चाची की सर्दी भतीजे ने दूर की -2

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मगर तभी दरवाजे की घंटी बज गई। मैंने झट से वीरेन को बाथरूम से बाहर धकेला और झटपट में अपना गीला ब्रा और पेंटी उतार कर नाइटी पहनी और जाकर दरवाजा खोला। बाहर गुप्ता जी खड़े थे, गुड़िया उनके घर कोचिंग लेने गई थी, मगर बाहर बारिश में भीग गई। गुप्ताजी ने भी से मेरी नाइटी के गले में से दिख रहे मेरे वक्ष उभारों को अपनी नज़रों से सहलाया, मुझे थोड़ी शर्म सी भी आई, मगर मैंने झट से उनको थैंक्स कहा, गुड़िया को अंदर खींचा और दरवाजा बंद कर लिया।

जब अपने को देखा तो मेरा बायें चूचे का सिर्फ निप्पल ही ढका हुआ था, बाकी तो सारा बूब ही बाहर को निकला पड़ा था। मुझे बड़ा अजीब लगा के गुप्ताजी भी क्या सोचेंगे मेरे बारे में!

खैर गुड़िया के कपड़े बदलने के बाद मैं उसे हाल में बैठा कर खाना बनाने चली गई।

खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर लेट गई और सोचने लगी कि आज जो कुछ वीरेन और मेरे बीच हुआ, ठीक हुआ या गलत हुआ, क्या मुझे उससे सेक्स करना चाहिए? एक दिल कहे कि नहीं यह गलत है, मगर जब भी मुझे उसके पत्थर जैसे सख्त लंड का खयाल आता तो दिल कहता ‘इससे शानदार लौड़ा और नहीं मिलेगा।’

इसी कशमकश में थी कि देखा रात के साढ़े 10 बज गए थे। मैं उठ कर बाथरूम गई, जब वापिस आई तो बाहर हाल में नज़र मार कर देखा, वहाँ वीरेन बैठा अब भी टीवी देख रहा था। मैं वापिस आ कर बेड पे लेट गई तभी वीरेन भी कमरे में आ गया।

गुड़िया अभी गहरी नींद में नहीं सोई थी, मैं उसे थपका रही थी, वीरेन आया और मेरे पीछे लेट गया, बिल्कुल मेरे साथ सट कर, उसने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख ली और अपना लंड पीछे से मेरे चूतड़ों से लगा दिया। मैंने भी थोड़ा सा आगे को झुक कर अपने चूतड़ों की दरार को थोड़ा सा खोला तो वीरेन ने अपना लंड उसमे एडजस्ट कर लिया, मैं पीछे को हुई तो उसका लंड पूरी तरह से मेरी गान्ड की दरार में फिट हो गया।

लंड सेट करने के बाद वीरेन अपनी एक बाजू पीछे से लाकर मेरे सामने रखी और अपने हाथ की उँगलियों से मेरे बड़े सारे क्लीवेज को सहलाने लगा। पर पुरुष का स्पर्श ही अलग होता है। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और इस लम्हे का आनन्द लेने लगी। क्लीवेज सहलाते सहलाते वीरेन ने अपना पूरा हाथ ही मेरी नाईटी के गले से अंदर डाल लिया और मेरे बूब्स को पकड़ कर सहलाने लगा। बहुत अच्छा लग रहा था उसका सहलाना।

फिर उसने मेरा बूब मेरी नाईटी से बाहर निकाला और आगे होकर चूसने को हुआ तो मैंने उसे रोक दिया- यहाँ नहीं वीरेन, गुड़िया उठ जाएगी, दूसरे बेडरूम में चलते हैं। वीरेन ने मुझे अपनी बाहों मे उठा लिया और दूसरे बेडरूम में ले गया, बड़े प्यार से उसने मुझे बेड पे लिटाया और दरवाजे को लॉक करके बेड पे मेरे पाँव के पास आ कर बैठ गया।

मैं उसको और वो मुझे देखे जा रहा था। मैंने अपना पाँव ऊपर उठाया और उसके कंधे से लगाया, उसने मेरे पाँव के अंगूठे को पहले चूमा फिर अपने मुँह में लेकर चूसा। जब उसने चूसा तो मेरी चूत और मेरे बूब्स के दोनों निपल्स में जैसे करंट लगा हो, एक झनझनाहट सी हुई, मेरे पाँव के अंगूठे को चूसते चूसते उसने अपना हाथ मेरी टांग पे फेरा और मेरी नाइटी को घुटने तक ऊपर उठा दिया, और उसके बाद पाँव से लेकर घुटने तक मेरी टांग पे चूमता हुआ वो घुटने तक पहुंचा। फिर इसी तरह दूसरी टांग को पाँव से घुटने तक चूमा, फिर मेरी दोनों टाँगें फैला कर वो बीच में आ बैठा और फिर अपने दोनों हाथों से धीरे मेरी नाइटी को ऊपर उठाता गया और घुटनों से ऊपर चूमता हुआ जांघों तक आ गया।

जब वो मेरी जांघें चूम रहा था तो मुझे एहसास हुआ कि मेरी चूत गीली गीली सी होने लगी है, मैंने अपनी दोनों टाँगें मोड़ ली और इस तरह मैंने खुद अपनी चूत उसके सामने नंगी कर दी। उसने मेरी चूत को देखा और बड़े प्यार से पहले चूत के आस पास चूमा और फिर मेरी चूत का जो दाना सा बाहर को निकला हुआ था, उस पर पहले चूमा और फिर उसे मुँह में लेकर चूस गया। सच में मेरी तो जान ही निकल गई।

मेरी चूत के दाने को उसने अपनी जीभ से अच्छी तरह चाटा, मैंने अपनी दोनों टाँगें उसके कंधों पे रख दी और उसके सर के बाल सहलाने लगी, उसने मेरी सारी चूत को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डाल कर चाटा। मैं तो इस आनम्न्द से अकड़ गई।

उसने मेरी चूत चाटते हुये अपने दोनों हाथों से मेरी नाइटी ऊपर उठा कर मेरे दोनों बूब्स बाहर निकाल लिए और बूब्स को अपने हाथों में पकड़ कर मेरे निप्पलों को अपने अंगूठे और उंगली में पकड़ कर धीरे धीरे मसलने लगा। यह हरकत भी मुझे बहुत अच्छी लगती है, मैं अपनी कमर गोल गोल घुमा कर उससे अपनी चूत चटवा रही थी, मेरे मुँह से ‘ऊह… उफ़्फ़… आह…’ और न जाने क्या क्या निकल रहा था, मैं सिसकारियाँ भर रही थी, तड़प रही थी।

थोड़ी देर चूत चाटने के बाद उसने मेरी कमर के इर्द गिर्द अपने होंठों और जीभ से चूमा और चाटा, मारे गुदगुदी के मैं तड़प गई, मैंने उसे मना भी किया- नहीं वीरेन ऐसे मत करो, मुझे बहुत गुदगुदी होती है। मगर वो नहीं माना, कमर और पेट को उसने जी भर के चूमा और मेरे बूब्स तक आ गया, दोनों बूब्स को उसने बारी बारी से चूसा, और ज़ोर से चूसा ताकि मैं और तड़प जाऊँ। मेरी नाइटी उतार दी, मेरे दोनों हाथों में अपने हाथ पकड़ कर वो खींच कर पीछे ले गया और मेरी दोनों वेक्स की हुई बगलों को भी जीभ से चाट गया, मैं इस गुदगुदी से पागलों की तरह हंस रही थी।

वो मेरे ऊपर लेट गया, उसका तना हुआ लंड उसके लोअर में कैद था मगर मैं उसका दबाव अपनी चूत पर महसूस कर रही थी। वो कमर हिला हिला कर अपने लंड को मेरी चूत पे घिसा रहा था, मैंने खुद ऊपर होकर उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए, मेरी अपनी चूत के पानी का स्वाद मेरे मुँह में आया, मगर यह मैंने पहले भी कई बार हस्तमैथुन करते हुये चखा था।

उसने अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाया, मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अपने दोनों हाथ उसके दोनों चूतड़ों पर रख कर उन्हें अपनी तरफ दबाया और कई बार दबाया जैसे मैं उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरा इशारा पा कर वो उठ कर खड़ा हुआ और उसने अपनी टी शर्ट उतार दी, उसके सीने पर हल्के बाल थे, नीचे लोअर में उसका तना हुआ लंड उसका लोअर और चड्डी फाड़ कर बाहर आने को बेताब था। उसने अपना लोअर और चड्डी दोनों एक साथ उतार दिये, करीब साढ़े 6 या 7 इंच लंबा उसका लंड मेरे पति के लंड से लंबा भी था और मोटा भी, और झांटों के गुच्छे में बिल्कुल सीधा तन कर खड़ा था।

मैंने उसके लंड को हाथ में पकड़ कर देखा, गरम और सख्त… मैं खुद को रोक नहीं सकी, मैंने उसका लंड पकड़ कर ही अपनी तरफ खींचा, वो झुका और मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। ‘आह…’ क्या स्वाद मुँह में घुल गया… मैंने जीभ से उसके गुलाबी टोपे को चाटा, जितना लंड मैं अपने मुँह में ले सकती थी मैंने उतना लंड अपने मुँह में अंदर तक लेकर चूसा, वो भी ऊपर से कमर चला रहा था, जिस वजह से उसका लंड मेरे गले के अंदर तक जाकर टकरा रहा था।

अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी, मेरी चूत पानी से लबालब भीगी पड़ी थी, मैंने कहा- नीचे आ जाओ। वो पीछे हटा और और मैंने अपने फिर से अपनी टाँगें पूरी तरह खोल कर अपनी चिकनी चूत उसके लंड के सामने कर दी। उसने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के मुँह पर रखा, पहले अपने लंड से मेरी चूत के होंठों को सहलाया, उसके लंड का स्पर्श पाकर मेरे तो तन बदन में झुरझुरी सी उठी, एक खुशी कि अब यह मजबूत लंड मेरी चूत में जाएगा और मुझे ज़िंदगी का असीम आनन्द देगा। उसने अपना लंड धीरे से अंदर को डाला। बेशक मैं एक बच्चे की माँ थी, मगर फिर उसका मोटा लंड टाईट होकर अंदर गया। मुझे लगा जितनी मेरी चूत खुली है, उसका लंड उस से भी मोटा है। गीली चूत होने की वजह से उसका लंड दो तीन बार में ही पूरा अंदर घुस गया, और जैसे कि मुझे अंदाज़ा था, उसका लंड सीधा मेरे यूटरस यानि बच्चेदानी से जा टकराया।

मैंने उसके गले में बाहें डाल कर कस दी और टाँगें उसकी कमर के गिर्द। मैं चाहती थी कि वो मुझे चूमते चाटते हुये चोदे। मगर जवानी के जोश में उसने धीरे से शुरुआत करके बाद में ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी। मैंने उसे कहा- ऐसे नहीं, आराम से करो, कोई जल्दी नहीं, धीरे धीरे प्यार कर कर के करो। उसे बात समझ में आ गई, वो नीचे से बेशक मुझे धीरे धीरे चोदने लगा मगर मेरे होंठ, गाल, गर्दन, कंधे, बगलें और जहाँ कहीं भी उसे दिखा, हर जगह को अपने मुँह में लेकर चूस गया।

मेरे बदन पर उसके चूसने और काटने के यहाँ वहाँ न जाने कितने निशान बन गए थे क्योंकि मेरी स्किन बहुत ही सेंसिटिव है। सच में कहूँ तो उसने मुझे तड़पा दिया। आम तौर पर मुझे झड़ने में 5-6 मिनट लगते हैं, मगर एक तो उस दिन बहुत दिन बाद सेक्स कर रही थी, और दूसरे उसने बहुत प्यार से मेरे साथ सेक्स किया, तो मैं तो बस 3 मिनट भी मुश्किल से ही टिक पाई और मैंने उसके पूरी ताकत से अपनी आगोश में भर लिया और जब मेरी चूत से पानी के फव्वारे छूटे तो मैंने जोश में आकर उसके कंधे पे काट लिया। जितनी देर मैं डिस्चार्ज होती रही उतनी देर मैंने उसके कंधे में अपने दाँत गड़ाए रखे।

मैं खुद भी अपनी कमर नीचे से उठा उठा कर मार रही थी। बहुत बरसों बाद जैसे मेरी आग बुझी थी, मगर मुझे यह लग रहा था कि जितनी देर मैं चाहती थी, उतनी देर मैं सेक्स नहीं कर पाई, अभी तक मेरी चूत की आग ठंडी नहीं पड़ी थी, मैं और चुदना चाहती थी, मगर जब वीरेन ने देखा कि मैं झड़ चुकी हूँ, उसने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और 2 मिनट बाद ही उसने भी अपने लंड से वीर्य की पिचकारियाँ मार मार के मेरी चूत को भर दिया।

वो मेरे ऊपर ही गिर गया- ओह चाची, मज़ा आ गया… बहुत गरम हो आप! वो बोला। मैंने कहा- चाची मत कहो मुझे, रोमा पुकारो। ‘ओके रोमा!’ उसने हंस कर कहा।

‘मगर अभी मेरा दिल नहीं भरा है, मुझे और करना है।’ मैंने कहा। ‘मेरा भी दिल नहीं भरा है, थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें एक बार और चुदना है, मेरी जान!” वीरेन ने कहा तो मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गई और उसके होंठों को चूम लिया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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