नाश्ते के बाद वो दोनों जाने लगी तो कम्मो ने उनको कहा- आप परसों इसी वक्त आ जाना। कहानी जारी रहेगी। [email protected]