मेरी हसीन किस्मत- 3

डेली सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी जवान पार्टनर लड़की को चोद चुका था. अगले दिन मैं उसके कमरे में गया तो उसने सेक्स में मेरा पूरा साथ दिया.

नमस्कार मेरे साथियो!

मेरी कहानी के पिछले दो भाग आप लोगों ने जरूर पढ़ें। होंगे उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को पसंद भी आई होगी।

डेली सेक्स की कहानी के दूसरे भाग कुंवारी चूत चुदाई का मजेदार मौक़ा मिला में आपने पढ़ा कि किस प्रकार से मैंने प्रिया की कुँवारी चूत की सील तोड़ी।

उसकी चूत इतनी प्यारी थी कि कोई भी मर्द अगर उसे पाता तो अपने आप को बहुत किस्मत वाला समझता।

मेरे मोटे और मजबूत लंड के सामने उसकी चूत कुछ भी नहीं थी. फिर भी उसने पहली चुदाई के दर्द को सहन करते हुए मुझसे चुदाई करवा ली।

डेली सेक्स की कहानी में आगे आप पढेंगे कि कैसे मैंने उसकी चूत को कुछ ही दिन में चुदाई का आदी बना दिया और अब वो बिना किसी दर्द के मेरे लंड को गपागप लेती है।

प्रिया की पहली चुदाई के बाद हम दोनों बिस्तर पर नंगे बदन लेटे हुए थे. उसने एक चादर अपने सीने तक ओढ़ रखी थी मगर अंदर से नंगी ही थी।

हम दोनों ही छत की तरफ देखे जा रहे थे; किसी से कुछ भी नहीं बोल रहे थे।

इस खामोशी को मैंने तोड़ा और उसका हाथ पकड़कर उसकी तरफ देखते हुए बोला- तुमको कोई दिक्कत तो नहीं? “दिक्कत नहीं … पर मैंने कभी नहीं सोचा था कि आपके साथ मेरा ऐसा रिश्ता बनेगा।”

“मैं क्या करता … शराब के नशे में तुमको इस हालत में देख मैं अपने आप पर काबू नहीं कर सका।” “मगर ये बात बाहर के लोगों को पता चली तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।” “कैसे पता चलेगी जब हम दोनों ही इस बात को अपने तक रखेंगे।”

“क्या तुम इस रिश्ते को आगे भी बढ़ाना चाहती हो?” “अब तो कुछ बचा नहीं है सब तो हो गया है. अब जो करना होगा करेंगे।”

उसकी तरफ से मुझे अब पूरी छूट मिल चुकी थी; अब मुझे किसी बात का डर नहीं था।

मुझे अपनी जिंदगी में एक बेहद ही खूबसूरत जवान और सेक्सी लड़की मिल चुकी थी। अब मैं उसका पूरा मजा लेना चाहता था; उसे हर तरह से चोदना चाहता था। वो अब मेरी थी।

उस रात मैंने केवल एक बार ही उसकी चुदाई की क्योंकि रात ज्यादा हो चुकी थी. और अभी वो इतनी ज्यादा चुदाई बर्दाश्त नहीं कर पाती।

दूसरे दिन हम दोनों को सेमिनार में शामिल होना था; और मैं नहीं चाहता था कि उस दौरान उसे कुछ तकलीफ हो। इसलिए हम दोनों ही सो गए।

अगली सुबह उठकर हम दोनों तैयार होकर सेमिनार के लिए निकल गए। और शाम को 8 बजे होटल वापस आ गए।

होटल पहुँचकर मैंने अपने कमरे को लॉक कर दिया और प्रिया के कमरे में ही सोने के लिए आ गया।

वहाँ मुझे देखकर उसने मुस्कुराते हुए कहा- आज फिर? “क्यों नहीं … जब तक यहाँ हैं, तब तक साथ में रहेंगे. घर पहुँचकर पता नहीं कब ऐसा मौका मिलता है।”

रात का खाना खाने के बाद हम दोनों टीवी देख रहे थे.

रात के 11 बज चुके थे और अगले दिन हम दोनों को वापस जाना था।

वो मेरे बगल में ही सोफे पर बैठी हुई थी। उसने अपना सर मेरे कंधे पर रखा हुआ था। उस वक्त वो एक छोटी सी नाइटी पहने थी जो उसके घुटनों तक आ रही थी।

मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिए हुआ था।

मैंने घड़ी देखी और तुरंत ही रिमोट से टीवी बंद कर दिया और बोला- रात बहुत हो गई!

ऐसा सुन वो बिस्तर पर जाने के लिए उठी. मगर मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया। तुरंत ही उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उसके मखमली होंठों को चूमने लगा।

आज हम दोनों ही नशे में नहीं थे और आज पूरे होश में थे।

उसके होंठों को चूमते हुए मैंने उसकी नाइटी उनकी कमर तक उठा दी और उसके गोरे गोरे गदराई जांघें सहलाने लगा।

जल्द ही मैंने उसकी पैंटी के अंदर अपना हाथ डाल दिया. उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

आज वो खुद अपनी जीभ निकाल कर मेरी जीभ से लड़ाई करते हुए मजा ले रही थी।

मुझे ऐसी लड़कियाँ बेहद पसंद है जो सेक्स में पूरा साथ दें. और प्रिया भी एक बेहद गर्म लड़की थी।

उसको चूमते हुए मैंने उसकी नाइटी उतार दी. और जल्द ही उसकी ब्रा भी निकाल दी।

मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिए और केवल चड्डी में हो गया।

मेरा घोड़े जैसा लंड उसके गर्म जिस्म के कारण अपने पूरी लंबाई में आ गया था।

मैं उसे अपनी गोद में बैठाकर उसके बांहों, उसकी अंडरआर्म, उसके निप्पल सभी को चूमता जा रहा था।

उसने भी अपनी शर्म को दूर रखते हुए मेरे लंड को थाम लिया था और मेरी चड्डी के अंदर से ही सहला रही थी।

कुछ ही देर में मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी पेंटी उतार दी। मैं उसकी चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा।

“ऊऊफ़्फ़ ऊऊईई ईईई मम्मीईई आआ आह ओऊ ऊऊऊ आआह ऊफ़्फ़ अंकल आआह!” मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की गहराई तक डाल कर चाट रहा था।

उसकी गुलाबी चूत इतनी सुंदर लग रही थी कि मन किया कि दांतों से चबा जाऊँ। उसकी पूरी चूत को मैं अपने मुँह में भर लेता और उसका पूरा पानी चूस लेता।

मेरे ऐसा करने से वो इतनी गर्म हो गई कि जल्द ही झड़ गई।

मैं फिर भी उसकी चूत चाटता रहा और जल्द ही वो दुबारा गर्म हो गई।

अब मैं उसकी चूत से ऊपर उठता हुआ उसकी नाभि को चूमने लगा उसमे अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगा।

उसके बाद उसके दूध को अपने मुँह में भरकर कभी चूसता तो कभी अपने दांतों से हल्के हल्के काटता।

उसके गोरे गोरे दूध जल्द ही लाल पड़ गए। उसके दूध इतने गोरे थे कि उसकी नीली नसें साफ साफ नजर आ रही थी। उसके छोटे से गुलाबी निप्पल किसी कयामत से कम नहीं थे।

अब तक वो काफी गर्म हो चुकी थी और अपने पैर बिस्तर पर पटकने लगी थी।

मैंने उसकी हालत को समझा और अपने लंड को उसकी चूत पर लगा दिया। उसके पैर अपने आप ही फैल गए जैसे मुझे अपने अंदर समा जाने के लिए निमंत्रण दे रहे हो।

मैं उसकी बांहों को चूमते हुए उससे बोला- तैयार हो ना? “हाँ अंकल!”

इतना सुनते ही मैंने आहिस्ते आहिस्ते लंड डालना शुरू कर दिया.

जैसे ही सुपारा उसकी चूत में घुसा, उसके मुँह से निकला- ऊऊई ईईईई मम्मई ईईईई! अंकल आराम से आआआ आह! मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत की गहराई तक उतार दिया।

फिर हल्के हल्के धक्के देना शुरू किया. उसकी आँखें अब बंद हो गई।

मैं शुरू में उसे हल्के से ही चोदता रहा और जब देखा कि उसको कुछ परेशानी नहीं हो रही तो अपनी रफ्तार बढ़ा दी।

“ऊऊईई ऊऊईई मम्मीईई आआ आओह हांआ आआह आह अंकल आआह!”

मैं बीच बीच में उससे पूछता जा रहा था कि कैसे लग रहा है? “बहुत अच्छा!” “और करूं?” “हाँ करिये न!” “कितनी तेज?” “और तेज़ … आआ आआह मम्मीईई!”

जल्द ही उसकी साँसें काफी तेज हो गई. वो बुरी तरह से मुझसे लिपट गई और अपने नाखून गड़ाने लगी।

अब उसकी चूत से फच फच फच की आवाज आने लगी।

15 मिनट तक मैं उसे बिना रुके ही चोदता रहा।

इस बीच वो झड़ गई मगर मैं अभी भी टिका हुआ था और बस उसे चोदे जा रहा था।

उसकी चूत अब पूरी तरह से खुल गई थी और मेरे लंबे लंड को बड़े आराम से ले रही थी।

अब मैंने अपना आसन बदला और बिस्तर पर लेट गया. उसे अपने ऊपर ले लिया और बोला- अब तुम करो।

“मुझसे नहीं हो पायेगा।” “क्यों नहीं होगा. तुम कोशिश तो करो!”

उसने भी हिम्मत दिखाते हुए मेरे लंड को चूत में डालना शुरू कर दी।

और जब लंड उसके अंतिम छोर पर पहुँचा तो अपना सर उठा कर जोर से चिल्लाई- ऊऊईईई ईई माआ आआआ!

“क्या हुआ?” “कुछ नहीं … बहुत लंबा है।”

“अब क्या करूँ?” “बस तुम अपनी कमर को हिलाते हुए लंड अंदर बाहर लेती रहो।”

उसने कोशिश करनी शुरू की मगर उससे अच्छे से नहीं हो रहा था। मैं उसकी कमर को हाथ से थाम कर उसे बताता गया और कुछ ही समय में वो काफी अच्छा करने लगी। उसकी रफ्तार धीमी थी मगर मजा बहुत आ रहा था।

उसके कूदने से उसके दोनों दूध हवा में उछल रहे थे जिन्हें देखकर मेरा जोश दोगुना हो रहा था।

मैंने उसे अपने ऊपर चिपका लिया और नीचे से जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया।

“आह मम्मीईई आआआ आह नहीईई दर्द होता है नहीईई!”

उसके चूतड़ों को दबा कर मैं जोर जोर से चोद रहा था। इस बीच वो एक बार फिर झड़ गई। मगर मैं अभी भी टिका हुआ था।

मैंने फिर से अपनी पोजीशन बदली और इस बार उसे घुटनों के बल होने के लिए बोला।

तब उसने कहा- क्या क्या करवाओगे अंकल? “बस तुम करती जाओ जैसा बोल रहा हूँ; और मजा लेती जाओ।”

वो अपने घुटनों के बल हो गई और मैं उसके पीछे हो गया।

पहले उसकी बड़े चिकने गोरे चूतड़ों को हाथों से सहलाया और फिर उसको चूमने लगा. उन पर अपने दांत गड़ाते हुए मैं उसकी मस्त कसी हुई गांड का मजा ले रहा था।

फिर मैंने अपने हाथों से उसके चूतड़ को फैलाया, उनकी गुलाबी चूत के ऊपर ही उसकी गांड का छेद था जो हल्के गहरे लाल रंग का था।

पर मैं अभी उसकी गांड नहीं चोदने वाला था क्योंकि अभी मैं बस उसकी चूत का पूरा मजा लेना चाहता था।

मैंने अपना लंड चूत पर लगाया और एक धक्के में ही अंदर कर दिया। “आआआ आह अंकल आराम से!”

बस उसके बाद मैंने अपनी पूरी ताकत से उसकी चुदाई शुरू कर दी। जल्द ही मेरे धक्कों से उसकी गोरी चूतड़ लाल हो गई।

सारा कमरा फट फट की आवाज से गूंज रहा था। पूरा बिस्तर जोर जोर से हिल रहा था।

उसने जोर से चादर को पकड़ लिया था और जोर जोर से चिल्ला रही थी- आह अंकल आआह मम्मीईई नहीईई आआआ नहीईई बस्स अंकल बस नहीईईई।

बिना रुके मैं दनादन उसकी चुदाई करता जा रहा था और 5 मिनट में अपना पूरा माल उसके अंदर डाल दिया।

धीरे धीरे वो पेट के बल लेट गई और मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया। मेरा लंड अभी भी उसकी जवान चूत के अंदर ही था जो कि अपने आप ढीला होकर बाहर आ गया।

अब उसने बस एक बात बोली- अंकल, आपने अंदर क्यों छोड़ दिया? कुछ हो गया तो? “कुछ नहीं होगा. बस मुझ पर भरोसा रखो।”

फिर कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए. उसे जोर की पेशाब आई थी और वो पेशाब करने के बाद आकर मेरे बगल में लेट गई।

कुछ समय बाद हमने फिर से एक लंबी चुदाई की और फिर सो गए।

अगले दिन हम दोनों वापस आने शहर लौट आये।

इस तरह हम लोग चुदाई का मौका मिलते ही एक दूसरे की इच्छाओं को पूरा करने लगे। बल्कि यों कहें कि हम डेली सेक्स का मौक़ा निकाल लेते थे.

मैंने अपने फार्म हाउस में साफ सफाई करवाई और जब भी मिलना होता तो वहीं पर मिलते।

प्रिया अब मेरे मोटे लंड को लेने की आदी हो गई थी। वो चुदाई के लिए कभी भी मना नहीं करती थी क्योंकि उसे इसमें काफी मजा आने लगा था।

इसी तरह मैं जब भी उसे फार्म हाउस चलने के लिए बोलता तो वो तैयार रहती है। हम दोनों लगभग डेली सेक्स करते थे.

दोस्तो, मुझे विश्वास है कि मेरी ये डेली सेक्स की कहानी आप सभी को पसंद आई होगी। धन्यवाद। [email protected]