साली की बेटी संग ठरकी मौसा की करतूतें -2

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मगर अब मेरा मन इस सब से नहीं भर रहा था, मैं तो और चाहता था तो मैंने एक स्कीम बनाई और बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। हम सब एक अपने शहर के पास छतबीड़ चिड़ियाघर को देखने गए, जहाँ बहुत चलना पड़ता था। चला चला के मैंने सब को थका दिया। शाम को जब घर वापिस आए तो सबकी हालत खस्ता थी।

खाना भी मैं बाहर से लाया, खाना खा कर हम सोने चले गए और सोने से पहले मैंने सब को एक एक गिलास गरम दूध पिलाया। दूध में मैंने कुछ अपनी तरफ से मिला दिया था, एक तो थकावट और दूसरा मेरा बनाया मसालेदार दूध, पीने के थोड़ी देर बाद ही सब लुढ़क गए।

मगर मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा, करीब 12 बजे तक मैं टीवी देखता रहा, 12 बजे उठ कर मैं अपने बेडरूम में गया, जहाँ मेरी बीवी और अदिति दोनों बेड पे सो रही थी। नाईट लैम्प जल रहा था, मैं जाकर अदिति के पास बैठ गया, वो सीधी लेटी हुई थी, मैंने सबसे पहले उसे जी भर कर देखा, कितनी मासूम, कितनी प्यारी।

फिर मैंने उसके सिर पे हाथ फेरा और अपना हाथ उसके गाल तक लाया। बहुत ही कोमल गाल था।

गाल से मैं अपना हाथ फिरता हुआ नीचे ले गया। गले से होते हुए, उसके बोबों तक पहुँचा, अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बोबे पकड़े और धीरे से दबा के देखे, वो वैसे ही सोती रही। मैं दबाव बढ़ता गया। जब मैंने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसके बोबे दबा दिये, या यूं कहो के निचोड़ ही डाले तब जाकर वो हिली। मतलब वो बिल्कुल बेसुध पड़ी थी।

इसी तरह मैंने अपनी बीवी के भी बोबे दबा कर उसे चेक किया, वो भी गहरे गोते लगा रही थी नींद में।

मैं उठ कर गया और दरवाजा अंदर से लॉक करके आया, फिर मैंने बड़ी लाईट जलाई, सारा कमरा रोशनी से भर गया।अब सबसे पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी बीवी और अदिति के बीच जाकर लेट गया और अदिति की तरफ मुँह कर के लेटा। बिल्कुल अदिति के साथ सट कर, अपना लंड मैंने अदिति की कमर के साईड से लगा दिया। फिर सबसे पहले उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को चूमा।

‘जानती हो अदिति, जब भी मैं तुम्हें देखता हूँ, मेरे मन में बहुत ख्याल आता है, तुमसे प्यार करने का, तुम्हें चूमने का, तुम्हें चाटने का, सच कहूँ, तो तुमसे सेक्स करने का। तुम्हारा यह 20 साल का बदन मेरे तन मन में आग लगा देता है। मेरी जाने मन आज एक मौका मुझे मिला है, जिसमे मैंने तुम्हें प्यार तो कर सकता हूँ, पर चोद नहीं सकता।’ ‘और आज मैं तुम्हारे इस सेक्सी बदन की हर गोलाई, हर गहराई और हर एक कटाव को देखूंगा और प्यार करूंगा, और तुमसे यह उम्मीद करता हूँ कि तुम इसी तरह शांत लेटी रह कर मेरा साथ दोगी, लव यू माई स्वीटहार्ट!’कह कर मैंने अदिति के होंठों को चूमा।

मगर उसके होंठ चूमना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा तो मैंने उसके ऊपर ही आ गया और थोड़ा थोड़ा करके अपना वज़न उस पर डाल दिया। जब मैं उसके ऊपर लेट गया तो लगा जैसे उसे थोड़ी दिक्कत हो रही है, सांस लेने में, मैं समझ गया कि मेरा वज़न ज़्यादा है, तो मैंने सिर्फ उसके ऊपर अपने बदन को रखा, मग अपना सारा वज़न मैंने अपनी घुटनों और कोहनियों पे ले लिया।

उसके नर्म नर्म बोबे मेरे सीने से लग रहे थे और मेरा तना हुआ कडक लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मैंने अदिति का मुँह सीधा किया और उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए, धीरे से उनको चूसा और अपनी जीभ से चाटा। ‘वाह, क्या मज़ा है, एक कुँवारी लड़की के साथ चुपके चुपके चूमा चाटी करने में!’ मैंने मन में सोचा। अपनी जीभ मैंने उसके बंद होंठों में घुमाई और उसके मुँह के अंदर डालने की कोशिश की मगर उसका मुँह बंद था, मैं सिर्फ उसके दाँत और जबड़े ही चाट गया।

थोड़ी देर उसके मुँह, गाल, नाक, गले और और सारे चेहरे को मैंने बड़े प्यार से चूमा। जैसे जैसे मुझे उसकी पुरानी बातें याद आ रही थी, वैसे वैसे मैं उसे चूम चाट कर प्यार कर रहा था, उसकी हर एक अदा और बात को याद करके मैं उसे प्यार कर रहा था।

जब चेहरे से प्यार कर लिया तो मैंने उसके बोबों की तरफ मुँह किया, मैं थोड़ा नीचे को खिसका, मैंने देखा मेरा लंड पूरी अकड़ में था। मैंने उठ कर पहले अदिति की कमीज़ को ऊपर को उठाया। बेशक कमीज़ थोड़ी टाईट थी, मगर मैंने ऊपर उठा ही दी और गले तक उठा दी। नीचे उसने पिंक ब्रा पहना था, वही ब्रा जिसमें मैंने सुबह अपने वीर्य की कुछ बूंदें गिराई थी।

मैंने पहले उसकी ब्रा को ही हर तरफ से चूमा, चाटा, अपने हल्के हाथों से दबा कर देखा। वाह, कितने सॉफ्ट बोबे थे, बेहद मुलायम जैसे मखमल के बने हो। दोनों बोबों को इकट्ठा करके मैंने अदिति का क्लीवेज बनाया और उसमें अपनी जीभ डाल के चाटा। चाट चाट के मैंने उसके क्लीवेज को अपने थूक से गीला कर दिया।

फिर मैंने नीचे हाथ डाल के उसके ब्रा का हुक खोला, हुक खोल कर उसके ब्रा को हटाया। ‘अरे… वाह…’ कितने शानदार बोबे थे उसके, ज़्यादा बड़े तो नहीं थे मगर थे बिल्कुल गोल, कटोरों जैसे। और निप्पल हल्के भूरे से गुलाबी से, मैंने उसकी छोटी छोटी डोडियाँ अपने मुँह में लेकर चूसी।बेहद हल्का नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में आया। पता नहीं उसके बदन का नमक था या फिर मेरे ही वीर्य का… पर बड़ा मज़ेदार लगा।

उसके पूरे बूब्स को मैंने बड़ी अच्छी तरह से चाटा, जैसे एक भी सेंटीमीटर मेरी जीभ के चाटने से बच न जाए।

बोबे चाटने के बाद मैं नीचे पेट आ गया, पेट को चाटा, कमर के आस पास भी अपनी जीभ फिराई, तो अदिति कसमसाई, मतलब सोते हुये भी उसे गुदगुदी का एहसास हुआ था। मैंने और देर न करते हुये, उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

नाड़ा खोल के मैंने उसकी सारी की सारी सलवार ही उतार दी और साइड ने रख दी। उसने पेंटी नहीं पहनी थी, तो सलवार के उतरते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई, छोटी सी चूत मेरे सामने थी, गोल चिकनी जांघों के बीच में रखी, मैंने उसके घुटनों से लेकर उसकी जांघों तक अपने हाथों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर उसकी चूत को चूमा।

उसकी चूत पे हल्के बाल थे, जैसे पिछले हफ्ते ही शेव की हो, और इतने छोटे बालों से मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी। मैंने उसके घुटने मोड़े और उसकी टाँगें कमर से ऊपर को मोड़ दी और उसके पाँव मैंने अपने कंधों पे रख लिए। मेरे लंड का टोपा उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मेरा दिल दिया अभी अपना लंड उसकी चूत में डाल दूँ। मगर यह मौका सही नहीं था, मैंने सिर्फ अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के होंठों पे घिसाया। घिसाते घिसाते लंड का टोपा उसकी चूत के सुराख पे लगा, मैंने कहा- जानती हो अदिति, यह जो सुराख है न, इस सुराख में एक दिन तुम्हें मेरा यह लंड लेना है। आज सिर्फ अपनी चूत से मेरे इस लंड को चूम लो ताकि जब यह तुम्हारी चूत में घुसे तो तुम्हें दर्द न हो।

मेरा बहुत दिल कर रहा था लंड को उसकी चूत में डालने का मगर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था। फिर मैंने कुछ और सोचा और नीचे झुक कर अपना मुँह अदिति की चूत से लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर और होंठों के अंदर से चाटी। क्या मज़ेदार स्वाद था उसकी चूत का… और कितनी प्यारी सी गंध आ रही थी।

मैंने कितनी देर उसकी चूत चाटी, उसके बाद अपनी जीभ से उसकी गाँड और गाँड का छेद भी चाट कर देखा। मेरी प्यास बढ़ती जा रही थी, मुझे अब किसी को चोदना था, मगर किस को चोदता। मैंने अपना लंड अदिति के पूरे बदन पे फिराया, उसके पाँव की उँगलियों से लेकर उसके माथे तक मैंने उसके बदन का हर एक कोना चाट लिया, मगर मेरे मन की प्यास नहीं बुझ रही थी।

मैंने एक बार फिर से अपना लंड अदिति की चूत पे रखा और थोड़ा सा अंदर को धकेला, मगर वो अंदर नहीं जा रहा था। ‘हे भगवान, अब मैं क्या करूँ?’ मैंने सोचा।

मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। जब और कुछ नहीं सूझा तो मैंने अदिति की दोनों टाँगे जोड़ीं और ठीक उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रखा और ढेर सारा थूक लगा कर उसकी जांघों को ही धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। जांघों में लंड की पकड़ ठीक से बन और चूतका सा ही आभास होने लगा।

मैं बार थूक लगाता रहा और उसकी जांघों में ही चुदाई करता रहा। करीब 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गया, मेरा सारा वीर्य अदिति के पेट और कमर पर फैल गया।

पानी छुट गया तो मुझे भी तसल्ली हो गई। फिर मैंने अपने ही कच्छे के साथ साथ अदिति का पेट और कमर वगैरह साफ की। उसके बाद उसे सलवार पहनाई, उसकी ब्रा का हुक लगाया, शर्ट नीचे के और उसे पहले की तरह ठीक ठाक किया। उसके बाद अपने कमरे में जा कर लेट गया, थोड़ी देर में नींद आ गई, मैं सो गया।

उसके बाद अदिति 2 दिन और हमारे घर में रही, मगर फिर कभी मौका नहीं मिला। जब भी वो मेरे सामने आती, मैं यही सोचता कि इन होंठों को मैंने चूसा है, इन बोबों को पिया है, जब जीन्स या स्लेक्स में उसकी गोल गोल जांघें या चूतड़ देखता तो सोचता कि इनमें मैंने मेरा लंड फिराया है।

कभी कभी सोचता हूँ कि इंसान की ठर्क उसे कहाँ से कहाँ ले जाती है। अब भी जब मुझे अदिति मिलती है, मैं उसे बच्चों की तरह प्यार करता हूँ, पर साथ में ये ख्याल मेरे दिल में आता है कि मैंने इसके कुँवारे बदन के हर एक उभार और गोलाई को टटोल के देखा है, ठीक किया या गलत, यह तो पता नहीं पर मन को एक संतुष्टि है, चुदाई न सही, पर जो भी किया वो भी किसी चुदाई से कम नहीं था।

इस बात को दो साल हो चुके हैं, अदिति और जवान और गदराई हो गई है, काश फिर कोई वैसा ही मौका मिल जाए तो इसके गदराए बदन को भी मैं प्यार कर सकूँ! ‘आह…’ [email protected]

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