किसी की चाहत का मीठा अहसास -2

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मेरे अहसास की रंगीनियों को अब तक आपने पढ़ा.. वो टी-शर्ट ऊपर सरकाने लगा.. पर मैं पेट के बल लेटी थी.. तो टी-शर्ट ज्यादा ऊपर नहीं गई। अचानक से मुझे मेरे पेट पर कुछ महसूस हुआ। समीर की गर्म हथेली मेरे पेट के ऊपरी हिस्से में थी.. और जैसे ही उसने मुझे वहाँ पकड़ा.. मैं चिहुँक उठी और मेरे हाथ अनायास ही हवा में उठ गए.. जैसे कुछ पकड़ने के लिए उठे हों और मैंने समीर का लंड तौलिया के ऊपर से पकड़ लिया। अब आगे..

मैंने तुरंत अपना हाथ हटा लिया क्योंकि मैंने यह जानबूझ कर नहीं किया था। मुझे बहुत शर्म आने लगी, मुझे लगा समीर क्या सोच रहा होगा और मैंने भी पहली बार किसी लड़के के लंड को हाथ लगाया था.. इसलिए भी मुझे अधिक शर्म आ रही थी पर अन्दर ही अन्दर एक अलग ही खुशी थी, शायद पहली बार लंड छूने के अनुभव की खुशी थी।

समीर ने अपने एक हाथ से मेरे पेट को पकड़ कर मुझे थोड़ा उठाया और मेरी टी-शर्ट को ऊपर सरकाने लगा। उसने मेरी टी-शर्ट को मेरे मम्मों के ऊपर कर दिया, अब मेरी काली ब्रा पूरी उसके सामने थी पर इस बार मुझे शर्म नहीं आ रही थी। शायद इतना कुछ हो गया था कि शर्म कम हो गई थी।

पर वो यहाँ नहीं रुका उसने मेरे हाथ आगे किए और मेरी टी-शर्ट ऊपर को सरकाता चला गया और मैं भी उसका साथ देती चली गई। शायद सचमुच मेरी शर्म कम हो गई थी।

अब ऊपर के भाग में सिर्फ़ मेरी ब्रा मुझे ढक रही थी, वो धीरे से मेरे कन्धे पर मूव से मालिश करने लगा। उसका हाथ कभी मेरे कन्धों पर कभी मेरे गले पर फिसलने लगा, मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तुम इंजीनियरिंग छोड़ दो और मसाज पार्लर खोल लो.. अच्छी आमदनी हो जाएगी।

वो मुस्कराने लगा और बोला- अच्छा मेरी मसाज इतनी पसन्द आई। कहो तो मसाज पार्लर की शुरूआत तुमसे ही करूँ। मैंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं चुप रही और शायद उसने मेरी चुप्पी को ‘हाँ’ समझ लिया। वो सामने पड़े ‘बाडी- ऑयल’ की शीशी उठा लाया।

तभी उसने मेरी ब्रा की हुक खोल दी और मेरी पूरी पीठ पर तेल से मालिश करने लगा। मुझे भी अच्छा लग रहा था तो मैंने मना नहीं किया, मेरे शरीर में जैसे रक्त संचार तेज हो गया हो, मुझे बहुत मीठा सा एहसास हो रहा था और मैं उसी एहसास में खोती चली गई।

वो लगभग 10 मिनट ऐसे ही मालिश करता रहा। सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. मानो मैं हवा में उड़ ही हूँ। फिर उसने मुझे पलट दिया और तेल मेरे पेट पर मलने लगा, मेरी साँसें तेज होने लगीं, मेरे स्तन तीर की तरह तन गए और काफ़ी सख्त हो गए। उसकी हथेली मेरे पूरे पेट पर चल रही थी।

अचानक उसकी हथेली मेरी नाभि के नीचे सरकने लगी, मेरी साँसें बहुत तेज हो गईं और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने हाथ उठाकर समीर का लंड पकड़ लिया, शायद मैं काफ़ी उत्तेजित हो गई थी या मैं खुद के बस में ही नहीं थी, समीर का लंड काफ़ी सख्त हो गया था।

समीर ने धीरे से मेरी स्कर्ट को नीचे सरका दिया। अब मेरी चूत पर सिर्फ़ मेरी काली पैंटी थी। उसने मुझे फिर से पलट दिया और मेरी जांघों में तेल मलने लगा। फिर उसने मेरे पूरे पैर पर तेल लगाया और बहुत ही प्यार से वो मेरे पैर पर हाथ फेर रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं इससे पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था। अब वो फिर से मेरे पीठ की मालिश करने लगा। इस बार वो किनारे से मेरे चूचों को भी स्पर्श कर रहा था। अब तो मैं किसी और ही दुनिया में थी। वो कहीं भी छुए.. मुझे उसकी छुअन अचछी ही लग रही थी।

अचानक से उसकी हथेली सरकते हुए मेरी पैंटी के अन्दर आ गई, मैं सिहर उठी। अब वो तेल मेरे कूल्हों पर मलने लगा, वो जोर-जोर से मेरे चूतड़ों को मसल रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था। तभी उसकी दो उंगलियाँ मेरे चूतड़ों के दरार में चलने लगी, मैं सिहर उठी, मैंने कसकर उसके लंड को पकड़ लिया, मेरी पूरी चूत गीली हो गई थी।

मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं ‘आहं.. आह आह..’ तभी उसने मुझे फिर से पलट दिया और मेरे पेट पर मालिश करने लगा। इस बार उसकी उंगली मेरी ब्रा के नीचे से मेरे मम्मों के बीच में पहुँच गई। वो उसने उसी उंगली से मेरे मम्मों के बीच तेल मलने लगा।

फिर उसने धीरे से मेरी ब्रा को मुझसे अलग कर दिया जो नाम मात्र का मेरे मम्मों को ढक रही थी क्योंकि उसका हुक तो उसने पहले ही खोल दिया था, अब मेरे दोनों खरबूजे उसके सामने नंगे थे। उसने फिर से ढेर सारा तेल लिया और मेरे खरबूजों पर मलने लगा, अब मेरी साँसें और तेज हो गईं, वो जोर-जोर से मेरी चूचियों को दबाने लगा, कभी-कभी वो मेरे चूचुक भी दबा देता या उन पर च्यूँटी काट लेता, मुझे बहुत खुशी हो रही थी, मैं भी पूरे जोश में चूची दबवाने का मजा ले रही थी।

तभी मैंने अपने लबों पर उसके होठों को महसूस किया, वो मुझे किस कर रहा था। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुकी थी.. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, मैं भी उसे किस करने लगी और तौलिया के ऊपर से ही उसके लंड को मसलने लगी।

वो मुझे किस करता रहा और एक हाथ से मेरी चूचियों को भी मसलता रहा। मैं बता नहीं सकती.. मुझे कैसा लग रहा था, यह एहसास सच में बहुत ही सुंदर था, मैं चाह रही थी कि वो इसी तरह उन्हें मसलता रहे।

फिर वो मेरी दूसरी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, मैं काफ़ी उत्तेजित हो गई मुझे लगने लगा.. जैसे मुझ पर कोई नशा छा रहा हो। वो बीच-बीच में मेरे चूचुकों को दाँतों से काट लेता, मैं चिहुँक उठती.. मेरे मुँह से आवजें निकलने लगीं ‘आह.. आहं.. आह..’

तभी उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया और जीभ से मेरी चूत चाटने लगा। अब मेरी साँसें बहुत तेज हो गईं और मैं जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी, मेरे मुँह से कामुक ‘आहों’ की आवाजें काफ़ी तेज हो गई थीं।

वो अपनी जीभ मेरी चूत में डालने लगा, मैं तो जैसे बेहोश होने लगी। मैं उसके लंड को बहुत जोर-जोर से मसलने लगी.. मसलने नहीं.. नोंचने लगी। तभी मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा.. जैसे कुछ मेरे चूत से बाहर आने को बेताब हो। तभी मेरी चूत से मेरी यौनरस बाहर आ गया, मुझे लगा जैसे मैं किसी और ही दुनिया में पहुँच गई हूँ, मैं पूरी शिथिल पड़ गई।

थोड़ी देर बाद मैंने आँख खोलीं.. तो देखा वो मेरी चूत को चाट कर साफ़ कर रहा है। मुझे बहुत अजीब लग रहा था.. पर जो होना था.. वो हो गया था।

फिर मैं उठी और उसके होंठों पर होंठ रख दिए, हम फिर से चूमाचाटी कर रहे थे। वो मेरे चूचे दबाने लगा और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ दबाने लगा। मैं भी उसके लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी, तभी उसने बड़े प्यार से एक उंगली मेरे चूतड़ों के बीच में घुमाई और मेरी गाण्ड के छेद को टटोलने लगा।

फिर उसने धीरे से मेरे गाण्ड के छेद में उंगली डाल दी, मैं सिहर उठी, मैंने जोर से उसके होंठ पर दाँत से काट लिया, उसके होंठ से खून निकलने लगा। पर वो मुझे किस करता रहा.. जैसे कुछ हुआ ही न हो। मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं और जोर से उससे लिपट गई और बहुत जोश में उसे किस करने लगी। वो भी उसी गर्मजोशी से मेरा साथ देने लगा।

फिर मैं अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लंड के सुपाड़े पर जीभ फिराने लगी, वो अपने हाथ मेरे बालों में फिराने लगा। मैं उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, वो सिसकारियाँ भरने लगा ‘आह.. आहं.. आह.. मुझे अपने लंड पर दबाने लगा।

मैंने इससे पहले कभी ये नहीं किया था, यहाँ तक कि मैं जब भी इसे सेक्स मूवी में देखती या सहेलियों से कभी इसकी चर्चा होती.. तो मुझे बहुत घिन आती थी पर आज अच्छा लग रहा था। पता नहीं क्यूँ शायद इतना कुछ हो गया था इस वजह से या समीर के गर्मजोशी की वजह से।

फिर समीर ने मुझे बाँहों में उठा लिया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उसने मेरे पैर फैलाए और मेरी चूत चाटने लगा। वो एक हाथ से मेरी चूचियों को दबाने लगा, मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं ‘आह.. आहं.. आह..’ वो जीभ से मेरी चूत में कलाबाजियाँ दिखाने लगा, मेरे शरीर में तो जैसे आग लग गई हो, मुझे लग रहा था जैसे बस अभी इसे अपने अन्दर ही डाल लूँ।

फिर शायद समीर मेरी तड़प समझ गया और वो उठा और मेरी टांगों को अपने कन्धों पर रख लिया और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा, मेरी साँसें तेज हो गईं, मेरे मुँह से सीत्कारों की आवाजें भी तेज हो गईं। फिर उसने मेरे चूत पर अपना लंड टिका दिया और दबाने लगा पर उसका लंड फिसल गया। उसने फिर से लंड को मेरे चूत के मुख पर टिका दिया.. पर इस बार उसने मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।

फिर उसने जोर से झटका लगाया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में उतार दिया। मेरी तो चीख निकल पड़ी, मेरी आँखों से आंसू छलक पड़े। तभी उसने एक और धक्का लगाया और मेरी चूत को फ़ाड़ते हुऐ उसका आधा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं तड़प उठी।

वो मुझे किस करने लगा और मेरी चूची दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे थोड़ी राहत मिली तो मैं भी उसे किस करने लगी, उसने फिर एक जोरदार धक्का लगाया और अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। मुझे फिर से बहुत तेज दर्द हुआ.. पर मैं चीख नहीं पाई क्योंकि वो मुझे चूम रहा था।

मैं तड़प उठी.. वो वैसे ही रुक गया और बड़े प्यार से मुझे सहलाने लगा, मेरी चूचियों को दबाने लगा, थोड़ी देर बाद जब मैं उसके किस में पूरा सहयोग देने लगी.. तब वो धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।

फिर उसकी रफ़्तार तेज हो गई, मैं भी चूतड़ उठा कर उसका पूरा साथ देने लगी। करीब 15 से 20 धक्कों के बाद वो उठा और मुझे घोड़ी बनने को कहा, मैंने देखा कि उसके लंड पर खून लगा है। फिर वो मेरे पीछे आ गया और अपने हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। फिर वैसे ही वो मुझे चोदता रहा।

वो मुझ पर झुक गया और मेरी चूचियों को दबाने लगा, हम दोनों हाँफ़ रहे थे, मुझे बहुत मजा आ रहा था और लग रहा था बस यह समय यहीं थम जाये। तभी मेरे पूरे शरीर में अकड़न होने लगी, उसके धक्के और तेज हो गए और थोड़ी देर में मुझे चरम की प्राप्ति हो गई। फिर उसने कहा- मेरा भी निकलने वाला है।

मैं बोली- मेरी चूत में मत निकालना.. अब मैं सीधी लेट गई, मैं उसके लंड को अपने मम्मों में दबा कर आगे-पीछे करने लगी, ऐसा मैंने एक सेक्स मूवी में देखा था। थोड़ी देर में उसका लंड किसी पिचकारी की तरह माल उगलने लगा। वो बहुत गर्म था, मेरी पूरी छाती उसके वीर्य से भर गई। फिर हम दोनों थोड़ी देर तक वहीं बिस्तर पर पड़े रहे।

फिर मैं उठी और उसे किस किया.. ‘थैंक्यू..’ बोली और बाथरूम चली गई। यह मेरे जीवन की सबसे अच्छी बर्थडे गिफ्ट थी। ‘थैंक्यू सो मच समीर!’ मैं मुस्कराने लगा।

तभी मुझे लगा मेरे पीछे कोई खड़ा है, मैंने पलट कर देखा तो अनन्या मुस्करा रही थी, मैंने मुस्कराते हुए उसकी डायरी उसे दे दी। आपको यह घटना कैसी लगी, मुझे जरूर बताईए। मेरी ईमेल आइडी है [email protected]

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