बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद -7

अब तक आपने पढ़ा.. मम्मी-पापा के आने तक हम लोग कहीं नहीं गए.. सिर्फ़ चुदाई ही करते रहे। उन लोगों के आने के बाद भी मुझे जब भी मौका मिलता था.. मैं उसकी चूचियों को और गाण्ड को दबा देता था और रात को उसे पूरी रात चोदता था। वो पूरे एक महीना घर पर रही। एक दिन दोपहर को मेरे पास आई और बोली- देखो तुमने क्या कर दिया है? अब आगे..

मैंने पूछा- क्या किया.. बताओ तो सही? तो उसने अपनी ब्रा मुझे दी और बोली- इसको पहनाओ.. मैंने पहनाया.. तो वो नहीं आ रही थी। ‘मेरी सारी ड्रेस टाइट होने लगी हैं..’

जब मैंने नापा तो उसका फिगर 34बी-26-32 हो चुका था, तो मैं बोला- कोई बात नहीं डार्लिंग.. नए कपड़े आ जायेंगे.. वो मेरे लौड़े पर हाथ लगा कर पूछने लगी- इसका दोष नहीं.. इतने कम दिनों में इसने मेरा नाप इतना बढ़ा दिया है। तो मैं बोला- अगली बार जब साथ रहेंगे तो कुछ दिनों में ही 38 साइज़ के कर दूँगा। तो वो हँसने लगी और मुझसे लिपट गई।

कुछ दिन बाद उसकी छुट्टियाँ ख़त्म हो गईं और वो भोपाल वापस चली गई। उसके बाद जब कभी मौका मिलता.. तो मैं भोपाल या कोलकाता हो आता था और जम कर अपनी बहनों की चूत चुदाई के मजे लेता था।

फिर एक दिन मैं भोपाल गया हुआ था और सोनाली मेरी बाँहों में लेटी थी, वो बोली- तुम इतना अच्छा से चोदते हो.. सीखा है कहीं से? मैं- नो डार्लिंग.. ओनली एक्सपीरियेंस.. सोनाली- मतलब मुझसे पहले भी किसी को चोद चुके हो? मैं- हाँ.. सोनाली- किसको..? मैं- एक हो तब ना बताऊँ.. किसी का नाम.. सोनाली- तो कितनी हैं? मैं- दस..

सोनाली- इतना ज्यादा मतलब मेरा नम्बर 11वां है? मैं- हाँ। सोनाली मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली- तभी तो ये इतना मजबूत है। मैं- हाहहह.. सोनाली- कौन-कौन थीं वो ख़ुशनसीब लड़कियाँ? ज़रा बताओ तो.. मैं भी तो जानूँ.. मैं कितनों को जानती हूँ? मैं- लगभग सभी को जानती होगी शुरूआत हुई थी चेतना से.. याद है तुमको? सोनाली- हाँ.. वो जो साथ स्कूल जाती थी। मैं- हाँ वही..

सोनाली- कब.. स्कूल के टाइम में ही.. या बाद में? मैं- स्कूल के टाइम में भी और अभी भी चोदता हूँ। सोनाली- दूसरी?? मैं- इसको भी तुम जानती हो.. ऊपर वाले फ्लोर पर पूजा रहती थी.. याद है? सोनाली- ओह्ह.. उसको भी? मैं- हाँ..

सोनाली- तीसरी.. मैं- रीमा भाभी.. सोनाली- रीमा भाभी.. रोशन भैया की बीवी? मैं- हाँ.. सोनाली- इनके साथ कब हुआ? मैं- याद है.. एक गर्मी की छुटियों में मैं नानी के यहाँ एक महीना रहा था.. तभी.. सोनाली- अभी भी करते हो? मैं- हाँ जब जाता हूँ.. तो मौका मिलने पर हो जाता है।

सोनाली- चौथी? मैं- मेरा दोस्त मयंक याद है? सोनाली- उसके साथ.. तुम ये भी? मैं- अरे नहीं.. उसकी बहन अंकिता.. सोनाली- बड़ा कमीना है तू.. मैं- बचपन से ही हूँ.. हाहहहह..

सोनाली- उसके बाद? मैं- इसको तुम नहीं जानती हो.. मेरी मकान मालकिन। सोनाली- ओके उसके बाद? मैं- मोनिका.. पापा के दोस्त की बेटी.. सोनाली- राउरकेला वाले? मैं- हाँ.. सोनाली- और ये कब हुआ? मैं- जब राउरकेला गया था ना ट्रेनिंग के लिए? सोनाली- ट्रनिंग के लिए गए थे या ये सब करने गए थे?

मैं उसकी चूचियों को दबाते हुए बोला- दोनों काम करने गया था मेरी जान.. क्या करूँ.. ये मेरी कमज़ोरी है। सोनाली- ऊहूऊऊ.. छोड़ो न.. उसके बाद? मैं- उसके बाद का भी राउरकेला में ही मोनिका की दोस्त सोनी और उसकी मम्मी.. सोनाली- ओ तेरी.. उसकी मम्मी को भी.. ये कैसे हुआ? मैंने फिर से उसकी चूची को दबा दिया- बस हो गया। सोनाली- ऊऊऊऊऊहू ऊऊऊऊ.. इसी लिए.. जब वो आती है.. तो तुम भाग के मिलने जाते हो। मैं- बहुत समझदार हो।

सोनाली- उसके बाद कौन है? मैं- मेघा.. मेरी गर्ल-फ्रेंड.. सोनाली- उसके बाद? मैं- मत जानो.. ये? सोनाली- कौन है.. बताओ तो सही..? मैं- सुरभि.. सोनाली एकदम चौंकते हुए बोली- क्या?? मैं- हाँ.. सोनाली- बहुत बड़ा कमीना है तू.. यार ये कैसे हुआ? उसे अपनी सारी कहानी बता दी।

सोनाली- मतलब कोलकाता इसी लिए जाते हो? मैं- हाँ.. सोनाली- दीदी को मेरे बारे में पता है? मैं- नहीं.. सोनाली- गुड.. मैं- ओके.. सोनाली- ओके.. उसके बाद? मैं- मेरी जान.. जो मेरी बाँहों में है।

सोनाली- अच्छा सबसे ज्यादा मजा किसके साथ आया? मैं उसको किस करते हुए बोला- मेरी इस जान के साथ.. सोनाली- हहाहाहा.. मैं- मेरे बारे में तो सब जान गई.. तुम अपने बारे में भी कुछ बताओ। सोनाली- मेरे बारे में क्या.. सब तो जानते ही हो.. क्या जानना बाकी है.. बताओ?

मैं- तुम्हारे ब्वॉय-फ्रेण्ड के बारे में? सोनाली- ब्वॉय-फ्रेण्ड के बारे में… क्या? मैं- अब तक कितने बने और कौन-कौन से खेला है? सोनाली- अब तक तीन.. मैं- तीन.. कौन थे ये सब.. और सिर्फ़ घूमी-फिरी हो.. या किसी के साथ.. लेट भी चुकी हो?

सोनाली- ओके बताती हूँ.. पहला ब्वॉय-फ्रेण्ड राहुल.. याद है ना तुझे? मैं- हाँ स्कूल वाला.. सोनाली- हाँ वही.. लेकिन सिर्फ लव लैटर ही देता रहा।

मैं- ओके.. दूसरा? सोनाली- समीर.. मैं- कौन.. जो साथ में पढ़ने आता था.. हरामी साला? सोनाली- हाँ वही.. ये सिर्फ़ किस ही कर पाया.. उससे आगे मौका ही नहीं दिया।

मैं- गुड तीसरा? सोनाली- सूरज.. याद है तुमको? मैं- कौन जो हमारे पड़ोस में रहता है? सोनाली- हाँ इसके साथ दो बार.. मैं- इसके साथ चुदी हो? सोनाली- हाँ.. मैं- कहाँ? सोनाली- अपनी छत पर और एक बार उसके घर में..

मैं- पहले से ही उस कमीन पर मुझे शक था.. पर अब तो मैं उसकी बहन को भी चोदूंगा। सोनाली- किसको शेफाली को? मैं- हाँ और तुम मेरी हेल्प करना.. उसको पटाने में..

सोनाली- ओके.. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा? मैं- क्या चाहिए बोलो? सोनाली- जो माँगूगी.. दोगे..? मैं- कोशिश करूँगा! सोनाली- ओके बताती हूँ.. मुझे तुम्हारा एक दोस्त बहुत पसंद है। मैं- कौन? सोनाली- सूर्या.. एक बार मुझे उससे मिला दो ना प्लीज़!

इतना कहते ही वो मेरे लंड पर बैठ गई और मेरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया। मैंने नीचे से उसकी चूत में ठोकर मारते हुए कहा- ओके.. कोशिश करता हूँ। बातों ही बातों में हमारी चुदाई हो गई जब चुदाई ख़त्म हुई तो।

सोनाली- सुशान्त.. अपना प्रोमिस भूलना मत.. मैं तुमको शेफाली को पटाने में हेल्प करूँगी और तुम मुझे सूर्या से मिलवा दोगे। मैंने दबे मन से ही सही.. लेकिन ‘हाँ’ बोल दिया। सोनाली- तो कब बुला रहे हो? मैं- जब घर आओगी। सोनाली- तो चलो आज ही चलते हैं घर!

मैं- बड़ी जल्दी है.. सोनाली- सूर्या की बहन भी कम नहीं है.. तुम भी ट्राई कर सकते हो.. मैं- तुमको कैसे पता? सोनाली- उसकी फ़ेसबुक में आडी है ना.. वहीं देखी थी। मैं- उसका प्रोफाइल भी देख चुकी हो! सोनाली- हाहाहहाहा जलने की बू आ रही है..

हम घर आ गए और पूरे रास्ते मजा लेते आए.. जैसे हम दोनों ब्वॉय-फ्रेण्ड गर्लफ्रेंड हों। हमने घर पर बता दिया कि कॉलेज में छुट्टियाँ हैं। मैं- घर तो आ गए.. अब आगे का क्या प्लान है? सोनाली- तुम सूर्या को घर बुलाओ.. बाकी का काम मैं कर दूँगी।

मैं- तुम कर दोगी.. लेकिन कैसे? मैं उसको सीधा तो नहीं बोल सकता ना.. कि मेरी बहन तुमसे चुदना चाहती है और मैं तुम्हारी बहन को चोदना चाहता हूँ।

सोनाली- अरे नहीं.. तुम उसको बुलाओ और मैं बदन दिखा करके उसको पटा लूँगी। मैं- ओके..

मैंने सूर्या को फोन किया और बोला- भाई पटना में हो? सूर्या- पटना में.. हाँ.. क्यों? मैं- मैं भी पटना आया हूँ.. सूर्या- कब? मैं- आज ही.. तू आ ना मेरे घर.. बहुत दिन हो गए मिले हुए.. सूर्या- ठीक है भाई.. कुछ देर में आता हूँ। मैं- ओके.. आ जा..

सोनाली- क्या बोला वो? मैं- आ रहा है। सोनाली- सच? मैं- हाँ.. उसने मुझे किस करते हुए कहा- थैंक्स भाई.. मैं- अब जा.. अच्छे कपड़े पहन ले..

कुछ देर बाद घर की बेल बज़ी.. तो मैं बोला- आ जा.. खुला हुआ है। तो सूर्या आ गया और मैं उससे गले मिला। मैं- आ जा.. बैठ..

तो वो मेरे बगल में बैठ गया। सूर्या- तो.. और बता कैसा है? मैं- मस्त.. तू अपना बता.. सूर्या- मैं भी मस्त हूँ.. कुछ देर हमारी बातें चलती रहीं।

मैं- क्या पिएगा? सूर्या- जो तू पिला दे। मैं- सोनाली दो कप चाय देना तो.. सूर्या- अरे ये सोनाली कब आई? मैं- आज ही.. मैं ही लाने गया था।

सोनाली चाय ले कर आई.. तब उसने बहुत खुले गले का टॉप पहना था.. जो पीछे से पारदर्शी था और नीचे कैपरी भी बहुत चुस्त वाली पहने हुई थी। इस कैपरी और टॉप के बीच कुछ जगह खाली थी.. जिससे उसकी नाभि आसानी से दिख रही थी।

दोस्तो.. मेरी यह कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा। आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा है या नहीं.. मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा। कहानी जारी है। मेरी फेसबुक आईडी के लिए मुझे एड करें https://www.facebook.com/profile.php?id=100010396984039&fref=ts

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