शादी में दिल खोल कर चुदी -9

मेरे कामुक दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा.. अरुण सीधे बाथरूम में जाकर बाहर फ्रेश होकर निकल गए। अरुण के जाने के बाद मैं दरवाजा बंद करके बाथरूम में गई और अपनी मुनिया को रगड़ कर साफ करके और जांघ को साफ किया। चूत साफ करते मुझे करन्ट सा लगा.. साली फिर गरम हो गई थी। अपने हाथ से चूत के लहसुन को रगड़कर मन मार कर बाहर चली आई। इस आस में.. कि अभी फिर चुदेगी.. चुदाई से चूत फूल चुकी थी। आज सुबह से मेरे साथ क्या हो रहा था.. न चाहते मेरी चूत चुदना चाहती थी और मुझे कोई ना कोई चोद ही रहा था। अभी चुदाई बाकी है। अब आगे..

मैं बहुत थक चुकी थी.. मुझे आराम की सख्त जरूरत थी.. इसलिए मैं सीधे बिस्तर पर जा कर सो गई और अपनी चुदाई को याद करते हुए मुझे नींद आ गई। ना जाने मैं कब तक सोती रही। मेरी नींद तब खुली.. जब पति ने मुझे कॉल करके नीचे शादी में आने को बोला। मेरा मन नहीं हो रहा था.. फिर भी मुझे जाना तो था ही.. तो मैं मन मार कर उठकर तैयार होने बाथरूम चली गई।

मुझे बहुत तेज शूशू आई थी.. मैं नाईटी उठाकर चूतड़ और चूत खोल कर वहीं जमीन पर बैठ कर तेज धार के साथ शूशू करने लगी। शूशू करते हुए मैंने अपनी चूत पर हाथ रखा तो मुझे उस लड़के के लण्ड से चूत लड़ाने की बात सोच कर मेरी चूत खुलने और बंद होने लगी।

मैं पूरे हाथ की गदोरी में चूत भरकर मसकते हुए खुद से बोली- मेरी रानी.. अभी तुम्हारी गरमी निकल जाएगी.. मत घबराओ.. अभी तुझे वो जवान मर्द चोदकर शान्त कर देगा।

फिर मैं मुँह-हाथ धोकर बाहर आकर तैयार हो कर शादी के मंडप में बैठने चल दी, वहाँ जाकर औरतों की तरफ बैठ गई। दूसरी तरफ लड़के और लड़की पक्ष के लोग बैठे थे.. जिसमें मेरे पति और अरुण जी एक साथ बैठे थे और वह लड़का तो मेरे सामने ही बैठा था। मुझे शादी में बैठे अभी 30 मिनट ही हुए थे और रात के 2:30 हो चले थे।

तभी मेरे मोबाईल पर काल आई नम्बर अनजाना था.. मैं फोन उठाया.. तो उधर से सिर्फ इतनी सी आवाज आई ‘चल आ जा.. तेरी बुर चोद दूँ..’ इतना कह कर कॉल कट गई।

यह कौन था.. मैं सोचते हुए सामने देखने लगी.. तो वह लड़का कहीं नहीं दिखा। मैं समझ गई कि ये वही है। फिर मैं.. पूजा जो मेरे पास बैठी थी.. से बोली- पूजा यार मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है.. मैं आराम करने जा रही हूँ।

पति को भी मैंने इशारे से बोल दिया और चल दी।

मैं जैसे ही ग्राउंड से होते हुए फस्ट फ्लोर पर पहुँची कि मेरे साइड का दरवाजा खुला और किसी ने मुझे अन्दर खींच लिया। कमरे में घुप्प अंधेरा था। यह शख्स कौन है.. किसने मुझे खींचा.. अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और ना ही मैं कुछ समझ ही पा रही थी कि कौन हो सकता था।

मैं सोचने लगी कि चली कहाँ थी.. और अटक कहाँ गई, चुदने किससे जा रही थी पहुँच कहीं और गई। मैं डरते हुए और कांपती आवाज से बोली- कक्ककौन.. हहहै.. छोछोछोचचड़ो.. येएएए.. क्या..कककर.. रहे हो..! मैं हाथ-पाँव चलाने लगी.. पर उस व्यक्ति की मजबूत पकड़ और उसकी बाँहों में बस छटपटा कर रह गई। मैं अंधेरे में उस आदमी के सीने पर हाथ मारती जा रही थी.. पर उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था तो मैं कोशिश करना छोड़ कर में शान्त हो गई।

उसी वक्त वो आदमी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.. पर उसकी बाँहों की गरमी और उसका फौलादी बदन सीने के बालों को छूने से मुझे चुदास चढ़ने लगी। पर यह है कौन.. अगर मैं इसके साथ बिना कुछ जाने करूँगी.. तो ठीक नहीं रहेगा। मैं एक बार फिर हिम्मत करके पूछ बैठी- आआप ककौन हैं.. मुमुझे छोड़डड दो.. प्लीज.. मैं आपकी पैर पड़ती हूँ।

तभी उसने रौबीली और मर्दाना आवाज में बोला- साली.. मेरे पैर नहीं लण्ड पकड़ जिससे तुझे और मुझे सुकून मिलेगा। यह कहते हुए वह मुझे उठाकर बिस्तर पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़कर मुझे अपने गिरफ्त में लेते हुए बोला- थोड़ा सा मेरा साथ दो और मुझसे चुदाकर चली जा.. मुझको भी जल्दी है.. घिस नहीं जाएगी तेरी बुर.. मेरा लण्ड जाने से.. मैं बोली- मैं तो आपको जानती भी नहीं और मैं आपके साथ क्यूँ करूँ यह सब? वो बोला- तो नहीं मैं करूँगा तुम्हारे साथ तेरी चुदाई..

वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूचियाँ दबा रहा था, मेरे होंठों को दाँतों से काट रहा था। तभी मेरा हाथ उसकी कमर की तरफ गया, मैं चौंक उठी.. वो तो ऊपर से नीचे तक पूरा नंगा था। मैं बोली- छी:.. तुम बहुत गंदे हो। वह बोला- तुम तो अच्छी हो..

और वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर ले गया और लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। मैं फिर चौंक उठी.. यह तो बहुत बड़ा मोटा और हब्शी किस्म का लौड़ा था। मेरा तो मन डोल गया.. मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और शरीर को ढीला छोड़ कर चुदने के लिए समर्पित कर दिया।

वो मुझे चूमते हुए मेरा लहँगा ऊपर कर के चूत पर हाथ लगा कर बोला- आहा.. साली.. तू तो पहले से ही पैन्टी उतार कर तैयार है। मैं बोली- मैंने तो यूं ही पैन्टी नहीं पहनी.. पर तुम तो पहले से बिना कपड़ों के तैयार बैठे हो। बोला- तेरे से ज्यादा जल्दी मेरे को है.. प्यार-व्यार बाद में फिर कभी.. अभी डायरेक्ट चुदाई होगी। यह कहते हुए उसने लौड़ा मेरी चूत पर लगाया।

तभी मैं बोली- एक बार अपना लण्ड तो चुसा दे.. फिर चोदना। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! वह कुछ नहीं बोला, पता नहीं क्यूँ.. मैं सारी हदें पार करके एक अजनबी से चुदवाने के लिए तड़पने लगी, किसी गर्म और चुदासी कुतिया जैसी मेरी हालत हो रही थी। तभी उसने मेरी चूत की फाँकें अलग कर दीं। जैसे ही उसने अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत पर लगाया.. तो मैंने कमर उठा कर सुपाड़ा अन्दर लेना चाहा। कमर उठने के साथ ही उसने एक झटके में ही तमाम लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

एक पल के लिए तो मुझे लगा कि दर्द के मारे मेरी जान ही निकल जाएगी। मैं चिल्लाने लगी, ‘ओहहहऽऽऽ हायऽऽऽ अहऽऽऽऽऽ मर गई.. मैं तो आज नहीं बचूँगी.. आज तो ये हरामी मुझे मार ही डालेगा.. हायऽऽऽ प्लीज़ ज़रा धीरे-धीरे तो डालना। साले यह तेरा लण्ड है कि गधे का.. हरामी… मेरे मुँह से गाली निकलने लगीं।

मेरी गाली साथ ही वह एक झटके से लण्ड बाहर खींचता और वापस मेरी चूत में घुसा देता। ‘हायऽऽऽ प्लीज़ ज़रा धीरे-धीरे तो चोद ना।’ पर वह अपनी धुन में चुदाई करते जा रहा था.. जैसे उसे कुछ सुनाई ही ना दे रहा हो और मैं भी बस चुदना चाहती थी। जल्दी से जल्दी मैं भी अपनी मंजिल पाना चाहती थी क्यूँकि उसकी चुदाई की जल्दबाजी देख कर लग रहा था जैसे वो कभी भी मेरी चूत को अपने पानी से भर सकता है।

तभी उसने मेरी चूचियों को हाथ में ले लिया और अब वो मेरे निप्पलों को मसलते और चूसते हुए ‘गचागच..’ लण्ड चूत में पेलता जा रहा था। मैं उसकी चुदाई में इतनी मस्ती में हो गई कि खुद पर काबू नहीं रख सकी और अपने जिस्म की गर्मी निकालने के लिए कमर उठा-उठा कर चुदवाने लगी।

‘हाय आहहसीई.. आह.. गई.. मेरे राजा आआहह.. सीसीई.. आह.. अब मेरा निकलने वाला है.. आहहह.. आसीसीईईई.. आह.. मेरा तो पानी छूट गया.. ऊऊहहहऽऽऽ मेरे आआहह.. सीसीईईई.. ररसऱर..’

उसे एहसास हुआ कि मेरा माल खल्लास हो रहा है… मैं झड़ रही हूँ। फिर क्या उसने भी चोदने की रफ्तार तेज़ कर दी और चिल्लाते हुए बोला- साली कुतिया.. ले.. अब तो तेरा दिल भर गया ना.. ले.. अब.. मैं भी अपना पानी छोड़ता हूँ आहाहा.. ओहहऽ सीसीई हायऽऽऽ मेरी रानी.. आहह सीय मज़ा आ गया।

फिर उसने मेरी चूत में अपना गाढ़ा माल छोड़ दिया। उसने मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से भर दिया और निढाल होकर मेरे बदन पर पसर गया।

आगे देखो क्या हुआ.. मैं वहाँ से कहाँ गई.. आप अपने ईमेल मुझे भेजिएगा। नमस्ते.. आपकी नेहा। कहानी जारी रहेगी। [email protected]