दो बहनों के साथ चूत चुदाई का खेल

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम देव है.. मैं 18 साल का हूँ.. मेरा लंड 7 इंच का है।

ये कहानी अब से 3 महीने पहले की है। मेरे पड़ोस में प्रियंका और मुस्कान नाम की दो लड़कियाँ रहती हैं। प्रियंका बड़ी है और मुस्कान छोटी.. दोनों बहनें कयामत हैं। प्रियंका 19 साल की है उसका रंग एकदम गोरा है.. गुलाबी होंठ.. 26 इंच की उठती हुई चूचियां.. पर मुस्कान 18 की है.. उसका भी गोरा बदन.. उसके भी 28 इंच के उभरते नीबू हैं। उन दोनों को मैं जब भी देखता हूँ.. तो मेरा मन करता कि उनकी चूची दबा दूँ। मेरा लंड खड़ा हो जाता था.. मैं अक्सर उनके नाम की मुठ्ठ भी मार लिया करता था।

एक दिन उनकी माँ ने मुझसे कहा- बेटा तुम्हारे पास लैपटॉप तो है ही.. मेरी बेटियों को भी सिखा दो। मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी.. अगले दिन से प्रियंका और मुस्कान दोनों बहनें मेरे घर आ गईं.. मेरी माँ और उनकी माँ अच्छी सहेली की तरह थीं.. इसलिए मुझे भी कोई डर न था। मैंने दोनों बहनों को अपने कमरे में बुलाकर दरवाजा बंद कर लिया.. फिर मैंने लैपटॉप चालू किया।

प्रियंका मेरे बाएँ और मुस्कान दाएँ बैठ गई। फिर मैंने बताना आरंभ किया और उनसे बारी-बारी से माउस चलाने को कहा। तो मुस्कान बोली- भैया माउस से तो एरो भागता ही नहीं है। प्रियंका भी बोली- हाँ.. मुझसे भी नहीं होता है। मैंने मुस्कान का हाथ पकड़ा.. तो वो बोली- भैया हाथ छोड़िए मेरा..

मैंने मुस्कान से कहा- यार अगर तुम्हारा हाथ नहीं पकडूँगा.. तो सिखाऊँगा कैसे.. तुम्हारी माँ भी कहेगी कि मेरी बेटी को कुछ नहीं सिखाया तुमने.. तो वो कुछ नहीं बोली.. मैंने उसका हाथ पकड़ा और माउस घुमाने लगा। अब उसे भी लग रहा था कि वो सीख रही है। मुझे उसका कोमल हाथ पकड़ने में मजा आ रहा था। फिर मैंने प्रियंका से कहा- तुम भी माउस चलाओ। तो फिर मैंने उसका भी हाथ पकड़ कर उसे भी सिखाने लगा।

इसी तरह दोनों बहनें रोज मेरे घर आने लगीं। धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए और अब तो हम लोग काफी मजाक-मस्ती करने लगे थे। मैं उन दोनों बहनों को अपने आगे बैठाकर उनसे चिपक कर बैठ जाता था.. और उनके कंधे पर अपना सिर रख देता था.. पर वो दोनों कुछ नहीं बोलती थीं.. शायद उन्हें भी मजा आता था।

कभी प्रियंका को तो कभी मुस्कान को आगे बैठाकर उनकी कुर्ती से झांकती चूचियों को देखता.. उनकी चूची पीछे से साफ दिखाई देती थीं। एकदम सफेद चीकू थे.. गोल और रसीले.. सच्ची.. मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था।

एक दिन मैंने उन दोनों से कहा- मैंने तुम दोनों को इतना कुछ सिखाया है.. मुझे कुछ तो मिलना चाहिए। मुस्कान बोली- माँ दे देगी.. मैंने कहा- तुम्हारी माँ को मैंने थोड़ी ना सिखाया है.. मुझे तुम दोनों से कुछ चाहिए। तो दोनों हँसने लगीं और चली गईं।

एक सप्ताह के बाद उनके मम्मी-पापा शादी में जा रहे थे.. लेकिन दोनों बहनों की परीक्षा थी इसलिए प्रियंका और मुस्कान परीक्षा के कारण शादी में नहीं गईं। मैंने फोन किया तो मुस्कान ने फोन उठाया। मैंने कहा- मेरी दक्षिणा बाकी है.. तो वो बोली- कल माँ और पापा शादी में जा रहे हैं.. आप रात को चले आना।

मैं भी कल घर में दोस्त के जन्मदिन का बहाना करके चला गया। उनके घर पहुँचा तो प्रियंका ने दरवाजा खोला और कातिलाना अंदाज में मुस्कुराने लगी।

मैं अन्दर जाकर जैसे ही बैठा तो मुस्कान ने मुझे किस कर लिया। मैं भी कहाँ मानने वाला था.. मैंने मुस्कान को अपनी गोद में बैठा लिया और किस करने लगा। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा।

तभी प्रियंका को भी मैंने खींच लिया.. तो वो शरमाने लगी। मैंने कहा- क्या यार.. यहाँ तेरी बहन मेरे लंड पर उछल रही है और तू शरमा रही है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तो वो हँसने लगी। मैं खड़ा हो गया और प्रियंका को चूमने लगा और उसकी चूचियों को दबाने लगा। मैंने पांच मिनट बाद मुस्कान और प्रियंका के कपड़े उतार दिए। दोनों ने न तो ब्रा पहनी हुई थीं.. और न पैन्टी पहनी थी।

वे दोनों तो मानो चूत चुदवाने को पहले से तैयार बैठी थीं।

अब मैं भी नंगा हो गया। हम तीनों नंगे थे। प्रियंका ने अपनी चूत शेव कर रखी थी.. पर मुस्कान की चूत पर रेशमी छोटे-छोटे बाल थे। मैंने प्रियंका को बिस्तर पर लिटाया और उसकी गुलाबी चूत चाटने लगा।

वो ‘आह.. आह..’ कर रही थी और 5 मिनट में ही झड़ गई। अब मुस्कान को लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा। मुस्कान ने अपना पैर मेरे कंधों पर रख दिया.. मैं उसकी चूत चाटने में लगा था, वो भी जल्द झड़ गई। अब मैंने कहा- तुम दोनों का तो हो गया.. पर मैं अभी नहीं झड़ा..

तो मुस्कान ने झट से मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। फिर प्रियंका भी धीरे-धीरे मेरा लौड़ा चूसने लगी। दोनों बहनें एक साथ मेरा लंड लॉलीपॉप के जैसे चूस रही थीं।

मुझे जन्नत का एहसास हो रहा था क्योंकि मेरा लंड दो-दो गुलाबी मखमली जैसे होंठों में अन्दर-बाहर हो रहा था। मैंने सोचा कि पहले प्रियंका को ठंडा कर दूँ.. फिर मुस्कान के साथ आराम से मजा लूँगा।

मैंने प्रियंका की चूत पर अपना लंड रखकर ठेलने लगा.. तो वो सिसकने लगी। उसकी चूत टाईट होने के कारण मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था। मैंने मुस्कान को तेल लाने को कहा.. वो रसोई से तेल ले आई।

मैंने कहा- अब मेरे लंड पर और अपनी दीदी की चूत में तेल लगा दो।

मुझे मुस्कान के हाथ से लंड की मालिश करवाने में बड़ा मजा आ रहा था। फिर प्रियंका को किस करते हुए उसका मुँह बंद किया और अपना लंड उसकी अनछिदी बुर में आधा ठेल दिया। उसकी तो जान निकल गई.. वो छटपटाहट के साथ मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी.. पर मैंने उसकी एक न सुनी और लंड को थोड़ा पीछे करके दूसरा झटका मारा और पूरा लंड अन्दर ठेल दिया।

वो खूब रोने लगी.. तो मैं रूक गया.. जब वो चुप हुई तो मैं फिर चालू हो गया। मैंने लगातार प्रियंका को देर तक चोदा और उसकी चूत में ही झड़ गया।

इधर मुस्कान ये सब देख गरम हो चुकी थी.. मैं मुस्कान के साथ लिपट गया। वो मुझे लिटा कर मेरा लंड चाटने लगी। मेरा लंड फिर तन गया.. उसने अपनी चूत में मेरा लंड सटाया और सीधे बैठ गई और चीखने लगी। मैं देख कर दंग रह गया प्रियंका भी यह देख दंग रह गई। उसकी इस जल्दबाजी के कारण मुझे भी थोड़ा दर्द हुआ.. पर मजा बहुत आया।

मैंने मुस्कान को अपने सीने से चिपका लिया और चोदने लगा। वो चीख भी रही थी.. पर बोली- रुकना मत… उसे भी आधे घंटे चोदने के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और उससे चिपक कर लेट गया। फिर प्रियंका को तेल लाने को कहा और दोनों बहनों को लंड मालिश करने कहा। दोनों बहनें मेरे लंड की मालिश करने लगीं.. करीब 15 मिनट में मैं फिर झड़ गया।

फिर हम तीनों नंगे चिपक कर सो गए। सुबह मैं दोनों को किस करके आ गया।

यह दो लड़कियों के साथ चूत का खेल का किस्सा था.. आपको मेरी कहानी अच्छी लगी या नहीं.. तो मुझे जरूर मेल करें ताकि मैं अपनी और कहानियाँ भी आपको लिख रख पाऊँ। [email protected]