गाँव की छोरी की चूत में मस्ती और वासना

दोस्तो, मेरा नाम समीर है। यहाँ अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। मैं अपने बारे में क्या बताऊँ.. बस इतना ही काफ़ी है कि मेरे लण्ड पर तिल है। जो चुदक्कड़ होंगे.. वो तो समझ ही गए होंगे की लौड़े पर तिल होने का क्या मतलब होता है। जो लड़की मेरे से एक बार चुद जाती है.. वो मेरी लण्ड की दीवानी हो जाती है।

वैसे तो मेरे गाँव में बहुत सारी लड़कियाँ रहती हैं लेकिन मुझे आरती नाम की लड़की बहुत पसंद थी, उसे पाने के लिए पूरे गाँव के लड़कों की नजर उसके घर पर लगी रहती है, उसी में मैं भी था। मेरे दोस्त कहा करते थे कि मस्ती और वासना का रास्ता उसकी चूत से होकर जाता है।

उसकी उम्र लगभग 21 बरस की थी। उसका फिगर 32-28-34 का था.. वह एकदम दूध की तरह गोरी थी और होंठ एकदम लाल थे.. जैसे अभी खून टपक जाएगा। जब वो मेरे सामने आती तो मेरे हाथ चुंबक की तरह उसके चूचों की तरफ बढ़ने को हो उठते। जब वो अपनी गाण्ड मटका के चलती.. तो जवानों के लौड़े तो छोड़ दीजिए.. बूढ़ों के लंड से भी पानी निकल जाता होगा।

मैं तो बचपन से ही उसके गदराए जिस्म का दीवाना था। मैं कई दिनों से उसको चोदने का प्लान बना रहा था.. लेकिन कोई भी प्लान कामयाब नहीं हो पाया था।

फिर आख़िर वो शुभ घड़ी आ ही गई.. जब मेरे लण्ड महाराज को उसकी चूत में सैर-सपाटा करने का मौका मिल गया।

एक दिन मैं अपने खेतों की तरफ जा रहा था.. तभी वो रास्ते में मुझे मिल गई, वो अपने खेतों में जा रही थी। उस दिन वह टाइट सलवार कमीज़ में बहुत सेक्सी लग रही थी, उसके उभरे हुए चूचे उसकी कुर्ती फाड़ने को बेताब थे। मेरा लंड ने भी खड़े होकर उसके मोटे मम्मों का सम्मान किया। मैंने सोच लिया कि आज मैं उसे चोद कर ही रहूँगा। मैं अपने दिमाग़ में चुदाई का प्लान सैट करने लगा।

वो रास्ते में मेरे से बात करते हुए जा रही थी। उसके बात करने के तरीके से लग रहा था कि वो भी मेरे से चुदना चाहती है। हम बातें करते हुए जा रहे थे.. अचानक उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया, मेरी तो जैसे साँसें अटक गईं.. रास्ते में दोनों तरफ गन्ने की फसल लगी थी और बीच की पगडंडी पर हम जा रहे थे। दोपहर का समय था.. मैंने भी सही समय देखकर उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मा ले लिया।

मैंने ध्यान से देखा कि उसके निप्पल टाइट होकर टन्न हो गए थे, उसने कुछ नहीं कहा.. वो बस शरमा के रह गई। इससे मेरा मनोबल और बढ़ गया। मैं उसे खींच कर गन्ने के खेत के अन्दर ले गया और फिर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठों को लगातार 5 मिनट तक चूसता रहा।

उस दिन मैंने किस करते हुए इमरान हाशमी को भी पछाड़ दिया था। उसके मम्मे बहुत मांसल और टाइट थे। मैं उसके मम्मों को दबा दबा कर लाल कर दिया था। उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने में मुझे जनन्त के सुख की प्राप्ति हो रही थी।

मेरा मन तो कर रहा था कि इसका चूचा खा ही जाऊँ। फिर मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा। उसकी चूत पर हल्के-हल्के से बाल थे.. लगता था कि कुछ दिन पहले ही अपने झाँटें साफ की थीं।

उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और भट्टी की माफिक गरम हो गई थी। मैंने देर न करते हुए उसकी सलवार को उतार दिया। अब काली ब्रा और काली पैंटी में वो किसी पॉर्न स्टार से कम नहीं लग रही थी।

मैं एक हाथ से उसके मम्मे पकड़ चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूत के दाने को सहलाने लगा। चूत को देख के लग रहा था कि अभी ज़्यादा चुदी नहीं थी, उसकी चूत बहुत टाइट थी।

हम दोनों खेतों में चुदाई का खेल खेल रहे थे.. तो जल्दी भी थी कि कोई देख ना ले। उसकी चूत से पानी निकल रहा था और वो मेरा 8 इंच का लंड लेने के लिए तैयार थी। लगभग मैं दस मिनट तक उसके मम्मों और गले को चूमता रहा, जब वो बर्दास्त नहीं कर पाई तो पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लण्ड मसलने लगी।

मैं भी अब गरम हो गया था, मेरा 8 इंच का लण्ड मेरी पैन्ट फाड़ रहा था। मैंने देर नहीं करते हुए उसको आगे की ओर झुका अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा, वो बार-बार गाण्ड हिला कर मेरा लंड अपने चूत में लेने की कोशिश करती.. लेकिन मैं अपना लण्ड वापस खींच लेता। थोड़ा तड़पा कर आख़िर में मैंने अपना लण्ड उसकी बुर में एक झटके से पेल दिया।

उसके मुँह से चीख निकल गई.. लेकिन मैंने उसका मुँह दबा लिया.. ताकि कोई सुन नहीं पाए.. क्योंकि यह चुदाई कार्यक्रम गन्ने के खेत में हो रहा था।

मैं उसको उसी अवस्था में लगभग 6-7 मिनट तक चोदता रहा। वो भी अपनी गाण्ड उछाल कर मेरी चुदाई का समर्थन करती रही। लड़की भी बड़ी चुड़क्कड़ थी.. कुछ बोल तो नहीं रही थी.. लेकिन पूरे लण्ड के साथ गोटे भी अन्दर लेना चाहती थी। फिर मैंने उसको ज़मीन पर लेटा कर.. बिना देर किए उसकी चूत में लण्ड डाल दिया। वो एकदम नंगी ज़मीन पर पीठ के बल लेटी थी, मैं अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल रहा रहा था।

उसकी चूत से ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ आ रही थी। शायद मेरे मोटे लंड की वजह से उसे तकलीफ़ हो रही थी इसीलिए अपने होंठों को दाँतों से काट रही थी। हल्ला होने के डर से वो सीत्कार भी नहीं रही थी कि कोई सुन लेगा। ये कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं। लगभग 5-7 मिनट की धक्कमपेल चुदाई के बाद अचानक उसने मेरा शरीर ज़ोर से पकड़ लिया.. उसके होंठ काँपने लगे। मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी उसको कस के अपनी बाँहों में दबा लिया। तभी उसकी चूत के पानी से मेरा लण्ड नहा गया.. उसके झड़ने के बाद भी मैं 3 मिनट तक वैसे ही चोदता रहा। तभी मुझे लगा कि मेरा भी निकलने वाला है.. मैंने लण्ड को चूत से निकाला और उसके बड़े-बड़े चूचों पर मुठ्ठ मार के गिरा दिया। मैंने वीर्य अन्दर नहीं छोड़ा।

उसने अपनी पैन्टी से वीर्य को साफ किया और हमारी चुदाई की निशानी मानते हुए.. उसे खेत में ही छोड़ दिया। चुदाई के बाद हम कपड़े पहनने लगे.. तभी मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया। फिर क्या फिर से एक ट्रिप.. फिर चुदाई की रस्म हुई।

अब हम दोनों ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और घर वापस आ गए। इस चुदाई के बाद वो तो मेरे लण्ड की मुरीद हो गई।

उसके बाद मैंने उसकी बुआ और चाची को भी चोदा.. उनकी कहानी मैं अगली कड़ी में बताऊँगा..

दोस्तो, आपको मेरी पहली आपबीती कैसी लगी.. आपकी सलाह और सुझाव का स्वागत है। [email protected]