पड़ोसन गर्ल-फ्रेण्ड भावना की चूत चुदाई -1

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दोस्तो, मेरा नाम अजय, मैं पूरी मौज मस्ती में रहता हूँ… किशोर आयु से ही चुदाई का मज़ा ले रहा हूँ, अब तक मैं 50 से ज़्यादा लड़कियों को चोद चुका हूँ। आज आपको मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.. जिसका नाम भावना है.. जो चुदाई के बाद मेरी गर्लफ्रेंड बनी। वो मेरे घर के बगल में ही रहती थी।

भावना एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी.. भावना का बदन.. मानो भगवान ने साँचे में ढाल कर बनाया हो। एकदम गोरा-चिट्टा रंग.. हल्का गुलाबीपन लिए.. जैसे कि दूध में चुटकी भर केसर डाल दी हो।

उसके मादक शरीर का कटाव 36-24-38 का था.. चूचियां एकदम सख़्त और उभरी हुईं और उसके चूतड़ भारी-भारी थे। ऐसा लगता था कि उसके एक चूतड़ की जगह दो बड़ी-बड़ी गोल गेंदें लगी हों। वो सलवार-कुर्ता पहनती थी और जब चलती थी.. तो ऐसा मालूम होता था कि दो फ़ुटबाल की गेंदें आपस में रगड़ खा रही हों.. जब वो हँसती थी.. तो गालों में बड़े प्यारे से डिंपल बनते थे.. जिससे वो और भी खूबसूरत लगने लगती थी।

वो बोलती बहुत थी और एक मिनट भी चुप नहीं बैठ सकती थी। उसमें एक खास बात थी कि वो किसी की भी चीज़ में कोई नुक्स नहीं निकालती थी.. चाहे उसको पसंद हो.. या ना हो।

वो हमेशा यही कहती थी कि बहुत ही प्यारी है। यदि उसको कुछ खाने के लिए दो और वो उसको पसंद नहीं आई हो.. पर वो तब भी उसकी तारीफ़ ही करती थी कि बहुत ही टेस्टी बनी है।

इस बात की हम सब हमेशा ही भावना की तारीफ किया करते थे। हमारे कॉलेज के सभी उसके दीवाने थे और एक बार बस उसको चोदना चाहते थे। मैं भी अक्सर सोचता था कि काश मैं भावना को चोद सकूँ।

फिर एक दिन ऐसा मौका आ ही गया, सितम्बर का महीना चल रहा था, उस दिन रविवार की छुट्टी थी और लगभग 11 बजे सुबह का समय रहा होगा, मैं किसी काम से अपनी छत पर गया था। हमारी दोनों की छत आपस में मिली हुई हैं और छत से उनके कमरे और बाथरूम बिल्कुल साफ दिखाई देते हैं। तो उस रोज जब मैं छत पर गया.. तो भावना के गाने की आवाज़ आ रही थी। मैं उनके घर की तरफ देखने लगा तो मैं चौंक गया.. क्योंकि भावना बिल्कुल नंगी बाथरूम में बैठी थी और उसने टांगें चौड़ी कर रखी थीं।

सच में दोस्तो.. मैं तो देखता ही रह गया। भावना की चूचियाँ एकदम गोरी और तनी हुई थीं और जैसा कि मैं ख्यालों में सोचता था.. वो उससे भी अधिक सुन्दर थी। उसकी गोरी चूचियों के बीच में हल्के गुलाबी रंग के दो छोटे-छोटे सर्कल बने थे और उनमें बीचों-बीच बिल्कुल गुलाबी रंग के निप्पल चिपके हुए थे.. जो कि बाहर को निकले थे। उसका सारा शरीर बहुत ही चिकना और गोरा था, नीचे टांगों के बीच में तो पूछो ही मत.. वहाँ उसकी चूत पर काले रेशमी बाल नज़र आ रहे थे। बालों के बीच हल्की सी गुलाबी रंग की चूत नज़र आ रही थी। वो उस वक्त कपड़े धो रही थी और उसका सारा ध्यान उस तरफ ही था।

भावना को इस हालत में देख कर मेरा लण्ड एकदम से तन कर खड़ा हो गया था.. मानो वो इस हसीन चूत को सलामी दे रहा हो। मेरा मन कर रहा था कि मैं फ़ौरन ही वहाँ पहुच जाऊँ और भावना को कस कर चोद दूँ.. पर मैं ऐसा नहीं कर सका। मैं काफ़ी देर तक वहाँ खड़ा रहा और भावना को ऐसे ही देखता रहा और ऊपर से ही अपने लण्ड को पकड़ कर सहलाता रहा। मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी। मेरी टांगें कांप रही थीं और ऐसा लग रहा था कि मेरी टांगों में बिल्कुल दम नहीं रहा है और मैं किसी भी गिर जाऊँगा।

मैं इस हालत में उसको करीब 15-20 मिनट तक देखता रहा। वो बार-बार सर झुका कर टांगों में अपनी चूत की तरफ देख रही थी और चूत के बालों को रगड़ रही थी.. जिससे उसकी चूत के कुछ बाल उतर जाते थे। मैं समझ गया कि आज भावना अपनी चूत के बाल हेयररिमूवर से साफ कर रही है।

मैं उसे बड़े ही गौर से देख रहा था कि अचानक उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ गई और उसने एकदम से बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! यह देख कर मैं बहुत डर गया और छत से नीचे उतर आया। मैं सारे दिन इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि अगर जीजी इस बारे में पूछेंगी.. तो मैं क्या जवाब दूँगा.. लेकिन मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था।

मैंने सोचा कि मैं 2-3 दिन उसको दिखाई ही नहीं पड़ूँगा और उसके बाद मामला कुछ शान्त हो जाएगा और तभी देखा जाएगा कि क्या जवाब देना है। मैं एक दिन तो भावना से बचा ही रहा और उसकी नज़रों के सामने ही नहीं आया।

अगले दिन पापा और मम्मी को किसी के यहाँ सुबह से शाम तक के लिए जाना था और ड्राइवर आया नहीं था.. तो पापा ने मुझको कहा कि मैं उनको कार से छोड़ आऊँ और शाम को वापस ले आऊँ।

सो मैं उनको कार से छोड़ने जा रहा था कि मैंने भावना को अपनी कार की तरफ तेज़ी के साथ आते हुए देखा.. तो डर के मारे मेरा हलक खुश्क हो गया।

मम्मी-पापा दोनों जन कार मैं बैठ ही चुके थे.. सो मैंने झट से कार स्टार्ट की और बढ़ा दी। हालांकि मम्मी ने कहा भी कि भावना हमारी तरफ ही आ रही है.. कहीं कोई ज़रूरी काम ना हो.. पर मैंने सुना और अनसुना कर दिया और गाड़ी को तेज़ी के साथ ले गया। मैंने मन ही मन सोचा कि जान बची तो लाखों पाए और लौट कर बुद्धू घर को आए..

जब मैं पापा मम्मी को छोड़ कर वापिस घर आया तो देखा कि वो हमारे घर पर ही खड़ी है.. जैसे ही मैंने कार रोकी.. वो भाग कर कार के पास आ गई और मेरे से बोली- कार को भगा कर ले जाने की कोशिश ना करना.. वरना बहुत ही बुरा होगा.. मैं बहुत बुरी तरह से डर गया और हकलाते हुए कहा- मैं कहाँ भगा जा रहा हूँ? इस पर भावना ने कहा- अभी जब तूने मुझे देखा था.. तब तो जल्दी से भाग गया था और अब बात बना रहा है। मैंने कहा- मुझको कार को एक तरफ तो लगाने दो.. और फिर अन्दर बैठ कर बात करते हैं। वो बोली- ठीक है।

मैंने कार को एक तरफ लगा दिया और भावना के साथ अन्दर अपने घर में चला गया। मैंने अपने कमरे में जाते ही एसी ऑन कर दिया क्योंकि घबराहट के मारे मुझे पसीना आ रहा था। फिर मैं अपने होंठों पर ज़बरदस्ती हल्की सी मुस्कान ला कर बोला- भावना बैठ जाओ और बोलो कि क्या कहना है?

ऐसा कहते-कहते मैं रुंआसा सा हो गया था.. तो वो बोली- डर मत.. मैं तुझको मारूँगी नहीं.. मैं तो यह जानने आई हूँ कि तू उस दिन छत से क्या देख रहा था? तो मैं अंजान सा बनने लगा और कहा- आप कब की बात कर रही हैं.. मुझे तो ध्यान नहीं है? तो उन्होंने हलका सा मुस्करा कर कहा- साले.. बनता है.. अभी इसी रविवार को सुबह छत से मुझे नंगी नहीं देख रहा था?

मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. तो वो बोली- क्या किसी जवान लड़की को इस तरह नंगी देखना अच्छा लगता है.. शरम नहीं आती?

तो मैंने कहा- आप हो ही इतनी खूबसूरत कि आपको उस रोज जब आपको नंगी देखा.. तो मैं आँखें ही नहीं फेर सका और मैं आपको देखता ही रहा.. वरना मैं बड़ा ही शरीफ लड़का हूँ और आपको ही पहली बार मैंने नंगी देखा है।

इस पर वो हँस कर बोली- हाँ-हाँ वो तो दिखाई ही दे रहा है कि तू कितना शरीफ लड़का है.. जो जवान लड़कियों को नंगी देखता फिरता है। मैंने भी झटसे कहा- उस रोज आप टांगों के बीच के बालों को बार-बार क्यों रगड़ रही थीं? इस पर वो शर्मा गई और बोली- धत्त.. कहीं जवान लड़कियों से ऐसी बात पूछी जाती है? तो मैंने पूछा- फिर किस से पूछी जाती है? उसने लजाते हुए इतना ही कहा- मुझे नहीं मालूम..

अब मैं समझ गया था कि वो उस रोज मेरे देखने से ज़्यादा नाराज़ नहीं थी.. अब तक मेरा डर भी काफ़ी कम हो गया था और मेरा लण्ड खड़ा होना शुरू हो गया था। मुझे फिर मस्ती सूझी और मैंने फिर से भावना से पूछा- बताओ ना.. कि तुम उस रोज क्या कर रही थीं?

कहानी के अगले हिस्से में उसकी चुदाई का मदमस्त वाकिया विस्तार से लिखूँगा.. मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए.. जल्द मुलाक़ात होगी। कहानी जारी है। [email protected]

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