स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -3

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ऐसे ही चुम्बनों की बौछार करते करते मैंने उसकी पूरी जींस निकाल कर साइड में रख दी और एक नजर उसके पूरे जिस्म पर दौड़ाई तो ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो किसी कारीगर ने संगमरमर की एक मूर्ति बनाई हो जिसे बनाने में कारीगर ने अपनी पूरी जिन्दगी लगा दी हो… इतनी सुंदर लग रही थी वो!

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे कहा- स्नेहल, आज अगर मैं इससे आगे बढ़ूँ तो तुम्हें कोई शिकायत तो नहीं होगी ना? उसके तन-बदन में तो पहले से ही इतनी आग लगी हुई थी तो वो भला कैसे मना कर पाती, उसने अपनी स्वीकृति सिर्फ गर्दन हिलाकर दी और अपने हाथ फैलाकर मुझे आलिंगन देना चाह रही थी। मैं भी उसका मान रखते हुए उसके आलिंगन में शामिल हो लिया और उसके बदन को जोर जोर से मसलने लगा।

फिर वह खुद अपना हाथ मेरे लिंग पर रखकर उसे सहलाने लगी, उसकी इस हरकत से मैं थोड़ा अचंभित हुआ लेकिन समझ गया कि अब देर करना उचित नहीं होगा और मैंने उसके पीठ पर अपने हाथ ले जाकर उसकी ब्रा की क्लिप को निकालकर उसके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। उसकी ब्रा में से बाहर आने के बाद कबूतर तो मलाई जैसे लग रहे थे।

फिर मैं एक हाथ से उसकी नग्न चूचियों को मसलने लगा तो दूसरा हाथ उसकी पैंटी में घुसा दिया। तो वह भी उसका हाथ मेरी अंडरवियर में घुसाकर मेरे लंड के साथ साथ ही अंडकोषों को भी सहलाने लगी। फिर चूमाचाटी और एक दूसरे को मसलते मसलते हम 69 की पोजीशन में आ गये और दोनों ने एक दूसरे के बचे हुए कपड़ों का परदा भी शरीर से हटा दिया और दोनों पूर्णतया नग्न हो गये।

उसकी योनि के आसपास बिल्कुल कम बाल थे जो सुनहरे लग रहे थे और उसकी योनि की शोभा बढ़ा रहे थे। मैंने उसकी योनि के होंठों को अपने होंठों से छुआ तो योनि को गीला पाया, उस गीलेपन की वजह से एक अजब सा स्वाद था उसकी योनि का। वो भी मेरे लौड़े को चाट रही थी और उसके टोपे पर चुम्मियों की बरसात करते जा रही थी।

थोड़ी देर उसकी चूत चाटने के बाद मैंने अपनी एक ऊँगली को चूत के अंदर घुसेड़ दी तो वो जोर से चीख पड़ी। उसकी चूत अभी भी अनचुदी लग रही थी और इतनी टाइट थी कि मुझे ऐसा लग रहा था किसी ने मेरी ऊँगली को बहुत ही जोर से मार दिया हो।

उसकी चीख रोकने के लिए मुझे अपना लौड़ा उसके मुंह में घुसाना पड़ा तो उसकी साँसें रुकने लगी इसलिए मैंने अपनी उंगली को बाहर निकाल कर सीधा होकर उसके होठों को फिर से अपनी गिरफ्त में ले लिया और फिर धीरे धीरे हाथ नीचे ले जाकर उसके चूत के दाने यानि क्लाइटोरिस को सहलाने लगा जिससे वो बहुत जल्द ही उत्तेजना के चरमसीमा पर पहुँच गई। और जैसे ही वो झड़ने वाली थी तो मैंने झट से अपनी एक ऊँगली चूत के अंदर घुसा दी और वो अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ते हुए झड गई।

इसी दौरान मैंने अपनी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी योनि के छेद में डाल दी। एक जोरदार पिचकारी के साथ वो ढीली पड़ गई और मैं बिना रुके अपनी उंगलियों को चूत के अंदर बाहर करना चालू कर दिया और साथ ही उसके गर्दन को चूमने लगा और बीच बीच में उसके कान को भी हल्के से काट देता था जिसकी वजह से वो गर्म होने लगी और प्रेमक्रीड़ा में मेरा पूरा साथ देने लगी। मैंने अब ज्यादा देर ना करते हुए उसे कहा- अब असली मजा शुरू करें?

कहानी जारी रहेगी। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताइयेगा, आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे यहाँ भेज सकते हैं… [email protected]

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