भाई के दोस्तों ने मुझे रण्डी बनाया -2

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अब तक आपने पढ़ा.. दोस्तो.. अब आप समझ ही गए होंगे कि मेरी पोज़िशन क्या थी। मेरी चूत तो ब्ल्यू फ़िल्म देख कर पूरी ही गीली हो चुकी थी। दीपक ने मेरे पैरों के बीच में बैठ कर अपना लण्ड मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक ही झटके में आधा लण्ड चूत में डाल दिया। मेरे मुँह से ‘आईईईई..’ निकल गई। दीपक ने कहा- क्यों क्या हुआ रंडी.. अभी तो आधा लण्ड बाकी है। यह कह कर एक झटका और लगाया और अपने हाथ मेरी चूचियों पर लेजा कर मुझे गोद में उठा लिया, वो उठ कर दूसरे कमरे में जाने लगा। मेरी हालत आप समझ ही गए होंगे कि मैं कैसे उसकी गोद में थी और उसका लण्ड मेरी चूत में घुसा हुआ था। दूसरे कमरे में आने के बाद मैंने देखा कि सब लोग बिल्कुल नंगे थे। मुझे समझते देर ना लगी कि आज पक्का मेरी चुदाई कई लौड़ों से होने वाली है। अब आगे..

दूसरे कमरे में आते ही मुझे बेड पर लेटा दिया और वो झटके देने लगा। मेरे मुँह से ‘आआअहह.. अइय्आआ आऐययईया.. आहह मैं मर गई..’ निकलता रहा। मैं आवाज निकालती रही।

तभी एक ने उठ कर मेरे मुँह में लण्ड डाल दिया और मेरी आवाज़ बंद हो गई। अब सारे के सारे खड़े हुए और मेरे ऊपर ऐसे टूट पड़े.. जैसे फ़ूल के ऊपर मधुमक्खी.. और जल्दी से सबने मेरे पूरे कपड़े उतारे और मुझे नंगी किया।

दीपक ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझे बैठने को कहा, मैंने भी बिल्कुल वैसा ही किया। तब मैंने दीपक से पूछा- भैया कहाँ हैं? तो उसने कहा- तू टेंसन मत ले.. तेरा भाई तेरी चुदाई के बाद ही आएगा। वो हँसते हुए मेरे मुँह के आगे लण्ड हिलाने लगा।

मैं भी समझ गई कि मुझे क्या करना है। मैंने मुँह खोला और बारी-बारी से सबका लण्ड चूसने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

दीपक ने कहा- एक मिनट रूको.. वो अपनी जेब से फोन निकाल कर मेरी वीडियो बनाने लगा। मैंने कहा- प्लीज़ ये रहने दो। तो उसने कहा- साली कुतिया.. मेरे आगे शर्तें रख रही है.. उसने इतना कह कर लण्ड मेरे मुँह में पेल दिया और मेरा सिर पकड़ कर मुँह की चुदाई शुरू कर दी। फिर सबने बारी-बारी से मेरे मुँह की चुदाई की।

एक लड़के ने मुझे उठने को कहा और बिस्तर पर लेटाकर मुझे अपने लण्ड पर बैठने को कहा।

मैं खड़ी होकर उसके लण्ड पर बैठ गई, उसका लण्ड दीपक के लण्ड से थोड़ा छोटा था.. तो मुझे चूत में लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मैं आराम से पूरा लण्ड खा गई। फिर दीपक ने मुझे उसके ऊपर लेटा दिया और मेरी गाण्ड चाटने लगा।

गाण्ड को पूरी तरह गीली करने के बाद अपना लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर रखा और ज़ोर के झटके के साथ लण्ड का टोपा मेरी गाण्ड में घुस गया।

तभी दूसरे ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया। अब मेरे मुँह.. गाण्ड.. और चूत में लण्ड फंसे हुए थे और मैं जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी।

सबने पूरे लण्ड मेरे सभी छेदों में दिए हुए थे, मेरी आँख से आँसू आने लगे, सबने बारी-बारी से मुझे चोदा।

करीब 40 मिनट बाद घंटी बजी और दीपक ने मुझे उठ कर दूसरे कमरे में भेज दिया। मेरी हालत ऐसी हो गई कि मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। दीपक ने मुझे गोद में उठाया और दूसरे कमरे में छोड़ कर गेट खोल दिया।

वो अन्दर आए, आने के बाद भाई ने कहा- टीवी की वॉल्यूम बाहर तक आ रही है। उन्हें ये नहीं पता चला था कि जो आवाज़ बाहर जा रही थी.. वो टीवी की नहीं.. बल्कि बहन की चुदाई की चीखों की आवाजें थीं।

अब भैया अन्दर आए और फिर से पैग बनाने लगे। सबने फिर से ड्रिंक की.. अब टाइम 4:30 का हो चुका था। दीपक ने भाई से कहा- यार भूख लग रही है.. और खाना खत्म हो चुका है।

भाई ने कहा- अब मुझसे नहीं जाया जाएगा.. जिसको भी खाना है.. जाकर ले आओ। तो दीपक ने कहा- मैं और आर्यन ले आते हैं। तब भाई ने कहा- ठीक है जाओ..

तभी सब कहने लगे- मैं भी चलूँगा.. मुझे समझ में नहीं आया कि ये सब करना क्या चाहते हैं। फिर उनमें से 3 लोग जाने लगे.. तो भाई ने कहा- अबे कपड़े तो पहन लो। फिर दीपक ने कहा- गाड़ी लेकर जा रहे हैं.. क्या फ़र्क पड़ता है। ये कहते हुए वे गेट की तरफ़ जाने लगे और गेट खोल कर बाहर नहीं गए।

वे बाहर जाने की बजाए मेरे कमरे की तरफ़ आने लगे। भाई के दोस्त ने कहा- मैं गेट बंद करके आता हूँ। वो समझ गया कि ये सब बाहर का नाम लेकर कहाँ गए हैं।

दीपक ने उसे इशारा किया.. वो समझ गया और जाकर भाई के पास बैठ गया, भाई और वो दोनों ड्रिंक करने लगे, दीपक और उसके दो दोस्त मेरे कमरे में आए। जैसे ही मैंने उन्हें देखा तो एक चुदासी सी स्माइल दी और उठ कर बैठ गई।

सब आते ही मुझ पर टूट पड़े और मेरी चुदाई शुरू कर दी। भाई आराम से दूसरे कमरे में बैठ कर ड्रिंक कर रहा था। उसे ये नहीं पता चला कि दूसरे कमरे में उसकी बहन लौड़ों से चुद रही है। इधर सबने मुझे कुतिया और घोड़ी जैसा उठा कर… लेटा कर.. हर एंगल में चोदा।

आधे घंटे चुदाई करके दीपक ने अपने उस फ्रेण्ड को मैसेज किया.. जो भाई के साथ दूसरे कमरे में था। वो समझ गया.. उसने भाई से कहा- गेट खोल कर आता हूँ.. वो आ गए हैं। वो बाहर आकर गेट को खोल कर बंद कर दिया.. ताकि भाई को लगे कि सच में बाहर से ही आए हैं।

फिर सब भाई के कमरे में चले गए और बोले- हर जगह देख लिया.. कुछ खाने को नहीं मिला। तो भाई ने कहा- ज्योति से बोल कर घर में ही बनवा देता हूँ।

तो दीपक ने कहा- कोई बात नहीं.. रहने दे.. उसे सोने दे.. उसकी क्यों नींद बेकार कर रहा है। चल हम है न.. कुछ बना लेते हैं। पहले ये बता तेरे मॉम-डैड कब तक आएँगे? तो भैया ने कहा- आज शाम तक.. या कल सुबह.. तो दीपक ने कहा- ओके.. तो चल कुछ बना लेते हैं।

अब सारे रसोई में चले गए। रसोई उस कमरे के बराबर में था.. जिसमें मैं कुछ देर पहले अपनी चूत और गाण्ड फड़वा रही थी। फिर रसोई में जाकर कुछ खाने के लिए बनाने लगे। मैं उठी और रसोई की तरफ गई और बोली- लाओ आप लोगों के लिए कुछ खाने का मैं बना देती हूँ.. तो भाई बोले- अरे तू उठ गई। मैंने कहा- हाँ रसोई में से आवाज़ की वजह से उठ गई। फिर दीपक ने कहा- कोई बात नहीं.. जा सो जा.. हम बना लेंगे। भाई ने भी कहा- हाँ जा सो जा।

मैंने स्माइल दी और वॉशरूम की तरफ़ जाने लगी। तभी भाई ने कहा- क्या हुआ तू लंगड़ा कर क्यों चल रही है? तो मैंने कहा- कल झाड़ू लगाते वक्त पैर में मोच आ गई थी। तो भाई ने कहा- ओके मेडिसिन ले ली? मैंने कहा- हाँ ले ली..

मैं मन ही मन सोचने लगी कि ये दर्द तो चुदाई का है.. केलों की दवाई ली हुई है।

फिर मैं वाशरूम में चली गई और मूतने के लिए बैठी.. तो मैंने अपनी चूत और गाण्ड पर हाथ लगा कर देखा कि दोनों के छेद चौड़े हो चुके थे।

फिर बाथरूम करने के बाद गेट पर किसी ने खटखटाया.. मैंने हल्का सा गेट खोला तो दीपक खड़ा था। मैंने धीरे से कहा- क्या है.. जाओ.. भाई आ जाएगा।

तो दीपक ने कहा- वो दूसरे कमरे में आटा गूँथ रहा है.. तू गेट खोल.. मुझे मूतना है। मैंने कहा- रूको.. मैं निकलती हूँ.. तब कर लेना।

पर दीपक नहीं माना और जबरन गेट खोल कर अन्दर आ गया। उसने अपना लौड़ा निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया.. जितना अन्दर जा सकता था उतना घुसेड़ दिया और फिर मेरे मुँह मे ही मूतने लगा। मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई और मुझे उसका सारा पेशाब पीना पड़ा।

मूतने के बाद दीपक ने अपना लण्ड बाहर निकाला और कहा- कैसा लगा रंडी.. मेरा मूत? मैंने रोनी सी शक्ल बना कर.. उसकी तरफ़ देखा.. तो वो हँसने लगा।

मुझे इस बात पर गुस्सा आया और मैंने उसे पकड़ कर बाथरूम में खींच लिया और उसको लेटने के लिए बोली, वो लेट गया, मैंने अपनी चूत उसके मुँह पर रखी और मूतने लगी। पूरा मूतने के बाद मैं खड़ी हुई और मैंने अपना बदला वापस ले लिया और खुश होकर पूछने लगी- कैसा लगा? तो इस बात पर दीपक हंसने लगा और बोला- मस्त लगा.. मेरी राण्ड.. तू तो पूरी रंडी बन गई। मैंने भी कहा- भैनचोद कुत्ते.. कल से मेरी चूत गाण्ड फाड़ रहे हो.. तो क्या मैं शरीफ़ ही बनी रहूँगी।

इतना कह कर मैं बाहर आ गई और अपने कमरे में जाकर लेट गई। तब तक सबने खाना तैयार किया और मैं सो गई।

करीब 11 बजे मेरी आँख खुली तो देखा सब सो रहे हैं। मैं जल्दी से उठी और नहाने के लिए बाथरूम में चली गई। कुछ देर बाद मैंने देखा कि भाई का दोस्त आर्यन उठ कर बाथरूम की तरफ़ आ रहा है। उसने देख लिया कि मैं नहा रही हूँ क्योंकि दरवाजा खुला था। मैं बिल्कुल नंगी हो कर नहा रही थी, उसे देख मैंने बाथरूम का डोर लॉक कर दिया।

तभी बाथरूम का दरवाजा खटका तो मैंने हल्का सा गेट खोला.. तो आर्यन खड़ा था, मैंने पूछा- क्या कुछ चाहिए जी? तो आर्यन ने कहा- तेरी चूत चाहिए।

मैं चूत शब्द सुन कर फिर से गर्म हो गई और मैंने बाथरूम का दरवाजा पूरा खोल दिया। मुझे एकदम नंगी देख कर आर्यन मुझ पर टूट पड़ा और मुझे दस मिनट तक चोदा। उसके बाद संदीप आया.. उसने भी मुझे चोदा। फिर सबने ने एक-एक करके बाथरूम में ही मुझे चोदा।

फिर सब जाकर सो गए और मैं भी चुदाई से पूरी तरह टूट चुकी थी, खाना खाकर मैं दुबारा सो गई और सीधी शाम को 6 बजे उठी। जब तक सब जा चुके थे। भैया ने मुझे उठाया और कहा- खाना खा ले। फिर मैं उठी और उस दिन मॉम-डैड भी आ गए। रात 10 बजे मेरे फोन पर दीपक की कॉल आई और उसने मुझे क्या कहा.. वो आपको अगली कहानी में लिखूँगी। तब तक आप अपना लण्ड खड़ा रखें.. आप सबके लौड़ों पर मेरी तरफ़ से क़िस्सी ‘उउम्म्म ममाआआहह..’

मुझे ईमेल करें और बताएं.. मेरी ये रियल कहानी कैसी लगी। [email protected]

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