मेरा गुप्त जीवन- 126

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कम्मो हंस के बोली- वाह छोटे मालिक, आप और आपका यह लंडम चूत के बेहद भूखे हो, अभी लेकर आती हूँ साली सोनल को!

तब तक मैं बाहर का नज़ारा देख रहा था, कुछ लड़कियों ने पतले सफेद कुर्ते और साथ में सफेद पजामी पहन रखी थी तो उनके कुर्ते भीगने के बाद एकदम से पारदर्शी हो चुके थे और सफेद पजामी से उनकी चूत के काले बालों की एक झलक भी यदा कदा नज़र आ जाती थी।

कुल मिला कर बड़ा ही मन मोहक और लंड दोहक दृश्य था। मोटे और गोल मुम्मे और गोल उभरे हुए चूतड़ों की तो भरमार थी जिधर देखो उधर ही वो दिख रहे थे। दो चार लड़कियाँ कुछ अधिक कामातुर हो चुकी थी, वो आपस में खूब छेड़छाड़ और पकड़म पकड़ाई में लीन थी। कुछ देर बाद मुझको बाहर से किसी के खांसने की आवाज़ आई तो मैंने झाड़ी से नदी की साइड वाली खिड़की फ़ौरन बंद कर दी और तभी कम्मो और सोनल अंदर आ गई। सोनल झाड़ी वाली जगह को देख कर बड़ी खुश हुई और आते ही मुझ से लिपट गई और बोली- वाह!!! क्या बात है सोमू यार, क्या जगह है यह छुपने के लिए और सब कुछ करने के लिए!!

मैं मुस्कराते हुए बोला- जगह तो अच्छी है लेकिन क्या तुम सब कुछ करवाने के लिए तैयार हो? सोनल बोली- सच बताना सोमू, तुमको कैसे पता चला कि मैं सब कुछ करवाने के लिए तड़प रही हूँ? मैं बोला- मैं तो स्टड फार्म में ही तुमको देख कर जान गया था कि यह एक लड़की है जो सब कुछ करवाने के लिए तड़प रही है। क्यों ठीक है ना? तुमने घोड़ा जब घोड़ी पर चढ़ा तो तुम्हारा हाथ तुम्हारी पुसी पर ही था और तुम छुप कर आनन्द ले रही थी। क्यों सच है ना?

सोनल थोड़ी शरमाई और हाँ में सर हिला दिया।

तब कम्मो बोली- अरे तुम दोनों जल्दी करो ना… नहीं तो बाहर नदी पर सोनल को सब खोजने लगेंगे।

मैंने सोनल को खींच कर अपने पास ले लिया और ताबड़तोड़ उसके लबों पर चुम्मियों की बारिश कर दी और हाथों से उसके मोटे गोल मुम्मों को भी मसलने लगा। सोनल ने भी देर लगये बगैर मेरे लंड को पैंट से निकाल कर सीधा अपने मुंह में ले लिया और खूब जोश से उसको चूसने लगी।

कम्मो ने इशारा किया कि हम जल्दी करें तो मैंने सोनल को उठाया और उसकी गीली सलवार को नीचे खिसका दिया, उसकी बाहर से गीली चूत को थोड़ी देर चाटा और फिर उसको उठा कर झाड़ी के सहारे थोड़ झुका कर खड़ा कर दिया और पीछे से अपने खड़े लंड को उसकी चूत में घुसेड़ दिया और धीरे धीरे उसको पूरा का पूरा अंदर डाल कर हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए।

मैं सोनल की एकदम गोरी गांड और उसके रेशमी चूतड़ों को मसल रहा था और जैसे ही मैं अपने हाथ उसकी फड़कती चूत के अंदर डाल कर उसकी भग को रगड़ने लगा तो सोनल तेज़ी से आगे पीछे होने लगी और मैंने भी धक्कों की स्पीड और तेज़ कर दी।

सोनल इतनी अधिक कामातुर हो चुकी थी आज सुबह घोड़ों की चुदाई देख कर कि वो जल्दी ही पानीपत की पहली लड़ाई में धराशयी हो गई और ‘मैं मरी रे… मैं गई रे…’ कहते हुए मेरे लंड के साथ आकर चिपक गई। लेकिन मैंने नोट किया कि सोनल अभी भी एक बार और चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।

लेकिन कम्मो ने उसको उठा दिया और वो मुझको गर्म चुम्मी देकर चली गई और अपनी सहेली नीलू को भेजने का वायदा कर गई। थोड़ी देर बाद कम्मो नीलू को लेकर भी आ गई।

मैंने सब से पहले नीलू को एक कामुक जफ्फी मारी और उसके होटों को थोड़ी देर चूमा और फिर उसके गोल गुदाज़ मम्मों को चूसने लगा और झुक कर एकदम सिल्की पेट को चूमता हुआ अपनी जीभ को उसकी बेहद गीली चूत पर टिका दिया। मैं उसकी भग को मुंह में लेकर गोल गोल चूसने लगा और वो कामुक होती हुई अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे मुंह से बार बार जोड़ रही थी।

नीलू मेरे बालों को पकड़ कर कभी मेरे मुंह को चूत पर दबा रही थी और कभी वो मुंह को हटाने की कोशिश कर रही थी। जब मैंने महसूस किया कि नीलू चुदाई के लिए एकदम बेकरार है तो मैंने उस को नीचे लिटा कर अपनी पैंट को नीचे खिसका कर अपना लौड़ा निकाल कर उसकी चूत के मुंह पर रखा और एक ही धक्के में लंडम पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया। फिर शुरू हुई नीलू की चुदाई जिसमें लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर डालने का क्रम शुरू कर दिया।

और जब नीलू नीचे लेटी हुए बहुत तिलमिलाने लगी तो मैंने तेज़ स्पीड से उसको चोदना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों को उस के चूतड़ों के नीचे रख कर गहरे धक्के मारना चालू कर दिया। नीलू गहरे धक्कों से जल्दी ही स्खलित हो गई और वो जब छूट रही थी तो उसकी जांघों ने मेरी कमर को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया। जाने से पहले नीलू ने एक टाइट जफ्फी मार कर बहुत ही प्यारा सा थैंक्स मुझको किया।

नीलू को लेकर जब कम्मो चली गई तो मैंने बाहर की तरफ देखा तो 4-5 लड़कियाँ मेरे छुपने के सामने वाली जगह पर पेशाब करने आ रही हैं और सब एक कतार में बैठ कर अपनी सलवारें ढीली करके पेशाब की ज़ोरदार धार मारने लगी और साथ में बातें भी करती रहीं- आज तो बहुत ही मज़ा आया यार, एक तो घोड़ों के इतने लम्बे लंड के दर्शन हो गए और दूसरे यहाँ नदी में नहाने का मौका मिल गया और अब कोई सोमू का लम्बा लंड भी दिलवा दे तो लाइफ बन जाए!

उन में से एक तेज़ तरार लड़की जिसको मैं नहीं पहचानता था, बोली – काश मेरे अंदर भी घोड़े के माफिक लम्बा और मोटा लंड जा सकता तो मज़ा ही आ जाता। एक और लड़की बोली- साली घोड़े के माफिक लंड तेरे अंदर जाएगा तो वो तेरे मुंह से बाहर आ जाएगा। लंड हो तो सोमू जैसा, ना बहुत बड़ा न ही बहुत छोटा। मेरे बॉय फ्रेंड का लंड तो इतना छोटा है जैसे कि बच्चे की लुल्ली… अंदर जाता है तो पता ही नहीं चलता कि कुछ अंदर गया है या नहीं।

तीसरी बोली- मेरा बॉय फ्रेंड का लंड तो अच्छा है लेकिन अंदर डालते ही झड़ जाता है साला। मेरी चूत उसको हेलो भी नहीं कर पाती कि वो उलटी कर के बाहर निकल जाता है! क्या करें, समझ नहीं आता?

लड़कियों के जाने के बाद मुझको ख्याल आया कि अगर कम्मो इन लड़कियों की हेल्प करे तो शायद इनकी सेक्स लाइफ सुधर सकती है। मैंने फैसला किया कि आज दोपहर खाना खाने के बाद कम्मो को कह कर इन लड़कियों की हेल्प कर दी जाए तो शुभ काम होगा। पेशाब करने वाली लड़कियों में मुझको ज़ूबी भी दिखाई दी और मैंने महसूस किया कि वो भी ख़ूबसूरती का मुजस्समा है और उसकी अभी तक चूत लेने का मौका नहीं मिला।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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