योनि रस और पेशाब एक साथ निकल गए -1

मेरा नाम रवि है.. मैं बरेली उ.प्र. का रहने वाला हूँ। मेरी आयु 22 वर्ष है। मेरा रंग साफ है व मैं औसत कद काठी का हूँ। मैं देखने में किसी मॉडल की तरह आकर्षक लगता हूँ।

दीपक और कावेरी पति-पत्नी हैं। दीपक एक बड़ा बिजनेसमैन है। दीपक.. क्योंकि एक अच्छा व्यापारी था.. सो उनका घर भी उसी हिसाब से विशाल और सुंदर बना हुआ था। दीपक ने अपने घर का एक हिस्सा एक कंपनी को उसके कर्मचारियों के रहने के लिए किराये पर दे रखा था। इससे उसे हर महीने भारी आमदनी भी हो जाती थी.. क्योंकि उस 400 गज के दो मंज़िले बंगले में रहने वाले वैसे भी वो दो ही थे।

अब खुशी और चम्पा.. जो कि कावेरी की बुआ की लड़कियाँ थीं.. पढ़ाई करने के लिए उसके घर आई थीं। उनके आने से वो लोग चार हो गए थे। इस समय उस किराये के हिस्से में संदीप खन्ना रहा करता था जोकि उस कंपनी में मैनेजर था और अभी 24 साल का ही था। वो छुट्टियों पर गया हुआ था, वो इस बंगले में अकेला ही रहा करता था, उसके पास दो कमरे और एक हाल था।

इधर कावेरी के घर में गोद भराई का प्रोग्राम होना था.. सो दीपक ने और रिश्तेदारों को भी आमंत्रित किया। इसके कारण उनके घर में काफी चहल-पहल हो गई। फिर उन्हीं दिनों इस संदीप भी अपनी छुट्टियाँ पूरी करके वापस आ गया।

उसने घर आकर महसूस किया कि दीपक के यहाँ काफी रिश्तेदार आए हुए हैं। उसने आकर अपने कमरे के सामने पड़े हुए पुराने अख़बार आदि उठाकर बटोरने शुरू ही किए कि उसकी नजर खुशी और चम्पा पर भी पड़ी। उसकी ही लगभग उम्र की लड़कियों को देख वो थोड़ा ठिठका और उन्हें देखने लगा। वो आसानी से पहचान पा रहा था कि कौन उम्र में छोटा है और कौन बड़ा.. वो दोनों हाथों में किताबें लिए कॉलेज जा रही थीं। दोनों की शारीरक काया आकर्षक थी खासकर चम्पा की.. दोनों ही साफ रंग की सपाट पेट.. उन्नत उरोज.. गोलाकार नितंब और भरी हुई जाघों के साथ बहुत ही कामुक लगती थीं।

उस शाम जब संदीप अपने ऑफिस से लौट कर आया तो उसने पाया कि दीपक के घर के मुख्य दरवाजे के साथ-साथ उसके दरवाजे के आगे तक जूते और चप्पल उतारे हुए हैं। मतलब साफ था कि बहुत सारे रिश्तेदार आए हुए हैं। दीपक के घर का दरवाजा खुला हुआ था।

कावेरी.. चम्पा और खुशी को हाल में बिस्तर लगवा देने के लिए कह रही थी कि अचानक उसने दरवाजे पर संदीप को खड़ा हुआ देखा। कावेरी- अरे.. संदीप आ गए ऑफिस से.. संदीप- जी.. हाँ जी भाभी जी.. नमस्ते.. मैं कुछ मदद करवाऊँ?

कावेरी- अरे नहीं ठीक है.. कोई बात नहीं.. ये लोग कर ही रही हैं न.. वो क्या है न.. प्रोग्राम की वजह से घर में काफी लोग हैं.. सो सोने के लिए जमीन पर ही बिस्तर लगवा रही थी.. क्योंकि गर्मी में वैसे भी परेशानी रहती है।

संदीप- अगर आप कहें तो मैं अपना एक कमरा आप लोगों को दे देता हूँ.. आप लोग वहाँ आपके कम से कम 5-6 रिश्तेदार को तो भेज ही सकते हो और साथ ही वहाँ जमीन पर बिस्तर भी बिछ सकता है। कावेरी- ठीक है.. चलो मैं आपको पूछ कर बताती हूँ। संदीप- अच्छा.. आप मेरे को बता दीजिएगा..

संदीप अपने दरवाजे की तरफ चला गया और कावेरी ने दीपक को बुलाकर संदीप के दिए गए सुझाव के बारे में बताया। दीपक ने मान लिया। संदीप क्योंकि कुंवारा ही था.. सो वो केवल एक ही कमरे का उपयोग सही तरह से कर पा रहा था। हाल और दूसरा कमरा तो ऐसे ही खाली सा पड़ा रहता था।

संदीप अपने कपड़े बदल कर बैठा ही था कि डोरबेल बज गई, उसे लगा कि दीपक ही होगा। दरवाजा खोला तो सामने खुशी और चम्पा थी। खुशी- हैलो.. हमें दीदी ने भेजा है.. उन्होंने कहा है कि एक कमरे को साफ करके तैयार कर दें। खुशी के हाथ में झाड़ू और चम्पा के हाथ में पोंछा थ, संदीप समझ गया कि कावेरी भाभी ने ‘हाँ’ कर दी है।

संदीप ने उन्हें वो खाली कमरा दिखाया और फिर खुशी और चम्पा दोनों ने मिलकर उस कमरे को रहने लायक बनाना शुरू कर दिया।

जिस समय वो दोनों लोग काम कर रही थीं.. उसी समय संदीप ने उन दोनों ने बातचीत भी शुरू की। तो उसे पता लगा की दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ रही हैं और जैसे की लग ही रहा था कि खुशी बातचीत में ज्यादा तेज नजर आ रही थी बल्कि उसने तो संदीप से उसके काम के बारे में भी पूछा.. जबकि चम्पा कम ही बोल रही थी। खैर.. दोनों से बातचीत से पता चला कि दोनों ही एक-दूसरे के बहुत नजदीक थीं और ख्याल भी रखती थीं।

उस रात संदीप के उस कमरे में कुछ रिश्तेदार आकर रुके और प्रोग्राम पूरा होने तक यही सब चला। उन लोगों के जाने के बाद कावेरी ने महसूस किया कि संदीप अकेला रहता है और दूसरा उसके आने और जाने का कोई समय भी नहीं है.. जिसकी वजह से उसके वाले हिस्से में काफी गंदगी भी रहती है.. जैसे कि उसे खुशी ने भी उस दिन बताया कि उस कमरे को साफ करते समय बहुत मेहनत करनी पड़ी.. काफी गंदा पड़ा था।

तो कावेरी ने एक दिन संदीप को इस बारे में बात करने की सोची। कावेरी- संदीप.. एक बात करनी थी। संदीप- जी भाभी जी.. बताएँ। कावेरी- संदीप आप साफ सफाई करने के लिए नौकरानी क्यों नहीं रख लेते..

संदीप- भाभी जी चाहता तो मैं भी हूँ.. पर क्या करूँ.. मेरे ऑफिस टाइमिंग ही ऐसे हैं कि समय ही नहीं मिल पाता.. आप ही रखवा दीजिये। कावेरी- अच्छा ठीक है।

फिर कावेरी ने अगले दिन से ही एक नौकरानी को काम पर लगवा दिया। संदीप ने अपने घर की चाभी छोड़नी शुरू कर दी.. जिससे कि संदीप के पीछे उसके घर की सफ़ाई हो सके।

संदीप की भी दोनों लड़कियों से धीरे-धीरे बातचीत शुरू भी होने लगी। दोनों ही संदीप को ‘भैया’ कह कर संबोधित करती थीं। संदीप भी उनसे बात तो करता था पर जब भी मौका मिलता तो चोरी से उनके शरीर की एक भी झलक को देखने से चूकता नहीं था। संदीप की निगाह में खुशी थोड़ी बोल्ड लड़की थी। वो अधिकतर टॉप पहना करती थी.. जिसमें से उसके भारी स्तनों के उभार हमेशा दिखाई से देते रहते थे।

उसके मांसल नितंबों तक लंबे बाल.. उसके यौवन को और मादक बना देते थे। संदीप ने जब से खुशी को देखा था महसूस किया था कि हो न हो खुशी कुँवारी नहीं है, उसकी निगाहों में सेक्स की भूख साफ़ दिखाई पड़ती थी। इसके अलावा चम्पा से ज्यादा खुशी ही संदीप से अधिकतर बातें करने के बहाने भी ढूंढ लिया करती थी और जल्दी ही संदीप भी खुशी की तरफ आकर्षित होना शुरू हो चुका था, उसके मन में अब हमेशा खुशी ही रहा करती थी।

चम्पा खुशी की तुलना में कम उम्र की लगती थी.. पर उसके भी स्तनों का भी विकास अच्छा हो चुका था.. पर तब भी उसके मम्मे खुशी से बड़े नहीं थे। उसका पेट एकदम सपाट और गोलाई लिए हुए नितंब.. जिनकी कल्पना संदीप करता था तो मानो एकदम मुलायम गद्देदार और एकदम कोरे लगते थे।

जहाँ तक संदीप की बात थी.. वो इन सब मामलों में अच्छा ख़ासा तजुर्बेदार था। उसके ऑफिस में भी कुछ लड़कियों से संबंध रहे थे और अभी भी थे। वो जानता था कि लड़की को कैसे उसी के कंट्रोल से बाहर करते हुए कामुकता में डुबोना चाहिए।

संदीप के पास अपना एक लैपटाप था जिसमें उसने ट्रिपल एक्स फिल्मों का कलेक्शन किया हुआ था। उन्हीं को वो रात में देखता था और खुशी या चम्पा को अपनी कल्पना में शामिल किया करता था।

खैर, कुछ दिन और बीते। कुछ ही दिनों में खुशी और चम्पा दोनों की ही बातचीत अब संदीप से शुरू हो चुकी थी। संदीप जब भी बाजार जाता.. तो दोनों के लिए चॉकलेट जरूर लेकर आता था। जिसे पाकर दोनों बड़ी खुश हो जाती थीं। अब दोनों लड़कियाँ धीरे-धीरे संदीप से अपने कॉलेज की बातें भी शेयर करने लगीं और संदीप भी उनसे अपने ऑफिस की बातें शेयर करने लगा।

मात्र 15 दिनों के अन्दर संदीप की अंडर स्टेंडिंग उन दोनों के साथ काफी हो चुकी थी। बल्कि अब जब कावेरी टीवी पर जब सास-बहू के प्रोग्राम देख रही होती थी.. तो ये दोनों बोर हो जाती.. और फिर संदीप के यहाँ जाकर नाइन एक्स के म्यूजिक चैनल पर गाने सुनने लगतीं।

कावेरी भी उन दोनों से इस पर कुछ नहीं कहती थी। पर इस सबका प्रभाव यह हो रहा था कि खुशी और चम्पा की आवाजाही संदीप के यहाँ खुले रूप से होने लगी थी। कभी-कभी तो खुशी टीवी देखते-देखते नीचे बिछे गद्दे पर लेट भी जाती थी और उसके लेट जाने से उसके स्तनों के बीच में बनती दरार संदीप के लिंग में तूफान ला देती थी।

कभी-कभी संदीप ने चम्पा के स्तनों की तरफ भी निगाह डाली.. पर सफल नहीं हो पाया.. क्योंकि चम्पा इन मामलों में थोड़ी सजग थी। हालांकि संदीप पीछे की तरफ से उसके नितंबों को जरूर घूरता रहता था।

आप सभी को यहाँ रुकना पड़ेगा.. पर अगले भाग में आपसे फिर मुलाक़ात होगी.. तब तक आप मुझे अपने विचारों को ईमेल के माध्यम से मुझ तक भेज सकते हैं।

कहानी जारी है। [email protected]