मेरा गुप्त जीवन -84

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कम्मो हैरान होकर हंसने हुए बोली- छोटे मालिक, यह लड़की आपकी चोट की है, देख लेना यह तुमको हरा देगी।

अगले दिन पूनम और मैं जब कॉलेज पहुँचे तो मेरे एक सहपाठी मित्र मिल गए और बोले- सोमू यार, तुमने नोटिस बोर्ड देखा क्या? मैं बोला- नहीं यार, मैं तो अभी कॉलेज आया हूँ। क्या ख़ास बात लिखी है वहाँ? वो बोला- तुम देख लो तो पता चल जाएगा। यह कौन है तुम्हारे साथ? मैं बोला- यह पूनम है, मेरी कजिन मेरी ही क्लास में आई है अभी अभी! दोनों ने एक दूसरे को नमस्कार किया और फिर हम तीनों नोटिस बोर्ड पढ़ने चले गए।

वहाँ एक ट्रिप के बारे में नोटिस लगा था जो उसी महीने होना था। यह ट्रिप दिल्ली और आगरा भर्मण के बारे में था, दो रात और 3 दिन का ट्रिप था और खास तौर से इतिहास के छात्रों के लिए था, एक सौ रूपए प्रति छात्र का खर्च था, वो छात्र जो इस ट्रिप में भाग लेना चाहते थे 3 दिन में जमा करवाना था।

मैं और पूनम अपनी क्लास में पहुँचे तो वहाँ इस ट्रिप की ख़ास चर्चा हो रही थी। मैंने पूनम से कहा- तुम चलोगी क्या इस ट्रिप में? पूनम बोली- जाने की इच्छा तो है लेकिन मम्मी पापा से पूछना पड़ेगा और इतनी जल्दी पैसों का भी इंतज़ाम होना मुश्किल है तो तुम हो आओ! मैंने कहा- मैं मम्मी पापा से पूछता हूँ और तुम भी आज घर में जाकर पूछ लेना। पैसों की फ़िक्र ना करो!

बाद में पता चला कि ट्रिप की इंचार्ज निर्मला मैडम होंगी और उनका साथ एक और लेडी प्रोफ़ेसर देंगी।

शाम को घर पहुँच कर मैंने मम्मी को फ़ोन से पूछ लिया और उन्होंने कहा- चले जाओ, लेकिन हर रोज़ फ़ोन ज़रूर करते रहना। पूनम ने जब घर में पूछा तो उन्होंने कहा- क्या सोमू भी जा रहा है और पूनम ने कहा हाँ तो उन्होंने कहा ‘चली जाओ’ लेकिन अपना प्रोग्राम बताती रहना हर रोज़।

रात आई और खाना खाकर हम तीनों बैठक में बैठे दिल्ली आगरा ट्रिप की ही बात कर रहे थे। हम तीनों ने यह जगह अभी तक नहीं देखी थी तो नई जगह देखने की उत्सुकता थी लेकिन फिर मन में संशय भी था कि आपसी चुदाई कैसे हो पायेगी।

कम्मो ने मेरी तरफ भेदभरी नज़र से देखा और शायद वो नैनीताल ट्रिप के बारे में सोच रही थी। मैंने कम्मो से पूछा- वो नैनीताल ट्रिप के बारे में पूनम को बता दें क्या? वो बोली- देख लो छोटे मालिक, क्या पूनम हमारा यह राज़ रख पाएगी?

पूनम बोली- कौन सा राज़ सोमू? मैं बोला- बड़ा ही भयानक राज़ है, अगर किसी को पता चल गया तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा, मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ जाएंगी। पूनम अब बहुत उत्सुक हो गई और ज़ोर देकर पूछने लगी तो मैंने कहा- कसम खाओ यह राज़ तुम किसी को नहीं बताओगी? पूनम बोली- कसम से, तुम्हारी इत्ती सी की कसम खाती हूँ। मैं और कम्मो दोनों हंस पड़े।

तब मैंने उसको नैनीताल ट्रिप का राज़ बताया कि कैसे चार लड़कियों ने मिल कर मेरा देह शोषण किया और एक बार नहीं, कई बार किया। और हर बार लड़कियों को कम और मुझको ज़्यादा मज़ा आया और यह था जबरदस्ती का मज़ा। पूनम बोली- वो लड़कियाँ अभी कॉलेज में हैं क्या? मैं बोला- हाँ हैं, और रोज़ मुझको पूछती हैं जोर आजमाइश करें क्या? पूनम बोली- आप क्या कहते हो उनको? मैं बोला- मैं कहता हूँ अकेली हो या फिर 3-4 हैं और भी? वो हमेशा यही कहती है वही अकेली है। और मेरा जवाब होता है मैं अकेली लड़की से देह शोषण नहीं करवाता, तीन चार मिल कर आओ तो करवा भी लूंगा।

कम्मो पूनम के पीछे बैठी थी और वो मुंह में साड़ी का पल्लू डाल कर ज़ोर से हंस रही थी। अब पूनम समझ गई कि मैं उसकी टांग खींच रहा हूँ, वो रूठने का नाटक करते हुए बोली- हमको नहीं सुननी तुम्हारी देह शोषण की कहानी।

मैं बोला- तुम सुनाओ, तुम्हारे साथ क्या हुआ था यार? पूनम बोली- मेरे साथ क्या होना था सोमू ठाकुर? और क्यों होना था रंगीले ठाकुर? मैं बोला- कुछ तो हुआ होगा ना जो तुम्हारी सील टूटी थी? पूनम शर्माती हुई बोली- वो तो आम की वजह से हुआ!

मैं और कम्मो हैरान हो कर बोले- आम? कौन सा आम? कैसा आम? और उससे सील टूटने का क्या सम्बन्ध हो सकता है? पूनम संजीदा होते हुए बोली- वो ऐसा है, जब मैं छोटी थी तो गाँव में अपने ही आमों के बाग़ में कुछ सहलियों के साथ आम तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ी थी लेकिन आम तोड़ने के बाद मैं जब नीचे उतर रही तो मेरा पैर फिसल गया और वहाँ में गिर गई और मेरी जो ‘वो’ है न, उससे बड़ा खून गिरा। फिर डॉक्टर ने मम्मी को बताया कि इस हादसे में सील टूट गई है।

मैंने और कम्मो ने बड़ा अफ़सोस जताया और मैंने उसको तसल्ली दी और कहा- कोई बात नहीं, नई लगवा लेना लखनऊ में! पूनम बोली- अब नई नहीं लगती प्यारे मोहन! मैं बोला- ऐसा क्यों? मेरा भी ‘इत्ता’ सा साला चूहा खा गया था एक रात को लेकिन कम्मो मेरे साथ गई थी और नया मोटा और बड़ा लगवा लिया था एक ख़ास दुकान थी हज़रात गंज में। क्यों कम्मो?

कम्मो तो अब हंसी के मारे सोफे के नीचे लुढ़क गई थी। पूनम कुछ समझ नहीं पा रही थी यह क्या हो रहा है। फिर भी वो इतना तो समझ गई थी कि मैं उसके साथ मज़ाक कर रहा हूँ। उसने सोफे के पास एक छड़ी पड़ी देखी तो उसको उठा कर मुझ को मारने के लिए दौड़ी और मैं भी दौड़ कर बाहर निकल गया।

अब वो मेरे पीछे भाग रही थी और मैं छुपने की जगह तलाश रहा था। फिर मैं एक खुले दरवाज़े में घुस गया और वहाँ छुप गया। पूनम ढूंढती हुई जैसे ही उस कमरे में घुसी, मैंने उसको पीछे से अपनी बाहों में दबोच लिया, मेरा खड़ा लंड उसकी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था और वो कसमसा कर छूटने की कोशिश कर रही थी। उसके हाथ की छड़ी मैंने अब अपने हाथ में ले ली थी और बोला- हिम्मत है तो छूट के दिखा पुन्नो? पूनम बहुत ज़ोर लगा रही थी लेकिन मेरी भी पकड़ ठाकुरों वाली थी सो आसानी से छूटने वाली नहीं थी।

मेरा लौड़ा तो आदतन खड़ा ही था तो उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी गांड में घुसने की कोशिश में था। इस पकड़ा पकड़ी में मेरा लंड बहुत ही अकड़ गया था तो मैं बिना कुछ सोचे समझे ही उसकी साड़ी पीछे से ऊपर उठाई और अपने लौड़े को पैंट से निकाल कर उसकी फूली हुई चूत में घुसेड़ दिया।

लौड़ा अंदर जाते ही पूनम का मुंह मेरी तरफ हुआ और मैंने झट से अपना मुंह उसके मुंह से चेप दिया, उसकी कमर को कस कर पकड़ कर मैं धीरे धीरे से लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा। जैसे जैसे लंड की गर्मी चूत में जा रही थी वैसे वैसे ही पूनम ढीली पड़ती जा रही थी।

अब मैंने उसको पलंग के किनारे पर हाथ टेक कर खड़ा कर के पीछे से धुआँ धार चुदाई शुरू कर दी। मेरा लंड अब पूनम की चूत से पूरा वाकिफ हो गया था, वो उसकी हर हरकत को पहचान गया था। थोड़ी देर में पूनम एकदम अकड़ी और फिर काफी ज़ोर से कांपी और बेड पर अपना सर रखने लगी।

मैंने उसको अपनी तरफ मोड़ा और उसके लबों पर एक गहरा चुम्बन दे दिया, वो और भी सब लड़ाई भूल कर मेरे को टाइट जफ्फी डाल कर मेरे गले में झूल गई। फिर हम दोनों संयत हो कर बैठक में लौटे।

और हम को देखते ही कम्मो समझ गई कि चूत चुदाई हो गई है। पूनम मुझको छोड़ कर सीधे ही कम्मो की गोद में बैठ गई। मैं भी कम्मो की गोद में बैठने की ज़िद करने लगा और फिर हमारी धींगा मस्ती शुरू हो गई जो उम्मीद के अनुसार बिस्तर पर खत्म होनी थी सो वो वहीं ख़त्म हुई।

आज कम्मो काफी खुश लग रही थी, जब मैंने पूछा- क्या बात है? तो वो बोली- तुम दोनों की लड़ाई देख कर मन बड़ा प्रसन्न हो रहा है। बड़े दिनों बाद इस कोठी में यह हंसी ठट्ठा हो रहा है।

मैं बोला- हाँ कम्मो, तुम शायद ठीक कह रही हो। बड़े दिनों बाद ऐसी लड़की मिली है जो बहुत ही शरारती और चुलबुली है। यह वाकयी में एक मनमोहक लड़की है, जिस घर में जायेगी वहाँ यह तूफान पैदा कर देगी। कम्मो बोली- हाँ छोटे मालिक, आप ठीक कह रहे हो।

मैं बोला- सोचो ज़रा देर सोचो की बाग़ में आम खाने गई और अपनी चूत फड़वा आई। वाह वाह… क्या बात है पूनम के चाँद की!

पुन्नो बोली- हाँ हाँ, कह लो जितना कह सकते हो। अपना नहीं देखते जब भी बाहर निकलते हो अपना दैहिक शोषण करवा कर आते हो? यह सुन कर मैं और कम्मो बड़े ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे. मैं बोला- तभी मैं कहूँ, वो ससुर रिक्शा वाला भी पूछ रहा था कि सब ठीक है न कहीं देह शोषण तो नहीं हुआ तुम्हारा आज बबुआ? यह सुन कर पुन्नो और कम्मो बहुत हंसी।

अब मैं अपने बैडरूम में आ गया और कपड़े उतार कर सोने की तैयारी में लग गया। इतने में पूनम भी आ गई और मुझको नंगा लेटा हुआ देख कर ज़ोर ज़ोर से तालियाँ बजाने लगी- सोमू की शेम शेम… शेम शेम… नंग धडंग लेटा है बेशर्म कहीं का! तुझको मालूम नहीं माँ बहन का घर है कपड़े पहन कर लेटते हैं? मैं नकली हैरानी में बोला- किधर हैं माँ बहन? कहाँ हैं वो दोनों देखूँ तो सही? पूनम बोली- आ रहीं हैं, अभी तुम्हारे कान पकड़ती हैं।

इतने में कम्मो अंदर आ गई और मुझ को नंगा लेटे देख कर वो तो हंस पड़ी लेकिन पूनम बोली- देखिये ना सासू जी, यह आपका छोरा तो नंग धड़ंग बेशर्म हो कर लेटा है? कम्मो हँसते हुए बोली- तो बहु, तुम भी नंग धड़ंग उसके संग लेट जाओ। तुम नहीं लेटोगी तो मैं लेट जाऊँगी। यह कह कर कम्मो भी अपने कपड़े उतारने लगी और नग्न होकर वो मेरे ही पलंग पर आकर लेट गई और मेरे खड़े लंड के साथ खेलने लगी।

यह देख कर पूनम के मुंह पर ताला पड़ गया लेकिन वो भी पक्की ठकुराईन थी, वो भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मेरे दूसरी तरफ आकर लेट गई। मैंने भी कम्मो के मुम्मों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ में उसकी चूत में ऊँगली से उसकी भग को भी दबा रहा था। यह देख कर पूनम अब मेरे लौड़े को पकड़ने की कोशिश कर रही थी लेकिन उस पर तो कम्मो ने कब्ज़ा जमाया हुआ था।

पूनम को जब और कुछ नहीं सूझा तो वो मेरे मुंह पर अपना मुंह रख कर मुझको चूमने लगी, मैं भी उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी और उस को गोल गोल घुमाने लगा। फिर मैंने कम्मो को कहा- कम्मो, तुम आज पूनम को चुदाई की थोड़ी ट्रेनिंग दे दो। कैसे क्या करते हैं यह उसको पूरा मालूम होना चाहिये ना! कम्मो बोली- ठीक है, पूनम तुम मेरी इस तरफ आ जाओ!

जब पूनम कम्मो की दूसरी साइड में चली गई तो मैं तब कम्मो के मुम्मे चूसने लगा, उसकी बालों से भरी चूत पर हाथ फेरने लगा और फिर उसके एकदम स्पाट पेट पर अपने हाथ फेरने लगा। कम्मो का जिस्म बहुत ही सुंदर ढंग से तराशा हुआ एक मुजस्मा लग रहा था हालांकि उम्र के हिसाब से वो हम सबसे बड़ी थी। उसके शरीर के सारे अंग एक साँचे में ढले हुए लग रहे थे, उसके सामने पूनम का शरीर अभी एक किशोर बालिका के समान ही लग रहा था।

आज जब मैं कम्मो के बारे में सोचता हूँ तो मुझे खजूराहो के मंदिरों में तराशी हुई सुन्दर स्त्रियों के समान उसका बदन लगता है।

कम्मो इस बीच पूनम को मस्त करने में लगी हुई थी, उसके मुम्मों को चूसने के बाद वो उसके पेट से होती हुई उसकी चूत पर जा कर रुक गई। कम्मो पूनम की चूत को चाटने लगी, पहले धीरे धीरे से उसने उसकी चूत के उभरे हुए लबों को चूमा और फिर जीभ का तिकोना बना कर उसने उसकी चूत के अंदर डाली और उसको गोल गोल घुमाई। वहाँ से वो उसके भग पर आ गई और उसको जीभ से पहले हल्के से चाटा और फिर उसको होटों के बीच लेकर चाटने लगी।

यह करते ही पूनम की कमर एकदम ऊपर उठ गई और मैंने मौका देख कर उसके गोल छोटे मुम्मों को अपने मुंह में ले लिया और उनको और उनके चुचूकों को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। इस डबल अटैक से पूनम एकदम बड़ी ज़ोर से झड़ गई और उसकी दोनों गोल सफ़ेद झांगें कम्मो की गर्दन के इर्द गिर्द लिपट गई और उसके चेहरे को उन्होंने जकड़ लिया और साथ ही वो बहुत तीव्र कंपकंपी महसूस करने लगी। मेरे भी सर को भी उसने अपनी छाती के साथ जोड़ दिया और फिर मेरे मुंह को बेतहाशा चूमने लगी। देखते देखते ही वो एकदम ढीली पड़ गई.

तब कम्मो मेरी तरफ मुड़ी और पूनम की चूत के रस से भीगा हुआ मुंह उसने मेरे मुंह से जोड़ दिया और मेरी जीभ को चूसने लगी। पूनम की चूत की भीनी खुशबू मेरे मुंह में भी आ गई और जैसे सांड मुंह ऊपर उठा कर गाय की चूत के रस को सूंघता है वैसे ही मैं भी सूंघता हुआ कम्मो के ऊपर चढ़ गया। कम्मो की टांगें हवा में लहरा उठी अब मेरी चुदाई का पहला दौर शुरू हुआ।

कम्मो की चूत की हर हरकत से मैं वाकिफ था और वो लंड के सब थपेड़े झेल चुकी थी इसलिए उसने आँखें बंद कर आनन्द लेना शुरू कर दिया। क्योंकि यह लंड चूत का तमाशा पूनम के लिए खास तौर से आयोजित किया जा रहा था तो उसको इस खेल की हर चाल दिखानी ज़रूरी थी। अब मैं पलंग पर बैठ गया और बगैर लंड को अलग किये मैंने उसको अपनी गोद में ले लिया और अब मैंने बैठ कर लंड घिसाई का कार्य शुरू किया। थोड़ी देर इस पोज़ में चोदा कम्मो को, फिर कम्मो को इशारा किया और मैं लेट गया, कम्मो मेरे ऊपर आ गई बिना चूत लंड को अलग किये।

थोड़ी देर इस पोज़ में अपने करतब दिखाए पूनम को… फिर मेरे इशारे पर कम्मो घोड़ी बन गई और मैंने उसको इस पोज़ में खूब ज़ोर ज़ोर से चोदा। जब वह 2-3 झड़ गई तो मैंने उसको आखिरी बार फुल स्पीड से चोदा।

अब मैंने पूनम को इशारा किया तो वो भी कम्मो के साथ घोड़ी बन कर कम्मो के साथ बैठ गई। मैंने कम्मो के ऊपर चढ़े हुए ही पूनम की चूत में हाथ लगाया तो वो अत्यंत गीली हो चुकी थी, मैं कम्मो की घोड़ी को रोक कर पूनम की घोड़ी पर जा बैठा।

पूनम को काफी देर मैंने इस तरह चोदा और उसने खुद कहा- सोमू, मैं थक गई हूँ प्लीज बस करो। मैंने कहा- सच्ची में थक गई हो क्या? पूनम बोली- सोमू, हाँ सच्ची में थक गई हूँ! मैं बोला- कसम खाओ कि आगे से कभी नहीं छेड़ोगी मुझको? पूनम बोली- कसम से… कभी नहीं छेड़ूंगी। मैं बोला- चलो माफ़ किया इस ठकुराईन को, एक बार और छूटा ले ना अगर मन हो तो? पूनम बोली- नहीं ना… अब और नहीं।

यह सुन कर मैंने एक आखिरी राउंड धक्कों का मारा और नीचे उतर गया। कम्मो ने हमारे लिए शर्बत तैयार किया हुआ था, वो पी कर हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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