मेरा गुप्त जीवन- 127

पेशाब करने वाली लड़कियों में मुझको ज़ूबी भी दिखाई दी, मैंने महसूस किया कि वो भी ख़ूबसूरती की एक खूबसूरत मिसाल है और उस की अभी तक चूत लेने का मौका नहीं मिला। नहाने के बाद सब लड़कियाँ वापस कॉटेज में आ गई और अपने अपने कमरों में चली गई।

दोपहर के खाने के बाद कुछ लड़कियाँ सोने के लिए अपने कमरों में चली गई और बैठक में सिर्फ मैं कम्मो और 2 डांसर बची थी, उनमें ज़ूबी और एक और बहुत ही खूबसूरत लड़की थी जो हमारे साथ बैठक में बैठी थी। मैंने कम्मो से पूछा- ये दोनों डांसर कौन कौन हैं?

कम्मो उन दोनों के पास गई और उनको बुला कर अपने पास ले आई और पास बिठा कर पूछने लगी- आप दोनों कौन हैं और यहाँ अकेली चुपचाप क्यों बैठी हैं? आप दोनों की तबियत तो ठीक है ना? दोनों थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली- मैं ज़ूबी हूँ और यह है कृतिका, हम रूम नंबर 4 में रहती हैं। कम्मो ने पूछा- तुम दोनों इतना चुप चुप क्यों हो?

दोनों कम्मो को कमरे के एक कोने में ले गई और कुछ खुसर फुसर करने लगी और फिर कम्मो उनको कुछ समझाने लगी और इसके बाद वो उनको लेकर बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद वो लौटी और बोली- उन दोनों को कोई औरतों वाली प्रॉब्लम है, मैंने उनको दवाई दे दी और आराम करने को कहा है, वो अपने कमरे में चली गई हैं।

मैं बोला- अब क्या करें कम्मो डार्लिंग? चलो हम भी सो जाते हैं किसी कमरे में? कम्मो बोली- मैं सोच रही थी कि इन काम वालियों को खुश कर देते हैं, आज दिन भर ख़ास तौर से वो काला हीरा बहुत ही फुदक रही है आपसे चुदाने के लिए? मैं बोला- चलो ठीक है यह सुझाव भी, लेकिन कम्मो डार्लिंग सोचना यह भी है कि फ़िल्मी टोली को कैसे बिजी रखें? क्यूंकि तकरीबन सब लड़कियाँ मुझ से चुद चुकी है और इन सबकी चूतें इस वक़्त पूरी तरह से तसल्ली में हैं। वैसे पता करो कोई लड़की रह तो नहीं गई? कम्मो बोली- छोटे मालिक रह भी गई है तो उस लड़की को आगे आना चाहिए ना अगर उसको आपसे चुदाने की इच्छा है तो? मैं सोचती हूँ क्यों न हम इन लड़कियों के साथ मिलकर आज रात एक छोटा सा सुंदरता प्रतियोगिता का प्रोग्राम रख लेते हैं जिसमें दोनों मैडमों को जज बना देते हैं। मैं बोला- वाह कम्मो जान, क्या आईडिया है! साथ में लड़कियों का स्ट्रिप टीज़ का प्रोग्राम भी रख देंगे जिससे सबको बड़ा मज़ा आयेगा ख़ास तौर से मैडमों को और मुझ को। क्यूँ कैसा है यह आईडिया? कम्मो बोली- वाह छोटे मालिक, क्या दिमाग चलता है आपका चुदाई के बारे में।

मैं बोला- तुम काला हीरा और दुल्हन को पेश करो ऊपर वाले कमरे में और बाद में इन लड़कियों की जो मुखिया है, उसको पकड़ो और उससे बात करो सौन्दर्य प्रतियोगिता के बारे में। मैं उठ कर ऊपर वाले कमरे में चला गया जहाँ एक पलंग बिछा था और जिस पर एक गद्देदार बिस्तर भी लगा था।

थोड़ी देर में काला हीरा उर्फ़ देवकी भी आ गई ठुमकती ठुमकती और उसके आते ही मैंने उसको जकड़ लिया अपनी बाहों में और उसके सांवले चेहरे को चुम्मियों से भर दिया क्यूंकि मैं भी घोड़ों का चोदन देख कर एकदम हॉटम हॉट हो रहा था।

देवकी भी बहुत दिनों से प्यासी थी मेरे लंड की तो उसने सीधे अपना हाथ मेरे लंड पर डाल दिया और उसको खड़ा देख कर हैरान रह गई और बोली- वाह छोटे मालिक, आपका तो मेरे आने से पहले खड़ा है? अब मैंने देवकी के ब्लाउज पर हाथ डाला और उसके मोटे सुडौल मम्मों को मसलने लगा।

देवकी ने ही खुद अपने ब्लाउज को उतार फेंका और और फिर अपनी धोती को भी उतार दिया और मैं उसकी काली बालों से भरी चूत पर मोहित हो गया। देवकी की चूत की खासियत यह थी कि वो आम चूतों से ज़्यादा ऊपर पेट की तरफ थी और खूब उभरी हुई! अगर बाल हटा कर देखा जाता तो वो गोल मोल चूत थी और मस्त दिख रही थी।

मैं उसको लेकर बिस्तर की तरफ चला गया और उसको सीधा लिटा कर अपने कपड़े उतारने लगा लेकिन देवकी एकदम से खड़ी हो गई और आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी। जब बैठ कर मेरा अंडरवियर उतारने लगी तो लंड ने उछल कर उसके मुंह पर हल्के से थप्पड़ मारा। देवकी बड़े ज़ोर से हंस पड़ी और बोली- ससुरा बहुत ही शैतनवा हुई गवा रे, हम का प्यार से चपत मारत है साला।

अब मैंने देवकी को लिटा कर उसकी जांघों में बैठ कर अपना मुंह उस की चूत पर टिका दिया और उसकी चूत को और उसके अंदर छिपे भग को चूसने और चाटने लगा।

देवकी के साथ ऐसे पहले किसी मर्द नहीं किया था तो वो अपने मज़े को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और मेरे बाल पकड़ कर मेरे सर को हटाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैंने भी उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसकी चूत को और ऊपर उठा दिया और लपालप उसकी चूत को चूसने लगा।

थोड़े देर में ही देवकी की चूत खुद ही मेरे सर को अपने साथ में फंसा कर जांघों को ज़ोर से दबाने लगी और साथ ही एक कंपकपी के साथ वो स्खलित हो गई और फिर मेरे मुख ऊपर उठा कर बार बार चूमने लगी।

अब मैं देवकी की चूत में अपना लंड धीरे धीरे डालने लगा और साथ ही डालने से पहले उसको एक हल्का रगड़ा चूत के ऊपर भी लगाता रहा ताकि वो फिर से गर्म हो जाए। जब मेरा लंड उसकी एकदम गीली चूत के अंदर चला गया तो मैं उसके मुम्मों को चूसने लगा और उसकी गोल काली निप्प्लों को मुंह में ले कर गोल गोल घुमाने लगा।

देवकी अब पूरे कामुकता के जोबन पर थी और ज़ोर ज़ोर से नीचे से मेरे धक्कों का पूरा जवाब दे रही थी। अब मैंने उसकी टांगों को हवा में लहरा कर उसकी ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी और जब वो जल्दी ही फिर स्खलित हो गई तो मैंने उस को साइड में लिटा कर पीछे से धक्कम पेल शुरू कर दी।

इस तरह मैं कई पोज़ बदल बदल कर उसको चोद रहा था और जब वो 3-4 बार छूट गई तो कहने लगी- बस अब और नहीं छोटे मालिक, अब हमका छोड़ देयो ना!

तभी कम्मो आई और कहने लगी- दुल्हन तो आज आई नहीं, देवकी से ही काम चला लो छोटे मालिक। मैं देवकी के ऊपर से उठा और हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और देवकी को 10 रुपये का इनाम देकर नीचे भेज दिया।

देवकी के जाने के बाद कम्मो बोली- मेरी सब लड़कियों से बात हुई है, वो सब सुंदरता प्रतियोगिता के लिए तैयार हैं और साथ में कपड़े उतारने की स्ट्रिप टीज़ के लिए भी तैयार हैं, पूछ रही थी जीतने वाली को इनाम क्या मिलेगा? मैं बोला- तुम बोलो क्या इनाम दिया जाए? कम्मो बोली- 100 रूपए का इनाम काफी है. मैं बोला- हाँ, यह रकम काफी है इस छोटी प्रतियोगिता के लिए… तो फिर आओ दोनों मैडमों से भी बात कर लेते हैं। हाँ पर आज उनके खाने में कुछ ख़ास मुर्गे का कोरमा और मटन चाप बनवा लेना और साथ में गाजर का हलवा बनवा लेना। क्यों ठीक है ना?

कम्मो बोली- इस सारे खाने का खर्चा तो फ़िल्मी कम्पनी ही उठाएगी ना तो बनने दो यह सब कुछ! हम अभी बातें कर ही रहे थे कि जूही दुल्हन सीढ़ियाँ चढ़ कर के ऊपर आ गई और हम दोनों को नमस्कार करके एक तरफ खड़ी हो गई।

तब कम्मो ने उससे पूछा- जूही आज जल्दी कैसे चली गई थी तुम अभी तो सिर्फ दोपहर के खाने का काम ही निपटा है और शाम की चाय और रात के खाने का काम अभी करना है ना? जूही बोली- वो दीदी, मेरी सास की तबियत कुछ ठीक नहीं थी, उसको देखने घर चली गई थी। बोलो क्या काम है? कम्मो बोली- कुछ दिन पहले तू छोटे मालिक को याद कर रही थी ना तो मैंने इसलिए बुलाया था कि कोई ख़ास काम था क्या?

जूही थोड़ी शरमाई और अपना मुंह नीचे कर के बोली- वो छोटे मालिक ने जो मुझ पर किरपा की थी ना तो मैं बहुत दिनों से उनको शुक्रिया देना चाहती थी। मैं बोला- इसमें शुक्रिया किस बात का, वो छोटा सा काम था, मैंने कर दिया। अब सुनाओ पति ठीक से अपना काम कर रहा है ना? जूही फिर उदास होते हुए बोली- कहाँ छोटे मालिक, वो कोशिश तो करता है लेकिन बहुत जल्दी ही झड़ जाता है। मैं क्या करूँ, समझ नहीं आता? उसके साथ वो मज़ा नहीं आता जो आपने मुझको उस दिन दिया था। एक बार और कर दो, मुझको वही आनन्द दे दो छोटे मालिक।

यह कह कर वो हाथ जोड़ने लगी और मैंने उठ कर उसके हाथ पकड़ लिए और कम्मो की तरफ देखा तो उस ने आँख का इशारा कर दिया, मैंने कहा- अरे जूही दुल्हन, इसमें हाथ जोड़ने की क्या बात है, मैं तो खुद तुमको याद कर रहा था। अगर तुम्हारी बहुत इच्छा है तो आ जाओ मैं तुमको जितना तुम चाहो तुम्हारे साथ चुदाई का खेल खेल सकता हूँ।

कम्मो ने उठ कर जूही दुल्हन को मेरी बाँहों में डाल दिया और मुझसे कहा- छोटे मालिक, आज आप जूही दुल्हन को अच्छी तरह से चोद डालो ताकि इसके मन की इच्छा कुछ दिनों के लिए पूरी हो जाए। और मैं चलती हूँ दोनों मैडमों को फ़ोन पर सब कुछ बताने के लिए! ठीक है ना छोटे मालिक? मैंने कहा- ठीक है, यह काम ज़रूरी ना होता तो मैं भी तुम्हारे साथ चलता।

कम्मो के जाने के बाद मैंने जूही को अपनी गोद में बिठा लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगा। जूही भी मेरे प्यार का जवाब चुम्मियों से देने लगी और कुछ देर बाद मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसके सुडौल मम्मों को चूसना शुरू कर दिया और उसके काले चूचुकों को मुंह में लेकर उनको चूसने का आनंद लेने लगा। उसकी चूत पर हाथ लगाया तो वो पूरी गीली हो चुकी थी।

मैं जूही को हाथों में लेकर उठा और अपने खड़े लंड का निशाना जूही की चूत पर मारा और धीरे से अपने लंड को जूही की चूत में घुसेड़ने लगा। मैंने जूही को अपने दोनों हाथों को उसकी गांड के नीचे रख कर उठाया हुआ था जिससे लंड को उसकी चूत में बड़ी आसानी से डाला जा सके और लंड अंदर जा कर जूही की चूत के साथ हिलमिल गया और बड़े जोश से उसको चोदने लगा।

मैंने भी जूही के मुंह को अपने होटों को चिपका कर उसको एक बहुत गहरी चुम्मी दी और उसके चूतड़ों को खुद ही आगे पीछे करके आराम से चोदने लगा। जूही दुल्हन की दोनों बाहें मेरे गले में थी, वो जैसे हो जोश में आती थी मुझको अपनी बाहों की ताकत से अपने साथ चिपका लेती थी और दिल भर की चुंबन दे देती थी।

जूही 2-3 छूट चुकी थी लेकिन अभी भी उस का मन नहीं भरा था तो मैं उसको बिस्तर में लिटा कर उसकी जांघों के बीच बैठ कर उस की ज़ोरदार चुदाई करने लगा और मेरे बहुत ही तेज़ धक्कों के कारण वो मस्त हुई चुद रही थी और कह रही थी- फाड़ दो… फाड़ दो इस साली को… ओह ओह मैं मर गई रे!

पांच मिन्ट की तेज़ चुदाई से वो बहुत अधिक कांपती हुई ज़ोर से झड़ गई और मुझको खींच के अपने से चिपका लिया। मैं उसके ऊपर से हट गया और वो आँखें बंद कर के पड़ी रही बगैर हिले डुले कुछ देर के लिए! फिर वो उठी और जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और मुझको एक कामुक चुंबन देकर चली गई।

उसके जाते ही कम्मो आ गई और बोली- मेरी मैडमो से बात हो गई है, सुंदरता प्रतियोगिता का प्रस्ताव सुन कर बड़ी खुश हो गई हैं और वो शाम को दोनों यहाँ आ जाएंगी। कह रही थी कि वो कुछ खास पीने का भी प्रबंध कर लेंगी।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]