चेतना की चुदाई उसी के घर में -2

अब तक आपने पढ़ा.. कुछ ही पलों में मैंने अपना सारा माल वहीं पर गिरा दिया। अभी मैं स्खलित होने के बाद अपने लण्ड को पोंछ कर पैन्ट के अन्दर डाल ही रहा था कि तभी मैंने देखा कि चेतना बाथरूम से निकल आई है और उसने मुझको लण्ड को अन्दर डालते हुए देख लिया है। अब आगे..

एक हल्की सी अचम्भित होते हुए मुझे देखा लेकिन वो कुछ नहीं बोली.. और मुस्कुराते हुए मुँह फेर कर आगे बढ़ गई। मैंने उसको सर से पाँव तक देखा। काला टॉप और सफ़ेद स्कर्ट में वो बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं बोला- चेतना बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है.. सो हम लोग कॉलेज नहीं जा पायेंगे.. इसलिए हम लोग आज यहीं पढ़ लेते हैं।

उसने हामी भर दी और हम दोनों एक साथ बैठ गए। मैं उससे सट कर बैठ गया.. वो मुझे एक मैथ की प्राब्लम समझा रही थी.. जिसके कारण वो झुकी हुई थी और शर्ट का एक बटन खुला होने के कारण उसकी आधी चूचियाँ साफ दिख रही थीं। मैंने उसको बोला- चेतना तुम आज बहुत ही खूबसूरत लग रही हो। इतना कह कर मैंने अपना हाथ चेतना की टांगों पर रख दिया।

कसम से.. जैसे ही हाथ रखा.. मुझको करंट सा लगा। कितनी चिकनी टांगें थी उसकी.. बिल्कुल मखमल की तरह.. मैंने हिम्मत करके उसके पैरों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, उसने निर्विरोध अपना पैर थोड़ा फैला लिया, इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई थी और डर दूर हो गया था।

मैंने उसकी टांगों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उसकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डालना शुरू कर दिया। हाय.. क्या मज़ा था उसमें.. एकदम चिकनी और गोरी टाँगें थी उसकी.. फिर मैंने धीरे से उसकी दोनों टाँगें फ़ैलाईं और उसकी तरफ देखा, वो मुस्कुराई और आँखें बंद करके बैठ गई।

इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैं अपना हाथ ऊपर को उसकी चूत के आसपास ले गया.. और उधर दबाने और सहलाने लगा।

फिर मैंने उसकी स्कर्ट इतनी ऊपर कर दी.. कि मुझे उसकी पैंटी दिखने लगी। उसने सफ़ेद रंग की पैंटी पहन रखी थी.. उस पर गीला-गीला धब्बा भी बन चुका था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही लगा दिया और चूमने लगा। उसके अमृत का खट्टा सा स्वाद मेरी जीभ महसूस कर रही थी। उसके हाथ मेरे सर पर थे और वो मेरे सर को दबा कर मेरा मुँह अपनी चूत के और पास ले जाने की कोशिश कर रही थी।

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को दांत से दबाने लगा और अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसके चूतड़ों पर रखा। मुझे उसी पल लगा कि जैसे किसी बहुत ही मुलायम चीज़ को छू दिया हूँ.. और बड़े ही प्यार से मैं उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।

फिर मैंने उसकी पैंटी को हल्का सा हटा कर उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा और अपनी पूरी जीभ को उसके चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। इसी के साथ मैं अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को भी दबा रहा था। फिर धीरे से मैंने उसकी गाण्ड के छेद में अपनी एक उंगली डाल दिया.. जिससे वो चिहुँक उठी।

मैं उठ गया और उसको बोला- चलो बिस्तर पर आ जाओ। वो उठी और मेरा हाथ पकड़े-पकड़े बिस्तर पर आकर लेट गई, उसने अपनी एक टांग सीधी और एक टांग घुटना मोड़ कर रख ली। मुझको वो लेटी हुई कयामत लग रही थी। मैंने फुर्ती से अपनी शर्ट उतारी और उसकी टांगों पर चूमने लगा।

उसकी टांगों, फिर जांघों को चूमते-चूमते मैंने उसकी स्कर्ट पूरी ऊपर कर दी और अपनी उंगली उसकी पैंटी में डाल कर उसको एक तरफ़ करके पहली बार उसकी चूत के दीदार किए।

सच में क्या मस्त माल थी.. वो गुलाबी सी बिना बालों की चूत.. मुझको मस्त कर रही थी। मैंने तुरंत उसकी पैंटी उतार दी.. तो उसने किसी वेश्या की तरह अपनी टांगें पूरी चौड़ी कर दीं। मैंने अपना मुँह उसकी गुलाबी चूत पर रख दिया और कभी उसको चाटता तो कभी अपनी जीभ उसकी चूत में डाल देता।

मैं बार-बार उसके दाने को अपनी जीभ से सहला रहा था और हर बार वो मुँह से सेक्सी आवाज़ निकालती.. जो मुझको मस्त कर देती।

फिर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दिया और फिर मैं तुरन्त उसके होंठों को चूमने लगा.. वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी। करीब दस मिनट की चूमा-चाटी के बाद उसको लिटा कर फिर उसके होंठों को चूमने लगा और एक हाथ से उसके चूचे दबाने लगा। वो सिसकारियाँ निकालने लगी और दोनों हाथों से मेरी पीठ को सहलाने लगी। अब उसकी सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं।

मैंने नीचे से उसकी कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चिकनी कमर से होता हुआ उसके ब्रा में कसे मम्मों पर पहुँच गया और मैं उसकी गोल-मटोल चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा।

दूसरा हाथ भी मैंने उसकी कमीज़ में डाला और उसकी पीठ सहलाने लगा। हमारी सांसें और तेज़ हो गई थीं। फिर मैं शर्ट के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूसने लगा और अपने दोनों हाथों से उसकी मदमस्त नंगी गोल-मटोल गाण्ड को दबाने लगा। अब मैंने उसकी शर्ट को भी उतार दिया।

वो काले रंग की नायलोन की पारदर्शी सी ब्रा पहने हुई थी.. जिसमें से उसके गुलाबी चूचुक साफ़-साफ़ दिख रहे थे। छोटी सी ब्रा में फंसे उसके चूचे बाहर आने को बेताब थे.. लेकिन ब्रा में से उसके चूचे क्या गज़ब दिख रहे थे। कुछ देर ऊपर से ही मम्मों की छटा निहारने के बाद मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मे चूसने लगा।

उसकी तो हालत खराब हो गई। वह तड़पने लगी। पाँच मिनट तक मैं उसके मम्मे चूसता रहा। फिर मैं उसके पेट को चूमने लगा, वह तो नागिन जैसी मचल रही थी। मुझे भी मज़ा आ रहा था।

फिर मैंने उसके दोनों चूचियों को दोनों हाथों से दबाने लगा.. और उसका एक चूचुक मुँह में ले लिया और उस पर जीभ फिराने लगा। साथ ही अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को दबाने लगा। लेकिन उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। फिर उसने धीरे से अपना हाथ मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे कामदेव पर रख दिया। मैं कभी चूतड़ मसलता.. तो कभी उसके दोनों मम्मों पर हाथ फेरने लगता..

अब उसने भी अपना हाथ मेरी जींस में डाल दिया था। जैसे ही उसने मेरे लण्ड को छुआ.. मुझे करंट सा लगा और मस्त मज़ा आने लगा। सोयी अवस्था में मेरा 4 इंच का लण्ड अब 7 इंच का हो चला था और पैंट के अन्दर ही फनफना रहा था।

फिर मैंने अपनी जींस खोल कर उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर लगा दिया। उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे ऊपर-नीचे करने लगी, फिर धीरे से लौड़े को अपने मुँह में लेने लगी। मेरा लण्ड इतना मोटा था कि उसके मुँह में नहीं आ रहा था, वो उसे चाटने लगी, मेरा लण्ड बार-बार हिल रहा था, उसको लण्ड चाटने में मजा आ रहा था।

वो बोली- यह इतना मस्त लग रहा है कि दिल कर रहा है कि इसको खा जाऊँ! मैंने कहा- जान.. अगर तो इसको खा जाएगी.. तो मैं तुझे कैसे चोदूँगा? वो मुस्कुराने लगी.. बोली- खा तो लूँगी पर मुँह से नहीं.. मैं हँस पड़ा।

फिर धीरे-धीरे उसने लण्ड के टोपे को मुँह में ले ही लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। फिर हम 69 के पोज में आ गए और मैं उसकी चूत चाटने लगा.. वो मेरा लण्ड चूसने लगी। काफी देर तक हम ऐसे ही करते रहे।

मेरे मन में उसको चोदने की कसक अभी बाकी थी.. क्या हुआ क्या उसने मुझे चोदने दिया या मैंने कुछ और किया.. जानने के लिए अन्तर्वासना से मेरे साथ जुड़े रहिएगा।

दोस्तो.. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल करके जरूर बतायें.. इस पर भी आप अपने सुझाव भेजें। मुझे आपके मेल का इन्तज़ार रहेगा.. कहानी जारी है। [email protected] my facebook link is https://www.facebook.com/profile.php?id=100010396984039