योनि रस और पेशाब दोनों एक साथ निकल गए -3

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अब तक आपने पढ़ा.. संदीप- सिर्फ ‘सॉरी’ से काम नहीं चलेगा। मैं यह सब दीपक जी को बताने वाला हूँ.. वरना चुपचाप खड़ी रहो। खुशी ने संदीप की इस हरकत का पलट कर विरोध किया और धक्का मारकर संदीप को अलग करते हुए बोली। खुशी- मैं कोई बच्ची नहीं हूँ.. तुम मुझे इस तरह से दवाब में नहीं ला सकते हो। जाओ और जीजाजी को बता दो.. जो होगा.. मैं झेल लूँगी। मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश मत करो.. तुम्हें इससे कुछ नहीं मिलने वाला। संदीप के तो होश ही उड़ गए। उसकी सारी प्लानिंग समाप्त होती दिख रही थी। अब उसके पास खुशी के आत्मविश्वास वाले व्यवहार के सामने बोलने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। अब आगे..

अब तो आर-पार की बात ही होनी थी। सो संदीप आगे बढ़ा और फिर से खुशी को कमर से फिर से पकड़ लिया और और उसके गालों पर चिकोटी काटते हुए बोला- चलो.. ठीक है.. एक किस तो ले सकता हूँ!

इससे पहले खुशी कुछ जवाब दे पाती.. संदीप ने उसके होंठों पर चूमना शुरू कर दिया, खुशी ने उसकी आँखों में देखा और हामी भर दी। शायद खुशी भी यही चाहती थी। तभी तो संदीप के किस करते ही खुशी ने भी भी उसे चूमना शुरू कर दिया.. और संदीप ने खुशी के शरीर को सहलाना शुरू कर दिया।

संदीप उसके स्तनों की गोलाइयों को दबाने लगा जिससे खुशी को आनन्द की अनुभूति होना स्वाभाविक था। खुशी ने गहरे हरे रंग की स्लेक्स और सफ़ेद रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी और संदीप उसके शरीर के हरेक हिस्से को छू रहा था। संदीप ने उसे और कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया जिससे कि खुशी के भरे-पूरे स्तनों का एहसास अब उसे अपने सीने पर होने लगा, साथ ही उसने उसके नितम्बों को भी पकड़ कर भींचना शुरू कर दिया।

खुशी की साँसें रुक-रुक कर आने लगी थीं और आनन्द की अनुभूति होते ही उसने संदीप को भी अपनी बाँहों में कस लिया और साथ ही अपनी स्वीकृति देने के अंदाज में अपने योनि प्रदेश को संदीप के पेट के आस-पास दबाते हुए रगड़ने लगी।

संदीप समझ गया कि लड़की खेली खाई है और अंडर कंट्रोल है। संदीप ने उसे अपने से अलग किया और तुरंत ही कपड़ों के ऊपर से उसकी योनि प्रदेश पर रख दिया.. उसने वहाँ थोड़ा सा रगड़ा और खुशी कामुकता वश ‘आह..’ भरने लगी। उसका योनि प्रदेश काफी गरम था। संदीप ने उसकी योनि प्रदेश को स्लेक्स के ऊपर से ही रगड़ते हुए कहा- खुशी.. आज तुम्हें नहीं छोडूंगा।

खुशी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और ‘आहें..’ भरती रही। उसने संदीप के कंधे कस के पकड़े हुए थे और अपने योनि प्रदेश के ऊपर उसके हाथों के स्पर्श का पूर्ण आनन्द ले रही थी। कुछ ही देर में वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उसकी योनि से रिस रहा गीलापन उसकी पैन्टी में से भी बाहर आकर उसकी स्लेक्स तक को गीला कर चुका था।

संदीप उसके योनि रस के गीलेपन को स्लेक्स पर महसूस कर पा रहा था। वो मन ही मन खुश था कि आज कई दिनों के बाद उसे फिर से यौन सुख मिलने जा रहा है। वो भी एक कॉलेज गोइंग लड़की के साथ.. जोकि इसके लिए अब खुद तैयार दिख रही थी।

अब तक खुशी के हाथ संदीप के खड़े हो चुके लिंग को महसूस करने लगे थे। संदीप उसकी हथेलियों का दवाब अपने लिंग पर पाकर असीम सुख से अभिभूत हो चला और इसी के कारण उसने खुशी को फिर से चूम डाला.. जिसके जवाब में खुशी ने भी बराबरी से उसे चूमा।

संदीप समझ गया कि अब आग दोनों तरफ लग चुकी है.. यही सही समय है। उसने खुशी को पीछे की तरफ धक्का दिया और बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया और खुशी से पूछा- क्या किसी को पता है कि तुम यहाँ हो? खुशी- नहीं.. सब सो रहे हैं। हमारे पास लगभग एक घंटा है।

संदीप ने जल्दी से उसकी टी-शर्ट को ऊपर की तरफ खींचा और वो भी इस तरीके से कि उसकी ब्रा भी साथ में ले ली और उसके सुंदर और भरे-पूरे चूचे सामने थे। वो बहुत ही विस्मयकारी थे.. बड़े सफ़ेद गोलाई लिए हुए.. जिनके बीचों-बीच खड़े हुए निप्पल.. संदीप पागल हो गया.. और उसके निप्पल को मुँह में दबा कर चूसता रहा.. जब तक कि वो और सख़्त और खड़े से नहीं हो गए।

खुशी भी इस आनन्द को सहन नहीं कर पा रही थी और कामुकता भरी आवाज़ें निकाल रही थी। संदीप को लगा कि कहीं उसकी आवाजों से कोई जाग न जाए.. सो वो उठा और कमरे का एसी और टीवी दोनों चला दिए। उसके बाद उसने खुशी के दोनों स्तनों को अपनी खुशी पूरी हो जाने तक आराम से चूसा।

खुशी उसके बिस्तर पर अधनंगी लेटी हुई थी और इस वासना के पलों का पूरा-पूरा मजा ले रही थी। अब तक उसकी जांघों के बीच भारी गीलापन हो चुका था। संदीप उसकी स्लेक्स के बीच में गीला धब्बा तक देख पा रहा था, संदीप ने उसे करवट दिलवाई और उसके नितंबों को निहारने लगा। उसके दोनों नितंब गोलाई लिए और मांसल थे। खुशी पेट के बल लेटी हुई थी। अपने नितम्बों को संदीप की तरफ दिखाती हुए मुस्कुरा रही थी।

जैसे ही संदीप ने उसके नितम्बों को अपनी हथेलियों में भरा और भींचना शुरू किया.. खुशी की साँसें फिर से तेज होने लगीं। दोनों के ही शरीर में गर्मी बढ़ती जा रही थी और दोनों ही वासना के तूफान में पागल हो चुके थे।

संदीप ने उसकी स्लेक्स की इलास्टिक पकड़ी और उसे नीचे की तरफ खींचना चाहा.. तो खुशी ने उसे रोक दिया.. और अपनी गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ कर संदीप से बोली- क्या कर रहे हो.. संदीप एकदम से गुस्से में आ गया.. वो उसको नंगी देखने के लिए आतुर था और खुशी ने उसे एकदम से रोक दिया था। वो पलट कर बोला- तुम्हें पूरी नंगी कर रहा हूँ। खुशी- उसके बाद क्या करोगे? संदीप- तुम्हें चोदूंगा.. खुशी- यह सही नहीं है.. कोई देख लेगा.. संदीप- कोई नहीं देखेगा.. संदीप ने जवाब देते हुए उसकी स्लेक्स को एक बार फिर से खींचा और उसकी स्लेक्स उतार दी।

अब वो पैन्टी में लेटी हुई थी और उसकी गोरी-गोरी जांघें संदीप की आँखों के सामने थीं। संदीप ने उसकी स्लेक्स एक तरफ फेंक दी और अपनी जीन्स उतारने लगा और साथ साथ खुशी को बोला- मेरा यह पहला टाइम नहीं है.. सो चिंता मत करो.. मैं पूरा ख़याल रखूँगा। अगर तुम्हें रोकना था तो पहले रोकना चाहिए था। अब तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. अब मैं नहीं रुक सकता।

संदीप की जीन्स उतर चुकी थी और वो नंगा खड़ा था। उसका लिंग बड़ा हो चुका था और उसकी जांघों के बीच झूल रहा था। संदीप आगे बढ़ा और खुशी की चड्डी भी उतार डाली, उसके सामने खुशी की बाल रहित योनि दरार थी, बाहर की तरफ फूली हुई सी सरंचना के बीचों-बीच एक गुलाबी दरार.. जो कि योनि रस से पूरी तरह से भीग कर तर हो चुकी थी।

संदीप ने उसकी दरार को अपने हाथ से छुआ.. तो खुशी के मुँह से सिसकारी छूट पड़ी और उसने अपने नितम्बों को ऊपर की तरफ उठा कर अपनी जांघों को थोड़ा और फैलाकर अपनी सहमति सी दे डाली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

संदीप ने उसकी दरार को अपनी उंगली से थोड़ा सा फैलाया और सामने उसका गुलाबी रंग का योनि छिद्र नजर आ गया.. पर संदीप ने उसे देख कर अंदाजा लगा लिया कि खुशी पहले भी सेक्स कर चुकी है.. क्योंकि उसका छिद्र खुला सा प्रतीत हो रहा था और हाईमन झिल्ली भी नहीं दिखाई दे रही थी, उसके छिद्र को देख कर लग रहा था कि उसने एक बार नहीं बल्कि कई बार सेक्स किया है और न ही खुशी कुँवारी लड़कियों की तरह व्यवहार कर रही थी।

संदीप सच जानना चाह रहा था.. सो उसने खुशी की जांघों को थोड़ा और फैलाते हुए पूछा- खुशी.. तुम यह सब पहली बार कर रही हो.. आज से पहले कभी नहीं किया? खुशी- नहीं.. पहले कभी नहीं किया। खुशी सिसकारियों के साथ बोली.. क्योंकि संदीप अपनी उंगालियाँ उसकी योनि की दरार के ऊपर फेरने में लगा था। संदीप- सच-सच बताओ.. नहीं किया पहले कभी..? खुशी- सच भैया.. पहले कभी नहीं किया।

खुशी उत्तेजित हो गई थी और ‘आहें’ भर रही थी। अब वो जल्दी ही संदीप को अपने अन्दर समा लेने के लिए आतुर हो उठी थी। संदीप- सामने नंगी लेट कर ‘भैया’ मत बोल.. मुझे और सच-सच बताओ.. पहले किसके साथ किया है तुमने?

संदीप ने थोड़े से कड़े रवैये से खुशी को बोला और अचानक से अपनी दो उंगालियाँ उसकी योनि में घुसा डालीं और अन्दर गहराई में दबाने लगा। खुशी दर्द और आनन्द से ‘आहें’ भर रही थी। खुशी- आह..आह..उह.. भैया.. सच में किसी के साथ नहीं किया.. आह्ह.. उम्म! आखिर खुशी के मुँह से वो दो शब्द निकल ही गए.. कि मुझे चोदो.. अब आप समझ ही गए होंगे कि चुदास बढ़ चुकी थी।

पर संदीप अभी भी उससे मजे ले रहा था, वो अपनी उंगली से ही उसकी योनि को रगड़े जा रहा था जो कि गीलेपन से बहे जा रही थी। संदीप ने कहा- मुझे भैया मत बोल… अभी तो सैयां समझ.. खुशी आज तुझे नहीं छोडूंगा.. आज खूब चोदूंगा.. पर पहले बता.. किसके साथ किया था। कोई बॉय-फ्रेंड था क्या?

संदीप ने उसकी एक टाँग पकड़ कर हवा में ऊपर की और छत की तरफ कर दी और दूसरी टाँग को बाईं तरफ चौड़ा दिया। अब तक खुशी उत्तेजना से पागल हो चुकी थी और अपने नितम्बों को ऊपर-नीचे करके मानो लिंग को अन्दर डलवाने के लिए तड़प रही थी।

आप सभी को यहाँ रुकना पड़ेगा.. पर अगले भाग में आपसे फिर मुलाक़ात होगी.. तब तक आप मुझे अपने विचारों को ईमेल के माध्यम से मुझ तक भेज सकते हैं।

कहानी जारी है। [email protected]

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