बुआ की सील तोड़ चुदाई -2

दोस्तो, मेरी यह कहानी मेरी बुआ की रसीली जवानी और मेरी उसे चोदने की चाहत से भरी हुई है। इस कहानी में अब तक आपने पढ़ा.. उसने बहुत देर तक आँखें नहीं खोलीं। फिर जब उसने अपनी आँखें खोलीं तो उसके चेहरे पर कुछ मुस्कान और कुछ शर्म थी। मैं लगातार उसे देखे जा रहा था। अब उसने धीरे से अपनी नजरें ऊपर उठाईं और मेरी आंखों में देखा और जिस पल हमारी नजरें मिलीं.. उसने तुरन्त ही अपनी नजरें वापस झुका लीं और खड़ी होकर जानें लगी.. तो मैंने तुरन्त उसका हाथ पकड़ लिया। उसने एक बार अपना हाथ घुमाया और मैंने झट से उसका हाथ छोड़ दिया और वो बिना मुड़े भाग गई। मुझे इस बात का कोई डर नहीं था कि वो किसी को इस बात का ज़िक्र करेगी, क्योंकि अब जब भी वो मेरे सामने आती थी.. तो उसके चहरे पर एक अजीब सी मुस्कान रहती थी। अब आगे मेरी बुआ की जवानी की पहली लूट का रस लीजिएगा…

मैंने सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं पार्वती बुआ को जरूर चोदूँगा। अब मैं उसे चोदने की तरकीब सोचने लगा। शादी के दौरान वो मुझे देखते ही भाग जाती थी। हम शादी खत्म होने पर अपने घर आ गए और मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया।

एक दिन जब मैं कोचिंग से घर आया तो देखा कि घर पर पार्वती बुआ आई हुई थी, वो मेरी छोटी बहन से बात कर रही थी। मैं सीधे उसी कमरे में चला गया और झट से बोला- क्या हुआ बुआ.. नाराज हो क्या? शादी के बाद से मुझसे बात ही नहीं करती हो? बुआ- नहीं तो.. तू खुद ही कहाँ मिलता हैं। सारे दिन जयपुर में घूमता रहता है.. कभी खेत पर तो आता ही नहीं है। मैं- चलो.. ठीक है.. कल खेत पर भी आयेंगे।

और यह कहकर मैं वहाँ से निकल आया। आकर कपड़े बदले और खाना खाकर अपने कमरे में आकर सो गया.. क्योंकि राजस्थान में गर्मी के दिनों में दोपहर में बाहर घूमने की सोच भी नहीं सकते। मैं लगभग 4:30 बजे उठा। उस समय भी बुआ मेरी बहन से बात ही कर रही थी। मैं जब बाथरूम में होकर आया.. तो बुआ जा चुकी थी।

अगले दिन मेरी मम्मी मेरे छोटे भाई बहन को लेकर मेरे मामाजी के घर चली गई और पापाजी किसी काम के सिलसिले में जयपुर चले गए। घर पर सिर्फ मैं अकेला ही बचा था।

लगभग 11:30 बजे के लगभग बुआ घर पर आई.. तब मैं बैठा हुआ अपने लैपटॉप पर अपनी फोटो देख रहा था। मेरा कमरा घर के बाहरी तरफ है.. पर मेरे कमरे का दरवाजा हमेशा बन्द ही रहता है.. इसलिए मुझे किसी का पता नहीं लग पाता है।

थोड़ी देर पूरे घर को देखने के बाद बुआ मेरे कमरे में आई.. तो आते ही बोली- सब लोग कहाँ चले गए..? पूरे घर को छान मारा पर कोई नहीं मिला। मैं- थोड़ा श्वास तो ले ले.. क्या शताब्दी एक्सप्रेस की तरह चालू हो गई। घर में कोई कैसे नहीं हैं.. मैं तो हूँ और पापा ऑफिस गए और बाकी सब मामाजी के घर गए हैं। बुआ- तो मैं यहाँ किस लिए आई हूँ.. तेरी बहन ने कहा था कि कल भी आ जाना.. दोनों बैठ कर बातें करेंगें और खुद महारानी घूमने चली गई। मैं- कोई बात नहीं.. आज हम दोनों बातें कर लेंगे..

वो धीरे से आकर मेरे बिस्तर पर बैठ गई.. पर वो अब भी कुछ बोली नहीं। मैंने तुरन्त उसकी गर्दन पकड़ी और अपनी तरफ की.. तो उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं।

मैंने उसको कुछ किया नहीं.. बस उसकी आँखें खुलने का इन्तजार करने लगा। जब मैंने कुछ नहीं किया.. तो उसने भी कुछ देर बाद जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं.. मैं बोला- क्या बात है.. लगता है हमारे होंठों का शौक लग गया है? कोई बात नहीं.. अभी ख्वाहिश पूरी किए देते हैं.. पर ध्यान रखना.. अगर आज चालू हो गए.. तो रोके नहीं रुकेंगे, फिर चाहे जबरदस्ती ही क्यों ना करनी पड़े।

मैंने इतना कहने के बाद अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और चालू हो गया। लगभग 10-12 मिनट किस करने के बाद जब उसने मेरा पूरी तरह से साथ देना चालू कर दिया तो फिर मैंने अपने हाथों को पहले की तरह घुमाकर उसके स्तनों पर लाया.. तो इस बार उसके विरोध का इन्तजार किए बिना ही उसके स्तनों को सहलाने लगा।

जब मुझे लगा कि ये अब मजे लूट रही है.. तो मैं उसके उभारों को जबरदस्त तरीके से दबाने और सहलाने लगा। अब वो भी मुझे अपनी तरफ खींचे जा रही थी। मैं समझ गया था कि आज मेरा काम हो जाएगा।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके उभारों को अच्छे से मसला.. कई बार तो इतनी जोर से.. कि वो चिल्ला उठती थी.. पर मेरे होंठों के जॉइंट की वजह से आवाज बाहर नहीं निकलती थी।

कुछ सोचकर मैंने उसे छोड़ा.. तो वो मुझे अजीब सी नजरों से देखने लगी। मैं तुरन्त गया.. और दरवाजे को सिटकनी लगा कर वापस आया.. तो देखा कि उसकी आँखों में अजीब सी प्यास थी। मैंने इस मौके को देखते हुए.. उसको खड़ा किया और उसकी कुर्ती को पकड़ कर ऊपर करके खोल दिया।

अब उसे शर्म आई.. तो उसने अपने दोनों हाथों से अपना चहरा ढक लिया। मैंने तुरन्त अन्डरवियर को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके पजामे को खोल दिया.. तो पाजामा नीचे गिर गया।

बुआ ने पजामे को रोकने के लिए जैसे ही अपने हाथ हटाए.. तो मुझे देखकर चेहरा वापस ढक लिया।

अब मैंने ही उसके हाथ हटाये.. और उसके होंठों पर एक किस करके.. धीरे-धीरे नीचे उतरते हुए उसके गले.. फिर उसके हाथ.. उसके बाद मैंने उसके पूरे जिस्म पर अपने होंठों को फिरा दिया। बुआ गनगना उठी..

अब मैंने उसकी समीज़ उतारी.. तो वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। मैंने उसको अपनी बाँहों में उठाया और अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसे बेतहाशा चूमने और चाटने लगा।

अब मैंने उसके बचे हुए कपड़े भी उतार फेंके। मैंने जब उसकी चूत को देखा.. तो उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे और उसकी चूत के होंठ सिर्फ 3 इन्च लम्बे ही थे। मैंने उसकी चूत पर अपना एक हाथ रखा.. तो उसने मेरे हाथ को हटाकर अपने हाथों से अपनी चूत को ढक लिया।

अब मैं उसके एक चूचे को अपने मुँह में लेकर किसी दूध पीते बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को जोर-जोर से दबाने लगा। उसके मुँह से अब सेक्सी आवाजें आने लगीं, वो ‘अहह.. सीईई..’ करने लगी। मैंने देखा कि वो ऐसे आवाजें निकालते हुए अपनी चूत भी मसल रही थी।

कुछ देर बाद मैंने देखा कि वो अपनी चूत में उंगली करने लगी थी। मैंने उसके हाथ को उसकी चूत से हटाया और अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डालने लगा। मेरी उंगली लगभग एक सेन्टीमीटर जाकर रुक गई। मैं समझ गया कि आज यह बहुत रोने वाली है.. और मैं आज एक कच्ची कली की सील तोड़ने वाला हूँ।

मैंने ठान लिया था कि आज मैं इसको एक औरत बनाकर ही रहूँगा.. अगर मैंने इसे आज छोड़ दिया.. तो ये कभी बाद में हाथ तक नहीं लगाने देगी। अब मेरा लण्ड मेरी अंडरवियर को तम्बू बना रहा था और इतना दर्द कर रहा था कि मुझसे सहा नहीं जा रहा था।

मैंने जैसे ही अंडरवियर उतारने की सोची वैसे मुझे मेरा लण्ड पर कुछ महसूस हुआ। मैंने देखा कि बुआ आँखें बन्द किए हुए ही मेरे लण्ड को मसल रही थी।

मैं धीरे-धीरे नीचे को होकर उसकी चूत पर पहुँचा.. तो उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। मैंने कभी पहले चूत नहीं चाटी थी.. इसलिए मैंने इस बार भी चूत ना चाटने का फैसला किया और उसकी चूत पर हाथ फ़िराकर उसे और गर्म करने लगा।

अब मुझसे और इन्तजार नहीं हो रहा था तो मैंने अपने अण्डरवियर को उतार कर उसकी चूत पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा। कुछ देर के बाद बुआ मेरे लण्ड पर अपनी चूत का दबाव बनाने लगी। मैं समझ गया कि अब लोहा पूरी तरह से गर्म है.. बस अब हथौड़ा मार देना चाहिए।

मुझे चुदाई करते समय दो बातें बहुत ज्यादा पसन्द हैं.. पहली.. चोदते समय लड़की की चीखें.. और दूसरी.. किसी लड़की की सील तोड़ना.. आज मुझे ये दोनों चीजें एक साथ मिलने वाली थीं। मैं बुआ को और तड़पाना चाहता था जिससे कि वो मुझसे चोदने के लिए मिन्नते करे। मैं अपने लण्ड को उसके मुँह तक लेकर गया और अपनी लण्ड की टोपी को उसके होंठों पर फिराने लगा। कुछ देर के बाद बुआ खुद ही मुँह खोल कर लण्ड चूसने लगी।

अब मैं अपने आपको जन्नत में महसूस कर रहा था.. कुछ देर के बाद मैंने लण्ड को बाहर निकाला और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। लगभग 2 मिनट तक लगातार लण्ड को रगड़ने से वो तड़पने लगी और मुझे चोदने के लिए कहने लगी। वो जितनी ज्यादा तड़प रही थी.. मु्झे उतना ही मजा आ रहा था।

दोस्तो.. मुझे अपनी बुआ की रंगीन जवानी पर पहले से ही दिल आया हुआ था और अब तो मेरे लौड़े में आग सी लग गई थी.. बस मैं उसकी सील पैक चूत को पूरी तरह से चोदने के लिए तैयार करने की जुगत में था। मेरी बुआ की सील तोड़ चुदाई की कहानी जारी है। [email protected]