सपने में चूत चुदाई का मजा -4

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अब तक आपने पढ़ा..

मैं अब उसके पीछे आ चुका था और उसकी गाण्ड में हाथ फेरते हुए बोला- अभी भी तुमने चड्डी नहीं पहनी है। उसके बिखरे हुए बालों को आगे उसके वक्ष पर करते हुए उसके गर्दन को चूमने लगा। अब वो मदहोश सी होने लगी। उसकी आँखें अपने आप बन्द होने लगीं। मदहोश सिसकारियों की आवाज उसके मुँह से आ रही थी और उसके हाथ मेरे लण्ड को टटोलने लगे।

मैं केवल उसकी गाण्ड को सहला रहा था और गर्दन को चूम रहा था। मैंने पूछा- मजा आ रहा है? वो गर्दन हिला के और कांपती आवाज में बोली- बहुत.. मैं उससे आगे कुछ कहने जा ही रहा था कि रवि की कॉल उसके मोबाईल पर थी। अब आगे..

पहली बार उसने नजरअंदाज किया लेकिन दूसरी बार फिर उसकी कॉल आई तो मैंने उसे चूमना-वूमना बंद कर दिया.. ताकि वो मोबाइल उठा कर बात कर ले। पर कंगना बोल पड़ी- आप लगे रहो सर.. उसने फोन को काल में लिया और रवि से बातें करने लगी, ‘हूँ-हूँ..’ करके उसने फोन काट दिया। उसका रवि से बात करने से ज्यादा मन मुझमें लगा होगा इसलिए उसने बात को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया।

तभी मुझे लगा कि हम दोनों अब मेरे कमरे में हैं। तभी उसे कुछ याद आया, बोली- सर, आप मुझसे कुछ कह रहे थे। ‘हाँ.. यह बताओ चुदना चाहती हो या चुदने से ज्यादा चुदाई का मजा लेना चाहती हो?’ कंगना बोली- दोनों.. चुदना और चुदाई का मजा दोनों। ‘तो ठीक है.. अपने कपड़े उतारो और चूत और अपनी गाण्ड को अच्छी तरह से साफ कर लो।’

कंगना मेरी बात को समझ गई और अपने स्कर्ट और टॉप दोनों उतार दिया और बाथरूम की ओर बढ़ गई। इधर मैंने भी कपड़े उतारे और खिड़की के पर्दे को ठीक किया।

मेरे कानों में शॉवर के चलने की आवाज आई तो देखा कंगना नहा रही थी, उसने मुझे भी इशारे से बुलाया। बाथरूम में पहुँचा तो बोली- लीजिए सर आपके लिए.. मैं रवि की पूरी निशानी अपने जिस्म से मिटा रही हूँ।

उसके नंगा जिस्म बिल्कुल परफेक्ट था, उसके गीले बिखरे बाल.. बड़ी-बड़ी आँखें.. खरबूजे जैसे चूचे और सबसे ज्यादा तो उसकी चिकनी चूत.. इतनी चिकनी कि पानी की बूँदें भी उसकी चूत पर टिकना चाह रही थीं.. लेकिन टिक नहीं पा रही थीं क्योंकि एक तो उसकी चिकनी चूत और दूसरा एक के पीछे आती हुई बूँदें.. पहली बूँद को टिकने नहीं दे रही थीं।

मैं उसकी ओर एकटक देखता ही रहा। वो मुझे इस तरह एक टक देखते रहने से मुझे झकझोर कर बोली- क्या देख रहे हैं। मैंने उसके होंठों पर उंगली रखते हुए बोला- काम की देवी को देख रहा हूँ। ‘धत..’ ‘नहीं.. मैं सही कह रहा हूँ। अगर रवि इस काम देवी के इस रूप के देख ले.. तो कम से कम तीन बार पानी छोड़ दे।’

यह कहकर मैं नीचे बैठ गया और उसकी चूत के पास अपनी जीभ लगा दी.. ताकि पानी की जो बूँद उसकी चूत से होती हुई नीचे गिर रही थी.. अब वो सीधा मेरे मुँह में आ जाए और हल्के-हल्के उसकी चूत को चाटने लगा। उसने तुरन्त ही शॉवर को बन्द किया और बोली- सर.. आप चाहें जितनी देर तक अपने पास रोककर मुझे चोद सकते हो।

ये कहकर वो बाहर आई, अपने और मेरे बदन को पोंछा। फिर अपने बैग से लिपस्टिक निकाल कर होंठों पर लगाया और सेन्ट को अपने पूरे बदन में और मेरे पूरे बदन में स्प्रे किया, फिर रूम में स्प्रे कर दिया। सेन्ट से निकलने वाली महक भी बहुत मादकता उत्पन्न करने वाली थी।

फिर उसने मेरे से चिपक कर मेरे होंठों से अपने होंठों को मिलाने से पहले अपना मोबाइल ऑफ कर दिया।

मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था और वो मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे लण्ड को सहलाने लगी। हमारे होंठों का मिलन होते-होते मैं कब अपने पलंग पर आ गया.. मुझे पता तब चला.. जब मैं असंतुलित होकर पलंग पर गिर गया।

वो अब नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और लण्ड चूसते हुए मेरे दोनों पैरों को पलंग पर इस तरह रखा कि मेरी गाण्ड.. अण्डकोष और लण्ड सब उसके मुँह के सामने थे। कभी वो मेरे लण्ड को चूसती.. कभी सुपारे में अपनी जीभ फेरती.. तो कभी गाण्ड चाटती.. और कभी अण्डकोष को मुँह में ले लेती। कुल मिला कर उसे सब मालूम था कि सेक्स कैसे किया जाता है।

थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और एक-दूसरे के जिस्म का आनन्द लेने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

फोरप्ले काफी हो चुका था, मैंने एक चपत कंगना की गाण्ड में लगाई। उसने इशारा समझ कर मेरे लण्ड को अपनी चूत के सेन्टर में मिलाया और उछल कूद करने लगी.. मुझे बड़ा आराम मिल रहा था। यह पहली बार था कि कोई लड़की अपनी मर्जी से मेरे जिस्म से खेल रही थी और मुझे कुछ करने को नहीं दे रही थी इसलिए मैं भी उसकी गर्म-गर्म चूत का मजा ले रहा था।

जब वो थक जाती तो मेरे ऊपर लेट कर मेरे निप्पल को चूसती। मैं भी लेटे-लेटे उकता गया था और उसे कुछ नया देने की सोचने लगा क्योंकि जिस तरह से वो चुदम-चुदाई का खेल खेल रही थी.. मुझे लगने लगा था कि उसे सब आसनों का पता था।

फिर भी मैं एक ट्राई करना चाहता था। इसलिए मैंने उसे अपने ऊपर से उठाया और पट (यानि पेट के बल) लेटाया, इस प्रकार लेटाया कि उसके जिस्म का कमर के नीचे का हिस्सा पलंग के बाहर हो और बाकी पूरे पलंग में कहीं हो.. कोई फर्क नहीं।

जब मेरे हिसाब से उसका जिस्म पलंग के बाहर आ गया.. तो मैंने उसकी दोनों टाँगों को फैलाया और लण्ड को उसकी चूत में सैट करते हुए एक झटके से अन्दर डाल दिया।

‘उई मांआआआ..’ वो बस इतना ही कह पाई थी और तेज-तेज धक्के पर धक्का और उसके मुँह से ‘ओहह.. ओ ओ ओ..’ की आवाजें ही आ रही थीं। अब मेरा निकलने वाला था।

‘कंगना.. तुम रवि का माल तो पीती होगी..?’ मैंने धक्के मारना शुरू किया। ‘हूँ हूँ..’ गले में उसकी आवाज दबी सी रह गई। ‘चलो आओ 69 की पोजिशन कर लेते हैं और दोनों लोग एक साथ एक-दूसरे का माल पीते हैं।’

मेरा इतना कहना था कि वो मेरे ऊपर चढ़ गई और 69 की पोजिशन में आकर हम लोग एक-दूसरे का माल पीने लगे।

जब दोनों के शरीर ढीले हुए तो मेरे बगल में आकर कंगना लेटी और मेरे सीने से खेलते हुए बोली- आज पहली बार एक लण्ड ने मुझे एक ही बार में तीन बार झाड़ा, तुम्हारा लण्ड पाकर मेरी चूत खिल गई।

शाम के अभी पांच बज रहे थे। वो मेरे सीने के बालों से खेल रही थी और मैं उसकी गाण्ड सहला रहा था और बीच-बीच में मैं उसकी गाण्ड में उंगली करता जा रहा था। जिससे वो चिहुंक उठती थी और मेरे बाल को खींच लेती थी। मैंने उसकी गाण्ड को सहलाते हुए पूछा- जान क्या तुमने अपनी गाण्ड का मजा कभी लिया है?

उसने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए बोली- मैं समझ गई.. आप मेरी गाण्ड को इतने प्यार से क्यों सहला रहे हो। आपके लिए आज इस गाण्ड की कुर्बानी ही सही। आज आप इसको भी फाड़ दो।

‘तुम्हें तो कोई जल्दी तो नहीं है..? क्योंकि पांच बज रहे हैं।’ ‘नहीं.. आज आपके नागराज को अपने पीछे वाली गुफा की सैर करा दूँ.. तभी फिर कहीं और जाऊँगी।’ ‘तो ठीक है..’

अब मैंने उसे उसी पोजिशन में लेटने को कहा.. जिस पोजिशन में मैंने उसकी बुर चोदी थी।

वो तुरन्त ही मेरी बात को मानते हुए उसी पोजिशन में लेट गई। वास्तव में उसकी चिकनी गाण्ड मुझे चाटने के लिए न्योता दे रही थी और मैंने तुरन्त ही उसके न्योता को मंजूर किया और गाण्ड को इस तरह फैलाया कि गाण्ड का छेद भी हल्का सा खुल गया। कंगना की गाण्ड के छेद में थूक कर उसको चाटने लगा।

‘ईस्स्स्स्स् सर.. मजा आ रहा है.. बस इसी तरह चाटते रहो।’ जब उसकी गाण्ड काफी गीली हो गई तो थोड़ा सा तेल छेद में डाल कर लण्ड को पेल दिया। ‘आह आह.. दर्द हो रहा सर..’ कंगना के दर्द की परवाह न करते हुए मैंने लण्ड को निकाला फिर झटके से पेल दिया।

इस बार हल्के से उसकी ‘घोंओओओओओ..’ की आवाज आई लेकिन लण्ड पूरा अन्दर जा चुका था। इसलिए मैं थोड़ा से उसके ऊपर लेट गया और उसकी पीठ और गर्दन को चूमते हुए उससे बोला- जानू.. जब पहली बार रवि ने चोदा होगा.. तो इस तरह से दर्द हुआ होगा? ‘हुआ तो था.. पर इतना नहीं..’ मैं धीरे-धीरे उससे बातें करते हुए उसका ध्यान बंटा रहा था और उसके ऊपर लेटे-लेटे लण्ड को धीरे-धीरे बाहर अन्दर करके उसकी गाण्ड चोद रहा था।

अब लण्ड आसानी से अन्दर-बाहर जा आ रहा था और जैसे-जैसे उसकी गाण्ड का कसाव खत्म हो रहा था.. मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी। अब कंगना को भी मजा आने लगा था, कंगना की गाण्ड काफी खुल चुकी थी और अब उसको किसी भी पोजिशन से चोदा जा सकता था इसलिए कंगना को सीधा करके उसके टाँगों को उठा कर फिर गाण्ड की पोजिशन लेकर उसको पेलना शुरू किया।

कई अलग पोजिशनों में कंगना की गाण्ड मारने में मजा आया। सीधी पोजिशन में उसकी गाण्ड और बुर दोनों को चोदने का मजा लिया और वीर्य रस के स्खलन होने पर उसकी गाण्ड को पूरे वीर्य से भर दिया। अब हम दोनों काफी थक चुके थे और कंगना मेरे कमरे में ही सो गई।

करीब रात को आठ बजे हम लोगों की नींद खुली तो एक राउन्ड और चुदाई का चला.. उसके बाद कंगना अपने कमरे में चली गई और मैं अपने खाने-पीने के इंतजाम से बाहर निकल आया।

करीब 11 बजे मैं खाना खा कर लौटा तो सभी कमरों की लाईट बन्द हो चुकी थी। मैंने वही दवा फिर से ली और सूजी के कमरे की चाभी निकाली और उसके कमरे को हल्के से खोला और अन्दर आ गया।

अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था। आँखें फाड़-फाड़ कर मैं सूजी के बिस्तर की ओर बढ़ा.. जहाँ पर सूजी करवट बदल कर बिल्कुल नंगी सो रही थी।

मित्रो, मेरी यह कहानी मेरे एक सपने पर आधारित है.. मैंने अपनी लेखनी से आप सभी के लिए एक ऐसा प्रसंग लिखना चाहा है.. जो मानव मात्र के लिए सम्भोग की चरम सीमा तक पहुँचने की सदा से ही लालसा रही है। मुझे आशा है कि आपको कहानी पसंद आएगी। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपका शरद सक्सेना कहानी जारी है। [email protected]

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