मेरा गुप्त जीवन -73

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अगले दिन दोपहर को कॉलेज कैंटीन में शानू और बानो तो आ गई लेकिन उर्मि नहीं आई। हम तीनो कैंटीन में इंतज़ार कर रहे थे, कोई 10 मिन्ट की इंतज़ार के बाद उर्मि भी आ गई।

हम सब दो रिक्शा पर बैठ कर मेरी कोठी पहुँच गए। राम लाल चौकीदार ने हम सबको सलाम की और फिर मैं तीनों लड़कियों को लेकर बैठक में आ गया। कम्मो रानी ग्लासों में शरबत ले आई और मैंने उन सबको उससे मिलवाया और यह भी बताया कि ये लड़कियाँ तुमको एक बुढ़िया समझ रही थी। इस बात पर काफी हंसी मज़ाक चलता रहा।

खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था और अंत में हम सबने आइसक्रीम खाई। खाना समाप्त करके हम सब मेरे कमरे में आ गए जहाँ कम्मो ने पहले से ही मोटे गद्दे बिछा रखे थे।

शानू और बानो को मैं नैनीताल में चोद चुका था तो वो झट से मेरे पास आ गई और मुझको दोनों ने अपने बाहों में भर लिया। मैं भी एक एक कर के दोनों को चूमने लगा और वो भी खुल्लम खुल्ला मेरे लौड़े को पकड़ कर खेलने लगी।

उर्मि यह सब बड़ी ही हैरानी से देख रही थी। कम्मो उर्मि के पास गई और उसको लेकर मेरे पास आ गई। शानू और बानो ने हम दोनों का पहले हाथ मिलवाया और फिर दोनों ने उर्मि को मेरी तरफ धकेल दिया।

मैंने झट से उसको अपनी बाहों में ले लिया और कहा- वेरी सॉरी उर्मि जी, आप से नई मुलाकात है न… तो अभी एक दूसरे के साथ खुल नहीं पाये। उर्मि भी अपनी मधुर आवाज़ में बोली- आपका ज़िक्र बहुत बार इन दोनों ने मेरे से किया था लेकिन आपको देखा तो आप बहुत ही अच्छे निकले। मैंने झट से उर्मि को अपने गले लगा लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटों को चूम लिया। उसकी हाइट यही कोई 5 फ़ीट 5 इंच थी तो वो एकदम से मेरे साथ फिट बैठ गई।

जब उसके मोटे उरोज मेरी छाती से टकराये तो मुझको एक झनझनाहट सी हुई सारे शरीर में! मैंने फिर से उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों को बार बार चूमने लगा। कम्मो मुझको गुस्से में देख रही थी।

मैं समझ गया और मैंने झट से शानू को बाँहों में ले लिया और उसको गरम जोशी से भरी एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने अपना ध्यान बानो की तरफ किया और जल्दी ही उसको भी जफ़्फ़ी डाली और चूमा चाटी शुरू कर दी।

अब कम्मो ने तीनों लड़कियों से कहा- छोटे मालिक अब बारी बारी से आपके कपड़े उतारेंगे जिसमें मैं उनकी मदद करूंगी।

सबसे पहले बानो सामने आ गई और मैंने उसकी सलवार कमीज धीरे से उतार दी और उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को ब्रा में से उछल कर बाहर आते देखा, जल्दी से उसके मम्मों को एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने शानू को सामने पाया और वैसे ही उसके कपड़े भी उतार दिए और वैसी ही एक चुम्मी उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों को दे दी।

अब कम्मो उर्मि को लेकर मेरे सामने आई और उसके कपड़े खुद ही उतारने लगी। जब मैंने उसको देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि उसको वो काम करने दो। धीरे धीरे से कम्मो पहले उर्मि की साड़ी उतारने लगी और फिर उसके पेटीकोट को उतार दिया लेकिन उसने ऐसे तरीके से उर्मि के कपड़ों को उतारा कि मैं और बाकी दोनों लड़कियाँ उसके मम्मों और चूत की झलक नहीं पा सके।

और अंत में उसने उसके मोटे मम्मों के ऊपर से ब्रा भी उतार दी लेकिन हम तीनों बड़ी उत्सुकता से उसके मम्मों और चूत की झलक पाने के लिए बेकरार थे। कम्मो ने हमारी बेकरारी समझ ली थी, वो जानबूझ कर हम को तरसा रही थी और कुछ भी नहीं देखने दे रही थी।

उर्मि को भी सारे तमाशे से बड़ा आनन्द आ रहा था और वो भी भरसक कोशिश कर रही थी कि हम कुछ न देख पाएँ। इस ऊहापोह में हमने मिल कर कम्मो की साड़ी खींच दी। जैसे ही उसका ध्यान अपनी साड़ी की तरफ गया, हम तीनों ने उर्मि को खींच कर उसके पीछे से निकाल लिया।

अब उर्मि नंगी ही हम तीनों के सामने थी, मैं तो उसके मम्मों और काले बालों से ढकी चूत को देख कर मुग्ध हो गया, फिर उर्मि के गोल चूतड़ देखे तो मन एकदम पगला गया और मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को फिर से गले लगा लिया। उर्मि भी आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी।

तब कम्मो भी अपने कपड़े उतार कर उर्मि का साथ दे रही थी। दोनों ने मिल कर मुझ को जल्दी ही नंगा कर दिया और उर्मि ने पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को देखा।

वो झट से बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल दिया और शानू और बानो भी मेरे दोनों और खड़ी हो गई और मेरी सफाचट छाती को चूमने लगी। मुझको ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में अप्सराओं के बीच में खड़ा हूँ।

कम्मो ने जल्दी से आगे बढ़ कर मुझसे पूछा- छोटे मालिक, आप ठीक तो हैं न? मैंने उसको आँख मारी- कम्मो डार्लिंग, यह सब होने के बाद मैं कैसे ठीक रह सकता हूँ, मेरा तो स्वर्गवास हो गया लगता है। तीनों लड़कियाँ यह सुन कर बहुत ज़ोर से हंसने लगी।

अब उर्मि बोली- इतने मोटे और लम्बे लंड वाला भूत मैंने पहले कभी नहीं देखा था। मैं भी बोला- इतनी सुंदर परियाँ मैंने पहले कभी नहीं देखी थीं। और मैंने झट से उर्मि के गोल मम्मों को झपट कर पकड़ लिया और उनको चूमने लगा। उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हुई थी और लंड के लिए बेकरार हो रही थी।

कम्मो ने कहा- अब उर्मि नीचे लेट जाए और छोटे मालिक उसको चोदना शुरू कर दें ताकि बाकी दोनों की भी बारी आ जाए। जब तक ये दोनों चुदाई में बिजी हैं, तब तक हम तीनों एक दूसरे से प्रेमालाप करेंगी। उर्मि के बाद शानू की बारी और आखिर में बानो और मेरी बारी है।

मैंने पहले उर्मि को होंटों पर चुम्बन किया और फिर उसके मम्मों को चूसता हुआ पेट पर उसकी नाभि में जीभ से चुसाई और फिर नीचे का सफर शुरू हुआ।

नीचे पहुँच कर नर्म, गुलाबी और उभरी हुई चूत को देखा, उसको सूंघा और फिर उसमें जीभ से हमला कर दिया। उसकी भग को चूसने लगा तो उर्मि ने अपनी कमर उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह में दे मारा और उसको मेरे मुंह में रगड़ने लगी। वो बहुत ही कामातुर हो चुकी थी और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से खींच रही थी, मेरा लौड़ा भी इस हसीना की चूत के लिए तरस गया था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं उसकी टांगों में बैठा और अपने लोह समान लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर एक हल्का धक्का मारा, उर्मि की चूत बहुत ही टाइट थी तो लौड़ा बाहर ही रुका हुआ था।

थोड़ी देर मैंने लंड को चूत के मुंह और भग पर रगड़ा और फिर प्रवेष के लिए अर्जी दी, इस बार शायद चूत ने इजाजत दे दी थी और लौड़ा आसानी से पूरा अंदर चला गया। जैसे ही लंड पूरा अंदर गया, उर्मि के मुंह से बहुत ज़ोर से हाय की आवाज़ निकली।

मैंने घबरा कर पूछा- अंदर जगह कम है तो थोड़ा निकाल लूँ क्या? उर्मि तो नहीं समझी इस लतीफ़े को, लेकिन शानू और बानो ज़ोर से हंस पड़ी।

मैं धीरे धीरे से चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा। उधर कम्मो भी दोनों सेहलियों को गर्म करने में लगी थी, एक की चूत में उंगली थी और दूसरी के मम्मों में मुंह था। बानो के मोटे मम्मे जबरन निगाहें अपनी तरफ खींच रहे थे और कम्मो भी उसके मम्मों को बहुत चूस चूस कर मज़ा ले रही थी।

शानू की चूत से बहुत रस टपक रहा था और बानो इस कोशिश में थी कि उसके खुशबूदार रस को पी जाए।

जैसे ही मैं उर्मि को फुल स्पीड से चोदने लगा, वैसे ही उसके मुंह से ‘हाय हाय…’ की मधुर आवाज़ें निकलने लगी और मेरा लौड़ा यह कह रहा था कि फाड़ दूंगा इस साली को छोड़ूंगा नहीं।

एक ज़ोरदार धक्के के बाद उर्मि की कमर इतनी ऊपर उठी और अपने साथ मुझको भी ऊपर उठा दिया पूरा का पूरा। फिर इतने ज़ोर से नीचे हुई कि मेरी कमर उसकी मुलायम और संगमरमरी जांघों की कैद में आ गई।

फिर उर्मि की कंपकंपाहट इतने ज़ोर से शुरू हुई कि मेरे साथ बाकी तीनों चूतों को भी अपना कारोबार रोक कर सिर्फ उर्मि की खूबसूरत जांघों और कमर को देखना पड़ा। मैंने अपना मुंह उर्मि के मुंह से चिपका रखा था ताकि वो और न चिल्लाये।

धीरे धीरे से वो संयत हुई और मैं उसके ऊपर से उठा। मेरा लंड उर्मि की चूत से निकले रस में काफ़ी सराबोर हो गया था जिसको कम्मो ने तौलिये से साफ़ किया और फिर उर्मि को भी आये पसीने को साफ़ किया और हम सबको शरबत भी पिलाया।

उर्मि ऐसे लेट गई जैसे वो बड़ी लम्बी रेस के बाद लौटी हो।

अब शानू और बानो ने मुझको घेर लिया, दोनों मेरे दोनों तरफ खड़ी होकर मुझको चूमने और मेरी छाती के चुचूकों को चूसने लगी। कम्मो ने दोनों को पलंग पर लिटा दिया और फिर मुझको उन दोनों के बीच में लेटना पड़ा।

मैंने पहले शानू को चूमा और फिर बानो को, दोनों की चूत में हाथ डाला तो दोनों तपती हुई भट्टी बनी हुई थी क्यूंकि उर्मि की चुदाई और बाद में कम्मो के साथ खेल खिलवाड़ में दोनों बेहद सेक्सी हो गई थी।

कम्मो ने सुझाया- छोटे मालिक, आप इन दोनों लड़कियों को एक साथ चोद डालो जैसे आप कई बार कर चुके हो। मैं बोला- क्यों शानू और बानो, मैं तुमको एक साथ चोद डालूँ या फिर एक एक कर के? बोलो क्या मर्ज़ी है? बानो बोली- अभी तो हम नहीं रुक सकती हैं अभी इतनी गर्मी चढ़ी हुई है। अभी तो साथ साथ कर दो हमारा काम, बाद में सिंगल एंट्री कर देना ओके? शानू भी बोली- हाँ हाँ, यही ठीक रहेगा।

कम्मो बोली- चलो, फिर तुम दोनों घोड़ी बन जाओ।

जब वो घोड़ी बन गई तो मैं पहले बानो के पीछे से चूत में खड़े लंड को धीरे से डालने की कोशिश करने लगा लेकिन बानो इतनी सेक्सी हो चुकी थी कि उसने ज़रा भी सब्र किये बगैर अपनी गांड को मेरे लंड के साथ जोड़ दिया और लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया। बानो की चूत एकदम गीली और फूली हुई थी, वो स्वयं ही चूतड़ों को आगे पीछे कर रही थी और चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी। उसकी इस हालत को देख कर मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी और उसके चूतड़ों को हाथ में पकड़ कर लम्बे और गहरे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर में ही वो छूट गई और उसकी चूत खुलने और बंद होने लगी।

मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाल कर शानू की चूत में डाल दिया और वैसे ही पूरी स्पीड से उसको भी चोदने लगा। वो इतनी गर्म नहीं थी तो उसकी चुदाई मैंने धीरे धीरे करनी शुरू की। धीरे चुदाई का मज़ा ही कुछ और है, वहाँ दोनों पक्ष अपना प्रेम व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन अब शानू भी काफी हॉट हो चुकी थी तो मैंने फ़ास्ट और स्लो वाली स्पीड को अपनाया। मैं नीचे हाथ डाल कर उसकी चूत के भग को भी मसलने लगा जिससे उसका मज़ा दुगना हो गया और वो अब जल्दी जल्दी अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी।

दूसरी तरफ कम्मो उर्मि के साथ प्रेमालाप करने में मग्न थी, उसके गोल सॉलिड मम्मों को चूस रही थी और उर्मि भी अपने हाथ को कम्मो की चूत में डाल कर उसकी भग को मसल रही थी। जब मैंने महसूस किया कि शानू छूटने के कगार पर है तो मैंने अपनी स्पीड बहुत तेज़ कर दी और कुछ ही मिन्ट में शानू धराशायी हो गई।

मैं अपना लंड शानू की चूत से निकाल कर फर्श पर आ गया और ललकार भरी आवाज़ में बोला- और कोई है माई की लाडली जो मेरे सामने आकर खड़ी हो सके? कम्मो ने हँसते हुए कहा- अभी तो मैं बाकी हूँ लेकिन अपना हिसाब बाद में कर लूंगी। क्यों उर्मि और इच्छा है क्या? उसने इंकार में सर हिला दिया और बानो और शानू भी कुछ नहीं बोली।

मैं अभी भी उर्मि पर मर मिटा था तो मैंने उर्मि को आलिंगन में लिया और उसके कान में कहा- उर्मि डार्लिंग, तुम बड़ी सेक्सी और सुन्दर हो, तुम से जी नहीं भरा है अभी, क्या कल आना चाहोगी तुम अकेली ही? उसने हाँ में सर हिला दिया और मैंने वैसे ही उसके कान में कहा- फिर कॉलेज में बात कर लेंगे।

कपड़े पहनने से पहले मैंने उर्मि और बानो के मम्मों को चूमा चाटा और शानू के चूतड़ों को हल्के से मसला। फिर तीनों ने कपड़े पहन लिए और हम सब फिर बैठक में आ गए। कम्मो सबके लिए शर्बत और चाय ले आई। मैंने और उर्मि ने चाय पी और बाकी दोनों ने शरबत पिया।

कम्मो ने तीनों को हमारे घर का फ़ोन नंबर दे दिया और कहा- कभी ज़रूरत हो तो फोन कर लेना। उर्मि मेरे साथ वाली क्लास में बैठती थी और शानू और बानो एक ही क्लास में बैठती थी। फिर मिलने का वायदा करके वो तीनों अपने अपने घर चली गई। कहानी के नीचे अपने कमेन्ट्स भी लिखिये ! कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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