खुल्लम-खुल्ला चूत-चुदाई का आनन्द -2

दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा..

रेशमा बड़ी मादकता से साथ उठी और राहुल के पास मुझे आँख मारते हुए पहुँची और हल्के से टांग को उठा कर राहुल के लौड़े को अपने हाथ से पकड़ा और अपनी बुर से सैट करते हुए लौड़े की सवारी करने लगी। अब बाकी का काम मुझे करना था.. जैसे ही राहुल ने गिलास खाली किया.. मैंने तुरन्त ही उसकी गिलास को फिर से भर दिया। इधर रेशमा धीरे-धीरे लौड़े पर उचकने लगी.. लेकिन मैं रेशमा को चोदने का सब्र में नहीं कर पा रहा था.. इसलिए मैं धीरे से उठा। तभी राहुल बोला- कहाँ जा रहे हो.. हम लोगों की चुदाई देख कर मजा लो। मैंने कहा- हाँ..हाँ.. रेशमा जब तक तुम्हारे लौड़े को घिस रही है.. तब तक मैं थोड़ा नहा कर आता हूँ। यह कहकर मैं बाथरूम में चला गया और दो मिनट नहा करके जिस्म में सेन्ट आदि लगाकर दो टेबलेट नींद की गोली ले आया.. क्योंकि मैं चाहता था कि राहुल जल्दी सो जाए और मैं रेशमा को रात भर बजा सकूँ।

अब आगे..

जब मैं आया तो राहुल एक गिलास और खाली कर चुका था.. लेकिन वो अब रेशमा की गाण्ड मारने की जिद करने लगा.. जबकि रेशमा उससे गाण्ड के लिए नानुकुर कर रही थी। रेशमा को मैंने इशारा किया.. रेशमा ने इशारा समझ कर उससे बोली- राहुल ठीक है.. आज तुम मेरी गाण्ड मार लेना.. लेकिन पहले गाण्ड तो मेरी पहले गीली कर लो।

उधर राहुल रेशमा की गाण्ड चाटने लगा और इधर मैंने उसके गिलास में दोनों नींद की गोली डालकर उसके लिए एक पैग और बना दिया। रेशमा भी मुझे बड़ी खिलाड़ी नजर आ रही थी। वो राहुल की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए ‘आह.. होहो..’ जैसी आवाज निकाल रही थी.. लेकिन मुझे ऐसा लगता था कि केवल वो माहौल को उत्तेजित कर रही थी। मैंने धीरे से राहुल की ओर वो पैग बढ़ा दिया… धीरे-धीरे राहुल पर नशा सवार होने लगा।

वो बार-बार रेशमा की गाण्ड में लण्ड डाल रहा था.. लेकिन लण्ड अन्दर जा ही नहीं रहा था। मैं बैठ कर केवल तमाशा देख रहा था।

अब रेशमा ने उसका लण्ड पकड़ा और अपनी चूत के छेद में डाल दिया और दोनों पैरों को थोड़ा सा जकड़ लिया और चिल्लाने लगी- राहुल मेरी गाण्ड फट जाएगी.. राहुल को होश नहीं था.. वो भी चिल्ला रहा था- देखा.. न न.. करते आखिर मैंने तुम्हारी गाण्ड मार ही ली.. दो मिनट बाद वो हाँफते हुए बोला- रेशमा मेरी जान.. मेरा माल निकलने वाला है.. अपने मुँह खोलो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

रेशमा पलटी और उसके लण्ड को मुँह लेकर चूसने लगी। अगले ही पल राहुल का पूरा माल उसके मुँह में था.. जिसको वो गटक गई। राहुल पर एक तो नशा सवार था और दूसरा नींद की गोली भी असर कर रही थी, थोड़ी देर बाद वो नींद के आगोश में था। मैंने राहुल को गोद में उठाया और अपने बेडरूम में लिटा आया।

उसके बाद रेशमा के कहने पर मैं और रेशमा शावर के नीचे नहाए.. उसने अपने आपको खूब रगड़-रगड़ कर साफ किया। फिर उसने मुझे नहलाया.. फिर पॉट पर बैठकर मेरे लौड़े को चूसने लगी। वो कभी अपने चूचे में तो कभी अपने शरीर के बाकी हिस्से से मेरे लौड़े को रगड़ती। ऐसा करते-करते उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।

फिर वो पॉट से उठी.. मुझे पॉट पर बैठाया और मेरी तरफ अपनी गाण्ड की पोजिशन करके थोड़ी झुकी और मेरे हाथ की उँगली पकड़ कर अपनी गाण्ड को खोदने लगी। उसकी इस अदा पर तो मैं मर मिटा.. मैंने उसके इशारे को समझते हुए उसकी गाण्ड में उँगली अन्दर तक डाल कर ढीला करने लगा। ‘माई डार्लिंग अमित.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. मेरी चूत का बाजा बजा दो।’ ‘मेरी जान मैं पोजिशन पर ही हूँ.. तुम आकर लण्ड की सवारी कर लो।’

मेरे कहने भर कि देर थी कि रेशमा मेरे लौड़े के ऊपर आकर बैठ गई और हल्के दबाव से मेरे लौड़े को अन्दर लेने लगी। ऐसा करते करते उसने मेरे आठ इंची लौड़े को पूरा अन्दर ले लिया और फिर उछलने लगी। उसके उछलती हुई चूचियां मेरे होंठों से टकरातीं.. तो मैं उसे हल्के से काट लेता।

फिर मैंने उसकी एक टांग को पॉट पर रखा.. ताकि उसकी चूत का मुँह कायदे से खुल जाए और फिर लण्ड को बुर से सैट करके एक धक्के में ही आधे से ज्यादा लौड़ा उसकी बुर में घुसेड़ दिया।

‘उईईईई माँ..’ बस उसके मुँह से यही आवाज निकली.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं उसकी चूत में धक्के पर धक्के मारे जा रहा था। ‘फच.. फच..’ की आवाज से बाथरूम गूँज रहा था।

‘आह्ह.. आज मेरी बुर का भोसड़ा बन गया.. मेरी बुर की यह हालत है.. तो मेरी गाण्ड का क्या होगा.. आह्ह.. मुझे इतना मोटा लण्ड अपनी बुर में नहीं लेना था.. मेरी बुर तो मेरे राहुल के लिए ही है.. आह्ह.. ऊई माँ.. बचा लो.. ओह.. ओह..’ पता नहीं वो क्या-क्या बके जा रही थी और मैं धक्के पर धक्के लगाए पड़ा था।

इस दौरान रेशमा तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अब मैं झड़ने वाला था, मैंने रेशमा से पूछा.. तो बोली- मेरे मुँह में ही झड़ जाओ। मैं अपने लौड़े को उसके मुँह में ले गया और झड़ गया।

रेशमा मेरे रस की एक-एक बूँद को गटक गई और फिर अपनी उँगली को बुर के अन्दर डाल कर उसकी मलाई निकाली और अपनी उंगली को मुझे चटाने लगी। वो वापस पॉट पर बैठ गई। मुझे लगा कि वो मेरे लौड़े को चूस कर खड़ा करना चाहती है। मैंने आगे बढ़ कर लौड़े को उसके मुँह से सटा दिया। वो बोली- ये क्या कर रहे हो? मैं बोला- कर क्या रहा हूँ.. लण्ड है.. चूसने को दे रहा हूँ। ‘अरे यार रूको तो.. पेशाब तो कर लूँ।’

फिर वो उठी और मेरा लण्ड चूसने लगी.. वो मेरे लण्ड को ऐसे चूस रही थी कि मानो कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। मेरा लण्ड भी टनटना कर खड़ा हो गया। रेशमा बोली- अमित मेरी गाण्ड जरा प्यार से मारना.. मैंने डर के मारे आज तक राहुल से गाण्ड नहीं मरवाई है।

मैंने भी उसके होंठों को चूसते हुए कहा- यार चिन्ता मत करो.. प्यार से ही तेरी गाण्ड मारूँगा.. वैसे हल्का ही दर्द होगा.. जैसे पहली बार जब तुम्हारी सील तोड़ी गई थी.. बस उसी तरह दर्द होगा और उसके बाद मजे ही मजे। ‘तुम मर्दों का क्या.. मजे तो तुम लेते हो.. दर्द हमें सहना पड़ता है।’ ‘नहीं यार.. ऐसी बात नहीं है.. जब हमारा लण्ड तुम लोगों की बुर या गाण्ड में जाता है.. तो हमें भी जलन होती है और दर्द होता है।’ ‘मालूम है..’

‘अच्छा चलो उल्टी हो.. तो गाण्ड की तेल मालिश कर दूँ।’ मैंने नारियल तेल लिया और उसकी गाण्ड के छेद में तेल डालकर उंगली से अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन तेल बार-बार बह कर बाहर आ रहा था। ‘रेशमा.. अपनी गाण्ड को थोड़ा फैलाओ..’

रेशमा ने अपनी दोनों हथेलियों से पुट्ठे को पकड़ कर अपनी गाण्ड फैलाई और मैंने उसकी गाण्ड में पहले एक उंगली डाली और उसकी गाण्ड फैलाने के लिए उंगली अन्दर-बाहर करता रहा। गाण्ड जब थोड़ा ढीली पड़ी.. तभी मैंने अपनी दो उंगिलयों को रेशमा की गाण्ड के छेद में डाला.. पहले रेशमा चिहुँकी.. पर थोड़ी देर बाद उसे मजा आने लगा।

इस तरह करने से रेशमा की गाण्ड कुछ ढीली पड़ी.. तभी रेशमा को हाथ में तेल देते हुए उसे मेरे लण्ड मे लगाने को कहा। रेशमा बड़े प्यार से मेरे लौड़े में तेल लगाने लगी। मैंने रेशमा को फिर पलटने के लिए कहा.. रेशमा उस बेड का सहारा लेकर खड़ी हो गई.. जहाँ पर राहुल सो रहा था। ‘रेशमा अपनी गाण्ड फिर फैलाओ..’ उसने उसी अदा से अपनी गाण्ड फैलाई.. मैंने अपना सुपाड़ा रेशमा की गाण्ड में सैट किया और अन्दर डाला.. लेकिन ये क्या.. लण्ड फिसल कर बाहर आ गया..

दो-तीन बार करने पर भी अन्दर नहीं गया.. तो रेशमा ने अपनी गाण्ड को और फैलाया.. जिससे उसकी गाण्ड थोड़ा और खुल गई। इस बार मैंने ताकत के साथ धक्का मारा.. सुपाड़ा जाकर फंस गया..

‘उई माँ.. निकाल लो.. फट जाएगी.. मैं मर जाऊँगी.. जल्दी निकालो.. तुम्हारा लौड़ा भट्टी में तपे रॉड की तरह है.. मेरी गाण्ड में से अपना गर्म रॉड निकाल लो।’

वो लगातार लौड़ा बाहर निकालने के लिए कोशिश कर रही थी.. पर मैंने उसके मुँह को एक हाथ से कस कर बन्द कर दिया और दूसरे हाथ से कभी उसकी जोर-जोर से चूची दबाता.. तो कभी उसके चूचुकों को जोर से मींजता..। इससे उसका धीरे-धीरे गाण्ड से ध्यान हटने लगा और जैसे ही उसने अपनी गाण्ड हिलाना शुरू किया वैसे ही मैंने अपने लण्ड को धीरे से बाहर निकाला और एक और झटके से अन्दर डाल दिया।

‘फच्च..’ की आवाज से साथ लण्ड आधे से ज्यादा रेशमा की गाण्ड की गहराई की यात्रा कर चुका था। लण्ड के अन्दर घुसते ही एक बार फिर से ‘मादरचोद..’ ही उसके मुँह से निकला कि मैंने फिर से उसके मुँह को दबा लिया। रेशमा चिल्लाने की और लौड़ा निकालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.. लेकिन मेरे जैसे पहलवान के आगे सब असफल प्रयास थे।

अब रेशमा के दर्द की परवाह न करते हुए मैंने एक और तगड़ा झटका कस दिया और इस बार पूरा का पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में पेवस्त हो चुका था। मैं दो-तीन बार इस तरह लण्ड को अन्दर-बाहर करता रहा। गाण्ड टाईट होने की वजह से मेरा सुपारा भी जल रहा था और रेशमा भी दर्द से छटपटा रही थी। लेकिन जैसे-जैसे रेशमा की गाण्ड ढीली पड़ती जा रही थी.. वैसे-वैसे उसको मजा आ रहा था।

एक बार फिर मेरी और रेशमा की गाण्ड चुदाई की आवाज कमरे में सुनाई पड़ने लगी। क्या मस्ताने तरीके से रेशमा अपनी गाण्ड चुदवा रही थी। वो कभी दोनों पैर को जमीन पर रख कर.. तो कभी एक पैर को पलंग पर रख कर और तो और वो एक बार पेट के बल पूरी सीधी लेट गई और अपनी गाण्ड को फैला कर मेरे लौड़े को अन्दर लिया। उसकी गाण्ड चोदते-चोदते मैं भी थक रहा था लेकिन मेरा लण्ड है.. जिसे अभी भी दौड़ लगानी थी.. आधे घंटे तक मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की गहराईयों में उतरता-तैरता रहा। आधे घंटे के बाद लण्ड ने झटका लिया और वीर्य की बौछार कर उसकी गाण्ड को भर दिया।

अब मैं निढाल होकर रेशमा के ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद रेशमा ने मुझे अपने से अलग किया। अपनी जगह से उठी और मेरी चड्डी लेकर अपनी गाण्ड को पोंछा और मेरे लण्ड को पोंछा और उसको सूंघने लगी।

‘क्या हुआ रेशमा.. क्या सूंघ रही हो..? ‘ ‘अपने यार का माल.. बहुत ही भीनी खूशबू है।’ यह कहकर उसको और तेजी से सूंघने लगी और फिर चाटने लगी।

रेशमा मुझसे निशानी के रूप में मेरी चड्डी ले जाने के लिए माँगने लगी। मैंने भी उसे ले जाने के लिए ‘हाँ’ बोल दिया। ज्यादा थके होने के कारण रेशमा राहुल के बगल में लेट गई और सो गई। मैं भी दूसरे कमरे में जाकर सो गया। सुबह राहुल की आवाज आ रही थी। वो घर चलने के लिए कह रहा था.. जबकि रेशमा राहुल के ऊपर चिल्ला रही थी। मैं नंगा ही उसके कमरे में गया और राहुल से पूछा- क्या हुआ.. रेशमा क्यों चिल्ला रही है?

तभी रेशमा बोली- कल रात देखा नहीं क्या इस कुत्ते हरामी ने किस तरह मेरी गाण्ड फाड़ी है.. मैं मना कर रही थी.. लेकिन शराब पी लेता है.. तो बस इसको तो मैं कुतिया नजर आ रही थी। अब देखो न इसकी वजह से मुझे चला नहीं जा रहा है। ‘राहुल अगर तुमको ऐतराज न हो.. तो मैं इसकी गाण्ड में दवा लगा दूँ। तब तक मेरी लुंगी पहन कर अपने और रेशमा के कपड़े ले आओ।’

यह कहकर मैंने राहुल को अपनी लुंगी दे दी। राहुल कपड़े लेने बाहर चला गया। रेशमा मेरे लण्ड को दबाते हुए बोली- इस कुत्ते ने मेरी गाण्ड की क्या हालत की है और अब इस लण्ड को इसकी सजा मिलेगी। ये कहकर वो मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मुँह में ले गई और चूसने लगी।

राहुल के आने पर मेरे लण्ड को छोड़ कर रोने का नाटक करने लगी। राहुल उसे पुचकारता रहा.. मैं तब तक हल्का गर्म पानी ले आया और रेशमा को उल्टा लेटने के लिए कहा। राहुल से उसकी गाण्ड पकड़ कर फैलाने के लिए कहकर उस गर्म पानी से उसकी गाण्ड की सिकाई की और क्रीम लगा कर उस चड्डी को.. जिससे उसने अपनी गाण्ड और मेरे लण्ड को साफ किया था.. उसकी गाण्ड पर रख दिया।

राहुल ने उसे उसकी पैन्टी के साथ-साथ पूरे कपड़े पहना दिया और दोनों लोग अपने घर के लिए चल दिए। रेशमा लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रही थी.. पीछे मुड़ कर उंगली से अपनी गाण्ड की ओर इशारा करते हुए एक बार मौका लगने पर फिर मरवाने का वादा करके चली गई।

दोस्तो, अगर फिर कभी रेशमा मेरे पास आती है.. तो मेरे और उसके मिलन की कहानी मैं आप लोगों को फिर बताऊँगा। तब तक के लिए धन्यवाद। दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ईमेल पते पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें। [email protected]