शादी में दिल खोल कर चुदी -3

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मेरे प्यारे कामुक दोस्तो.. आपने मेरी इस नई कहानी के पिछले भाग में पढ़ा.. मैं अपने पति के साथ उनके एक दोस्त की शादी में दोस्त के जीजाजी अरुण मोदी से चूत लड़ा बैठी और उन्होंने मुझे दोनों तरफ से खूब बजाया और मैं भी पूरी मस्ती से चुदी। अब आगे..

अपनी चूत और गाण्ड मरवा कर मैं निढाल होकर पड़ी ही थी कि कुछ देर बाद मैं बिस्तर से उठकर बाथरूम से फ्रेश होकर बाहर आई और मोबाइल में टाईम देखा तो 12:30 हो चुका था, मुझे मस्ती और चुदाई के दौरान पता ही नहीं चला कि बाहर लोग यानि मेरा पति मुझे खोज रहा होगा, उससे मैं क्या कहूँगी कि मैं कहाँ गायब हो गई थी।

मैंने अपनी इस सोच से अरुण जी को भी अवगत कराया.. तो वो मुस्कुराकर बोले- बोल देना कि सामने वाले कमरे में मेरी चूत चुद रही थी। मैं शरमा कर रह गई- आप बाहर देखो कोई ना हो.. तो मैं निकल जाऊँ..

अरुण ने दरवाजा खोल कर देखा.. कोई नहीं था। मैंने एक बार फिर अरुण से गले मिल कर चुम्मी ली और फिर मिलने को बोल कर बाहर निकल गई, गलियारे में कोई नहीं था.. बिल्कुल सन्नाटा था, संगीत का प्रोग्राम भी खत्म हो चुका था, सब लोग खाना वगैरह खा-पीकर अपने कमरे में सोने चले गए थे।

मैंने डरते हुए अपने कमरे के दरवाजे पर धक्का दिया कि हल्की आहट के बाद दरवाजा खुल गया। दरवाजा खुलते ही मेरा दिल धड़कने लगा, कमरे में अंधेरा था.. कुछ दिख ही नहीं रहा था कि पति जाग रहे हैं कि सोए हुए हैं।

मैंने कमरे के अन्दर हो कर दरवाजा बंद कर लिया और बिस्तर की तरफ बढ़ी ही थी कि तभी मेरे कानों में पति की आवाज सुनाई पड़ी- कहाँ थी.. अभी तक.. और कहाँ चली गई थी.. मैं कितना खोज रहा था.. खाना भी नहीं खाया? मैंने तुमको बहुत खोजा.. मैं कितना घबरा रहा था.. मालूम है तुमको? सब लोग भी पूछ रहे थे।

एक ही सांस में इतने सारे सवाल पूछ लिए कि मेरे मुँह से बोली ही नहीं निकल रही थी कि क्या जबाब दूँ। जहाँ के तहाँ मेरे पैर जम गए थे.. जैसे कि मुझे साँप सूँघ गया हो। लेकिन मैं सम्भलते हुए बोली- लड़की वालों के तरफ की सभी औरतों से बात करते हुए दुल्हन के कमरे में चली गई थी और खाना भी वहीं खा लिया था.. वो लोग आने ही नहीं दे रहे थे। किसी तरह बहाना करके आई हूँ.. बहुत थक गई हूँ.. मुझे नींद आ रही है। आपने खाना खा लिया था?

मैं कैसे कहती कि मैं चुद रही थी और चुदाई का खाना खाकर आई हूँ। मेरी चूत जम कर चुदी है.. मैं थक गई हूँ अब सोना चाहती हूँ। पति बोले- हाँ मेरा खाना तो हो गया है.. आओ बिस्तर पर.. अब आराम करो..

मैं जैसे ही मैं बिस्तर पर गई पति ने मुझे अपने से लिपटा लिया और मुझे सहलाने लगे। मैं डर गई कि अगर मेरी चूत छुएंगे.. तो कहीं जान न जाएं कि मैं क्या करके आई हूँ। मैं अभी सोच ही रही थी कि पति बोले- ऐसे ही सोओगी क्या.. नाईटी पहन लो।

मैं नाईटी पहन कर पास आई ही थी कि पति का हाथ मेरी पनियाई हुई चूत पर पड़ा.. और वे मेरी चूत को सहलाते हुए बोले- चुदने का मन है क्या.. चूत तो पानी छोड़ रही है। मैं बोली- नहीं.. ये तो वैसे ही पानी निकल रहा है.. मैं थकी हुई हूँ.. चलो सो जाओ। यह कह कर मैं सोने का नाटक करने लगी। मैं क्या कहती कि यही आपके सामने वाले कमरे से चूत और गाण्ड दोनों मरवा के आई हूँ, अब और चुदने का मन नहीं है। मैं पति से लिपट कर सो गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सुबह उठी फ्रेश होकर चाय वगैरह पीकर पति बाहर निकल गए। कुछ देर बाद मैं भी कमरे से बाहर निकली ही थी कि मेरा सामना अरुण जी से हो गया। हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए। ‘गुड मॉर्निंग..’ अरुण जी भी बोले, “गुड मॉर्निंग..”

तभी मेरे पति आते हुए दिखाई दिए.. मैं भी पति के साथ कमरे में आ गई। पति बोले- मुझे प्रतीक के (मेरे पति के दोस्त जिसकी शादी में हम लोग आए हुए थे) साथ बाहर जाना है.. कुछ सामान और पार्लर में काम है। मुझे 2-3 घण्टे लगेंगे। यह कहकर पति बाथरूम मे फ्रेश होने चले गए। पर यह सुनते ही मेरी चूत मचल उठी.. एक बार फिर मेरी चूत चुदेगी।

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और पति बाहर आए, मैंने उनको कपड़े दिए और पति तैयार होकर चले गए। वे जाते हुए मुझसे बोले- तुम प्रतीक के घर वालों के पास चली जाना.. कोई काम हो तो देख लेना। मैं बोली- ठीक है..

पति चले गए.. मैं झट से बाथरूम में घुस गई और फ्रेश होकर बाहर निकली। मैंने एक गुलाबी रंग का लहंगा और चुनरी पहन कर कमरे के बाहर निकली और अरुण जी को खोजने लगी। भीड़-भाड़ में अरुण जी कहीं दिख ही नहीं रहे थे।

तभी मेरे पीछे से किसी ने मुझे ‘भाभी जी..’ कहकर पुकारा.. मैं चौंक कर पीछे देखने लगी। करीब 27-28 साल का एक युवक था.. बड़ा हैन्डसम.. स्मार्ट सा.. वो मेरे करीब आया और बोला- आपको उधर अरुण भाई साहब बुला रहे हैं। मैं बोली- किधर? और मैं उसके साथ चल दी। वो मुझे एक साईड ले जाकर बोला- भाभी जी मैं आप से झूठ बोला हूँ.. मैंने कल आपको अरुण जी के कमरे में जाते और सब कुछ करते हुए देखा था। मैंने ‘की-होल’ से पूरी फिल्म देखी है। कसम से भाभी आप बहुत मस्त माल हो।

इतना सुनते मेरे हाथ-पांव फूल गए और मैं घबराने लगी। मेरी गान्ड फट गई थी.. काटो तो खून नहीं मैं ‘फक्क’ आँखों से उसकी तरफ देखने लगी थी.. दोस्त, आगे क्या हुआ.. अरुण जी से दुबारा चुदने के मेरे सपने की जगह क्या मुझे इससे भी चुदाना पड़ेगा.. ये सब सोचते हुए सन्न थी। अगले भाग में इसको पूरे विस्तार से लिखूँगी।

तब तक आप अपने हिलाते रहिए और मुझे ईमेल लिखिएगा। आपकी प्यारी नेहा रानी [email protected]

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