भाभी की चूत चुदाई उनके मायके में -4

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

अब तक आपने पढ़ा.. मैंने लुंगी पहनी और दरवाजा खोलने चला गया.. जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक चुकी थी और मैं बुत बन कर खड़ा हो गया। उधर भाभी का भी यही हाल था.. हम लोगों को तो मानो समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो गया.. आने वाला गुस्से से लाल-पीला था।

मैंने तुरन्त ही दरवाजे को बन्द किया और अन्दर आकर खड़ा हो गया। तभी एक चीखती हुई आवाज आई- तो तुम लोग यहाँ ये करने आए हो.. क्यों दीदी.. तुम्हारा जीजाजी से मन नहीं भरता.. जो इसको लेकर यहाँ चुदने आई हो? आज ही जीजाजी को मैं ये सब बताऊँगी.. तभी भाभी की आवाज आई- प्रज्ञा, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। प्लीज, अपने जीजाजी से मत कुछ कहना। भाभी थर-थर काँप रही थीं। ‘तू जो कहेगी.. मैं वो करूँगी.. तुम अपना गुस्सा शांत करो।’ ‘ठीक है..’ अपनी आवाज को धीरे करते हुए प्रज्ञा बोली- पहले इसे यहाँ से भेजो।

अब आगे..

उसके इतना कहते ही मैं वहाँ से चलने लगा.. तो प्रज्ञा ने मेरी लुंगी खींच ली और जोर-जोर से हँसने लगी और बोली- क्यूँ बच्चू.. कैसा लगा मेरा झटका..! ‘झटका कह रही हो तुम.. झटका नहीं तुमने मेरी गाण्ड फाड़ दी है।’ ‘क्यों रे.. कल मैंने तुझे अपनी चूची.. बुर गाण्ड सभी के दीदार करा दिए तो भी नहीं समझा.. और कह रहे हो कि मेरी गाड़ फाड़ दी। दीदी आओ देखा जाए तो.. इसकी गाण्ड कैसी फटी है।

यह कह कर उसने अपने हाथों से मेरी गांड को फैलाया और ‘च..च..च..’ कहते हुए बोली- हाँ.. दीदी.. सचमुच इसकी गाण्ड फटी हुई है.. पर तुम तो कह रही थीं.. यह सबकी गाण्ड फाड़ता है। ‘हाँ ठीक ही तो कह रही थी मैं, चूत को भी खूब ग्राइन्ड करता है और गाण्ड का बाजा भी खूब बजाता है।’ ‘मैं नहीं मानती।’ ‘तो ठीक है.. तू इससे चुदवा लो.. तुम्हें खुद पता चल जाएगा। जब से इसने मुझे माउण्ट आबू की हसीन वादियों में चोदा है.. तब से मैं इसके लंड की दीवानी हो गई हूँ। एक बार तू भी इसके लंड का मजा ले ले।’

‘लूँगी.. इसका लण्ड.. पर अभी नहीं.. अभी तो हम सब का जानू मेरी बुर को चिकना करेगा और फिर ये आपको चोदेगा.. तो मैं इसको चोदते हुए देखूँगी.. क्योंकि मुझे देखने का मजा ज्यादा आता है।’

‘वो तो ठीक है प्रज्ञा.. लेकिन तुम्हें मेरी भी एक बात माननी होगी।’ ‘हाँ.. बोलो जानू.. तुम जो कहोगे वो मैं करूँगी।’ ‘फिर ठीक है.. फिर तो हम तीनों खूब मजा लेंगे।’

तभी भाभी बोलीं- हम तीन नहीं.. हम चार.. नीलम को भी बुला लेते हैं। वो भी इस खेल का मजा ले लेगी। मैं हँस दिया। ‘तो यह तय रहा कि कल मैं जाऊँगी और नीलम को ले कर.. आकर सब मस्ती करेंगे।’ ‘तो मैं क्या करूँगा.. तुम तो जाओगी तो कम से कम दो-तीन घंटे लगेगा।’

‘तो कल तुम्हारे लिए मेरी प्रज्ञा जो है। कल इसे भी सब आसन सिखा देना.. तब तक मैं प्रज्ञा के बगल में गया और उसकी चूची मसल दी।

प्रज्ञा चिहुँक उठी.. मैंने उसको गोदी में उठाया और टेबल पर बैठा कर उसके कुर्ते को ऊपर करके सलवार के ऊपर से ही मुँह लगा दिया। उसकी सलवार से भी सेंट की खुशबू आ रही थी। मैंने प्रज्ञा से पूछा- तुम्हारी चूत के बाल साफ हुए या नहीं? तो वो बोली- नहीं.. मैंने कहा- तो चलो.. फिर तेरी चूत को भी चिकना कर देते हैं।

तो प्रज्ञा बोली- नहीं आज तुम दीदी को चोदो.. कल जब दीदी नीलम को लेने जाएगी.. तो तुम मेरी चूत-गाण्ड सब जगह के बाल बना देना। दीदी, चलो इसके मुरझाए हुए लौड़े को तो खड़ा करो। ताकि मैं तुम दोनों को चुदता हुआ देख सकूँ।

‘तुम भी अपने कपड़े उतारो.. ताकि तुम्हारी भी बुर और गाण्ड भी बिना कपड़े के रहे।’ ‘लो बाबा.. जैसा तुम कहो..’ यह कह कर वो अपने कपड़े उतारने लगी। पैंटी को उतार कर उसने मेरी तरफ फेंक दिया और कमर पर हाथ रख कर मुस्कुराने लगीं। मैंने भी पैन्टी को सूंघा.. क्या खुशबू आ रही थी.. उसकी पैन्टी गीली भी थी। मैंने तुरन्त ही उस गीली पैन्टी को चूम लिया और उसको इशारे से अपनी तरफ बुलाया।

इधर भाभी मेरे लौड़े को चूसने में लगी थीं। प्रज्ञा मेरी तरफ आई.. मैंने उसके मुँह को चूमा और बोला- चुदवाने का मजा लेना है.. तो ले लो.. वो बोली- मजा लेना तो है.. लेकिन अभी नहीं.. पहले तुम मेरी दीदी को चोदो। मैंने कहा- ठीक है..

मुझे पेशाब बहुत तेज आ रही थी.. मैंने भाभी को रूकने का इशारा किया और बाथरूम की ओर बढ़ गया। दोनों लोग मेरे पीछे-पीछे आ गईं और जैसे ही मैं पेशाब करने के लिए बढ़ा तो प्रज्ञा मेरे पीछे आकर मेरे लौड़े को पकड़ कर हिलाने लगी और बोली- हाय.. क्या धार से पेशाब करते हो..

उसने भाभी को इशारा किया.. भाभी तुरन्त ही मेरे लौड़े को चूसने लगीं।

अब वो दोनों भी पेशाब करने बैठ गईं.. उन दोनों का इस तरह से पेशाब करना भी उस माहौल को और सेक्सी बना रहा था। पेशाब करने के बाद हम लोग बेडरूम में आ गए। मैं भाभी के साथ 69 की अवस्था में हो गया। भाभी के ऊपर मैं था.. जिसकी वजह से मेरी गाण्ड उठी हुई थी। तभी मुझे मेरे गाण्ड में कुछ गीला सा लगा.. मैं समझ गया कि प्रज्ञा मेरी गाण्ड चाट रही है।

मैंने प्रज्ञा से कहा- अगर चुदना ही है तो पूरी तरह से मैदान में आ जाओ.. बुर में लगी आग को बुझा लो। प्रज्ञा बोली- न जानू.. लौड़ा तो जब दीदी नीलम को लेने जाएंगी.. तो मैं अकेले में लूंगी। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया।

उसके बाद मैं भाभी के ऊपर से उठा और अपने लौड़े को भाभी के बुर की गुफा में डाल दिया और धक्के देने शुरू कर दिए।

उधर भाभी के मुँह से ‘आह्हू.. आह्हू.. ह्म्म..’ की आवाजें आ रही थीं और वे बोले जा रही थीं- चोद मेरे राजा.. मुझे चोद दो.. बुर का भोसड़ा बना दो.. आह्ह.. इस मादरचोद बुर का मजा दे.. इतने में प्रज्ञा बोली- दीदी घोड़ी बनकर चुदवाओ ना..

मैं भाभी से अलग हुआ और भाभी घोड़ी बन गईं.. इससे उनकी गाण्ड खुल गई.. मैं तुरन्त ही भाभी की गाण्ड को गीला करने लगा और फिर धीरे से उनकी गाण्ड में अपना लौड़ा पेल दिया और धक्के पर धक्के देने लगा।

अब मैं कभी उनकी गाण्ड चोदता तो कभी उनकी बुर चोदता और बीच-बीच में प्रज्ञा की चूची दबा देता। इस झुंझुलाहट में प्रज्ञा मेरे चूतड़ पर जोर का थप्पड़ रसीद कर देती।

इतने में भाभी की आवाज आई- ओह्ह.. शरद मैं झड़ने वाली हूँ। इतना कहकर भाभी की सांसें तेज हो गईं और फिर निढाल होकर पसर गईं। मैंने कहा- भाभी मैं अपना माल कहाँ निकालूँ? भाभी कुछ बोलतीं.. इससे पहले प्रज्ञा बोली- मेरे मुँह में अपना माल निकाल दे..

इतना कहकर उसने मेरा लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह से चूसने लगी। पाँच-दस बार लौड़ा चुसाई के बाद मेरा माल प्रज्ञा के मुँह में ही निकल गया.. जिसे उसने पूरा का पूरा गटक लिया और बोली- लाइव ब्लू-फिल्म दिखाने का ये तुम्हारा ईनाम है.. बाकी और ईनाम तुम्हें कल मिलेगा।

तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे नीचे दिए ई-मेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें और मेरे साथ प्रज्ञा की चुदाई कैसी रही.. ये जानने के लिए मेरी कहानी के अगले भाग का इंतजार कीजिए।

आपका अपना शरद.. [email protected] [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000