गुलाबो व कमली की चूत गान्ड चुदाई -1

दो महिलाएँ आपस में कुछ अंतरंग बातें कर रही थीं, पीछे बैठा मैं उनकी उनकी बातों को सुनकर बड़ा आनंदित हो रहा था। दोनों बड़ी अच्छी सहेलियाँ थीं, एक की शादी को करीब चार साल हुए थे, दूसरी की अभी-अभी शादी हुई थी। उनकी बातों में उनके सम्भोग की कहानियों के रस की चर्चा हो रही थी, दोनों एक-दूसरे को अपनी-अपनी चूत चुदाई की दास्तान सुना रही थीं।

एक दूसरे से कहती है- शालू.. तेरी पहली रात को क्या-क्या कैसे कैसे हुआ.. जरा खुल कर बता ना? ‘चल हट बेशरम.. जो तेरे साथ हुआ.. वही मेरे साथ हुआ..’ ‘यानि पहली रात पूरी खाली गई क्या तेरी..?’ ‘अरे नहीं रे.. बार-बार.. लगातार.. हुआ करीब साढ़े तीन घंटे.. ऊपर-नीचे होते रहे.. पीछे से.. आगे से.. सब हुआ..’ ‘क्या बात कर रही हो.. लगातार साढ़े तीन घंटे..?’ ‘नहीं रे.. बीच-बीच में हम लोग फोरप्ले भी करते रहे न.. यानि मैं और वो..’

‘कैसे और क्या-क्या हुआ.. जरा ठीक से बता ना?’ ‘हाँ बाबा.. सब बता दूँगी.. तू एक काम करना.. मेरे घर आ जाना.. फिर हम दोनों बैठकर अपने अनुभव शेयर करेंगे..’ ‘ठीक है..’ उसके ऐसा कहने के बाद वह दोनों अपने घरों के लिए रवाना हुईं।

मैं अपने मन में कल्पना करने लगा.. कि किस तरह की बातें होंगी.. जब ये दोनों मिलेंगी? क्या अपने अनुभव ये दोनों शेयर कर पाएगीं? इसी सोच में मैं अपने रास्ते पर अभी चला ही था कि अचानक सामने उन्हीं दो औरतों में से एक मेरे ही घर के सामने से जाती दिखी। तब तक मेरा इस महिला पर कोई ध्यान नहीं गया था।

वो देखने में बड़ी खूबसूरत लग रही थी, पिछवाड़े के दोनों पुठ्ठे मस्ती में हिचकोले खा रहे थे.. सामने के दोनों कबूतर जैसे आने जाने वालों को ललचा रहे थे, आँखों में नशीला आमंत्रण था। मैं उसकी इस चाल को देखते हुए मंत्रमुग्ध सा उसके पीछे-पीछे चला जा रहा था। दोनों औरतें थीं भी बड़ी मस्त चुदक्कड़ और सेक्सी लण्ड की मारी.. शायद सामने वाली का मर्द सिर्फ गाण्ड ही मारता था.. क्योंकि चूतड़ों के दोनों भाग इस तरह हिल रहे थे.. जिससे मालूम हो रहा था कि उसको गाण्ड मरवाने की आदत पड़ चुकी होगी। हालांकि यह मेरा कयास ही था.. इसलिए चूत का मजा क्या होता है.. यह सुनने की तमन्ना उसके दिल में आई होगी, उसकी चूत से पानी रिस रहा होगा।

अब मेरे दिल में उसको चोदने की तमन्ना बढ़ने लगी थी। लण्ड की मारी.. वो औरत कौन थी.. मुझे यह देखना भी बाकी था। पर थी बड़ी खूबसूरत..!

अचानक एक मकान के तरफ वो मुड़ी उसने कनखियों से मुझे देखा और वह घर के दरवाजे पर गई। उसने ताला खोला और वह अन्दर चली गई, वो सलीम हुसैन का घर था.. यानि यह बड़ी काम की चीज थी।

उस दिन तो मैं ये सोच कर वापस आ गया कि यह अनार कल खाऊँगा।

मैं उस रात को कमली के साथ सोया, कमली मेरी काम वाली थी। यह भी साली बड़ी चुदक्कड़ थी.. लण्ड लेने में अव्वल और माहिर.. उसकी चूत जैसे मक्खन की टिकिया थी, बड़ी कोमल हसीन चोदने लायक चूत वाली थी।

जब भी कभी मेरी घर वाली घर पर नहीं हो.. तो कमली मेरे घर पर ही नंगी पड़ी रहती थी, साली को चुदवाने का बड़ा शौक था। ऐसी ही रसीली सी चूत थी.. जब मेरे दिल में आता तब उसको खूब चोदता। जब मेरे दिल में आता.. तब अपना लण्ड उसे चुसाता रहता.. उसकी गाण्ड मारता.. उसकी चूत को आधे-आधे घंटे तक चूसता.. उसके मम्मों को कुछ इस तरह दबाता कि वो साली मेरे लण्ड की प्यासी हो जाती।

फिर उसकी चूत में लण्ड डाल कर उसको पीछे से.. आगे से.. नीचे से.. ऊपर से.. खूब मस्त कर कर के चोदता। कभी-कभी जब मुझे उसकी गाण्ड मारने की इच्छा होती.. तो मैं उसे पलटा देता और फिर मलाई लगा कर लण्ड को उसको पहले चुसाता.. फिर उसकी गाण्ड में मलाई लगाकर अपना लण्ड उसकी रसीली गाण्ड में घुसा देता।

हाय कितना मस्त लगता था.. उसकी गाण्ड मारना। चुस्त दुरुस्त गाण्ड की चुदाई का मजा ही कुछ और होता है। चुदने वाली अगर गरम हो.. तो चोदने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है। उसकी चूत में उसकी गाण्ड में.. उसके मुँह में लण्ड देते हुए जन्नत के सुख का अनुभव होता है।

कई बार मैंने देखा है कि खुद की औरत जितना मजा नहीं दे पाती.. उतना मजा ये बाहर वाली औरत देती है। एक दिन उसने बड़ी शिद्दत से मुझसे चुदवाया। फिर मुझसे आराम से पूछा- साहब क्या एक और चलेगी? मैं हल्का सा चौंका।

‘क्या कह रही हो.. क्या मरवाना है.. अगर तुम्हारी मालकिन आ गई तो तूफान खड़ा हो जाएगा?’

उसने कहा- नहीं होगा.. क्योंकि मैं जिसको लेकर आ रही हूँ. वो मेरी देवरानी है.. उसके पति का लण्ड छोटा सा है.. सो उसको भी लण्ड चाहिए। मैं सोच में पड़ गया। कमली तो ठीक थी अगर घर में किसी और को बुलाता और घर वाली आ जाती.. तो लेने के देने पड़ जाते.. क्या करें? मैंने कमली से पूछा- क्या तेरे घर में जम सकता है? फिर मैं तुम दोनों को भी चोदूँगा।

‘साहब आप कहाँ आएंगे.. हमारी उन झुग्गी झोपड़ी में.. दो कमरे हैं.. एक मेरी देवरानी का और दूसरा मेरा.. घर में भी बच्चे आते-जाते रहते हैं। फिर कोई भी आता है।’

‘अच्छा.. यानि तुझे उसे यहीं लेकर आना है चुदने के लिए..’ ‘साहब जी.. आपके लण्ड के लिए तो मैं कुछ भी करूँगी।’

उसने इस तरह की बात की.. तो मैं थोड़ा तैयार हो गया.. लेकिन चोदने के मामले में मैं कोई रिस्क में लेना नहीं चाहता था। उधर मन कहता था कि ये मस्त चुदक्कड़ कमली और साथ में उसकी देवरानी भी अगर मिल जाए.. तो क्या बात थी.. उसकी देवरानी इस खेल में नई थी.. ऐसा कमली ने कहा था।

दूसरे दिन कमली के साथ एक बाइस-तेईस साल की लड़की.. थोड़ी शरमाते हुए दरवाजे पर खड़ी थी। मैं समझ गया यही कमली की देवरानी हैि जो आज अपना भोसड़ा खुलवाने आई है। मुझे मेरी किस्मत पर यकीन नहीं हुआ.. क्या बात है मेरे ठरकी लौड़े आज तो तेरी किस्मत में दो-दो चूतें हैं।

‘क्या नाम है तेरा? मैंने कमली की देवरानी से पूछा.. तो उसने धीरे से कहा- गुलाब.. हाय.. एक कमल का फूल.. तो दूसरी गुलाब की कली.. क्या बात है.. मेरे विचार अब बहकने लगे थे.. अरमानों में दोनों चूतें आँखों के सामने नंगी नाचने लगी थीं।

कमली की देवरानी थी तो जरा सांवली.. पर उसके भरे हुए दूध और मचलती जवानी देख कर मेरे लौड़े में नीचे एक खलबली सी मच रही थी। मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें कमली ने बताया है कि तुम किस लिए आई हो? गुलाब ने शरमा कर आँखें नीची करते हुए मुझसे ‘हाँ’ कहा।

कमली बोली- अरे गुलाबो.. अब शर्माती क्यों हो? सारा ही दिखाना है.. तो शर्माना क्यों..? चल पहले खाना बना ले.. फिर दोनों मिल कर साहब की खिदमत करेंगे। यह कहकर कमली मेरी तरफ कनखियों से देखते हुए कंटीली मुस्कराहट के साथ रसोई में जाने लगी। उसने गुलाबो के दोनों पुठ्ठों पर हाथ फिराया.. मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है।

रसोई में खाना बनाते हुए आज उसका चुदने का मन कर रहा था। कमली ने साड़ी जांघों पर ऊँची कर ली और अपनी कोमल जांघें मुझे दिखाने लगी। मैं उत्तेजित हो रहा था। थोड़े देर में मैंने अपना पायजामा उतारकर मेरी निक्कर उतार दी। फिर पायजामा पहन कर मैं देखने के लिए गया कि ये दोनों रसोई में क्या कर रही हैं।

मैंने देखा गुलाबो कुकर लगा रही थी और कमली रोटियाँ बेल रही थी। कमली के दोनों मम्मे इस तरह से हिल रहे थे कि मेरे लण्ड में हलचल होने लगी थी।

धीरे-धीरे मैं कमली के पास पहुँचा.. मैंने कमली की कमर पर हाथ रखा.. धीरे-धीरे उसकी कमर को सहलाते हुए मैंने हाथ कमली के मम्मों पर रख दिया।

इधर गुलाबो मेरी इस हरकत को गौर से देख रही थी.. वो कनखियों से ताड़ रही थी। मैंने अपने हाथों से कमली के दूध दबाते हुए उसे गालियाँ देना शुरू किया- साली.. चुदक्कड़.. रोज मेरे सामने सोकर चुदती है.. आज तो तेरी चूत में मेरा लण्ड फिर से खलबली मचा देगा..

अब मैंने उसकी साड़ी को कमर तक उठा कर उसके चूतड़ों को फैला दिया। फिर अपने पायजामे को खोलकर.. उसकी दरार में अपना हथियार डाल दिया। अब मैं लौड़े को ऊपर से ही आगे-पीछे करते-करते गुलाबो के होंठों को चूमने लगा। गुलाबो के नरम होंठों को चूमते-चूमते मैंने उसके ब्लाउज में हाथ डालकर उसके मम्मों के आकार का अंदाज लिया, उसके दोनों मम्मे बड़े ही गुंदाज थे। मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोले और उसके मम्मों को चूमने लगा।

अय हाय.. क्या मस्त मम्मे थे.. एकदम मस्त और चुस्त..

मैंने जैसे ही उसके मम्मों को चूसना शुरू किया.. उसने अपना रूप बदलना शुरू कर दिया। क्या बात है.. यह तो कमली से ज्यादा गरम माल थी। मेरे जेहन में एक ख़याल आया.. साला इसका आदमी इसे गरम तो करता होगा.. पर ठंडा करने की बात आती होगी.. तो टाएँ-टाएँ फिस्स.. हो जाता होगा।

बड़े दिनों के बाद एक अरमानों की डोली उठने वाली थी.. मैं बड़ा खुश था, मुझे उसकी चूत देखने की तमन्ना हुई। मैंने कमली को छोड़ा और गुलाबो की गाण्ड के पास अपना लण्ड अड़ा दिया।

साली एकदम से अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी। उसके बड़े-बड़े चूतड़ों में मेरा लण्ड मस्त घिसता जा रहा था। उधर कमली रोटियाँ बनाने में लगी रही। इधर गुलाबो अपने मस्त चूतड़ों से मेरे लण्ड की मालिश कर रही थी।

मैंने उसका ब्लाउज ऊपर किया.. छोटे-छोटे गुन्दाज़ मम्मों पर गुलाबो के दोनों अंगूरी निप्पल.. इतने मस्त दिख रहे थे.. कि मेरे लण्ड की गोटियों में खून जोर से बहने लगा।

मैं भी अपना मूसल लण्ड गुलाबो के चूतड़ों के बीच में जोर-जोर से घिसने लगा। साली थी तो बड़ी मस्त माल.. साली के चूतड़.. मेरे लण्ड को अन्दर तक ले रहे थे। ऊपर कमली मेरे होंठों को चूस रही थी। दो फूल मेरे पास थे और उनका एक माली उन दोनों पौधों को सींच रहा था।

आज तो मेरा दिन मस्त बीतने वाला था.. पर पता नहीं क्यों मुझे कोई खटका सा लग रहा था.. दोस्तो.. मेरे साथ लौड़ा हिलाते रहिए.. जल्द ही अगले भाग में आपको कमली और गुलाबो की चुदाई की कथा लिखता हूँ। कहानी जारी है। [email protected]