बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद -8

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अब तक आपने पढ़ा.. सूर्या- अरे यह कब आई? मैं- आज ही.. मैं ही लाने गया था। सोनाली चाय ले कर आई.. तब उसने बहुत खुले गले का टॉप पहना था.. जो पीछे से पारदर्शी था और नीचे कैपरी भी बहुत चुस्त वाली पहने हुई थी। इस कैपरी और टॉप के बीच कुछ जगह खाली थी.. जिससे उसकी नाभि आसानी से दिख रही थी। अब आगे..

मैंने तिरछी नज़र से सूर्या को देखा तो वो अन्दर से हिल चुका था और सीधे तो नहीं.. लेकिन तिरछी नज़रों से सोनाली के मदमस्त जिस्म को देख रहा था। तब तक सोनाली मेरे पास आ गई.. मैंने एक कप लिया और बोला- सूर्या को भी दो.. वो सूर्या को देने के लिए झुकी उसकी चूचियाँ आधी बाहर आ गईं। सूर्या उसको ही देखे जा रहा था लेकिन तिरछी नज़र से.. जब वो जाने लगी तो वो और अपने चूतड़ों को मटका कर जा रही थी।

लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था.. जो हमेशा इसको नंगी देखता था.. तो सोचो सूर्या का क्या हाल हुआ होगा। मैं- क्या हुआ.. पानी लेगा क्या? सूर्या- हाँ..

मैं- जा रसोई से ले आ.. और ज़ोर से बोला- सोनाली इसको एक गिलास पानी दे देना। मैंने सोचा.. यहाँ तो तिरछी नज़र से देखना पड़ रहा है.. वहाँ जाएगा तो कम से कम आराम से देख तो सकेगा। मेरी बात सुन कर तो उसको तो मुँह माँगी मुराद मिल गई और जब तक वो वहाँ खड़ा रहा.. सोनाली ने अपने जिस्म की नुमाइश करके उसका भरपूर मनोरंजन किया। जब वो लौट रहा था तो उसकी फूली हुई पैंट इस बात का सबूत पेश कर रही थी कि उसे कितना मजा आया।

हम लोग चाय पीने लगे। मैं- चल.. कोई मूवी देखते हैं।

मैं अपना लॅपटॉप ले आया और उसमें एक हॉट हॉलीवुड मूवी को चला दिया। जिसमें बहुत सारे हॉट सीन्स थे। वो मूवी देखने लगा और मैं कप रखने रसोई में चला गया।

सोनाली- कैसे लगा मेरा परफॉर्मेंस? मैं- जबरदस्त.. लोहा गर्म है बस हथौड़ा मारने की देरी है.. लेकिन जब तक मैं यहाँ रहूँगा.. वो तुमको कुछ नहीं करेगा.. सो मैं कोई बहाना बना कर जाता हूँ.. तब तक तुम अपना काम कर लेना। सोनाली- ओके.. मेरी जान.. तुम जल्दी जाओ.. मैं- क्या बात है बड़ी जल्दी है.. उससे चुदने की.. सोनाली- हाँ बचपन का प्यार है.. मैं- ओके गुडलक..

उसको एक लिप किस किया और बाहर आ गया और मूवी देखने लगा। सोनाली- भैया.. मैं नहाने जा रही हूँ.. नहा कर खाना बना दूँगी.. तब तक तुम मेरा सामान ला दो। मैं- ओके ठीक है.. जाओ ला देता हूँ..

मैं- क्या बाइक से आया है भाई? सूर्या- हाँ..। मैं- ला चाभी ला.. बाइक की.. सूर्या- कहाँ जाएगा.. चल मैं भी चलता हूँ। मैं- मार्केट जाना है.. बस 10 मिनट में आ जाऊँगा.. तू यहीं मूवी देख.. मैं आता हूँ। सूर्या- ठीक है जा..

मैं बाइक थोड़ी दूर पर लगा कर पीछे के दरवाजे से अन्दर आ कर छिप गया और देखने लगा कि क्या हो रहा है।

सोनाली बाथरूम से चिल्लाई- भाई.. भाई? सूर्या- वो मार्केट गया है.. कुछ काम से क्या हुआ.. कुछ काम है क्या? सोनाली- हाँ.. मैं कमरे में अपने कपड़े और फेसवाश भूल गई हूँ.. ला दोगे प्लीज़? सूर्या- कहाँ पर है? सोनाली- मेरे बिस्तर पर रखा होगा। सूर्या- ओके देखता हूँ..

सूर्या उसके कपड़ों को देख कर और उत्तेजित हो गया और उसको ले कर बाथरूम के पास आया- ये लो.. देखो तो यही हैं? सोनाली- नहीं रहने दो.. एक और काम कर दोगे प्लीज़.. सूर्या- क्या? सोनाली- यार पानी ख़त्म हो गया है.. सो रसोई में 2 बाल्टी पानी रखा है.. एक बाल्टी ला दोगे प्लीज़? सूर्या- ओके..

जब तक सूर्या रसोई गया तब तक सोनाली ने जितना हो सकता था अपने कपड़े और खोल दिए.. जिससे सूर्या उसके सेक्सी जिस्म का दीदार अच्छी तरह से कर ले। जब वो पानी ले कर आया.. तो उसने आवाज दी- पानी ले आया.. कैसे दूँ? सोनाली- रूको.. मैं दरवाजा खोलती हूँ।

सोनाली ने दरवाजा खोला और सूर्या उसके बदन को देखता ही रह गया और भीगी होने के कारण उसका हर ‘सामान’ दिख रहा था.. मम्मे और उस पर तने हुए निप्पल.. गाण्ड के अन्दर फंसा हुआ कपड़ा.. किसी को भी उत्तेज़ित करने के लिए काफ़ी था और सूर्या तो पहले ही गरम था..।

लेकिन मानना पड़ेगा सूर्या के कंट्रोल करने की पावर को.. उसने सोनाली को सिर्फ़ देख कर ही मजे लिए.. छूने की कोशिश भी नहीं की.. और बाल्टी रख के बाहर आ गया। तब उसकी शक्ल देखने लायक थी.. वो पूरा पसीने से लथपथ था जैसे शायद उसका गला सूखा जा रहा था। लंड अन्दर पानी छोड़ चुका होगा और ऊपर से हॉट मूवी आग में घी का काम कर रही थी।

सूर्या मूवी देख कर और भी चुदासा होता जा रहा था.. अगर उसे मेरा ख्याल नहीं होता या सोनाली मेरी बहन नहीं होती तो अब तक चोद चुका होता। लेकिन शायद उसे मेरी दोस्ती रोक रही थी।

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और सूर्या भी उधर आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा। मैंने भी देखा.. मैं सोच रहा था कि अब क्या करामात करने वाली है.. सोनाली का हाथ बाहर आया.. मैं मन में ही सोचने लगा कहीं नंगे ही तो बाहर नहीं आ रही है।

तभी लाल तौलिया दिखा.. तो मन में सोचा शुक्र है.. कम से कम जिस्म पर तौलिया तो लपेट लिया है। जब पूरी बाहर आई.. तो मैं सोचने लगा कि ये क्या.. एक छोटी सी लाल तौलिया में अपने आपको किसी तरह लपेट कर निकली.. जिसमें तौलिया ऊपर निप्पल के पास बँधा हुआ था। मतलब आधी चूचियों साफ़ बाहर थीं और नीचे चूतड़ों के पास तक ही तौलिया था.. मतलब हल्की सी भी झुकती तो चूतड़ बाहर दिख जाते और साइड में जिधर तौलिया के दोनों सिरे थे.. उधर चलते वक्त जिस्म की एक झलक दिखाई दे रही थी। ऊपर बँधे हुए बाल और बालों से चूचियों तक का खाली भाग.. आह्ह.. एक तो गोरा बदन था.. ऊपर से पानी की बूँदें और भी कयामत ढा रही थीं। नीचे देखा तो.. चूतड़ों के नीचे गोरी सेक्सी टाँगों का तो कोई जबाब ही नहीं था। सीधी बात कहूँ तो कोई अगर देखे तो उसका लंड क्या.. सब कुछ खड़ा हो जाएगा।

मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि कोई उसको देखने के बाद अपनी पलक भी नहीं झपका पाएगा और शायद यही हाल सूर्या का भी था.. वो बिना पलक झपकाए उसे देखे जा रहा था।

सोनाली से उसकी नज़र मिलीं तो सोनाली हल्की सी मुस्कुरा दी.. मतलब उसका खुला आमंत्रण था और सोनाली अपने कमरे की तरफ़ बढ़ने लगी। तभी वो फिसल गई.. शायद वो जानबूझ कर फिसली थी। सोनाली- आअहह.. सूर्या- क्या हुआ? सूर्या दौड़ते हुए उसके पास गया।

सोनाली- मैं गिर गई.. उठने में मेरी मदद करो।

सूर्या को तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था.. उसको छूने का और उसने उसको हाथ पकड़ कर उठाने की कोशिश की लेकिन नहीं हो पाया। ‘मुझसे नहीं उठा जाएगा.. आह्ह.. मुझे गोद में उठा कर मेरे कमरे में ले चलो प्लीज़..’ सूर्या- ओके..

सूर्या ने उसको गोद में उठा लिया और कमरे ले जाने लगा और उसको बिस्तर पर लिटा दिया। ‘कहाँ चोट लगा है.. बताओ?’ सोनाली पैर की तरफ़ इशारा करते हुए बोली- देखो.. उधर सामने बाम रखी हुई है.. जरा लगा दो ना.. सूर्या ने एक जगह छूते हुए पूछा- यहाँ? सोनाली- नहीं.. ऊपर..

ये बोल कर वो पेट के बल लेट गई।

सूर्या जाँघों के पास हाथ ले गया.. और पूछा- यहाँ? सोनाली- नहीं.. और ऊपर.. सूर्या ने चूतड़ों को छुआ और पूछा- जहाँ से ये स्टार्ट होते हैं? सोनाली- हाँ यहीं..

सूर्या उसके नंगे चूतड़ों पर बाम लगाने लगा। सूर्या- अच्छा लग रहा है? सोनाली- हाँ अच्छा.. थोड़ा और ऊपर करो न.. कमर के पास भी लगा दो ना.. वहाँ भी दर्द है.. सूर्या- ठीक है.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो अपना हाथ तौलिया के अन्दर ले गया और लगाने लगा, तब तक सोनाली ने अपना तौलिया की गाँठ खोल दी। जब वो पूरी तरह से बाम लगा चुका.. तब तक उसका लंड भी तन कर तंबू हो गया था। पूरी मालिश करने के बाद उसने पूछा- दर्द कैसा है? तो सोनाली उठी.. उसका तौलिया बिस्तर पर ही रह गया और नंगी ही सूर्या के गले लग गई। सूर्या देखता ही रह गया।

दोस्तो, मेरी यह कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा। यदि आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा हो.. तो मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा। कहानी जारी है। मेरी फेसबुक आईडी के लिए मुझे एड करें https://www.facebook.com/profile.php?id=100010396984039&fref=ts

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