Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 19

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

अब आगे की कहानी – वह ब्लू फिल्म से ज्यादा एक कहानी आधरित सेक्सी फिल्म थी। एक भारतीय युगल पति नयन और पत्नी नयना अपने दूसरे हनीमून में विदेश जाता है। वहां उनका परिचय एक दूसरे भारतीय युगल पति कमल और पत्नी कमला के साथ होता है। तब पता चलता है की वह दोनों युगल भारत में एक ही शहर में रहते थे।

कमल ज्यादा ही स्मार्ट और दिल फेंक था। वह नयन की सुन्दर और सेक्सी पत्नी नयना की और एकदम आकर्षित हो जाता है। हालांकि उसकी अपनी पत्नी कमला भी खूबसूरत थी। कमल देखता है की नयन भी उसकी पत्नी कमला को लालच भरी नजरोंसे घूरता रहता था पर बेचारा नयन संकोच के मारे अपनी इच्छा प्रकट नहीं कर पाता था।

पहले दिन थोड़ा घूमने के बाद दोपहर होटल में जब कमल यह देखता है की नयन और कमला एक दूसरे से काफी घुलमिल गए हैं, तब कमल प्रस्ताव रखता है की शाम को नयन कमला के साथ और कमल नयना के साथ बाहर घूमने जाएंगे। और देर शाम को होटल में सब लोग फिर साथ हो जाएंगे। दोनों पत्नियां थोड़ी हिचकिचाहट, थोड़े तर्क वितर्क और थोड़े मनाने मानने के बाद इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती हैं।

दूसरे दिन शॉपिंग करते हुए और बसों में घूमते हुए कमल नयना को पटा लेता है और उसके साथ काफी चुम्मा चाटी और स्तनों को दबाना और चोरी छुपी एक दूसरे के पाँव के बिच में हाथ डाल कर एक दुसरेकी योनियों को छूना और सहलाना इत्यादि हो जाता है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

उधर कमला ज्यादा ही तेज थी। वह जानती थी की नयन उसको ताड़ रहा था, पर थोड़ा ज्यादा शर्मिला होने के कारण हिचकिचा रहा था। नयन और कमला समंदर के किनारे जाते हैं और वहां कमला नयन को खींचकर समंदर में दौड़ जाती है। वहां दोनों एक दूसरे को गीले कपड़ों में चूमते हैं। पानी के अंदर कमला नयन के अंडरवियर में हाथ डालकर उसका लन्ड बाहर निकाल कर उसे वहीँ पर वीर्यस्खलन करा देती है। नयन भी आखिर में कमला के पाँवों को खोलकर उसकी पैंटी हटा कर कमला की चूत के समंदर के खारे पानी से मिले हुए रस को चाटता है।

अनिल और मैं, फर्श पर बिछे गद्दे पर बैठे थे और मैं अनिल की गोद में थी। मेरे पति का लन्ड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपने कूल्हों के बिच की दरार में महसूस कर रही थी। वह फिल्म इतनी उत्तेजक थी की मैं अपने पाँवोँ में से बह रहे प्रवाही को अनिल से कैसे छुपाऊं यह उधेड़बुन में थी। पर अनिल जैसे मेरी उलझन समझ गए। उन्होंने मेरी पतले गाउन को ऊपर उठा कर मेरे पॉंव के बिच में हाथ डाला और बिना कुछ बोले मेरा प्रवाही मेरी जांघों पर प्रसार ने लगा।

उससे तो मैं और भी उत्तेजित हो गयी। मेरी योनि में से तो जैसे पिचकारी ही छूटने लगी। तब अनिल ने अपनी उंगली में थोड़ रस लिया और चाटने लगे। मैंने झुक कर मेरे पति की टांगों के बिच हाथ डाल कर उनका लन्ड मेरे हाथ में लिया। मैं उसे फूलता हुआ महसूस कर रही थी। जल्द ही वह एकदम कड़क और लंबा होगया। मैं मेरे पति की गोद में लेट गयी और मैंने अनिल का लन्ड मुंह में लिया और उसे चूमने और चूसने लगी।

अनिल ने मुझे लिटा कर मेरे गाउन को मेरी कमर पर ले गए। मैं निचे से एकदम नंगी थी। वह मेरे पाँव के तलवे को चाटने लग गए। कई सालों के बाद मेरे पति ने मेरे पाँव को चाटा। धीरे धीरे वह चाटते चाटते ऊपर की और आरहे थे। मैं जानती थी की उनका निशाना कहाँ था। हालांकि मेरा ध्यान तो मेरे पति की प्यारी मीठी हरकतों पर ही था; पर मैं दिखावा कर रही थी जैसे मैं फिल्म को बड़े ध्यान से देख रही थी।

फिल्म चल रही थी और उसमें शाम को जब दोनों युगल मिलते हैं तो कहानी दूसरी ही होती है। अब पत्नियां भी दुसरेके पति से काफी निःसंकोच महसूस करती थीं, पर बाहर से जता नहीं रही थीं। दोनों युगल एक ही कमरे में जब शामको मिलते हैं तो वहां भी कमल नयना को साथ में बिठाता है और कमला नयन के साथ जा के बैठ जाती है। नयन टीवी चालू करता है तो उसपर कोई सेक्सी फिल्म चल रही थी। बातें करते करते धीरे धीरे दोनों युगल एक दूसरे की पत्नियों को चूमते है, एक दूसरे के पॉंव के बिच हाथ डालकर एक दूसरे को महसूस करते हैं। तब कमल नयना को अपने कमरे में ले जाता है। नयना सहमी सहमी उसके साथ चल देती है क्योंकि वह देखती है की उसका पति नयन कमला से चिपका हुआ था और उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा था।

कमल नयना के बदन से प्यारसे एक के बाद एक कपडे उतारता है और नयना भी कमल को उसमें सहायता करने लगती है। थोड़ी ही देर में दोनों निर्वस्त्र हो कर एकदूसरे से जब चिपक जाते हैं उसी समय कमला और नयन उस कमरे में प्रवेश करते हैं। नयन अपनी पत्नी नयना को कमल की बाहोंमें नंगी देखकर कमला को उठाकर उसी पलंग पर सुलाता है और उसके वस्र निकाल कर स्वयं भी निर्वस्त्र हो जाता है।

दोनों पति एक दूसरे के सामने ही दोनों पत्नियों को मिलकर चोदते हैं और कभी अपनी पत्नी तो कभी दूसरे की पत्नी को चोदते हैं और ऐसे ही फिल्म समाप्त होती है।

जाहिर था की अनिल उस फिल्म को देख उत्तेजित हो गए थे और उन्होंने मुझे अपनी बाहोंमे जकड़ कर पूरी फिल्म देखी। मैं इतनी गरम हो गयी की मैंने अनिल के लन्ड को निकालकर अपने हाथ में लेकर जब सहलाने लगी तो अनिल ने मुझे थोड़ा सरकाया और पूछा, “अनीता तुम्हें यह फिल्म कैसी लगी?”

मैंने कहा “बहुत उत्तेजक थी। मेरी योनि में से तो पानी बहने लगा और थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। अनिल तुमने तो मुझे पागल कर दिया। पर सच में ऐसा थोड़े ही होता है?”

अनिल ने भोलेपन से पूछा, “क्या?”

मैंने कहा, “यह पत्नियों की अदला बदली हमारे यहां थोड़े ही होती है?”

तब अनिल ने कहा, “एक बात बताओ। जब मैं किसीकी बीबी को चोदता हूँ तो जाहिर है की वह पत्नी तो एक गैर मर्द से चुद गयी। हो सकता है उसका पति भी किसी न किसी की बीबी को चोदता ही होगा। यह तो होता है न? मैं तुम्हें एक बात बताता हूँ। हमारी कॉलोनी में शायद ही कोई बीबी ऐसी होगी जिसे किसी और ने नहीं चोदा होगा। हाँ कुछ ऐसी बदसूरत बीबियाँ हो भी सकती है, जो किसी गैर मर्द को आकर्षित न कर पाए।”

मुझे मेरे पति की बात बिलकुल नहीं भाई। यह सुनकर मेरा दिमाग छटका, ?मैंने पूछा, “भाई मैंने तो आज तक तुम्हारे अलावा किसीसे सेक्स नहीं किया। क्या मैं बदसूरत या अनाकर्षक हूँ?”

तब अनिल ने अपने आप को सम्हालते हुए कहा, “मेरा कहने का मकसद यह नहीं था। मैं यह कहना चाह रहा था की अब मर्द और औरत में समानता का युग है। अगर पति कोई दूसरी औरत से सेक्स कर सकता है तो पत्नी क्यों नहीं कर सकती। और अगर यह एक दूसरे की मर्जी से बिना कोई मन मुटाव से होता है तो इस में गलत भी क्या है? पति पत्नी के सम्बन्ध तो इससे बिगड़ने के बजाय और भी अच्छे हो जायेंगे। क्या मैं गलत कह रहा हूँ?

मैं बड़ी दुविधा में पड़ गई। अनिल कह तो सच रहे थे। पर अगर में खुल के हाँ कहूँ तो कहीं वह गलत तो नहीं समझ लेंगे? मैंने बुझे से स्वर में कहा, “बात तो ठीक है, पर क्या वास्तव में कोई पति अपनी पत्नी को दूसरे मर्द से चुदते देख सकता है? क्या उसे जलन नहीं होगी?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मेरे पति के पास उसका उत्तर तैयार था। वह बोले, “बिलकुल नहीं। क्योंकि उसकी पत्नी उसे धोखा थोड़े ही दे रही थी? पति तो खुद ही अपनी बीबी को दूसरे मर्द से चुदवाने के लिए राजी कर रहा था। और फिर जब पति अगर दूसरी औरत को चोदता है और अपनी बीबी को भी दूसरे चुदवाने के लिए तैयार है तो फिर वह बुरा क्यों मानेगा?”

मेरी टांगों के बिच में से तो जैसे झरना बह रहा था। मेरी स्थिति बड़ी उन्मादक हो रही थी। मेरे पति मुझे ऐसी बातें करके दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए उकसा रहे थे, या फिर मुझे सेक्स करने के लिए तैयार कर रहे थे यह मेरी समझ में नहीं आया। पर उस समय मैं मेरी योनि मैं हो रही उन्मादित चंचलता और कामुकता से तिलमिला रही थी। मुझे तुरन्त ही मेरी चूत में एक लन्ड चाहिए था। मैंने बहकी आवाज में अनिल से कहा, “अरे तुम मुझे इतना उकसा क्यों रहे हो? कहीं मैं बहक न जाऊं। अब तुम मुझे और मत तड़पाओ औ और जैसा तुम कहते हो न, मुझे खूब चोदो।”

अनिल तैयार ही था। उसने मेरा गाउन मेरे सर के उपरसे हटा कर मुझे पूरी नंगी कर दिया। और फिर खुद अपने कपडे उतार कर मेरे सामने नंग धंडंग खड़ा होगया। उसका मोटा लंबा लन्ड ऐसे उठा हुआ था जैसे वह छत की और देख रहा हो।

मेरे दोनों पॉंव खोलकर वह मेरे स्तनों को दोनों हाथों से भींचने लगे। उन्होंने अपना लन्ड मेरी चूत की मध्यांक रेखा पर रखा और उसे रगड़ने लगे। मैं अपना आपा खो रही थी और अनिल के लन्ड का मेरे अंदर प्रवेश का बेसब्री से इन्तेजार कर रही थी। तभी उन्होंने उसे थोड़ा अंदर घुसेड़ा और रुक गये। मैंने अधीर होकर पूछा क्या बात है? तो वह बोले, “मेरी बड़ी इच्छा है की हम भी कभी दूसरों के सामने एक ही कमरे में एक ही पलंग पर सेक्स करें। क्या तुम भी ऐसे ही दूसरों के सामने मुझसे कभी चुदवाओगी?”

मैं उनका लन्ड लेने के लिए तड़प रही थी, पर अनिल मुझे बस तड़पाए जा रहा था। पर फिर भी मैं अड़ी रही मैंने कहा, “अरे भाई ठीक है, पर किस के सामने? आखिर तुम मुझसे क्या करवाना चाहते हो? क्या तुम ऐसे वैसों के सामने मुझे नंगी करना चाहते हो? और तुम मुझे क्यों तड़पा रहे हो?”

अनिल ने कहा, “पहले यह वचन दो की हम भी यह फिल्म की तरह एक दूसरे कपल के सामने सेक्स करेंगे न? बोलो हाँ या ना?”

मेरा पति मुझे पागल कर रहा था। एक और वह मेरी चूत की दरार पर अपना लन्ड रगड़ रहा था और मुझे उकसा रहा था, दूसरी और मुझे ऐसी कामुकता भरी बातें सुनाकर और तिलमिला रहा था। मैं पति से चुदवाने को उतावली हो रही थी, पर जल्द बाजी में कोई गलत वचन न दूँ यह चिंता भी थी। क्योंकि मैं जानती थी की एक बार मैंने अगर हाँ कह दिया तो फिर अनिल वह मुझसे करवाकर ही रहेगा।

अनिल का मुझ पर ऐसा दबाव देनेसे मैं झल्ला कर बोली, “अनिल, तुम मुझे क्या समझते हो? क्या मैं कोई ऐसी वैसी औरत हूँ को जो हर किसीके सामने अपनी टांगें खोल दूंगी? मैंने तुम्हे जिस किसी औरत के साथ मौज करनी है तो करने की इजाजत दे रक्खी है। पर मुझे बख्शो और मेरे आगे फिर कभी ऐसी बात मत करना।”

अनिल की शक्ल रोनी सी हो गयी। वह बड़ा दुखी हो गया था। उन्हें दुखी देख कर मैं भी दुखी हो गयी और अनिल को देख कर बोली, “डार्लिंग मैं क्या करूँ? दूसरे मर्द के साथ थोड़ी सी छेड़छाड़ या थोड़ी मस्ती चलती है। पर सेक्स? यह तो मैं सोच भी नहीं सकती।

बस मेरा इतना ही कहना था की अनिल दूसरी और करवट बदल कर सो गए। वह उत्तेजना और उन्माद का माहौल एकदम ख़त्म हो गया और वही पुरानी दुरी हम दोनों के बिच आ खड़ी हो गयी। मैं मन ही मन बड़ी दुखी हो रही थी की मैंने भी कहाँ मेरे पति का मूड खराब कर दिया। उस रात को उन्होंने क्या प्लानिंग की थी की हम देर रात तक चुदाई करेंगे। पर मेरी बात ने जैसे अनिल के मूड पर ठंडा पानि फेंक दिया।

मेरा मन किया की मैं अनिल से कहूँ की अगर उसका बहुत मन दुःख हो रहा हो तो मैं उसके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। पर मैं कुछ बोल नहीं पायी और चुपचाप सो गयी। —– उस रात मैं सो न सकी। सारी रात मैं अनिल की बातों के बारेमें ही सोचती रही। अनिल की बातों की गहराई को समझने की कोशिश करने लगी। पता ही नहीं चला की कब मैं सो गयी और कब सुबह हो गयी। पर मस्तिष्क में तब भी वही बात घूम रही थी।

सारी बात तब शुरू हुई जब अनिल राज को दिए हुए वचन के बारे में मुझसे पूछताछ करने लगा। जरूर मेरा पति मुझसे कुछ कहना चाहता था। अचानक सारी बात मेरी समझ में आ गयी। अब मैं एक और एक दो समझ गयी और तब मुझे गुस्सा भी आया, दुःख भी हुआ और मेरे पति की और सहानुभूति भी हुई। मेरा पति मुझे उकसा रहा था ताकि मैं राज से सेक्स करूँ जिससे मरे पति को नीना से सेक्स करने का लाइसेंस मिल जाय।

बापरे! मेरे पति कितनी गहरी चाल चल रहे थे! मैं समझ गयी की होली में मेरे न रहते हुए बहुत कुछ हो चुका था। इसीलिए मेरे पति के स्वभाव में इतना अधिक परिवर्तन आया था। पर तब भी मैं वास्तव में क्या हुआ था यह नहीं समझ पायी। पर फिर मैं सोचने लगी की मैंने तो मेरे पति को शादी से पहले ही इजाजत देदी थी की वह किसी और स्त्री को चोदे तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा। फिर उन्हें क्या जरुरत थी मुझको उकसाने की की मैं किसी से चुदवाऊँ? इसका मेरे पास कोई जवाब न था।

तब अचानक मेरे मन में इसउधेड़बुन का हल निकालने का एक विचार आया। क्यों न मैं इसके बारेमें नीना से अकेले में बात करूँ? नीना बड़ी समझदार और सुलझी हुई औरत थी। वह जरूर मुझे सही मार्गदर्शन देगी। मैं ऐसा सोच ही रही थी की नीना का ही फ़ोन आ गया। मुझे बड़ा ताजुब हुआ। कैसे हम एक दूसरे की मन बात जान गए थे।

फ़ोन पर हमारी चर्चा कुछ इस प्रकार रही।

मैं, “हेल्लो! हाँ नीना। कैसी हो? सब ठीक ठाक तो हैं? कैसे फ़ोन किया?”

नीना, “बस सोचा, काफी समयसे तुमसे अकेले में बात नहीं हुई। बहुत मन कर रहा था। वैसे तो हम मिलते रहते हैं, पर पिछले कुछ दिनों से मिलना नहीं हुआ। काम से थोड़ा फारिग हुई तो सोचा चलो आज तुमसे बात करती हूँ।”

मैं, “बहुत अच्छा किया। मैं भी तुमसे बात करने की सोच रही थी। ”

नीना, “क्या बात है? बोलो। कुछ ख़ास बात है?”

मैं, ” हाँ, ….. नहीं कोई ख़ास बात नहीं है, बस ऐसे ही।”

नीना, “देखो अनिता तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो। बोलो, क्या बात है?”

नीना की इतनी प्यार भरी बात सुनकर मुझसे रहा नहीं गया। मेरी धीरज का बाँध जैसे टूट गया और मैं बच्चे की तरह फ़ोन पर ही फफक फफक कर रोने लगी।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

उस तरफ लगता था जैसे मेरा रोना सुनकर नीना घभड़ा कर बोली, “अरे, भाभी, बात क्या है? कोई बड़ी मुसीबत आन पड़ी है क्या? बताती क्यों नहीं?”

मैंने अपने आप को सम्हालते हुए कहा, “ऐसी कोई ख़ास बात नहीं। बस ऐसे ही। ”

नीना, “ऐसे ही कोई रोता है क्या? रुको मैं अभी इसी वक्त आ रही हूँ। मुझे भी तुमसे कुछ बात करनी है।”

देखते हीदेखते नीना दरवाजे पर थी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला की नेना ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोली, ” एक साल ही सही, पर बड़ी हूँ। इस नाते से तुम मेरी छोटी बहन हुई। अपनी बहन से कोई भला कुछ भी छुपाता है क्या?”

मैंने अपने आप को सम्हाला और मैं रसोई में से चाय और कुछ नाश्ता ले आयी। नीना ने मुझे ठीक से बिठाया मेरा एक हाथ अपने हाथों में लिया और उसे सहलाने लगी और बोली, “अपनी बड़ी बहन से बताओगी नहीं की क्या बात है?”

मैंने धीरे से कहा, “कैसे बताऊँ नीना, बड़ा अजीब लगा रहा है। पिछले कुछ दिनों से अनिल अजीब सा वर्ताव कर रहें हैं।” नीना ने बिना कुछ बोले मेरी और प्रश्नार्थ दृष्टि से देखा। वह मेरे आगे बोलने का इन्तेजार कर रही थी।

मैं, “मुए शक है की वह कोई दूसरी औरत के चक्कर में हैं। ”

नीना, “तुम्हें कैसे पता? अनिल के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया है?”

मैं, “वह मुझसे अब अचानक ज्यादा प्यार करने लगे हैं।” मेरा वाक्य मुझे ही बड़ा अजीब सा लग रहा था। नीना का स्तंभित होना स्वाभाविक था।

नीना बड़े ही आश्चर्य से बोली, “क्या? अनिल तुम्हें ज्यादा प्यार करने लगे हैं, और तुम्हें लगता है की वह किसी और स्त्री के चक्कर में है? यह कैसी गुत्थी है? वह औरत कौन है?”

मैं कुर्सी पर सकपका रही थी। मैं नीना की कैसे समझाऊँ की परेशानी की जड़ तो वह खुद ही थी? बड़े असमंजस मैं कहा, “नीना, मैं कैसे बताऊं? मुझे अजीब सा लग रहा है। ”

तब नीना ने मुझे बड़ी ही असमंजस में डाल दिया। वह बोली, “और वह औरत मैं हूँ। सही है या गलत?” मैंने कुछ भी न बोलते हुए अपनी मुंडी हिला कर “हाँ” का इशारा किया।

मेरी बात का बुरा मानने, आश्चर्य प्रकट करने या मेरे साथ तक वितर्क करने के बजाय नीना मेरे और करीब आयी और मुझसे लिपट गयी और बोली, “हाँ, तुम सही हो। तुम्हारा पति मेरे पीछे पड़ा है। पर क्या तुम्हें पता है की मेरा पति तुम्हारे लिए कितना पागल है?”

मैं क्या बोलती? अब कठघरे में खड़े रहने की बारी मेरी थी। मैं बिना बोले असमंजस में नीना की और एकटक देख रही थी की वह क्या बोलेगी। तब नीना ने मेरी नाक अपने हाथ में पकड़ कर बड़े प्यार से धीरे से उसे दबाते और मेरा सर इधर उधर हिलाते हुए बोली, “अरे इस में मेरे पति राज का क्या दोष निकालूं? तुम हो ही इतनी खूबसूरत।” फिर एकदम खुल कर हँस पड़ी और बोली, “अगर में मर्द होती और राज की जगह होती तो मैं तो शायद तुम्हे अबतक मेरे बच्चोँ की माँ ही बना चुकी होती।”

मैं क्या बोलती? स्वयं इतनी अति सुन्दर स्त्री जब मेरी इतनी प्रशंशा करे तो भला मैं क्या बोल सकती थी? मैंने दबे हुए स्वर में कहा, “नीना बस भी करो। मेरी टांग मत खींचो। तुम तो मुझसे कहीं ज्यादा खूबसूरत हो। तुम्हारे सामने तो मैं कुछ भी नहीं। ”

नीना फिर थोड़ा रुक कर बोली, “मेरी प्यारी अनीता भाभी। अब मैं आपको बताती हूँ की बात क्या है।”

धीरे से एक गहरी साँस लेकर नीना ने कहा, “सीधी स्पष्ट बात और आजकी समस्या यह है की हम दोनों के पति एक दूसरे की बीबी से बहोत आकर्षित हैं, और वह हम दोनों से शारीरिक सम्भोग करना चाहते हैं। अब सवाल यह ही की हम पत्नियां क्या करें?”

नीना की इतनी सीधी और स्पष्ट बात सुनकर मेरे चेहरे से तो जैसे हवाइयां उड़ने लगी। मैं क्या बोलती? नीना की बात तो एकदम सही और सटीक थी। मैं चुप रही तो नीना ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, “देखो, मैं जानती हूँ की तुम और अनिल ने मिलकर एक ब्लू फिल्म देखि थी, जिसमें दो पति अपनी पत्नोयों की अदलाबदली करतें हैं। जब अनिल ने तुमसे ऐसे ही करने के बारेमें आग्रह किया तो तुमने अनिल को शायद फटकार दिया था। यह बात मैंने दरवाजे के पीछे छिपकर मेरे पति राज और अनिल के आपसी संवाद में सुनी थी। अनिल तुम्हारी फटकार से बड़ा दुखी था और राज को कह रहा था की उसका मन करता हैकि वह कोई वेश्या के पास जाए।” नीना इतना बोलकर चुप हो गयी।

मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा? क्या, मेरा पति अनिल वेश्या के पास जाएगा? क्या मैं उसे शारीरिक सुख दे कर संतुष्ट नहीं कर पा रही थी? मेरा सर भिन्ना रहा थ। मैंने दबे हुए स्वर में पूछा, “बापरे! यह आप क्या कह रही हो? क्या अनिल ऐसा सोच रहा है? अनिल वेश्या के पास जाएगा? मेरा तो घर ही बर्बाद हो जायेगा। नीना दीदी, तुम्ही बताओं हम अब क्या करें?”

नीना ने बड़े गम्भी स्वर में कहा, “देखो तुम मेरी छोटी बहन जैसी हो। जैसे तुम किसी भी हालात मैं यह नहीं चाहोगी की मेरा घर बर्बाद हो। वैसे ही मैं भला तुंम्हारा घर बर्बाद कैसे होते देख सकती हूँ? कुछ भी हो जाय हमें हमारे पतियों को हमारे पल्लू में ही बाँध कर रखना है ना? हमें उन्हें हमारे दोनों के घर के दायरे से बाहर जाने नहीं देना चाहिए। इसी में हम सब की भलाई है। इसके लिए चाहे हमें कोई भी समझौता क्यों न करना पड़े। तुम क्या कहती हो? मैं ठीक कह रही हूँ या गलत? बोलो।”

मैंने कहा, “बात तो सही है। पर तुम कहना क्या चाहती हो?”

नीना बड़े आत्मविश्वास के साथ बोली, “मैं यह कहना चाहती हूँ की हमें हमारे पतियोँ की बात मान लेनी चाहिए। मैं नहीं चाहती की हमारे पति कोई वेश्या के चक्कर में पड़ें। इसी लिए मैं तुम्हें कहती हूँ की अनिल की बात मान लो और राज के साथ सम्बंध बनाने में झिझक न रखो। मैं राज की पत्नी होकर भी तुमसे यही कह रही हूँ, क्योंकि इसी में हम सब की भलाई है की बात हमारे दोनों के बिच में ही रहे। बल्कि यह तो अच्छा है की बात अभी हमारे दोनों के बिच में है और हम दोनों बहनें मिलकर उसे सुलझा सकते हैं। वरना हमारे घर बिखर भी सकते हैं।“

नीना की बात मैं एकदम बड़े ध्यान से सुन रही थी। अब तो बात इस हद तक पहुँच चुकी थी की मुझे कुछ न कुछ निर्णय तो लेना ही था। और निर्णय क्या लेना था? पतियों की बात तो माननी ही पड़ेगी। वरना तो कहते हैं की “रायता फ़ैल जाएगा। ” अगर हमारे पति वेश्याओं के पास जाने लगे तो पैसे और इज्जत दोनों की बर्बादी तय थी। और फिर मेरे पति अनिल का क्या भरोसा? किसी वेश्या के साथ उसका मन लग गया तो कहीं वह उस वेश्या को मेरे घर में लाकर खड़ा न कर दे? यह सोच कर मैं काँपने लगी। पर सवाल यह था की फिर मै ही क्यों पहल करूँ। क्या नीना पहल नहीं कर सकती? वह मुझसे बड़ी भी तो थी?

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

तब नीना ने मेरी बात का बिना पूछे ही उत्तर दे दिया। वह बोली, “अब तो इस बारे में तुम्हें सोचना है। मैंने तो अपना निर्णय ले लिया है। मैं तुम्हें यह कहना चाहती हूँ की मैंने तो अपने आपको उनके हवाले कर ही दिया है। मैं अब तुम्हारे और मेर पति को पूर्ण तयः समर्पित हूँ। तुम्हारे पति मेरे साथ कहीं आगे निकल चुके हैं।

ऐसा हुआ क्योंकि मेरे पति राज ने ही तुम्हारे पति अनिल को उकसाकर मुझसे सम्बन्ध बनाने को प्रोत्साहन दिया। उस होली के दिन अनिल ने मुझे एक कोने में जकड कर मेरे पुरे बदन पर, यहां तक की मेरी चूँचियों पर भी ब्लाउज में हाथ डालकर रंग रगड़ा। मैंने अनिल को हटाने की बड़ी कोशिश की पर मेरी एक न चली। जब मैंने मेरे पति राज से शिकायत की तो राज ने मेरी बात यह कह कर अनसुनी कर दी की ‘होली में तो यह सब आम बात है। इसमें कोई बुरा मानने की जरुरत नहीं है।‘ अब तुम्ही बताओ मैं और क्या कर सकती थी? जब हमारे पति ही हमें आगे धकेल रहे हों तो हम क्या करें?”

नीना की बात शत प्रतिशत सच थी। उसमें सच्चाई और उसकी मज़बूरी की स्पष्ट झलक मुझे दिख रही थी। मैंने उसे आगे सुनाने को कहा तो वो बोली, “फिर उस दिन शाम को राज और अनिल मुझे एक प्रोग्राम में ले गए। वहाँ राज और अनिल ने मुझे मिलकर शराब पिलाई। मैंने थोड़ी सी जिन पिने को हाँ क्या कह दी, उन्होंने मुझसे छुपा कर इतनी ज्यादा डाल दी की मुझे पता ही नहीं चला की क्या हुआ। राज ने मुझसे इतनी मिन्नतें की की मेरे पास कोई जवाब ही न था। आखिर में मेरे पति और तुम्हारे पति ने मिलकर मुझसे अपनी बात मनवा ही ली। अगर उस समय मेरी जगह तुम होती तो शायद तुम भी वही करती।”

आप सब मुझे प्लीज इस ईमेल पर अपनी टिपण्णी जरूर भेजें, [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000