मेरा गुप्त जीवन- 132

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कम्मो ने सब लड़कियों को कपड़े पहनने के लिए बोला और हम दोनों भी कपड़े पहनने लगे। समय देखा तो सिर्फ रात के 11 बजे थे, हम दोनों उन लड़कियों को कॉटेज में छोड़ कर हवेली आ गए।

हवेली में जब अपने कमरे में हम दोनों जा रहे थे तो तो ऐसे ही मन में विचार आया कि देखें कि दोनों मैडम क्या कर रही हैं? हल्के से दरवाज़े पर धक्का दिया तो दरवाज़ा झट से खुल गया, लगता था वो सिर्फ भिड़ा हुआ था।

अंदर देखा तो दोनों मैडमें एकदम नंगी एक ही बिस्तर में सोई हुईं थी एक दूसरी के गले में बाहें डाल कर! कम्मो ने इशारा किया कि ‘सोने दो दोनों को…’ और फिर हम साथ वाले मेरे कमरे में आ गए और जल्दी से कपड़े बदल कर आपस में बाँहों में बाहें डाल गहरी नींद में सो गए।

सुबह होते ही पर्बती हम दोनों के लिए चाय ले कर आ गई और वो जब खाली कप ले कर जाने लगी तो मैंने उसको कस के अपनी बाहों में ले लिया और उसके होटों पर ताबड़तोड़ चुम्मियों की बौछार लगा दी और साथ ही उसकी धोती के नीचे हाथ डाल कर उसकी सूखी चूत को सहला दिया। पर्बती इस बात से ही बहुत खुश हो गई और वो हम दोनों को एक एक चुम्मी करके वापस चली गई।

अगले दिन मधु मैडम नाश्ता करते हुए बोली- आज हमारा यहाँ आखरी दिन है सोमू, आज हम यहाँ सारा हिसाब किताब करके दोपहर तक लखनऊ के लिए निकल जाएंगी। मैं बोला- मैडम, आपके साथ काम करके बड़ा मज़ा आया था और हमारी यह हार्दिक इच्छा थी कि आप कुछ दिन और हमारे साथ बिताती और हम सबको आपकी सेवा करने का और मौका देती।

रूबी मैडम हँसते हुए बोली- कौन सी सेवा? रात वाली या फिर वो दिन वाली? कौन सी सेवा? मैं हँसते हुए बोला- मैडम जी, हम सब तो आप की हर प्रकार से सेवा करने के लिए हमेशा तैयार हैं, आप मौका तो दीजिये। मधु मैडम बोली- यह तो तुम ठीक कह रहे हो, सेवा तो तुमने हम सबकी हर प्रकार से की है, इसमें कोई शक नहीं है लेकिन अगर तुम चाहो तो हमारे साथ बॉम्बे चले चलो काम करने का भी अच्छा मौका मिल जायेगा और हम सबकी ऊपर नीचे की सेवा का भी अच्छा मौका मिल जाएगा। बोलो, चलते हो?

मैं मुस्कराते हुए बोला- थैंक्स मैडम, मैं तो अभी कॉलेज में पढ़ रहा हूँ, जब तक कॉलेज नहीं खत्म हो जाता, मैं कहीं नहीं जा सकता। थैंक्स अगेन मैडम जी।

अभी हम बातें कर ही रहे थे कि एक काली कार हवेली के अंदर आकर रुकी और उसमें से मेरे दूर के अशोक चाचा और संतोष चाची उतरे। मैं जल्दी से गया और उनका स्वागत किया और उनको आदर से अंदर ले आया।

चाचा चाची को जब बताया कि फ़िल्मी कलाकार आये हुए हैं यहाँ शूटिंग के लिए, तो वो बहुत ही उत्सुक हो गये उनसे मिलने के लिए और दोनों मैडम को जब मिलवाया तो मधु मैडम उनको लेकर कॉटेज चली गई बाकी कलाकारों से मिलवाने के लिए!

हमारे मुंशी जी और रूबी मैडम दोनों हिसाब किताब में लग गए।

मैं घूमता हुआ हवेली का चक्कर लगाने लगा और वहाँ एक नौकरानी से मेरी मुलाकात हो गई जो मुझको एकदम नई लगी। वो उस समय सब बंद कमरों को खोल कर उनकी सफाई में व्यस्त थी। मैंने उससे पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? वो बोली- छोटे मालिक, मेरा नाम आशा है, मैंने कुछ दिनों से ही यहाँ क़ाम शुरू किया है।

उस लड़की को गौर से देखा तो काफी सुडौल और भरे जिस्म वाली गाँव की लड़की थी वो। घूमता हुआ मैं थोड़ी देर में बैठक में पहुँचा तो चाचा और चाची कलाकारों से मिल कर वापस आ गए थे और बड़े खुश लग रहे थे।

खाने के मेज़ पर चाचा ने बताया कि वो कुछ दिनों के लिए किसी काम से यहाँ आये हैं। वो खाना खाकर अपने काम पर चले गए और मैं चाची को अपनी मोटर साइकिल पर बिठा कर फिर कॉटेज में चला गया।

चाची बाइक पर मेरे से बिल्कुल जुड़ कर बैठी हुई थी और उनके सॉलिड मम्मे मेरी पीठ में घुसे हुए थे और इस नज़दीकी से मुझको बड़ा आनन्द आ रहा था।

मुझको देखते ही सब लड़कियाँ मेरे चारों ओर जमा हो गई और मेरे करीब आने की कोशिश करने लगी लेकिन आबिदा ने उनको समझा दिया कि चाची के सामने कुछ शर्म लिहाज़ करो! आबिदा बोली- सोमू राजा, तुम्हारी चाची तो गज़ब की सुन्दर लग रही हैं। अगर हम इनको अच्छी तरह से तैयार कर दें तो यह किसी फिल्म की हीरोइन से कम नहीं लगेंगी। क्यों आंटी, चलती हो? हम आप को फ़िल्मी हीरोइन बना देती हैं।

चाची थोड़ी नानुकर करने के बाद तैयार हो गई और सब लड़कियाँ उनको लेकर अपने कमरे में चली गई। चाची के जाते ही सब लड़कियाँ मेरे ऊपर टूट पड़ी और चूमा चाटी और बारी बारी से आलिंगनों की झड़ी लगा दी। मैं उनके गोल और सॉलिड मम्मों के बीच दब सा गया। थोड़ी देर बाद आबिदा और कुछ लड़कियाँ चाची को लेकर आ गई और चाची वाकयी में किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही थी।

जब आबिदा और हेमा के बीच में चाची खड़ी हुई तो वो उन दोनों से किसी तरह से भी कम नहीं लग रही थी। चाची का शरीर भरा हुआ था और उनके गोल और तन्ने हुए उरोज और उभरे हुए चूतड़ उनकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे।

चाची ने मुझसे पूछा- क्यों सोमु, मैं कैसी लग रही हूँ? सच सच बताना। मैंने सच बोलते हुए कहा- वाह चाची, तुम तो कमाल की सुन्दर लग रही हो!! सच एकदम सच कह रहा हूँ फिल्मों की हीरोइन जैसी लग रही हो। तारीफ सुन कर चाची फूल के कुप्पा हो गई। वैसे भी चाची की उम्र शायद 25-26 की रही होगी, काफी सुन्दर थी।

फिर चाची बोली-सोमू राजा, क्या मुझ को अपनी कॉटेज की सैर नहीं करवाओगे? मैंने कहा- क्यों नहीं चाची, आओ मैं तुमको सारी कॉटेज की सैर करवाता हूँ।

मैं चाची को लेकर अंदर जाने लगा तो चाची ने एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया और मुझसे बिल्कुल चिपक कर घूमने लगी कॉटेज में! उनके दोनों स्तन मेरे बाएं बाज़ू से रगड़ रहे थे और मैं उनके सिल्क के ब्लाउज और साड़ी के अंदर और उसकी ब्रा में छुपे मम्मों के चूचुकों को अपने बाज़ू पर महसूस कर रहा था।

चाची के निप्पल एकदम से अकड़े हुए थे और वो साड़ी के बाहर से साफ़ दिख रहे थे। चाची बार बार कनखियों से मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी। अब चाची की बोल्डनेस को देखते हुए मैंने उनकी गांड पर भी हाथ फेरना शुरू कर दिया।

जब हम पहले कमरे में घुसे तो एक डांसर अपने कपड़े समेटने की तैयारी में लगी थी, उसने सिर्फ एक ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और चाची यह दृश्य देख कर भौंचक्की रह गई और मुझको जल्दी ही उस कमरे से घसीटने लगी लेकिन मैंने बड़े तपाक से कहा- हेलो जूली, गुड मॉर्निंग यार, अभी पैकिंग चल रही है तुम्हारी?

वो उसी ड्रेस में दौड़ कर आई और मेरे से लिपट गई और मेरे होटों पर एक गर्म किस जड़ दी जिसे देख कर चाची की आँखें और फ़ैल गई। मैं शर्माते हुए बोला- इनसे मिलो, ये मेरी चाची हैं। हैं न बहुत सुन्दर? जूली चाची से बोली- हेलो आंटी, आप तो बहुत ही सुंदर लग रही है. क्या फिल्मों में काम करती हैं? चाची मेरे से और भी ज़्यादा चिपकते हुए बोली- नहीं, मैं तो हाउसवाइफ हूँ।

यह कह कर चाची मुझ को घसीटते हुए आगे बढ़ गई और अगले कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा कि हेमा ने सिर्फ पैंटी ही पहन रखी था, उसकी ब्रा भी नदारद थी और वो पैकिंग में मस्त थी। यह देख कर चाची ने अपना एक हाथ मेरी आँखों पर रख दिया और मुझको खींचते हुए आगे ले गई और मुझको कमरे के बाहर ही रोक कर स्वयं दरवाज़ा खोल कर झाँका और जब मैदान साफ़ पाया तो मेरे को अंदर आने दिया।

लेकिन जैसे ही मैं कमरे में घुसा तो बाथरूम का दरवाज़ा खुला और उसमें से सैंडी बिल्कुल नंगी ही नहा कर बाहर आ गई और उसने अभी तक हम दोनों को नहीं देखा था तो वो बेड पर पड़े तौलिये से अपना शरीर पौंछने लगी और साथ ही वो कोई गाना भी गुनगुना रही थी। मैंने दरवाज़े से आवाज़ लगाई- हेलो सैंडी, गुड मॉर्निंग यार!

सैंडी ने चौंक कर मुड़ कर देखा और मेरे साथ किसी औरत को देख कर वो अकचका गई और जल्दी से अपने शरीर को तौलिये से ढकने की कोशिश करने लगी जिसमें वो नाकामयाब रही क्यूंकि उसकी बालों से भरी गीली चूत मुझको साफ़ दिख रही थी। हैरानी के खत्म होते ही वो भी भाग कर आई और मेरे गले लग गई और मेरे होटों पर ताबड़तोड़ चुम्मियाँ देने लगी।

मैंने चाची की तरफ देखा जो हैरान और परेशान हो रही थी यह देख कर हर कमरे में मुझ को जफ्फी और चुम्मियाँ मिल रही थी। मैंने सैंडी का ध्यान चाची की तरफ दिलाया और उसको और आगे बढ़ने से रोक दिया।

चाची मुझको लगभग खींचते हुए अगले कमरे में ले गई जहाँ दरवाज़ा खोलते ही एक बहुत ही गर्म नज़ारा देखने को मिला। हमने देखा कि बेड पर दो लड़कियाँ नंग मलंगी आपस में गुत्त्मम गुत्था हो रही थी ही एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस और चाट रही थी और उनके मुंह सी हाय हाय के अस्फुट शब्द निकल रहे थे। ध्यान से देखने पर पता चला कि वो दोनों आबिदा और नंदा थी। मैंने चाची को इशारा किया कि चुपचाप बाहर निकल चलो!

मैंने धीरे से दरवाज़ा फिर से बंद कर दिया और उन दोनों को आनन्द लेने दिया। अब चाची यह सब देख कर गर्मी से उबलने लगी थी और मैं समझ गया कि चाची चुदने के लिए तैयार है तो मैं उनका हाथ पकड़ कर ऊपर वाले कमरे में ले गया जो उस वक्त बिल्कुल खाली था।

वहां पहुंचते ही चाची ने मुझको अपनी बाहों में कस कर बाँध लिया और ताबड़तोड़ मेरे लबों पर हॉट किसिंग शुरू कर दिया। मैं कहता भी रहा ‘यह क्या कर रही हो चाची?’ लेकिन उन्होंने मेरी एक भी ना सुनी और किसिंग करते हुए उन्होंने मेरे पैंट के आगे के बटन को खोल कर मेरे तने हुए लंड को भी बाहर निकाल लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

पहले कुछ क्षण वो उसकी लम्बाई और मोटाई को देखती रही और फिर बिना किसी हिचक के उसको मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और साथ साथ ही मेरी पैंट को भी नीचे खिसका दिया और मेरे अंडरवियर को एकदम नीचे कर दिया।

अब वो वहां बेड पर अपने हाथ रख कर अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊंचा कर मुझको पीछे से चोदने का इशारा करने लगी लेकिन मैं भी जान बूझ कर अपनी मुंडी ना में हिला रहा था और चुदाई की कोई कोशिश नहीं कर रहा था और साथ ही बोलता रहा- नहीं चाची, यह ठीक नहीं है, अगर चाचा को पता चल गया तो वो मुझ को मार ही देंगे। नहीं चाची, यह ठीक नहीं है।

चाची ने एकदम पास पलटा और मुझ को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद ही मेरे ऊपर चढ़ बैठी, उनकी रसीली चूत एकदम पनिया गई थी और मेरे ऊपर बैठ कर मज़े मज़े में मुझको चोद रही थी। अब मैं भी आनन्द लेने लगा और उनके ब्लाउज और ब्रा को ऊपर कर के उनके मम्मों के साथ खेलने लगा।

चाची की मोटी और फूली हुई गांड बड़ी स्पीड से ऊपर नीचे हो रही थी और इस स्पीड के चलते हुए चाची जल्दी ही झड़ गई लेकिन उस ने एक मिनट का भी रेस्ट किये बिना अपनी चुदाई जारी रखी और ज़ोरदार धक्कों का सिलसिला जारी रखा।

थोड़ी देर बाद वो फिर स्खलित हो गई लेकिन उनकी चुदाई का आलम जारी रहा उसी स्पीड में! जब वो कम से कम 4 बार झड़ गई तो वो थोड़ी देर के लिए रुकी और अपने माथे पर आये पसीने को पौंछ कर फिर चुदाई के हमले में मग्न हो गई और इससे पहले मैं कुछ समझ पाता वो मेरे साथ अपनी चुदाई में कई बार झड़ गई और अभी भी उनकी लपलपाती हुई चूत भूखे बाघ की तरह मुझको चोदने में मस्त थी।

मैंने उनको ज़बरदस्ती अपने ऊपर से हटा कर बेड पर उनकी गोरी टांगें चौड़ी करके लिटा दिया और उनकी टांगों के बीच में बैठ कर ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी।

अब चाची उसी स्पीड से अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे कर रही थी जैसे कि चोद मैं नहीं रहा हूँ बल्कि चाची मुझ को अब नीचे से चोद रही हों। इस पोज़ में भी चाची का ना जाने कितने बार छूटा होगा, इसका कोई अंदाजा नहीं लेकिन चाची बिना थके अभी भी पूरे जोश खरोश से चुदाई में संलग्न थी।

वो तो अच्छा हुआ कि कम्मो की नीचे से आवाज़ आई कि छोटे मालिक कहाँ हो? जल्दी आओ मधु मैडम बुला रही हैं। मैं चाची के ऊपर से एकदम उठ पड़ा और जल्दी से कपड़े ठीक करके चाची को लेकर नीचे आ गया, आते ही बोला- चाची को कॉटेज दिखा रहा था! बोलो क्या काम है?

कम्मो ने मुझको और चाची को भेद भरी नज़र से देखा और बोली- मधु और रूबी मैडम ने हिसाब कर दिया है, हवेली चल कर उनके कागज़ात पर दस्तखत कर दीजिये।

मैं चाची को बाइक पर बिठा कर हवेली की तरफ निकल पड़ा और वहाँ पहुँच कर मुंशी जी के तैयार कागज़ों पर दस्तखत कर दिए। मुंशी जी ने बताया कि फ़िल्मी कम्पनी वालों ने कुल मिला कर ढाई लाख रुपए का चेक दिया है जिसमें सब काम वालों के लिए पैसे भी शामिल हैं।

मैंने मधु मैडम और रूबी मैडम को धन्यवाद दिया और उन्होंने कहा कि सोमू राजा हम फिल्म वाले तुमको और तुम्हारे गाँव को कभी नहीं भुला सकते। सब गाँव वालों ने हमारी खूब सेवा की जिसके लिए हम हमेशा तुम सब के बहुत आभारी रहेंगे।

यह कह कर मधु मैडम और रूबी मैडम ने हम सबको आलिंगनबद्ध किया और फिर उनकी कार और लड़कियों से भरी मिनी बस लखनऊ के लिए रवाना हो गई।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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